कुछ नहीं चाहिए...
हमारा देश कृषि प्रधान देश हैं।कृषि के लिए बरसात की आवश्यकता हैं।आज भी भारत में कई सारे हिस्सो में खेती के लिए सालाना बारिश पर ही भरोसा रखना पड़ता हैं।जहाँ सिचाइ की व्यवस्था हैं,वहां भी बारिश की आवश्यकता हैं।कोई भी चीज अगर जरूरत से अधिक हो तो वो खराब हैं। बारिश का भी ऐसा ही हैं।2015 को भुला देने वाली बारिश 2017 में हमने देखी।2015 से अधिक नुकसान हुआ था। इस बार अलग अलग विस्तारमें जाके पहले आवश्यकता क्या हैं उसे ढूंढा ओर उसको सुलजा ने का प्रयत्न किया।कई दिल दुखाने वाले किस्सो के बीच एक घटना आपसे शेर करूँगा।में नवाचार के कर्यो से जुड़ा हूँ।अध्यापक या विद्यार्थियो के इनोवेशन से जुड़े काम करते ये तय हुआ की,नई जानकारी बच्चो से ही मिलती हैं। हम सब एक ग्रुप में थे।ग्रुप में हम चार सदस्य थे।हम पहेली बार दांतीवाड़ा गए।वहां जाके मालूम पड़ा कि 'वावधरा' में मदद की आवश्यकता है।हो सके तो वहाँ मदद पहुंचाने का आयोजन किया।हम साथमें वहाँ गए।रास्ते टूटे हुए मगर तैयार थे।उस के उपर गाड़ी चल सकती थी।टूटे हुए रास्तो को दुरुस्त किया गया था।आसपास के लोग आने जाने वाली गाडियो को जैसे महसूस कर रहे थे।