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Showing posts from August, 2018

मेरे दर्द की दवा

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दुनिया मे कितना गम हैं। मेरा गम कितना कम हैं। एक खूबसूरत गाना आपनके सुना होगा। मेरे लिए ये गाना एक सुविचार हैं।1997 में दिमाग की बीमारी के कारण में बहोत परेशान हुआ। मुजे जो स्वास्थ्य समस्या थी उसमें शिरदर्द होता था। एक बार दर्द होने के बाद एक दो दिन में कुछ न कर पाता था। उस वख्त भी में हंसता रहता था। मुजे दर्द के बाद हंसता देखकर मुजे देखने वाले रोते थे। मेरे भाई का डर, मेरी बहन की आस्था और मा बाप की सेवा ने मुजे फिरसर खड़ा किया। 1999 के बाद मुजे सीधी कोई समस्या न रही मगर दर्द रहता।पेन किलर,व्यसन ओर नशे के कारण दर्द महसूस न होता था। जब नशा उतरता दवाई की असर खत्म होती में फीर से दर्द के सामने खड़ा रहता। मेरे एक दोस्त ने मुजे उसमें से निकालने के लिए मुजे सहकार दिया। व्यसन ओर पेन किलर के कारण 1 साल पहले मुजे किडनी की समस्या से जूझना पड़ा। 1997 से बहोत सारे लोग मेरे साथ हैं। कुछ जुड़े हैं और रहे हैं। कुछ जुड़े ओर अपनी व्यक्तिगत सोच के कारण मुझसे दूर भी हुए। और भी लोग जुड़ेंगे। मेरे घर के परिवार के सदस्य जिन्होंने मुजे होंसला दिया। मेरे बड़े भाई का इतना डर की जब मेरी याददा

હોટલમાં ટેબલ ઉપર સફેદ કપડું જ કેમ...?

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જ્યારે પણ આપણે કોઈ હોટલ કે રેસ્ટોરન્ટમાં બહાર ખાવા જઈએ છીએ, તો ત્યારે આપણું સૌથી પહેલું ધ્યાન ટેબલની સજાવટ પર જાય છે. ટેલબ ક્લોથ ચોખ્ખુ છે કે નહિ, ચમચીઓનો સેટ બરાબર ગોઠવ્યો છે કે નહિ, મસાલાની ડબ્બીઓ મૂકેલી છે કે નહિ વગેરે. ટેબલની ગોઠવણ પર સૌથી વધુ ધ્યાનાકર્ષક બાબત એ હોય છે કે, ગમે તે હોટલ હોય પણ ટેબલ ક્લોથ તો હંમેશા સફેદ કલરનું જ હોય છે. સફેદ કલરના ટેબલ ક્લોથ પર જ સૂપ, સલાડ, મસાલેદાર ઝાયકાને પિરસવામાં આવે છે. પણ શું તમે એ જાણવાનો પ્રયાસ કર્યો છે કે, આ ટેબલ ક્લોથ હંમેશા સફેદ કલરના જ કેમ હોય છે. તો આજે જાણી આ પાછળનું કારણ. ડેનમાર્કમાં આ મામેલ એક રિસર્ચ થયું હતું. જેમાં જાણવા મળ્યું કે, ડાઈનિંગ ટેબલ પર સફેદ ચાદર બિછાવવાથી ફૂડ 10 ટકા વધુ ડિલિસીયસ લાગે છે. કોપેનહેગન યુનિવર્સિટીના રિસર્ચ કરનારાઓએ જાણ્યું કે, ખાવા ઉપરાંત સર્વ કરવાની રીતો, જેમ કે વાસણો, રૂમ, માહોલ વગરેથી સ્વાદને લઈને વ્યક્તિની માનસિકતા પર ઊંડી અસર પડે છે. સફેદ રંગ ખાવા પ્રતિ સકારાત્મક ઉર્જાનો સંચાર કરે છે. આ કારણે હોટલ-રેસ્ટોરન્ટ્સમાં ટેબલ પર સફેદ ટેબલ ક્લોથ અને સફેદ નેપકીન્સ રાખવામાં આવે છે. ઉલ્લેખનીય છે કે, આજકાલ

स्टिकर ओर जीवन

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मेरे आगे वाली कार कछुए की तरह चल रही थी और मेरे बार-बार हॉर्न देने पर भी रास्ता नहीं दे रही थी। मैं अपना आपा खो कर चिल्लाने ही वाला था कि मैंने कार के पीछे लगा एक छोटा सा स्टिकर देखा जिस पर लिखा था..  शारीरिक विकलांग; कृपया धैर्य रखें"! और यह पढ़ते ही जैसे सब-कुछ बदल गया!! मैं तुरंत ही शांत हो गया और कार को धीमा कर लिया। यहाँ तक की मैं उस कार और उसके ड्राईवर का विशेष खयाल रखते हुए चलने लगा कि कहीं उसे कोई तक़लीफ न हो। मैं ऑफिस कुछ मिनट देर से ज़रुर पहुँचा मगर मन में एक संतोष था। इस घटना ने दिमाग को हिला दिया। क्या मुझे हर बार शांत करने और धैर्य रखने के लिए किसी स्टिकर की ही ज़रुरत पड़ेगी? हमें लोगों के साथ धैर्यपूर्वक व्यवहार करने के लिए हर बार किसी स्टिकर की ज़रुरत क्यों पड़ती है? क्या हम लोगों से धैर्यपूर्वक अच्छा व्यवहार सिर्फ तब ही करेंगे जब वे अपने माथे पर कुछ ऐसे स्टिकर्स चिपकाए घूम रहे होंगे कि "मेरी नौकरी छूट गई है", "मैं कैंसर से संघर्ष कर रहा हूँ", "मेरी शादी टूट गई है", "मैं भावनात्मक रुप से टूट गया हूँ", &qu

जागु : राखी ओर खुशी

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राखी का दिन। भाई और बहन के प्यार का दिन। बहन भाई की रक्षा के लिए उसे रक्षा कवच बांधती हैं। भाई प्यार से बहन को सन्मान देता हैं। जो भी हो,बहन है तो भाई का जैसे साथ हैं, सहयोग हैं। मेरी बहन पढ़ाई में बहोत तेज थी। नया सीखने में तेज मेरी जागु मुजे समजाने में बहोत सहज हैं। वो कोई भी बात मुजे पूछ सकती है सवाल कर सकती हैं। सवाल वो ही करते हैं जो प्यार करते हैं। वो भी मुजे बेतहाशा प्यार करती हैं। इस रक्षाबंधन के दिन मेने राखी बंधवाई। मेरी भाभी मुजे भी राखी बांधती हैं। मेरे मातृछाया ओर जादूगर के आश्रमघर की सारी बेटियों ने राखी बांधी। जिससे जो बन पड़ता हैं, बहन को देता हैं। राखी के दिन भाई बहन को देता हैं।मेने दिया मगर इस बार जागु ने लिया नहीं। इस बार उसने कुछ प्यार से मांगा। उसने मुझसे प्यार से जो मांगा हैं वो देनेके लिए मेने सहमति दिखाई हैं।मेने उसे ऐसा ही करने के लिए हां कहा हैं। उसकी खुशी से अधिक मेरे लिए कुछ नहीं हैं। उसने जो चाहा हैं वैसा ही होगा। क्यो की वो मेरी एकलौती बहन हैं। अगर देखा जाए तो उसने जो मांगा हैं, मेरी ओर मेरे परिवार के लिए खुशी से जुड़ा हैं। उसने बोला ओर

IBKR

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पिछले कुछ सालों के दौरान दो शब्द सुनने को मिलते हैं। उसमें पहला शब्द हैं स्किल ओर दूसरा शब्द हैं स्टार्टअप।में स्किल से जुड़े बच्चो को खोजने के काम से जुड़ा हूं। मेने आज तक 9 नेशनल ओर इंटर नेशनल रिकॉर्ड कायम किये हैं।अब मेरी सोच ये बनती हैं कि ऐसे स्किल वाले बच्चों की स्किल को प्रोत्साहित करने वाली ओर उनका रिकॉर्ड लिखने वाली प्रकाशित करने वाली एक बुक तैयार हो। इस काम मे अभीतक हम 22 राज्योसे प्रतिनिधि पसंद कर चुके हैं।बच्चो के स्किल या नवाचार से जुड़ी बातें जो अभिनव होगी उसे इस किताबमें लाया जाएगा। साल में एक बार ही ये किताब छपेगी।आप भी आपके आसपास के बच्चों के नवाचार ओर स्किल की जानकारी हम तक पहुंचाए।समग्र देशमें से आए ऐसा स्किल रिकॉर्ड बुक सबसे पहला सप्तरंगी फाउंडेशन तैयार करने जा रहा हैं।आप से अनुरोध हैं कि आप भी इस काममें हमारी सहायता करे। @#@ स्किल बुक की किसीभी जानकारी के लिए आप हमें मेल या msg के उपरांत कोल भी कर सकते हैं। 09925044838 7rangiskill@gmail.com bhaveshpandya2008@gmail.com

राम सीता और दंपति

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राम और सीता विश्वमें सर्वाधिक चर्चा में रहने वाले सीता और राम। जब भी दंपति में कोई तकरार होती हैं तो उन्हें सीताराम का उदाहरण दिया जाता हैं।  सीताजी जब रामजी के पास थी उन्हें सुनहरा हिरन,सोने का हिरन लेनाथा। जब पूरी सोने से भरी लंकामें सीताजी थी तब उन्हें राम चाहिए थे। वो राम राम का जाप करती थी। ये हमारी मानसिक स्थिति का उदाहरण हैं। हमारे में नहीं सती सीताजी की भी मानसिकता यही रही हैं। वैसा ही राम के लिए भी कहा जा सकता हैं। जब रावण सीतामाता का अपहरण करके माता सीता को ले गया तब रामजी सीते... सीते... करके लंका पहुंच गए। जब वो 14 साल बाद सीताजी के साथ अयोध्या आये तो एक धोबी के कहनेपर उन्होंने सीताजी का त्याग किया। ऐसा क्यों होता हैं। अगर घरमे बीबी कुछ सवाल करे तो हम परेशान हो जाते हैं। अगर बीबी को डांटकर बोलदे की तुम सवाल ज्यादा करती हो, मेरा दिमाग छटक जाता हैं। न खोने से या लड़ाई से दूर भागने वाली बीबी दो दिन सवाल नहीं करती तो हम परेशान हो जाते हैं। आज क्या खाना पकाऊ? इस सवाल के जवाब में ज्यादातर पति परेशान रहते हैं। मगर जो बीबी ने पूछे बगैर खाना पकाया तो समस्या हो जाएगी

केसर

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केसर कश्मीर की पहचान हैं। उस समय केसर यानी काश्मीर ही दिखाई पड़ता था। अरबी व्यापारी जब भारत आते थे आते जाते वो केसर ले जाया करते थे। अरबी लोग शराब,चाय,कॉफी,नॉनवेज या बिरयानी पर भी केसर को उर से दाल कर छिट कर कहते थे। कश्मीरी हकीम कहते हैं और आज हम मानते हैं कि केसर से स्नान करने से स्किन की चमक बढ़ती हैं। वैसे स्किन जी चमक तो रेग्युलर से थोड़े ठंडे प्रदेश में रहेंगे तो भी आएगी। सेक्स में भी केसर से जुड़े प्रयोग हैं।कुछ प्रयोग भी हुए हैं, अरबी इसी लिए केसर को ज्यादा पसंद करते थे। प्रत्येक धर्म ने केसर को अपनी जगह महत्व दिया हैं। बुद्ध की प्रतिमा के पूजन में केसर का उपयोग होता हैं। हिन्दू शास्त्र में केसर का महत्व इतना हैं कि केसर का त्रिपुंड करना भाग्यशाली माना गया हैं। तावीज में भी केसर के तंतु रखे जाते हैं। हर धर्म में उसका महत्व हैं। क्यो की केसर एक ऐसी कुदरती संपदा है जिसका गुण हैं कि वो सबसे तेज जंतु नाशक हैं।तावीज में रखो या वाइरल इंफेक्शन के समय किसी कपड़े में लपेट कर, कुछ जो हैं उसमें सुधार होगा। केसर को  हिंदी में 'केसर' मराठी में 'केसर' अरबी के उर्दू

मोदीजी ओर स्थानीय मीडिया

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में ज्यादा तर गुजराती ओर हिन्दीमे लिखता हूँ। मुजे पढ़ने वाले गुजरात के बहार से भी हैं। मुजे ये कुछ सालों पहले मालूम पड़ा कि मुजे हिंदी में लिखना चाहिए।क्योंकि ज्यादा पढ़ने वाले लोग हिंदी में हैं। में भी प्रयत्न करूँगा की अच्छे से हिंदी लिखू। मेरी लिखने की बात इस लिए आई हैं क्यो की आज मेने एक news देखे। हमारे प्रधानमंत्री अंग्रेजी अखबार के प्रतिनिधि को अब नहीं मिल रहे हैं। क्यो की मोदी जी मानते हैं कि स्थानीय मीडिया प्रभावक हैं। सोसियल मीडिया पर तो मोदीजी सीधे आगे निकलते हैं। मगर अखबारों के लिए वो स्थानिक अखबारों को ज्यादा तवज्जो देते हैं। करुणानिधि जी के देहांत पर मोदी तमिलनाडु गयेथे। अखबारों के 40 प्रतिनिधि को मोदीजी मीले थे। मगर राजकीय वार्ता नहीं कि, सिर्फ शुभेच्छा मुलाकात करके वो वापस आ गए। अंग्रेजी अखबार कितना बड़ा हो, एमजीआर जहाँ लोकल लेंग्वेज के अखबार पहुंचते हैं वहाँ अंग्रेजी अखबार नहीं पहुंचते हैं। अंग्रेजी अखबार से जो पार्टी लाइन को समझ सकते हैं वो तो सोसियल मीडिया से भी अवगत हैं। अब मीडिया को कौन समजाये की 2019 की नहीं 'मन की बात ' 2024 की तैयारी हैं। @#@

અટલ સાથે બાજપાઈ NDA

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આ પોસ્ટ કદાચ કોઈને ન ગમે. કોઈને વધારે પણ ગમે. થોડી લાંબી પોસ્ટ છે પણ કેટલાય દિવસોનું ભેગું કરેલું છે. એટલે વાંચજો અને વિચારજો.જો ગમે તો અન્યને શેર પણ ખબર. વિચારીએ... જુઓ,મહારાષ્ટ્રની વાત કરીએ. બાલાસાહેબ ઠાકરેનું અવસાન થયું. પાર્ટી મહારાષ્ટ્ર કે ભારતમાં સત્તામાં નહોતી. થોડા ડઝન સંસદસભ્યો અને ધારાસભ્યો થોડા લાખ કાર્યકર્તાઓ. શું થયું... મુંબઈમાં કર્ફ્યૂ. અનેક તોફાનો થયા. લોકોમાં ડર ફેલાયો અને વિવાદ થયો. ભત્રીજા અને પુત્ર વચ્ચે પક્ષ અને મિલકત પર નિયંત્રણ માટે લડાઈ થઇ. તેમનું નામ અને સ્મારક ક્યાં બનાવવું તે જોવાનું રહ્યું. સ્થાનિકો એસ્મારક માટે તોફાનો કર્યા. આવું જ એક બીજા રાજ્યમાં. એક બીજી પાર્ટીની વાત કરીએ. એમ.કરુણાનિધિ. એક સર્જક અને કલાકાર અને રાજનેતા. એક જ પાર્ટીના પ્રમુખ તરીકે એકધારા 50 વર્ષ હમણાં જ પૂરું કર્યું. આ એમ.કૃણાનિધિજીનું નિધન થયું. અત્યારે આ પાર્ટી  કેન્દ્ર અથવા રાજ્યમાં ક્યાંય સત્તામાં નથી. તેની જોડે આશરે 100 ધારાસભ્યો. કદાચ 1 કરોડ મતદાર સભ્યો. આટલું અમથું તોય... ચેન્નાઈમાં કરફ્યુ. તોફાનો થયા, લોકોમાં ડર ફેલાયો. પક્ષ અને મિલકત પર નિયંત્રણ

दर्शनशास्त्र

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दर्शनशास्त्र के अध्ययन, चिंतन तथा विश्लेषण (Analysis) की विषय वस्तु अत्यंत व्यापक होने के कारण, दर्शनशास्त्र का कोई सर्व स्वीकार्य परिभाषा निश्चित कर पाना अत्यंत कठिन  कार्य है। मूर्त (Abstract) तथा अमूर्त (Concrete)  विषयों के संबंध में मनुष्य की बुद्धि में उत्पन्न होने वाले विविध प्रश्नों तथा उनका युक्तियुक्त (Reasonable) समाधान या उत्तर प्राप्त करने का प्रयास दर्शन  कहा जा सकता है। इस तरह  से संपूर्ण ब्रम्हाण्ड ही दर्शन का विषय हो जाता है। विवेकवान होने का मनुष्य का यह अदितीय गुण विश्व की प्रत्येक वस्तु  के स्वरूप को जानने के लिए मनुष्य को प्रेरित करता है। वस्तु के स्वरूप को पूर्णंता के साथ व्याख्या कर पाने के लिए, भावना अथवा विश्वास के आधार पर नहीं बल्कि ज्ञान के आधार पर इसे प्रकट किया जाता है। दर्शन, ज्ञान  की युक्तियुक्तता की कसौटी  होती है। दर्शन के अधीन समस्त ब्रम्हाण्ड, जीवन, आत्मा, व्यक्ति, वस्तु प्रत्येक की उत्पत्ति, अस्तित्व, प्रयोजन स्वरूप, लक्ष्य, सीमाओं आदि से  संबंधित  प्रश्न जो मनुष्य के मस्तिष्क में उठते हैं, उनका युक्तियुक्त समाधान/उत्तर  देने का प्रयास

अनाथ:सोसियल गलती

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किसी दोस्त नें मुजे फोटोनशेर किया। स्क्रीनशॉट था और मुजे भेजा था। एक छोटी लड़की। स्कूल से प्रवास जाती हैं। प्रवास में उन्हें वृद्धाश्रम की मुलाकात लेनी हैं। उसने यहाँ अपनी दादी को देखा। उस के पापा उसे यहां छोड़ गए थे। लड़की जब पूछती तो पापा कहते कि वों कीसी परवार के सदस्य के साथ रहती हैं। बाद में मालूम पड़ा कि ये जानकारी आधी हैं। जिस स्कूल से वो गई थी उस टीचर ने भी बताया जी एक फोटो को न्यूज़ वाको ने गक्त तरीके से भेजा हैं। 11 साल पहले की ये तस्वीर हैं। news 18 गुजराती में दादी ओर पौती दोनों आये। उस का कहना था कि पापा ने नहीं छोड़ा हैं।दादी खुद आई हैं। हमे मालूम नहीं था उस बख्त में छोटी थी। दादी को देखा तो रो पड़ी। मेरे सर ने ये फ़ोटो क्लिक करि थी  गक्त न्यूज़ 2008 नें 12 नवंबर में  भी बनी थी। न्यूज़ पेपर ने गलती का स्वीकार किया था। आज सोशियल मीडिया में दादी कप लाचार ओर बेटी को खोजी बता दिया। मेने भी उस फ़ोटो जो इस लिए रखा था कि लिखने को कुछ न हो तो काम आए। एमजीआर आज news 18 गुजराती को देखा। वाह माँ। एक अलग समाज व्यवस्था हैं। व्यक्ति अपने आप से रहने जाते हैं और अपना खर्च संस्था ज

समय को पहचानो....

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क्या आप बहुत कोशिश करने के बाद भी समय पर अपना कार्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं? हम समय के सही उपयोग या महत्व के विषय में बात करते हैं पर क्या हमें सही तरीके से पता भी है समय कहते किस चीज को हैं? समय का महत्व जीवन में अन्य-अन्य पल में अलग-अलग होता है। कभी समय के जीवन के लिए बहुत ही अनमोल होता है तो कभी ना के बराबर। एक छोटे बच्चे के लिए- समय ना के बराबर है। एक किशोर या young age के लिए- समय उत्साह, मज़ेदार,उमंग से भरा है। एक वयस्क के लिए- समय कार्य से भरा हुआ है तथा बुजुर्गों के लिए- समय जरूरत से ज्यादा है। आप सब ने एक कहावत तो सुना ही होगा ! धनुष से छुट हुआ तीर, मुह से निकला हुआ शब्द और बिता हुआ समय कभी वापस नहीं आता । अपने जीवन को सही तरीके से चलने में समय का बहुत ही ज्यादा महत्व है । इसके उपयोग के लिए सबसे जरूरी है अपने जीवन के मुख्य प्राथमिकताओं को समझना और उन्हें सही समय पर पूर्ण करना । समय के सदुपयोग या सही उपयोग से ही आप अपने जीवन के सभी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं । सोचिये आपके कंपनी का कोई मुख्य कार्य जो आपको कुछ घंटों में पूर्ण करना है पर कार्य करते समय आपका

अटल जी को...

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कोई सर्जक ऐसा नहीं जिसका सर्जन जो भी हो अच्छा हो। कोई बेस्टमेन ऐसा नहीं कि हर मैच में शतक लगाए। किसी सिंगर ऐसा नही जिस के सभी गाने हिट होते हो। मगर 'अटल'जी के लिए ऐसा न था। उनकी ज्यादातर कहिए कि सभी कविताए श्रेष्ठ थी। मगर मुजे जो पांच सबसे ज्यादा पसंद हैं वो आप के लिए... 1. गीत नहीं गाता हूँ बेनकाब चेहरे हैं दाग बड़े गहरे है, टूटता तिलस्म आज सच से भय खाता हूं, गीत नहीं गाता हूं. लगी कुछ ऐसी नज़र, बिखरा शीशे सा शहर, अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं. गीत नहीं गाता हूं. पीठ में छुरी सा चांद, राहु गया रेख फांद, मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं. गीत नहीं गाता हूं. 2. क्या खोया, क्या पाया जग में क्या खोया, क्या पाया जग में, मिलते और बिछड़ते मग में, मुझे किसी से नहीं शिकायत, यद्यपि छला गया पग-पग में, एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें. पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी, जीवन एक अनन्त कहानी पर तन की अपनी सीमाएं, यद्यपि सौ शरदों की वाणी, इतना काफी है अंतिम दस्तक पर खुद दरवाजा खोलें. जन्म-मरण का अविरत फेरा

सिकंदर कैसे मरा...

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सिकंदर सिर्फ नाम काफी हैं। कहते हैं सिकंदर पूरी दुनिया जितने निकला था। वो आधे पहुंचा और कहीं पे उनका केम्प रुका था। यहाँ एक ज्योतिषी थे। बहोत मशहूर ज्योतिषी थे। वो हाथ देखकर सब कुछ ओर सच बता सकते थे। सिकंदर ने उन्हें बुलाया। सन्मान के साथ उसे पूछा 'आप मुजे ये बताए कि मेरी मौत कब होगी।' उस ज्योतिषी ने देखा,सिकंदर का हाथ पकड़कर देखा। उसे सिकंदर कब और कैसे मरने वाले थे वो बता सकते थे। ज्योतिषी ने सोचा 'अगर मरने का समय और स्थान बताया तो सिकंदर उसे मार देता। ज्योतिषी ने उसे कहा ' आप की मोत तब होगी जब लोहे की धरती और सोने का आकाश होगा। ये सुनकर सिकंदर खुश हो गया। उस ने वजीर को कहा 'अब हम दुनिया जीत लेंगे। क्यो की धरती लोहे की ओर सूरज सूने का तो होगा नहीं।बस,क्या था सिकंदर ने अपने सैन्य को आगे बढ़ने के आदेश दिए। वो अपने काफिले के साथ फारस जा रहा था। उस वख्त के फारस को हम आज ईरान के नाम से पहचानते हैं। सिकंदर का काफल ईरान,अफगानिस्तान और बलोचिस्तान के रण को जोड़ने वाले विस्तार से आगे बढ़ रहे थे।रास्ते मे सिकंदर बीमार हुआ। उनके वैध भी उनके साथ थे। उनके वजीर भी सिकंदर

ताना समुदाय ओर देश भक्ति

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गांधीजी ने स्वदेशी सामग्री का आग्रह रखा था। वो खाड़ी के वस्त्र    की बात करते थे।किसी को रोजी मिलती ओर किसीको सस्ता कपड़ा। आज के दिन 1947 को देश आज़ाद हुआ।  खादी के वस्त्र तो तब से जैसे कम होने लगे।आज जो खादी मिलती हैं वो महंगी हैं।अक्टूबर महीने में खादी थोड़ी सस्ती होती है तब जाके हमारे जैसे लोग एक कुर्ता या शर्ट खरीद लेते हैं। आजनके दिनगर किसी ने खादी के वस्त्रों को सदैव के लिए अपनाएं हैं तो वो हैं, ताना भगत समुदाय के लोग।जो आज भी गांधी टोपी ओर खादी के वस्त्र पहनते हैं। ताना भगत समुदाय के लोगो के बगैर हम हिंदुस्तान की आज़ादी का इतिहास नहीं लिख सकते हैं।अरे इस समुदाय के लोगो ने आज तक आए प्रथा संभाली हैं।सुबह में वो त्रिरंगे को सलामी देने के बाद ही अपना काम करते हैं।हाला की उनके तिरंगे में अशोक चक्र के बदले रेंटिया दिखता हैं।पहले बिहार और अब ज़ारखण्ड में ये समुदाय रहता हैं।उनका देश प्रेम किसी एक दिन के लिए नहीं मगर कायम के लिए रहता हैं।आज उनके बारे में बात करेंगे। बात हैं एक महंत की। उनका नाम जतरा भगत। वो आदिवासी को एक करके उन की सामाजिक और व्यक्तिगत बुराई को निकाल के उनको ए

वर्ल्ड लेफ्ट हेंडर्स डे...

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नरेंद्र मोदी,सचिन तेंदुलकर और अमिताभ बच्चन में क्या समानता हैं।क्या मधर टेरेसा को इन तीनो से कुछ मेल खाता होगा? इसका जवाब हैं।ये चारो अपने लेफ्ट हेंड का उपयोग करते हैं।वर्ष 1976 से 13 ऑगस्ट को इंटर नेशनल लेफ्ट हेंडर्स डे के तौर पे मनाया जाता हैं। विश्वमें 10% लोग ऐसे होते हैं जो उल्टे हाथ से लिखते हैं। ज्यादातर समाज में राइट हेंडर्स के लिए ही सारी सुविधा आए बनाई गई हैं। कैंची या राइटिंग पेड़ और कॉम्प्यूटर की बोर्ड के ऊपर  0 से 9 अंक भी की बोर्ड के राइट साइड में हैं। जो सीधा हाथ वाला हैं उनके लिए लेफ्ट साइड की जेब अच्छी होगी। एमजीआर जो लेफ्टि हैं उनके लिए लेफ्ट हाथमें से लेफ्ट साइड वाली शर्ट की जेब से कुछ निकालना मुश्किल हैं।हम जो घड़ी पहनते हैं उस की चाबी बहार रहती हैं। ऐसी घड़ी को लेफ्टि वॉच कहते हैं। हम घड़ी को लेफ्ट में इस लिए पहनते हैं की हमारा सीधा हाथ राइट हैं। अब सवाल ये हैं कि जो सभि काम लेफ्ट हाथ से करता हैं वो घड़ी राइट हाथ में पहनेंगे तो चाबी को अंदर रखना पड़ेगा।तो क्या लेफ्टि के लिए राइट हाथ में घड़ी पहने ओर चावी बाहर रहे जैसे हमारी लेफ्ट हेंड वॉच में होतो? समजे... ऐसी ब

ત્રીજો ગધેડો

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એક કુંભાર પાસે ત્રણ ગધેડા અને ફક્ત બે દોરડા હતાં. પોતાને નદીમાં ન્હાવા માટે જવું હતું એટલે તેણે ગધેડાઓને દોરડાથી બાંધવાનું વિચાર્યું પણ, દોરડા બે જ હતાં અને ગધેડા ત્રણ ! તેણે એક માણસની સલાહ લીધી. એ માણસે કહ્યું કે, "તું બે ગધેડાને, ત્રીજો ગધેડો જુએ તે રીતે બાંધ અને પછી ત્રીજા ગધેડાને બાંધવાનો ફક્ત અભિનય કર, નાટક કર.. કુંભારે એમ જ કર્યું ! નહાઈને, બહાર આવીને જોયું તો, જેને નહોતો બાંધ્યો, ફક્ત બાંધવાનું નાટક જ કર્યું હતું તે ગધેડો પણ જાણે બંધાયને ઉભો હોય એમ નો એમ ઉભો હતો.  કુંભારે બે ગધેડાઓને છોડયાં અને ચાલવા માંડ્યો પણ, એનાં આશ્ચર્ય વચ્ચે ત્રીજો ગધેડો પોતાનાં સ્થાનેથી હલ્યો નહીં. ધક્કો માર્યો તો પણ નહીં. કુંભારે ફરી પેલા ડાહ્યા માણસને પૂછ્યું.પેલા માણસે કહ્યું કે, "શું તે એ ત્રીજા ગધેડાને છોડ્યો ?" કુંભાર કહે કે, "મેં તેને બાંધ્યો જ નહોતો.'' પેલા માણસે કહ્યું કે, "એ તું જાણે છે કે ગધેડો બંધાયેલ નથી પણ, ગધેડો પોતાને બંધાયેલો જ સમજે છે.તું એને છોડવાનું નાટક કર. કુંભારે તેમ જ કર્યું, ને તેના આશ્ચર્ય વચ્ચે હવે ત્રીજો ગધેડો ટેસથી ચાલવા લાગ્ય

अपेक्षा ओर उपेक्षा

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प्रसन्न रहने के लिए हम बहोत कुछ करते हैं। प्रसन्न रहना किसे पसंद नहीं हैं।मगर कुछ वख्त ऐसा होता हैं कि प्रसन्न ता के अवसर पर भी हम प्रसन्न नहीं रह पाते। इस के लिए दो बातें ही तय हैं। अपेक्षा ओर उपेक्षा। खुशी के मौके पर अगर हम खुश नहीं रह पाते तो उसका मतलब हैं हमारी अपेक्षा अधिक हैं,या तो हमे उपेक्षित होने का अहसास हैं।जो भी हैं भगत इस से हमारी खुशी कम हो जाती हैं। खुशी और प्रसन्नता दो अलग बाते हैं।अगर कोई हमारी उपेक्षा नहीं कर रहा हैं और हमे ऐसा लगे तो इसका मतलब आप मानसिक रूप से थके हैं या आपको आराम की जरूरत हैं।कोई हमारी उपेक्षा करे उसमें गलती हमारी हैं।सीधा मतलब ये हैं कि हो सकता हैं हमारी अपेक्षा ज्यादा हो।प्रसन्न रहने के लिए जब भी कोई सवाल या समस्या आये तो उसमें सही गलत क्या हैं वो नहीं मगर हम उस समस्या में होते तो क्या करते।बस,यही विचार आप को प्रसन्नता के करीब ले जाएगा। @#@ मुजे खुश रहना हैं। मेरी खुशी सिर्फ मेरे हाथों में हैं। मुजे खुश रहना है,क्यो की मेरे पीछे बहोत जिम्मेदारी हैं।

હું સારો...તમે ?

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કોઈ પણ હોય.નક્કી છે કે એને હદ હોય. મારા એક મિત્ર કહે છે 'હદ થાય અથવા રદ થાય.' કોઈ પણ વસ્તુ ને કે તેના સારા પણા ને એટલી હદે ઉપયોગ ન કરવો કે જેને લીધે એ ખરાબ થવા મજબૂર થાય.મોટે ભાગે આવું બને છે. આપણા જીવનમાં હોય તેવી વસ્તુ કે વ્યક્તિ ને સાચવી લેવી જોઈએ.એમ અહમ,વહેમ કે ભ્રમ ન જ રખાય.આ પોસ્ટર આમ તો દરેક ને વાંચવું ગમે એવો સંદેશ આપે છે.હા,આપણે એને કેવા અર્થમાં લઈએ છીએ એ પણ જોવું જરૂરી છે. કહેવાય છે કે સબંધ ને મજબૂત બનાવો મજબૂર નહીં.એમ જ અહીં કહેવાય કે વ્યક્તિમાં ખરાબી હિય તો તેને સુધારો, સુધારવા તક આપો.સુધારવામાં સહાય કરો. જીદ કે એવું વર્તન આખી વાત અને સાથોસાથ જિંદગી બદલી નાખે છે. @#@ કોઈ કોઈનો ફાયદો ઉઠાવી શકે એમ નથી.સૌ પોતાનો ફાયદો જોઈને જ બીજાને લાભ આપે છે.એવું માનનાર એ ભૂલી જાય છે કે ફાયદા કરતાં વાયદાને મહત્વ અપાયું હોય તો આવું ન થાય.

जरूरत ओर शोध

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जरूरत शोध की जननी हैं। आप को ये विधान सांजे ने के लिए ओर कुछ नहीं करना हैं।सिर्फ फोटो को देख कर समज़ लेना हैं।अगर देखा जाए तो आए तय हैं कि जब हम किसी की जरूरत होती हैं,हम उस सुविधा या व्यवस्था के लिए कुछ नया खोज लेते हैं। कोई व्यक्ति अपने कद के कारण एक बेंच पे नहीं सो सकता था। अब करें भी तो क्या करें।उन्हों ने एक नया रास्ता निकाला जो में आपको शेर कर रहा हूँ। @#@ जीवन में सुविधा नही,साहस और समर्पण महत्वपूर्ण हैं।रास्ते तो बहोत निकलेंगे,अगर मनमे ठाना हैं तो कुछ तो होगा।

આવું કેવું...

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આજકાલ સ્પા સેન્ટરનું મહત્વ વધતું જાય છે.થોડાક વર્ષો પહેલાં આ સુવિધા અમદાવાદ શહેરમાં જ જોવા મળતી હતી. આવું જ એક સ્પા સેન્ટર રાજકોટમાં હતું. હતું એટલા માટે કે ત્યાં થોડા દિવસ પહેલાં પોલીસે તપાસ કરી ને આ સેન્ટર બંધ કરાવવામાં આવ્યું. જાણવા મળેલ વિગત મુજબ સ્પા સેન્ટરની પકડાયેલ યુવતી કેટલીક મહિલાઓ ન હતી. જન્મથી પુરુષ અને લિંગ પરિવર્તન  ખરેખર લિંગ પરિવર્તન  કરાવેલા યુવકો હતા! અગાઉ રાજકોટના યુવાઓ સ્પા તેમજ મસાજ માટે અમદાવાદ સુધી લાંબા થતા હતા, આ જ કારણે શહેરમાં બિલાડીના ટોપની જેમ સ્પા સેન્ટર્સ ફૂટી નીકળ્યા હતા.ન્યૂઝ 18 ગુજરાતીના એક અહેવાલ મુજબ રાજકોટના કેટલાક કહે છે કે સ્પા માં   'અમે તો ભારે છેતરાયા....' આવું જ કંઇક રાજકોટમાં બન્યું. થોડા મહિનાઓથી રાજકોટના યુવાઓને વિદેશ યુવતીઓ પાસે બોડી સમાજ કરાવવાનું ઘેલું લાગ્યું હતું. શહેરમાં વિવિધ સ્પા અને મસાજ પાર્લર પર પોલીસના દરોડા પડ્યા હતા. આ દરોડા દરમિયાન પોલીસે 45 જેટલી વિદેશી યુવતીઓની ધરપકડ કરી હતી.' તપાસ બાદ હવે માલુમ પડ્યું છે કે આ 45માંથી 7 યુવતી એવી છે જેણે સેક્સ ચેન્જ (લિંગ પરિવર્તન) કરાવ્યું હતું. તેનો જન્મ છોકરા તરીકે

अल्फाज नहीं:विचार

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कुछ दोस्त ऐसे होते हैं। कुछ दोस्त अलग ही होते हैं। कुछ दोस्त खास होते हैं।पिछले चार दिनों से कुछ ऐसे दोस्तोंके साथ था जिनके साथ 10 साल से अधिक समय से काम कर रहा हूँ।साथ साथ काम करए हैं।मगर ये सिर्फ दोस्त नहीं मुजे नजदीक से पहचान ने वाले हैं, जो मुजे कभी थकने नहीं देते हैं। जब भी में थकता हु मुजसे मिलकर मुजे सहकार देते हैं। साथ देते हैं। में कुछ लोगो से इसी लिए रिस्ते रखता हूं कि मुजे उनकीं जरूरत हैं।वो ऐसे खास होते हैं जो अपने अल्फाज से इलाज करते हैं।वो अल्फाज से इलाजी हैं।ऐसे कुछ मेरे दोस्त जिनके सहकार से जिनके सहयोग से आज में जो हु ओर जो बनुगा मेरे दोस्त और मेरी सरकार पर निर्भर हैं की मेरा भविष्य क्या होगा।में सिर्फ शिक्षा से जुड़े काम के अलावा कुछ और करना चाहता हूं।मेरे दोस्त और मेरी सरकार मुजे शिक्षा में ऐसा काम करने का मौका देती हैं। जो पसंद हैं। अब नया काम करना चाहूंगा। मेरे ऐसे सभी दोस्त जो मेरे दुख में मेरे हिस्सेदार हैं,रहे है और रहेंगे उन सब के लिए आज का पोस्टर। जिस में मेरे अल्फाज नहीं,मेरे विचार हैं।

ऐसा ही होता हैं....

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बच्चे अनुकरण से सीखते हैं। हम जैसा करेंगे बच्चे वैसा ही करेंगे।आज कल जब मम्मी पापा मोबाइल नहीं छोड़ रहे हैं तो बच्चे केसे किताब पढेंगे। एक फोटोग्राफ जो मुजे किसी ने भेजा हैं।एक माँ अपने बच्चों के साथ प्रवासमें हैं।जहाँ बैठने की जगह नहीं हैं,वहाँ बच्चो के साथ बैठकर खुद भी किताब पढ़ती हैं।अगर मा के हाथों में मोबाइल होता तो बच्चा भी मोबाइल के लिए तैयार था।यहाँ माँ भी किताब पढ़ती हैं।बच्चा भी उन्हें देखकर वैसा ही काम करेगा जो उसकी मम्मी कर रही हैं। @#@ आज भी हम वोही करते हैं,जो हमने देखा हैं।हम वैसा ही करना चाहिए जो हमने न सुना न देखा हो।

शिक्षा और स्किल

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शिक्षा को हम देखते हैं।उसे समझ ने का प्रयत्न करते हैं।हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग ओर ऐसी घटनाएं होती हैं।इस कि हझ से हमे ओर भी चिंतन करने का मौका मिलता हैं। आज कल शिक्षा में रटना ओर लिखवाना या कहिए पेपर देखकर उसको वोमिट करना एक सामान्य   रास्ता हैं।सिर्फ मेरिट केओ ध्यान में रखकर हमे भविष्य दिखाई पड़ता हैं। सिर्फ रटलेने से हमारा भविष्य ओर सामने वाले कि समज को हम जान ने का दावा करते हैं।क्या हमारा वो दावा सही हैं?अगर है तो सभी जगह रटने से पास हुए लोग तो नजर नहीं आते हैं।ज्यादा तर रोजगारी प्राप्त करने वाले स्किल से ही आमदनी का रास्ता खोजते हैं।अगर स्किल से कामना है तो रटकर जीवन बर्बाद करना जरूरी नहीं हैं। आज स्किल इंडिया की बात अभी शुरू हुई हैं।आगे स्किल से ही हम अपना ओर देश का विकास कर पाएंगे। @#@ स्किल वाला बेरोजगार नही होता। रटने वाला स्किल वाला नहीं होता।

प्रात : वंदन ...

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जो जिसको चाहे वो उसे कब हासिल होती है..! जिम्मेदारियां अक्सर.. ख्वाहिशों की कातिल होती हैं..! जिम्मेदारी एक ऐसा शब्द हैं जो सुनने में अच्छा हैं मगर... कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी बात को जता नहीं सकते मगर वो उसमें खरे उतरते हैं।कुछ लोग खास होते हैं।कुछ तो खासम खास होते हैं।कुछ इस लिए याद रहते हैं,की उन्हें हम भूल नहीं सकते हैं।कुछ इस लिए भुलाने पड़ते हैं कि वो भूलना चाहते हैं।कुछ लोगो को उनकी जिम्मेदारी का अहसास नहीं होता हैं।उन्हें हर वख्त बस... अपनी ही तस्वीर दिखती हैं।शायद वो जिम्मेदारी का अर्थ नहीं समझते होंगे। किसी को मिलना,उसे समझना और समजाना सरल नहीं हैं।मगर कई बार एक शब्द सब कुछ बिगाड़ देता हैं,वो शब्द हैं 'जिम्मेदारी'। मेरी क्या जिम्मेदारी? कोई मेरी जिम्मेदारी नहीं ले रहा हैं। मुजे कुछ होगा तो मेरे पीछे कोंन हैं। तुम अपनी जिम्मेदारी निभाना भूल चुके हो। मेरी जिम्मेदारी लेने के बाद तुम कितनी जिम्मेदारी निभाओगे? में सब कुछ छोड़ दु मगर मेरी जिम्मेदारी आप कैसे निभाएंगे। जिम्मेदारी से जुड़े कुछ और भी सवाल हो सकते हैं।प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी अलग अलग

विश्व गणित में भारत

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विश्व के गणित में भारत का गौरव प्रस्थापित हैं।ये बस ऐसे ही नहीं लिख रखा हैं।भारत के संशोधक विश्वकी सभी नामचीन संस्थान में सक्रिय ओर अग्रिम भूमिका अदा कर रहे हैं। विश्व के गणित को आयरभट्ट ने सरल बनाया।शून्य की शोध भी उनकी दें हैं। विश्वमें प्रतिश्ठित फील्ड मेडल दिया गया हैं।ये फील्ड मेडक को गणित के लिए नोबल पुरस्कार भी कह सकते हैं। आज से चार साल पहले ये फील्ड मेडल मंजुल भार्गव को प्राप्त हुआ था।ये मेडल चार साल में एक बार दिया जाता हैं।2014 के बाद अब 2018 में ये मेडल फिरसे भारतीय को मिला हैं।चालीस साल से कम आयु वाला व्यक्ति ही ये मेडल के लिए हकदार हैं।चार साल में एक ही बार ये सन्मान मिलता हैं।एक साथ एक मेडल को तीन या अधिकसे अधिक चार व्यक्ति को संयुक्त रूप से दिया जाता हैं।इस बार भी ये पुरस्कार चार मेथेमेटिशियन को दिया गया हैं।मंजुल भार्गव भारतीय मूल के थे।वो अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे।प्रिंस्टन यही यूनिवर्सिटी हैं,जहाँ आइंस्टाइन भी प्रोफेस्ट थे।मंजुल भार्गव को भूमिति के उनके योगदान के लिए ये पुरस्कार दिया गया हैं।मंजुल भार्गव को भारत सरकार

मोदी सर ओर मेहुल:लादेन का ब्रेइन वॉश...

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क्या किसी विचार की असर हमारे वर्तन में होती हैं।क्या कोई हमारा ब्रेन वॉश कर सकता हैं।क्या ब्रेन ट्रेनिग या ब्रेन हैकिंग हो सकता हैं।पढनेके शोख के कारण ओर मेरी जानकारी के लिए मुजे ऐसे विषय पर खोज करना पसंद हैं।आज तक मेने इसके बारे में बहोत पढा ओर सुना था। कुछ महीनों पहले की बात हैं। आज में मैंने लगा हु,छोड़िए अब मुजे यकीन हैं कि ब्रेइन वॉश हो सकता हैं।सबके लिए एक प्रचलित कहानी हैं।एक ब्राह्मण था।इसे किसी ने गाय का बच्चा दिया।कुछ चोर लुटेरे ब्राह्मण से ये गाय लेना चाहते थे।उन्हों ने एक ही बात को कई बार दोहराई।महाराज जी ये गाय का बछड़ा नहीं हैं।ये भेड के साथ आप क्या करेंगे।आप ब्राह्मण हैं,आप को ये सुंदर भेड़ का क्या काम।वो व्यक्ति ने आपसे गद्दारी की हैं।ये गाय का बछड़ा नहीं हैं।बस,उस ब्राह्मण का ब्रेन वॉश हो गया।उसने गाय के बछड़े को छोड़ दिया।वो चोर गाय के बछड़े को लेकर भाग गए। इसे कहते हैं ब्रेन वॉश। नरेंद्र मोदी के लिए  अगर कोई बात न सुने वैसा मेरा एक दोस्त हैं।दोस्त का नाम मेहुल सुथार।वो मोदी जी को भगवान मानता हैं।उनके खिलाफ वो एक भी शब्द नहीं सुन सकता।मोदी जो बोलते हैं

તું છે...એટલે...

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આજે મિત્રોનો દિવસ. આજે કખાસ દિવસ જે મિત્રો છે. મારેય ખૂબ મિત્રો છે.મારી ઈઓડે બે જ વિકલ્પ છે એક કે મિત્ર છે.બીજો જે મિત્ર નથી.મિત્ર નથી એનો સીધો અર્થ એ કે તે મારા જીવનમાં નજીક કે ખાસ નથી.આવા જ અર્થની એક કવિતા આજના દિવસ માટે.મારા મિત્રો માટે. તું છે એટલે... તું મિત્ર છે એટલે જ તો તું ખાસ છે , આ હ્રદયની એટલે જ તો તું પાસ છે , એક એક પળે  સુદામા થઇને બેઠો છું , મારા માટે તો તું રાધા સાથે નો રાસ છે ! વાવી છે લાગણીઓને ખૂબ ખંતથી મેં , હર  જન્મે લણીશ બસ એવી આશ છે; હા હું તારી જેટલો અમીર નથી કોઇ રીતે ,  હ્રદયના હર ધબકારે તારો  નિવાસ છે ! એક એક પાંદડીઓને ગૂંથી છે ગજરામાં , લાખો જન્મારાની એ આજે સુવાસ  છે કસોટીની એરણ પર ન ચડાવીશ મને હો , તું નથી તો પછી આ જીવન જ લાશ છે ! @#@ મિત્રો માટે મારી વાત. નથી જોઈ કોઇ જાત કે પાત. બસ,ખબર પડે એટલે આજે કે, મિત્રો મારી છે મારી ખાસ સૌગાત.

हार ओर जीत

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मेरी खुशी। आज का एक पोस्टर हैं। जो आप की खुशी केलिए हार मानले,उसे आप कभी हर नहीं सकते।बस,इसी बयान के आधार पर एक बात तय हैं।हमे ऐसे लोगो की खुशी के लिए हारना पड़ता हैं,जो जीत जाए इसके लिए हम दुआ करते हैं।कुछ दिन ,महीने या साल गुजर जाते हैं मगर व्यक्ति सदैव अपने दुःख वाले दिनों को याद करता हैं।जिसनके लिए हम जिंदा हैं,उस को हारते हुए हम कैसे देख सकते हैं।समय,स्थान या परिस्थिति या पूर्व जन्म के प्रकोप से हम दिक्कतों का सामना कर रहे होते हैं।मगर हमे सिकुड़ कर बैठना नहीं हैं।वो ही जीतता हैं,जो हरा पता हैं। @#@ मेने इस तरह से मेरी जिंदगी को आसान कर दिया, किसी से माँगली माफी, किसी को माफ करदिया।