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Showing posts from May, 2019

घर में वाहन हैं...अवश्य पढ़ें...

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आजकल के समय में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा करना पसंद बेहद कम करते हैं। क्योंकि आजकल के समय में लोग अपना वाहन खरीदने में ज्यादा ठीक समझते हैं. लेकिन अब दोपहिया वाहनों के लिए कल से पूरे देश में 2 नियम लागू होंगे तो, इस खबर को आखिर तक जरूर पढ़े. आज के शीर्षक के मुताबिक जिनके घर में है बाइक और स्कूटी उनके लिए बुरी खबर पूरे देश में लागू होंगे तो नियम है। तो चलिए जानते हैं उन दो बड़े नियमों के बारे में सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि, अगर आप भी बाइक और स्कूटी या किसी भी प्रकार का अन्य दो पहिया वाहन चलाते हैं तो, आपको यह खबर आखिर तक जरूर पढ़नी चाहिए तो, चलिए हम आपको सबसे पहले नियम के बारे में बताते हैं जो, कल से लागू हो जाएगा। दरअसल दोपहिया वाहनों पर व्यक्तिगत बीमा कवर ₹200000 की क्लेम राशि हुआ करती थी लेकिन अब इस को बढ़ाकर ₹1500000 कर दिया गया है। दूसरा बड़ा फैसला भी जान लीजिए... अब आपको दूसरे बड़े फैसले के बारे में बताते हैं। दरअसल अब आपको दो पहिया वाहन खरीदने के लिए 5 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेना अनिवार्य हो जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि हमने इस

“छत्तीसगढ़ में आठवीं के बच्चे ऐसे क्यो?

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इस दौर में हम ज्ञान द्वारा सत्य की सुंदरता और सहजीवन को सींचने के बदले आत्ममुग्धता में डूब रहे हैं। इन परिस्थितियों के लिए शिक्षा भी उत्तरदायी है। वह विकास की अनुगामी बन चुकी है। शिक्षा जिस विकास की अनुगामी है उसका अर्थ बढ़ोत्तरी है। इस बढ़ोत्तरी को धन या संपत्ति के रूप में संग्रहित कर सकते हैं। इसके आधार पर कम या ज़्यादा का निर्णय कर सकते हैं। ऐसे सामाजिक विभाजन कर सकते हैं जिसमें एक समूह के पास विकास का परिणाम होगा और दूसरे के पास इसका अभाव होगा। इस पृष्ठभूमि में स्थापित कर दिया गया है कि शिक्षा जैसे औजार इस विकास में सहयोग करेंगे। भारतीय परंपरा में आर्थिक और सामाजिक पर्यावरणीय विकास एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम विचार और वस्तु में दोहन का संबंध देखने के बदले सृजन और सहअस्तित्व का रिश्ता बनाते हैं। ऐसी शिक्षा के लिए केवल औपचारिक प्रयासों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। हमारे घर, समुदाय और सांस्कृतिक गतिविधियां भी शिक्षित करने का माध्यम हैं। हमें इन माध्यमों और अपनी भूमिकाओं पर विचार करने की ज़रूरत है। हमें सोचना होगा कि खुद शिक्षित होने के बाद अपने बच्चों को शिक्षित करने के द

विजया मुले

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जो दूरदर्शन को नजदीक से फॉलो करते रहे हैं, उन्हें टीवी का मशहूर ऐनिमेटेड गाना ‘एक चिड़िया अनेक चिड़िया’ बेशक याद होगा। 80 दशक के अंत और 90 की शुरूआत में यह गाना घर-घर पॉपुलर हुआ था। गाने को रोजाना दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता था। इस फेमस गाने का निर्देशन कर मशहूर हुईं फिल्ममेकर विजया मुले का 98 साल की उम्र में रविवार को उनके दिल्ली स्थित आवास पर निधन हो गया। विजया मुले इस 7 मिनट की फिल्म के कारण ही लोगों के दिलों में जगह नहीं बनाई थी बल्कि वह अपने अन्य कामों के लिए भी मशहूर हैं। मुले को बेस्ट सिनेमा राइटिंग के लिए नेशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। यह केवल फिल्ममेकर नहीं बल्कि फिल्म हिस्टोरियन भी थीं। मुले ने डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकिंग में भी हाथ अजमा चुकी हैं।। कहा जा जाता है कि विजया मुले पूर्व दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की करीबी दोस्त भी थीं। मुले पटना फिल्म सोसायटी की फाउंडर मेंबर भी रह चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली फिल्म सोसायटी में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। फिल्मों के अलावा मुले ने शिक्षा क्षेत्र में भी काम किया था।

સમજે કોણ...

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પ્રેમનો પણ કેવો અનોખો છે. પ્રેમ એટલે લાગણી અને આત્મિયતા.દરેક વ્યક્તિ જેને  પોતાના સમજતો હોય તેવા સૌને પ્રેમ કરે છે. પરંતુ જીવનના સંબંધમાં એક સંબંધ એવો પણ હોય છે. જેમાં લોહીનો સંબંધ ન હોવા છતા અન્ય સંબંધ કરતા વિશેષ હોય છે. આ સંબંધમાં ક્યારેક નોક-જોખ, મજાક-મસ્તી ચાલતું જ હોય છે અને આમ જ જીવનની ગાડી ચાલ્યા કરે છે. લાઇફ પાટર્નર સાથેના સંબંધમાં ક્યારેક કોઇ વાતને લઇને મતભેદ સર્જાતા હોય છે. પાર્ટનરમાંથી કોઇને જો ગુસ્સો આવે ત્યારે તેમના વડે કંઇક બોલાઇ જાય છે. ઘણી વખત તમારા પાર્ટનરને ખરાબ પણ લાગી શકે છે. તો આવી પરિસ્થિતીમાં થોડા સમય બાદ ભૂલ કરનારે પોતાની ભૂલ સ્વીકારીને માફી માંગી લેવી જોઇએ.  કેટલીક વ્યક્તિ માને છે, અમે એકબીજાને પ્રેમ કરીએ છીએ તેથી એકબીજાના સ્વભાવને પણ ઓળખીએ છીએ. તેથી ક્યારેય અમને ખોટું નથી લાગતું. ઘણી વ્યક્તિ એમ પણ કહે છે કે પોતાની વ્યક્તિ પાસે થોડી માફી મંગાય. કેટલીક વ્યક્તિ ને એમ જ હોય છે કે આ વખતેય મારી જ જીત થશે. તો આવા વ્યક્તિને કહેવું છે કે બિલકુલ માફી માંગવી જ જોઇએ. શક્ય છે કે સામે વાળાએ જ્યારે જ્યારે sori કીધું હોય ત્યારે તેને સબંધ ને મહત્વ આપ્યું હો

सवाल का जवाब...

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को ज्यादा पगार क्यो होता है ? और क्यो होना चाहिये..? इस बात को जानने के लिए आप इस प्रसंग को पढ़े। पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्मे एक अति प्रसिद्ध चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग्स दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं...!! एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वह दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली, 'सर, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे...!!?' पिकासो हँसते हुए बोले, 'मैं यहाँ खाली हाथ हूँ। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मैं फिर कभी आपके लिए एक पेंटिंग बना दूंगा..!!' लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ ली, 'मुझे अभी एक पेंटिंग बना दीजिये, बाद में पता नहीं मैं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।' पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपर कुछ बनाने लगे। करीब 10 मिनट के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा, 'यह लो, यह मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।' महिला को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 मिनट में जल्द

છોકરીને ચંપલ...

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થોડાક દશકથી સૂર્યનારાયણની ગરમી વધી છે,ધરતીમાતા વ્યાકુળ બની છે,પવનદેવ ફુગર્યા છે,જાફરાબાદ ના દરિયાકિનારાના પાણી તપ્યા છે.કાળઝાળ ગરમીમાં જેને પગ અને પાંખો છે તે પોતીકો મારગ શોધી લે. ત્યાં અમારું શું...?            એક એવી છોકરી જેના શરીર પર હાડ મેલ જામી ગયેલો.માથાના વાળ શાહુડીનાં પીંછા જેવા થઈ ગયેલા.પાણીની વ્યવસ્થા માટે ભરવાનું પાત્ર ક્યાં ..? માટે નાહવાનો લાભ જ ક્યાં.     શાળાએ આવતા જતા ઘણીવાર એ મને સામે ભટકાઈ જતી.એનાથી બે ફૂટ દૂર હોઈએ તોય નાક દુર્ગધથી ભરાઈ જતું.મને બાળકો ગમતા.દયાભાવ પણ ખરો,પણ અસ્વચ્છતાથી ભારે સૂગ.ઘણીવાર એને સમજાવું પણ પથ્થર ઉપર પાણી.         મારા વર્ગમાં અભ્યાસ કરતી દેવી પૂજક ની જ્ઞાતિમાંથી આવતી ધોરણ :-૨ ની વિદ્યાર્થીની ચુડાસમા શારદા બાળપણથી જ માતા ગુમાવી પિતા અને મોટી બહેનને ટીબી નામના રોગે ભરડો લીધો પથારી વશ કરી દીધા.દાદીમા જોડે રહીને આખો દિવસ પોતાના પિતા અને તેમના પેટનો ખાડો પુરવા ભીખ માંગીને બટકું-બટકું  ભેગું કરે.પોતાના શરીર ને ઢાંકવા માટે છ મહિનાથી બે જોડી જ કપડા હતા. તેમાં એક તો શાળાનો યુનિફ્રોમ.       જેમના ઘરે રાંધવા માટે તેલનું ટીપું  ના

शिक्षा के ग्राहक

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शिक्षा के मामले में हमारी भूमिका सामान खरीदने वाले ग्राहक की तरह हो गई है” शिक्षा के बारे में ख्याल आते ही कई सारी चीज़ें ज़हन में आने लगती हैं। विद्यालय भवन, शिक्षक, बच्चे और किताबों के बारे में हम सोचने लगते हैं। ये छवि वर्तमान की तुलना में भविष्य का सुंदर चित्र उकेरती है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि शिक्षा हमारे सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करने वाला साधन है। इसका प्रमाण आप ‘बड़े आदमी’ के मिथक के रूप में देख सकते हैं जिसके लिए शिक्षित होना एक ज़रूरी शर्त है। वर्तमान समय में इसी सुरक्षित भविष्य की उम्मीद में हम शिक्षा के लिए हर संकट उठाने को तैयार रहते हैं। क्या आपने कभी शिक्षा के भविष्य के बारे में सोचा है? बदलते समय में शिक्षा की परिकल्पना और बदलावों को समझना आवश्यक है। शिक्षा के भविष्य पर बात करने से पहले इसके अतीत और वर्तमान का उल्लेख करना भी ज़रूरी है। यहां शिक्षा का मकसद व्यक्ति को जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के कौशल सीखाना था। धीरे-धीरे शिक्षा सामाजिकता के विकास का माध्यम बन गई। मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ नागरिकता के गुणों के विकास को भी शिक्षा के लक्ष्य

વિચારજો...

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મા મને નવી નિશાળ દે ગોતી, બેન મારી મારે છે તમતમતી સોટી. આવી નવી શાળાઓ કે શહેરની કેટલીય ખાનગી શાળાઓ હવે નવું કરશે. માર્ચ માસથી શહેરોના હોર્ડિંગ્સ ઉપર “ખાનગી શાળા”ની જાહેરાતોની વસંત ખીલશે. ”હનીમૂન” અને “હનુમાન” શબ્દ વચ્ચેનો ભેદ ન પારખી શકનારા સંચાલકો જાહેરખબરો માટે નાણાં કોથળી છૂટી મૂકી દેશે. પ્રોફેશનલ્સ કેમેરામેન્સ પાસે સ્ટુડિયોમાં બાળકોને ગોઠવી 'નાઈસ નાઈસ ઈમેજીસ'  બનાવી છટકાં ગોઠવશે. તેઓ જાહેરાતમાં બધું જ લખશે, સિવાય કે  વિદ્યાર્થી ને ભણાવવા માટેની “ફીની વિગત”. મગજને લીલુંછમ કરી, હ્રદયને ઉજ્જડ બનાવી દેતી કેટલીક સ્કૂલો છે !  વેદના તો જુઓ... બાળકની છાતીએ આઈકાર્ડ લટકે છે પણ તેની પોતાની  “ઓળખ” ગુમાવી ચૂક્યો છે. તે સ્ટુડન્ટ નથી રહ્યો, રનર બની ગયો છે, રનર.  “લીટલ યુસેન બોલ્ટ” ઓફ એજ્યુકેશન સિસ્ટમ્સ. 15 કી.મી.નું અપડાઉન કરીને થાકી જતાં વડીલો  બાળકને ઘરથી 20 કી.મી. દૂરની શાળામાં ભણવા મોકલે છે !  મને મારા મિત્ર... પોતાનો રાચરચિલા વાળો ફ્લેટ છોડી, ચિલોડા ભાડે રહેવા ગયા ?, જવાબ : મારી પૌત્રી અડાલજની સ્કુલમાં ભણે છે, તે માટે. 'આને પૃથ્વી પરનું સૌથી મોટ

तुम तुम ओर में में रहूँगा...

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एक व्यक्ति ने एक नया मकान खरीदा ! उसमे एक फलों का बगीचा भी था , उसके पडौस का घर पुराना था और उसमे कई लोग भी रहते थे ! कुछ दिन बाद उसने देखा कि पडौस के घर से किसी ने बाल्टी भर कूड़ा , उसके घर के दरवाजे के सामने डाल दिया है ! शाम को उस व्यक्ति ने एक बाल्टी ली., उसमे अपने बगीचे के ताजे फल रखे और फिर पड़ौसी के दरवाजे की घंटी बजाई ! उस घर के लोगों ने जब झांककर देखा तो बेचैन हो गये और वो सोचने लगे कि ...वह शायद उनसे सुबह की घटना के लिये लड़ने आया है ! अतः वे पहले से ही तैयार हो गये और बुरा - भला , सोचने लगे ! मगर जैसे ही उन्होने दरवाजा खोला , उन्होंने देखा - रसीले ताजे फलों की भरी बाल्टी के साथ चेहरे पर मुस्कान लिए नया पडोसी सामने खडा था...! अब सब हैरान - परेशान थे ! उसने अंदर आने की इजाजत मांग घुसते ही कहा - " जो मेरे पास था , वही मैं आपके लिये ला सका ! " यह सच भी है, इस जीवन में ... जिसके पास जो है, वही तो वह दूसरे को दे सकता है...! #Bno... हो सकती हैं कोई दिक्कत। आ सकती हैं सामने समस्या। मगर अपनो को अपना माने तो उन से ऐसा व्यवहार न करे जो वो कर रहे ह

Whats aep जैसा...

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कुछ बाते सरल होती हैं। उसे समज़ाना ओर समझना तब आसान होता हैं, जब इस के योग्य कोई सटीक उदाहरण हो। मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा मुजे तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, मेने कहा whats aep के जैसा। मेरी बात सुनकर वो बोले ' whats aep जैसा याने कैसा?' मेने कहा ' whats aep के फीचर्स में प्राइवसी के लिए एक सेटिंग आता हैं। अगर आप किसी को लास्ट सिन नहीं दिखाना चाहते तो आप किसी का लास्ट सीन नहीं देख सकोगे।भले ही सामने वाले के whats aep में लास्ट सिन कोई भी देख सकता हो वैसा प्रायवेसी में सेटिंग किया हो। जीवन whats aep के जैसा हैं।जैसा खुदका सेटिंग रखोगे, सामने वाले से उतनी ही जानकारी पाओगे।  सिकंदर ओर पोरस का एक संवाद हैं। पोरस जब हार गए तब सिकन्दर के सामने खड़े कर दिए गए। सिकंदर ने उन्हें पूछा 'में तुमसे कैसा बर्ताव करू?' सवाल सिकंदर का था। सिकंदर सरकार थे,जो सिकंदर चाहते वोही होता। जो सिकंदर कहता वह हुकुम बन जाता, पोरस ने कहा 'एक राजा दूसरे राजा से करें, वैसा व्यवहार आप मेरे साथ करो। सिकंदर ने उसे गले लगा दिया। आज आप सिकंदर हैं। कल में भी सिकंदर बनुगा। कुद

शुक्रिया...

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कुछ दिनों पहले मेरा जन्म दिवस था। मेरे बहोत सारे दोस्तोने मुजे मेल, फेसबुक और बहोत से माध्यम से मुजे शुभकामना दी। बहोत सी शुभकामना के बीच सोलापुर के सर फाउंडेशन के साथियों ने मुजे विशेष सन्मान दिया। सर फाउंडेशन से में उसकी स्थापना से जुड़ा हूं। बालासाहब बाघ, सिद्धराम जी मशाले ओर अन्य साथियो संयोजकों से नियमित रूपसे मिलना और बातचीत करनी होती हैं। किसी दोस्त ने सोलापुर कोंफ़र्न्स के दौरान खींची हुई तसवीर को आप के साथ शेर करते हुए खुशी व्यक्त करता हु।किसी एक राज्य के अधिकतम शिक्षक हमे पहचानते हो वो बात हमारे लिए काफी हैं। में उन के प्यार और विश्वास को सदैव संभाल के रखूंगा। जिन्होंने जो दिया हैं, में उन्हें वापस वैसा ही दूंगा। सर फाउंडेशन का में शुक्रिया अदा करता हु। उन्होंने मुजे प्यार दिया हैं, में भी उन्हें प्यार देनेका प्रयत्न करूँगा। मुजे आजतक महाराष्ट्र में काम करते समय ऐसा कभी नही लगा कि में यहाँ नया हु। मुजे खुशी हैं कि में सर फाउंडेशन का हिस्सा हु। #Bno... मेरे उन सभी दोस्तों का शुक्रिया, जिन्होंने मुजे शुभकामना दी। अब कोई खुशी या गम के पीछे भागना नहीं चाहता

भ्रम ओर श्रद्धा

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एक छोटा गाँव। यहाँ पे बारिश नहीं हो रही थी। लोग परेशान थे।आसपास के गाँव की भी बारिश न होने के कारण बुरा हाल था। सभी ने तय किया कि बारिश के लिए हम प्रभु से प्रार्थना करेंगे। गाँव के सभी लोग एक मैदान में एकत्र होने वाले थे। आसपास के गाँव के लोग भी आये थे। एक छोटी सी बच्ची भी आई थी। मगर उस के हाथमें छाता था। इसे कहते हैं,यकीन। यकीन ओर विश्वास समान हैं।कुछ लोग यकीन के साथ जिंदा रहते हैं।कुछ लोग भ्रम के साथ, भ्रम फैलाने के लिए भ्रम के लिए ही जिंदा होते हैं। #Bno... कुछ लोग आगे का देख लेते हैं। कुछ लोग नींद में सुन पाते होते हैं। जो आगे का देख लेते हैं, वो परेशान होते हैं। मगर,विश्वास और भ्रम में जो फर्क हैं,वो समज ने की सबकी ताकत नहीं होती।

अपनी स्किल को फैलाए...

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सर्जनात्मकता किसीबकी जागीर नहीं हैं।हम देखने का नजरिया बदलना हैं।ऐसा करने से हम नया सर्जन कर पाएंगे।हमारे आसपास ऐसी बहोत सी चीजें ऐसी होती हैं,  जिससे हम अच्छे से नई चीज बना सकते हैं। महाराष्ट्र सोलापुर से कई दोस्तो से में जुड़ा हूं।एक शिक्षक हैं जो रोजाना नई चीजें बना लेते हैं। कुछ लोग जो ऐसी चीजें बना लेते हैं, वो अपने घर का सुशोभन कर सकता हैं। जो चीज हमारे काम की नहीं हैं उस के सामने ऐसी फिजूल की सामग्री से सब जैसे नया बना सकते हैं।ऐसे सर्जकों को हम स्थान देना चाहते हैं।अगर आप के पास कोई ऐसी स्किल हैं तो आप हमारा संपर्क करें। #Bno... किसी टूटी हुई चीज से कुछ नया बनाना। किसी भी टूटे हुए व्यक्ति को खड़ा करना। किसी को टूटते हुए बचाने के लिए खुद टूट जाना। ये तीनो कला हैं। कुछ लोग तोड़ने में तो कुछ लोग टूटने में कौशल्य रखते हैं।

अकेला था...अकेला हु ओर...

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आज से पांच साल पहले की बात हैं। तब मैं बेंगलोर में था,वर्ल्ड रिकॉर्ड का कनफोरमेशन मुजे तब मिला था। मेने ये जानकारी सब को बताई। मेरे एक दोस्त ने किसी स्थानिय news chenal में मेरा इन्टरव्यू रखा गया। अब बात ये बनी की मुजे प्रोग्राम एडिटर को ' जोडाक्षर ओर कहानियां ' के बारे में समजाना पड़ा। दो घंटे तक चली हमारी  चर्चा के बाद उन्होंने कहा 'अरे यार, गुजराती में इतना किया थोड़ा अंग्रेजी भी कर लेते... आज आसान हो जाता।' मेने कहा: 'अंग्रेजी का करने रहता तो ये भी न हो पाता' बस, वो इस जवाब से शायद खुश हो गया था। किसी भी एक विचार को पकड़ कर उस पर सिर्फ काम करो, समय आनेपर सफलता अवश्य मिलती हैं। #Bno... अपने आप मे विश्वास रखो। कुछ लोग आप को सदैव जूठा साबित करना चाहेंगे, यहां तक कि उन के पास कोई जवाब न होने पर भी वो आप से सवाल करेंगे। कितनी बार तुम सच्चे हो फिरभी तुम्हे गलत कहा जायेगा। गलत कहने वाले सही होने की वार्ता के साथ गुमते रहेंगे। यकीन रखो, अपने आप में विश्वास रखो। यह वख्त भी गुजर जाएगा।

पूंजीवादी VS सनातन शिक्षा व्यवस्था।

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चाणक्य ने कहा था कि व्यर्थ है वो  शिक्षा व्यवस्था जो व्यक्ति में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण नहीं कर सकती| तो क्या आज कल की शिक्षा व्यवस्था व्यक्ति में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण कर रही है? उत्तर है नहीं | आजकल की शिक्षा व्यवस्था पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के ध्यान में रखकर बनाई है, उदाहरण के लिए सीमेंट पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का उत्पादन है और चूना सनातनी अर्थव्यवस्था का उत्पाद है | सीमेंट की कुल आयु अधिक से अधिक 75 वर्ष होती है और सीमेंट में 5 वर्ष में ही दरारे उत्पन्न होने लगती हैं और चूने की अधिकतम आयु 2500 वर्ष और कम से कम 500 वर्ष है | आज भी किसी  मिस्त्री  को अगर किसी दीवार मजबूती के बारे में पूछा जाये तो बह कहता है कि जी बस समझ लो चूने में ईट लगा दी I आज भी हम देखते हैं कि जो पुराने पुल हैं वो आज भी खड़े है जबकि नये दो तीन साल में टूटने लगते हैं | कई लोग कहते हैं कि जी अंग्रजों ने बनाया है इसलिए पुराना मजबूत है और नया भारतियो ने बनाया है इसलिए ख़राब है | मैं कहता हूँ मूर्खो पुराना भारतीय तकनीक है इसलिए मजबूत है और नया अंग्रेजों की तकनीक से बना है इसलिए कमजोर हैं | हद है मानसिक

क्या साथमें रहेगा...

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एक राजा था जिसने ने अपने राज्य में क्रूरता से बहुत सी दौलत इकट्ठा करके( एकतरह शाही खजाना ) आबादी से बाहर जंगल एक सुनसान जगह पर बनाए तहखाने मे सारे खजाने को खुफिया तौर पर छुपा दिया था खजाने की सिर्फ दो चाबियां थी एक चाबी राजा के पास और एक उसकेएक खास मंत्री के पास थी इन दोनों के अलावा किसी को भी उस खुफिया खजाने का राज मालूम ना था एक रोज़ किसी को बताए बगैर राजा अकेले अपने खजाने को देखने निकला , तहखाने का दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हो गया और अपने खजाने को देख देख कर खुश हो रहा था , और खजाने की चमक से सुकून पा रहा था। उसी वक्त मंत्री भी उस इलाके से निकला और उसने देखा की खजाने का दरवाजा खुला है वो हैरान हो गया और ख्याल किया कि कही कल रात जब मैं खजाना देखने आया तब शायद खजाना का दरवाजा खुला रह गया होगा, उसने जल्दी जल्दी खजाने का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और वहां से चला गया . उधर खजाने को निहारने के बाद राजा जब संतुष्ट हुआ , और दरवाजे के पास आया तो ये क्या ...दरवाजा तो बाहर से बंद हो गया था . उसने जोर जोर से दरवाजा पीटना शुरू किया पर वहां उनकी आवाज सुननेवाला उस जंगल में कोई ना था ।

અનોખી ભેટ...

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એક મેલીધેલી છોકરી. થોડાક દશકથી સૂર્યનારાયણની ગરમી વધી છે,ધરતીમાતા વ્યાકુળ બની છે,પવનદેવ ફુગર્યા છે,જાફરાબાદ ના દરિયાકિનારાના પાણી તપ્યા છે.કાળઝાળ ગરમીમાં જેને પગ અને પાંખો છે તે પોતીકો મારગ શોધી લે. ત્યાં અમારું શું...?         એક એવી છોકરી જેના શરીર પર હાડ મેલ જામી ગયેલો.માથાના વાળ શાહુડીનાં પીંછા જેવા થઈ ગયેલા.પાણીની વ્યવસ્થા માટે ભરવાનું પાત્ર ક્યાં ..? માટે નાહવાનો લાભ જ ક્યાં. શાળાએ આવતા જતા ઘણીવાર એ મને સામે ભટકાઈ જતી.એનાથી બે ફૂટ દૂર હોઈએ તોય નાક દુર્ગધથી ભરાઈ જતું.મને બાળકો ગમતા.દયાભાવ પણ ખરો,પણ અસ્વચ્છતાથી ભારે સૂગ.ઘણીવાર એને સમજાવું પણ પથ્થર ઉપર પાણી. મારા વર્ગમાં અભ્યાસ કરતી દેવી પૂજક ની જ્ઞાતિમાંથી આવતી ધોરણ બે ની વિદ્યાર્થીની ચુડાસમા શારદા બાળપણથી જ માતા ગુમાવી પિતા અને મોટી બહેનને ટીબી નામના રોગે ભરડો લીધો પથારી વશ કરી દીધા.દાદીમા જોડે રહીને આખો દિવસ પોતાના પિતા અને તેમના પેટનો ખાડો પુરવા ભીખ માંગીને બટકું-બટકું  ભેગું કરે.પોતાના શરીર ને ઢાંકવા માટે છ મહિનાથી બે જોડી જ કપડા હતા. તેમાં એક તો શાળાનો યુનિફ્રોમ. જેમના ઘરે રાંધવા માટે તેલનું ટીપું  ના હ