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Showing posts from October, 2018

મારા સરદાર... મારી સરકાર...

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સરદાર વલ્લભભાઇ પટેલનું નામ સાંભળતાની સાથે જ જાણે કે આપણે એક પ્રકારનો ગર્વ અનુભવીએ છીએ. સરદાર વલ્લભભાઇ પટેલ એક અજોડ પ્રતિભા હતા.  આપણા લોક લાડીલા અને આઝાદીની ચળવળમાં મહત્વનો ભાગ ભજવનાર સરદાર વલભભાઇ પટેલને આપણે આજે આટલા વર્ષો પછી પણ ભુલી શકીએ તેમ નથી. કેમકે તેમને જે અમુલ્ય યોગદાન આપ્યુ છે આપણા દેશ માટે તેને આપણી કેવી રીતે ભુલી શકીએ! સરદાર વલ્લભભાઇ પટેલ કે જેઓને લોખંડી પુરુષ તરીકે ઓખવામાં આવે છે તેઓનો જન્મ ગુજરાતમાં નડિયાદના એક સામાન્ય ખેડુતના ઘરમાં 31મી ઓક્ટોમ્બર, 1875માં થયો હતો. તેમના માતા-પિતા ખુબ જ ધાર્મિક હતાં. વલ્લભભાઇએ તેમનું શિક્ષણ ગુજરાતીમાં જ લીધું હતું. ત્યાર બાદ તેઓ 1910માં વકીલાત માટે ઇગ્લેંડ ગયાં હતાં. 1913માં તેઓને વકીલની પદવી મળ્યા બાદ ભારત પાછા ફર્યા હતાં. ત્યાર બાદ તેઓ ગાંધીજીથી પ્રભાવીત થઈને આઝાદીની ચળવળ માટે તેમની સાથે જોડાઇ ગયાં હતાં. ગાંધીજી અને સરદાર વલ્લભભાઇનો સંબંધ ગુરુ-શિષ્ય જેવો હતો.  વલ્લભભાઇને ખેડૂતો પ્રત્યે ખુબ જ પ્રેમ હતો. તેથી તેઓએ ખેડૂતો માટે ખુબ જ સારા કાર્યો કર્યાં હતાં. જ્યારે 1928માં સરકારે ખેડૂતો પર જમીનને લગતો ટેક્સ નાંખ્યો ત્યારે તે

प्यारे दिल

तू मेरे जिस्म का सबसे ख़ास हिस्सा है, बात सच्ची है मेरी नहीं कोई किस्सा है। मानता हूं! मैंने तुझे, कई बार तोड़ा है, मगर तेरे लिए ही, बहुत कुछ छोड़ा है। ए दिल मेरे! तू जब जब मुझसे हारा है, तूने आज तो नहीं, मेरा कल सवांरा है। सरकुम: मेरा दिल मेरा नहीं रहा, इस बात को मैने कहीं नहीं कहा।

मोत ओर खाई...

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वॉरेन बफेट  विश्व में मैनेजमेन्ट के लिए उन्हें एक यूनिवर्सिटी माना जाता हैं।उनकी ये किताब मुजे किसी ने बहुत दी थी। बहोत दिनों से उसे साथ लेके गुमता रहा। आज में स्किल बुक के नेशनल सेंटर को खोज ने में ओर डेवेलोप करने के काम से जुड़ा हूँ। व्यवस्थापन की बहोत सारी समस्याओं का सामना कर रहा हु। जिन से काम की आशा हैं वो काम नहीं कर रहे हैं। जिन से सहज सहकार की आशा हैं वो वैसा नहीं कर पाते हैं। ऐसे हालात वॉरेन के भी आये थे। आज विश्व की 88 से अधिक कंपनी के सीईओ उन से समय लेके मिलने आते हैं। बफेट अगर समय देते हैं तो कोई भी कंपनी कहि भी अपने CEO को भेजने तैयार हैं।2.33.000 से अधिक कर्मचारी उनके साथ जुड़े हैं। इस किताब में पढ़ा कि उनकी किताब ध बटर फ्लाय बर्कबुक को भी पढ़ने की ख्वाइश हुई हैं। नेट में सर्च कर ने से मालूम पड़ा के उनकी ओर भी किताबे हैं। मगर बटर फ्लाय वर्क बुक को पढ़ने को मन तैयार हैं जल्द से उसे में प्राप्त करके पढूंगा। घर से निकल चुका हूं। मंजिल थी अब शायद नहीं रही हैं। मंजिल का मालूम हैं मगर कुछ दूर दिखती हैं। बफेट कहते हैं जब ऐसा हैं तो मंजिल को पाने के इरादे छोड़ने नही

मेरी माँ

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मा जो पैदा करती हैं। मा जो सिखाती हैं। मेरे लिए मा एक हैं जिसनके मुजे पैदा किया और सिखाया भी हैं। सबको शिक्षक मा के स्तर पे मिलने चाहिए।जिसे हम 'मास्तर' कहते हैं। मेरे लिए तो इस कारण मास्तर ओर मा दोनो एक मिली। 1997 के आसपास उसने मुजे फिरसे पढ़ाया। आज मुजे उनके जन्म दिवस पर एक बात ही कहेंनी हैं। जितना जिए स्वास्थ्यप्रद जिए।  आज मेरे गुरु शिक्षक जिन्हें आज भी में बेन कहता हूं क्यो की उन्होंने मुजे पढ़ाया है। आज को उनको शुभ कामना नहीं मेरा जीवन अर्पित करता हूँ। लव यू बेन लव यू ह.बा सरकुम: मेरा अभिमान यही हैं कि आप मेरी माँ हो...

आखरी मौका...

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वो रिश्ता ही नहीं जो एक तरफा हो।  सोच और रिश्ते बदलने के लिए नहीं बदलाव लाने के लिए होते हैं।अगर कोई एक व्यक्ति किसी बात को अपने स्वाभिमान से जोड़ता हैं तो उसे भी समझना चाहिए के स्वाभिमान हर किसी का होता हैं। अगर कोई जवाब नहीं दे रहा हैं उसका मतलब ये नहीं कि वो बोलेगा नहीं। हो सकता हैं अभी वो बोलना नहीं चाहते। कोई भोंकता हैं तो उसके सामने भोंकना आवश्यक नहीं हैं। एक फोटो किसी की औकात दिखा देती हैं। कुछ दिनों पहले की बात हैं। में एक कॉंफ़र्न्स में था। वहां किसी जे मेरे साथ फोटो खिंचवाई। जिस ने सवाल उठाया वो तो #मी2 तक पहुंच गए।  वहाँ बहोत सारे लोग थे। मेरे साथ किसी ने प्यार से तो किसी ने दोस्ती में या तो किसी ने भड़ास निकालने के लिए फोटो खिंचवाई होंगी। बहोत सारे कॉमन दोस्त आज कल सोसियल मिडियामें हैं। किसी ने वो फोटोग्राफ देखे होंगे। बड़े लोगो को दिखाने वाले भी सेवक होते हैं।  अब हुआ ये की... वो फोटो शेर किये गए। बस, ग्रुप में बैठे हुए फोटो थे। शायद उस दिन मेरे 500 से अधिक फोटो शेर हुए होंगे।मगर अपनी विफलताओं को छुपाने वाले मुजे सवाल करने

शरद का स्वागत

चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में, स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में। पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से, मानों झूम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से। सरकुम: बोलने से बात शुरू होती हैं। न बोलने से बात खत्म नहीं होती। समय तो आता ओर जाता रहता हैं, कभी यादे तो कभी अहसास से हाश होती हैं।

Satvik:2018

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SATTVIK  the festival to celebrate traditional nutritious food and associated knowledge systems was started fourteen years ago at the IIM-A, to provide market based incentives for conserving agro-biodiversity. Creation of demand for rarely or less cultivated nutritionally rich crops and varieties may stimulate their cultivation. The paradox of development is that the food rich eat, is often poor. While food that poor grow in poorer regions is richer. In less rainfall regions, soil minerals dont leach much and thus crops grown there like millets, sorghum pulses, etc., are richer. This festival aspires to put the lesser known but nutrient-rich food from various states on the plate of urban communities helping them to adopt healthier food habits and lifestyle. The festival also hopes to encourage the farmers to grow such crops and augment their incomes. Thus, we seek your presence and participation in the event. Sattvik also hosts an innovation exhibition by National Innovation Founda

मेरा प्यार गणेशा...

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मेरे पास प्यार हैं। मेरे पास गणेश जी हैं। मेरे पास गणेश जी का प्यार हैं। डीसा में एक गणेश मंदिर हैं। में कई सालों से में दर्शन करने जा रहा हूँ। आज भी गया।आज कुछ बिचार से गणेश जी के मंदिर में स्थित मूर्ति देख रहा था। आज बहोत देर तक देखने के बाद मुजे मालूम हुआ की, इसी मंदिर में गणेश जी के साथ रिद्धि ओर सिद्धि को भी स्थापित किया गया हैं। 2001 से गणेश जी ने मुजे आशीर्वाद दिए हैं। जहाँ भी रुका हूं, जहा भी टूटा हु बस, गणेश जी ने मुजे रास्ता दिखाया हैं। आज एक ऐसा काम लेके निकला हु, पहले कुछ लोग जुड़े थे। इन्हों ने मेरे पीछे कुछ ऐसा किया उन्हें छोड़ना पड़ा। आज भी अब वो मेरे साथ नहीं हैं कुछ लोग मानने को तैयार नहीं हैं। मगर गणेश जी केलिए मेने डीसा से एथॉर चलकर गया था। तब मुजे शांति मिली थी। जब में बेचेंन होता हूं गणेश जी पे छोड़ता हु। वो जो हुकुम करते हैं,वैसे आगे बढ़ता हु। सरकुम: जय गणेश

उत्तर प्रदेश: ‘टीचर चेंजमेकर समिट-

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उत्तर प्रदेश के  जौनपुर ज़िले के वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में रविवार को राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एससीईआरटी), लखनऊ और स्टर एजुकेशन के संयुक्त तत्वाधान में ‘टीचर चेंजमेकर समिट-2018’ का आयोजन किया गया। इसमें जौनपुर 10 ब्लॉक बदलापुर, बक्सा, धर्मापुर, मछली शहर, करंजाकला, मड़ियाहूं, सिकरारा, महाराजगंज, शाहगंज, जलालपुर के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाने वाले 750 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले शिक्षकों को मिला रोहैम्पटन यूनिवर्सिटी, लंदन का प्रमाण पत्र इन शिक्षकों ने अपने-अपने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की कक्षाओं में समूह आधारित शिक्षण के जरिये बच्चों की समस्याओं की पहचान करने के बाद उसका समाधान भी खोजा। इसके लिए 750 शिक्षकों को एससीईआरटी, स्टर एजुकेशन और   लंदन की रोहेम्पटन यूनिवर्सिटी  का प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। रोहैम्पटन यूनिवर्सिटी लंदन, विश्व की अग्रणी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं में से एक है। इस कार्यक्रम के दौरान जौनपुर जिले के राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक श्री कृष्ण देव दुबे और स

मेरे रंग मेरे सपने...

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मेरे सपने,मेरे अपने। आज तक बहोत सपने देखे हैं।बहोत सारे सपने यरे हुए हैं। जो मिजे मिला हैं,उसे पाने को लोग तरसते हैं। आज भी में उसे महसूस करता हूँ। आज में आप को मेरे ऐसे ही एक ख्वाब की बात करूंगा। ये ख्वाब वैसे मेरा हैं मगर बहोत सारे साथियो ने उसे पूरा करने में सहयोग रहा हैं। बहोत सारे साथी आज भी जुड़े हुए हैं। कुछ छूट गए कुछ को छोड़ना पड़ा। कुछ लोगो ने मुजे भी रिजेक्ट किया।मगर वो ख्वाब के करीब में पहुंचा हूँ।18 साल के संपर्क ओर बच्चो से सरोकार के कारण आज हम ये कर पाए हैं। 7रंगी स्किल फाउंडेशन जो आज से सात साल से कार्यरत हैं।राज्य और देश के कई हिस्सों में इस फाउंडेशन ने शिक्षा के लिए काम किया हैं। आईआईएम के साथ मिलकर हमने नेपाल और बांग्लादेश के अध्यापको के साथ काम किया। हमे ओर उन्हें सीखने को मिला। 7 रंगी क्या हैं...? जीवन हो विचार... अच्छे होने चाहिए। सुख दुख,क्रोध, गम ओर खुशी।हर एक भाव के लिए एक रंग हैं।कहते हैं मूल तह 3 रंग हैं। रेड ब्लू ओर ग्रीन इन तीन रंग में से कोई भी रंग बन सकता हैं। अब 7 रंगी तो मेघ धनुष में दिखाई देते हैं। उन सैट रंग को हम जा...नी...

मेरा होंसला...

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वर्ष 2018 में गांधी बापू को 150 साल हुए। सारी दुनियामें इस महात्मा के दिन को अलग अलग तरीको से मनाया गया। हमारे देश मेम इस महानुभव की जानमा तिथिको दो साल तक मनाया जाएगा। बापू के नाम से हैं। कोई विरोध करने का सवाल नहीं हैं। GCERT के द्वारा गांधी गाथा के नाम से एक सीरीज का रिकॉर्डिग हो रहा हैं। हमारे राज्य के विशेष व्यक्तो उस  श्रेणी में गांधीजी से जुड़ी बातें ओर अपना दृष्टिकोण रखते हैं। ये सारी सीरीज दूरदर्शन में प्रसारित होगी। GcERT से इसे दूरवर्ती के माध्यम से  मा. विनायगिरी गोसाई सर के मार्गदर्शन से ये कार्यक्रम तैयार होगा। श्रीमती अमीबहन जोशी को.ऑर्डिनेटबकर रही है  सृष्टि के संयोजक, भारत के राष्ट्रपति के पूर्व सलाहकार ओर आईआईएम अमदावाद के पूर्व अध्यापक ओर पद्मश्री अनिल गुप्ता जी ने आज विविध विषय के ऊपर अपने विचार रखे। इस कार्यक्रम में जुड़ने के लिए मुजे GCERT ने मौका दिया। आज हमने पूरा दिन ये कार्य किया और जैसे संतोष हुआ। आज दोपहर के बाद BISAG स्टूडियो में ये रिकॉर्डिग सम्पन हुआ। दूसरी तरफ गूजरात आयोजन पंच के पूर्व उपाध्यक्ष ओर प्रसिद्ध पत्रकार एवं साहित्यकार विष्णु पंड्य

नजर ओर नजरिया...

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प्यार करते हैं हम तुम्हे इतना, दो आंखे तो क्या, दो जहां में समाए न इतना। कुछ दिन ऐसे होते हैं। जहां हर तरफ से खुशिया सामने से आती हैं। कुछ वख्त ऐसा भी आता हैं कि खुशिया तो दूर खाना पीना भी हराम हो जाता हैं। ऐसा इस किए होता हैं कि हम अधिक आस लगाए बैठे होते हैं। कुछ बाते ऐसी होती हैं जिसमे आस से ज्यादा विश्वास होता हैं। विश्वास अगर सच्चाई के साथ हैं तो ठीक हैं। मगर अधूरी जानकारी के साथ आप ने विश्वास को जोड़ा हैं तो आप को इसका जवाब समय देगा। समय आने पर हमें हकीकत का पता चलता हैं,ओर तब जाकर बहोत देर हो चुकी होती हैं। मगर उसका अफसोस करने से कोई फायदा नहीं हैं। जब संभाल लेने की बात थी अपने आप जो न संभाल पाए अब पछताए क्या होवत हैं जब चिड़िया चूब गई खेत।  नजर ओर नजरिये का सवाल हैं।यहां किसी लयर को समझने वाले ने ताश के पत्तो में से love लिख दिया हैं। अगर कुछ सही हैं तो उसे सराहो ओर अगर गलत हैं तो उसमें सुधार करो। छोड़ने ओर तोड़ने के अलावा और भी जीबन में लक्ष होने चाहिए। सरकुम: जो कुछ था, तेरा न था। अब जो कुछ हैं सिर्फ तेरा हैं। रहमो करम की बात यही, तू साथ में ह

जीवन के रंग

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जीवन के रंग। हमे पसंद हो या ना पसंद हो। रंग हमारे जीवन में जुड़ेही होते हैं। हमारे जीवन मे कभी खुशी या  कभी गम के रंग बिखरे होते हैं। कभी खुशी के रंगों का जैसे तालाब होता हैं। कुछ लोग सालो तक नहीं भुलाये जाते। कुछ लोग पल में याद आते हैं। कुछ को पलभर याद करने से जैसे दिन सुधर या बीगड़ सकता हैं। कुछ दिनों पहले की बात हैं। जमाना भले बदले मगर ध्येय नहीं बदलना चाहिए। कुछ कम लोग होते हैं जो अपने इरादों को कभी नहीं छुपाते। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी स्थिति और व्यबस्था के आगे कुछ कर नहीं सकते।  आज मेरी व्यवस्था ये हैं कि में जहाँ हु मुजे वहाँ रहना नहीं हैं। जहाँ पहुंचना हैं वहाँ तक पहुंचने के लिए ओर भी समय लग सकता हैं। मुजे उस समय का इंतजार रहेगा जब मैने जो चाहा हैं, वैसा तब होगा जब मेरी सोचको में स्थापित हुई देखूंगा। भिन्न भिन्न रंग जीवन मे न आये तो जीवन का चित्र सुंदर नहीं बनता। कभी प्यार, कभी सच्चाई, कभी सहजता,कभी ध्येय दिखाने का तरीका ओर कभी कभी सब समज ते हुए भी समजदारी न होने जैसा बर्ताव करना। जीवन में ऐसे रंग ही जीवन को खूबसूरत बनाते हैं। वैसे तो 3 रंगों से दुन

एक अद्भुत कलाकार: मोरे

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कुछ दिनों पहले मेरा महाराष्ट्र के सोलापुर में जाना हुआ। अक्कलकोट की एक कॉंफ़र्न्स में मुजे वक्तव्य देना था। मेरे वक्तव्य के बाद मुजे एक अध्यापक मील। उनका नाम सुनिल मोरे । वो  शिंदखेडा जिला धुलियामें प्रायमरी टीचर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। सर फौंडेशन के द्वारा आयोजित इस कॉन्फरन्स मे हिस्सा लेने अक्कलकोट वो आये थे। उन्होंने आर्ट अँड क्राफ्ट विषय के माध्यम मे एक हस्तशिल्पकार के जैसा काम किया हैं। उन्होंने नारियल का पेड जिसे कल्पवृक्ष बोला जाता है लेकीन इस कल्पवृक्ष का फल नारीयल हैं। जीससे खोबरा निकालके उसका छिलका बाहर कुडेदान मे कचरे मे कुछ काम का नही आता वैसे हम फेंक देते हैं। ये समजके फेक देते है की उससे कुछ नहीं होगा। मगर मोरे जी ने उसी छिलके से पिछले 10 सालोमे करीब 1000 क्राफ्ट आर्टिकल्स बनाये है ।जो पुरी तरह से केवल हात से और उनकी कल्पकता से बनाई हैं। मेरा मानना हैं कि वो अपनी बात अच्छे से लिझे तो उनके नाम पर भी कीर्तिमान बन सकते हैं। संपर्क: सुनिल मोरे, प्रा.शिक्षक शिंदखेडा ता.शिंदखेडा जि.धुलिया (महाराष्ट्र) मो.9604646100 सरकुम: कलाकार कभी जुड़ता नहीं।

अब ये नहीं दिखते...

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पैसा फेंको तमाशा देखो। दिल्ही का कुतुब मीनार देखो... आप ने ये गाना सुना होगा,ये उस जमाने की बात हैं जब हमारे पास मनोरंजन के कुछ साधन नहीं थे। उस वख्त ये सब गाँव गाँव गुमते थे और एक पैसा 4 पैसा से 50 पैसे तक दिखाया जाता था। आज तो ऐसी चीजें हमे मूजियम में देखने को मिलती हैं। ऐसी चीजें आज लुप्त हो रही हैं जैसे इंसानो में से पूंछ लुप्त हो गई हो। ये ऐसी कला थी जिस को लोग उस वख्त काम आती थी जब बारीश न होती हो और कोई काम न हो। इस खेल को देखने के लिए पैसा और अनाज या सब्जी के बदले भी ये फ़िल्म पट्टी देखने को मिलती थी। आज तो टेक्नोलोजी के कारण ऐसी बहोत सारी कलाए मृतप्राय हैं। और इसे बचने की जिम्मेदारी के हमे ही निभानी हैं। सरकुम: जो हैं उसे याद करेंगे। जो कहा गया उसे भी याद रखेंगे। कुछ भी हो,जैसा भी हो,नया सवेरा लाएंगे।

सर सन्मान...आज मेरा कल आपका...

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स्टेट इनोवेशन ऐंड रिसर्च फाउंडेशन, सोलापुर महाराष्ट्र के सर सन्मान में जाना हुआ। 2006 से ऐ फाउंडेशन महाराष्ट्र और देश के अन्य राज्यों के इनोवेशन को खोजने ओर प्रस्थापित करने में सक्रिय हैं। आईआईएम अमदावाद, सृष्टि इनोबेशन ओर हनी बी नेटवर्क से जुड़कर इस संस्थान ने अपना नाम राष्ट्रीय फलक पर फैलाने में सफलता हांसिल की हैं। सोलापुर डिस्ट्रिक्ट के अक्कलकोट में नेशनल एज्युकेशन इनोबेशन कॉंफ़र्न्स का आयोजन हुआ। मुजे इस कॉंफ़र्न्स मे शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ। सिद्धाराम जी मशाले और बाला साहब बाघ ओर राज्य के विविध जिल्ला आयोजको के द्वारा अक्कलकोट में भव्य कॉंफ़र्न्स संभव हुई। मुजे सर सन्मान से सन्मानित किया गया। मेरे लिए गौरवपूर्ण बात हैं कि भारतमें सबसे पहला सर सन्मान मुजे प्राप्त हुआ हैं। आज से मुजे आप प्यार से सर भावेश पंड्या कह सकते हैं। इस यरे से सन्मान के लिए में सर फाउंडेशन का शुक्रिया अदा करता हूँ। सरकुम: 2014 में डॉक्टर का सन्मान 2018 में आप के द्वारा सर सन्मान 2018 का सन्मान मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं। मेरे समग्र देश में शिक्षा से जुड़े 'सरकार के शिक्षक' द्वार

निराशा और बिश्वास

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लक्ष्य के प्रति समर्पित इंसान के लिए विफलता जैसी कोई चीज नहीं होती। अगर एक दिन में आप सौ बार गिरते हैं तो इसका मतलब हुआ कि आपको सौ सबक मिल गए। अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाएं, तो आपका दिमाग भी उसी तरह सुनियोजित हो जाएगा। जब आपका दिमाग सुनियोजित रहेगा तो आपकी भावनाएं भी उसी के अनुसार रहेंगी, क्योंकि जैसी आपकी सोच होगी, वैसी ही आपकी भावनाएं होंगी। एक बार जब आपकी सोच और आपकी भावनाएं सुनियोजित हो जाएंगी, आपकी ऊर्जा की दिशा भी वही होगी और फिर आपका शरीर भी एक लय में आ जाएगा। जब ये चारों एक ही दिशा में बढ़े तो लक्ष्य हासिल करने की आपकी क्षमता गजब की होगी। फिर कई मायनों में आप अपने भाग्य के रचयिता होंगे। विफलताओं को याद रखने के कोई कारण नहीं हैं। अगर सफल नही रहे तो कुछ कारण होगा। में कारण को गलती कहता हूं। ऐसी गलती जो शायद आप को मालूम न हो। शायद पहले की गलती किसी के ध्यान में आई हो और आज भुगत रहे हो। ऐसा भी हो सकता हैं । होने को तो बहोत कुछ हैं। मगर अंत में विफलता मिलती हैं। ऐसी विफलता को विफलता नहीं कहते उसे गलतियो का परिणाम कहते हैं। जिस भी गलती से आप लक्ष्य प्राप्य नहीं कर

काम का नशा

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आज एक ट्वीट देखने मे आई।श्री अमिताभ बच्चन जी ने इसे ट्वीट किया था। कोन बनेगा करोड़पति के स्टूडियो से सेट के फोटो के साथ उन्होंने लेख था। में नशे में हूँ। काम के नशे के बारे में उन्होंने लिखा हैं। में भी कुछ दिनों से काम के प्रति कुछ उलझ रहा था। कुछ न सोच सकता था, न कुछ समज सकता था। क्या करूँ,कहा से करू कैसे करू, अकेला आगे बढ़ने का आयोजन करू या किसी कप साथ जोडू। इन सबके बीच दो चीजें मेरे साथ रही। एक वॉर्नर बफेट की मैनेजमेंट की किताब ओर बच्चन सर की एक ट्वीट। काम रुक जाएगा तो सबकुछ रुक जाएगा। जो छूटना हैं, छूटेगा जो जुड़ना हैं वो जिद जाएगा। यकीन रखो अपने कार्य पर, अगर तुम रुके तो सब रुक जाएगा। जो तेरा हैं उसे पाने में जो हो रहा हैं उसे मत रोका करो। भूत नाथ फ़िल्म का एक गाना हैं... बच्चन सर की ट्वीट से भी उसे जोड़ा जा सकता हैं। बहोत साल तक ये मेरी कॉलर ट्यून थी। आज फिर से उसे चालू करवा रहा हु । चलो जाने दो... अब छोड़ो भी.... Thanks बच्चन सर... सरकुम: शो मस्ट गो ओन... हम न रहेंगे,तुम न रहोगे,फीरभी रहेगी निशानियां.... (ये गाना एक बार मनमें गालेना...)

इरादा ओर किस्मत

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अगर आपको अक्सर ऐसा लगता है कि सफलता आपके हाथ नहीं आ रही, तो शायद अब आपको अपनी कोशिशों में कुछ बदलाव लाने की जरूरत है। यहां एक ऐसे सुझाव दे रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं। किस्मत की बात: इरादा जीवन में कुछ बातें या घटनाएं संयोगवश हो सकती हैं। लेकिन आप अगर इस इंतजार में रहेंगे कि सब कुछ अपने आप अकस्मात ही आपको हासिल होगा, तो शायद आप सारी जिंदगी इंतजार ही करते रह जाएंगे, क्योंकि संयोग हमेशा तो नहीं हो सकता। यहां तक कि भौतिक विज्ञान की क्वांटम थ्योरी भी यही कहती कि अगर आप असंख्य बार तक कोशिश करते रहेंगे, तो एक दिन टहलते हुए दीवार के बीच से भी निकल सकते हैं।  आपके बार बार करने से कणों में स्पंदन होता रहेगा, जिसकी वजह से शायद दीवार के बीच से निकल पाना भी संभव हो जाए। लेकिन जब तक आप इस अवस्था को हासिल करेंगे, आपकी खोपड़ी फट चुकी होगी। तो जब तक आप किसी संयोग का इंतजार करते रहेंगे, आप व्यग्र रहेंगे।  लेकिन जब आप पक्के इरादे के साथ अपनी क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल करते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ेंगे, तब यह बात मायने नहीं रखती कि क्या ह

सोच कर सोच...

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हम सभी मनुष्य हैं। मानव को मानव जाति की पेशकश करनी पड़ती हैं। कुछ अच्छा करने के लिए कुछ बुरा भी सहन करना पड़ता हैं। किसी भी व्यक्ति को कुछ सहकार देना महत्वपूर्ण हैं। किसी ने जो काम शुरू किया हैं,अगर आप उसका हिस्सा हैं तो सहकार देना आपकी जिम्मेदारी बनती हैं।  भले ही आप स्वयं के बारे में सोचते हैं, वही तथ्य तब सच हैं कि आप दूसरों के बातें में भी सोचते हो। कोई सिर्फ अकेला अपने बारे में नहीं सोच सकता। आप उनके लिए जरूरी है, और उनसे जुड़कर कार्रवाई करने में आप उन्हें अपने स्वयं के विचारो पे परोए ओर नए पथ की खोजने में भी मदद करे,ऐसा करने से  एक अंतर भी बना रहेगा और साथ भी मिल पायेगा।  दूसरों की बात करने में आसान हैं। सामने बाले को समझना भी आवश्यक हैं।साथ में सोचने से आपको एक उद्देश्य मिल जाता है। हम सभी को होने के लिए, साथ रहने के लिए एक कारण की आवश्यकता है, और प्रसिद्धि और भाग्य आमतौर पर पर्याप्त नहीं है।एक व्यक्ति के बजाय दो का समूह भी सबसे छोटा मगर समूह में माना गया हैं। अच्छा ये हैं कि आप सजा देने के योग्य थे, ओर आप ने माफ कर दिया। आपको इससे विशेष प्रकार की ऊर्जा मिलती है, जो

विश्वास में ही श्वास हैं...

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किसी भी व्यक्ति में आत्मविश्वास से अधिक जरूरी है उसके अंदर स्पष्टता का होना। यदि आप किसी भीड़ को पार कर कहीं पहुंचना चाहते हैं, आपकी दृष्टि सही जगह पर है और आप देख पा रहे हैं कि भीड़ कहां खड़ी है, तो आप बहुत आसानी से बिना किसी से टकराए अपना रास्ता बनाते हुए अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे। लेकिन आपकी नजर अगर सही जगह पर नहीं है और महज विश्वास है, तो आप हर किसी से टकराते रहेंगे। सच्चाई होती हो तो उसमें अकड़ आही जाती हैं।हम हमारे विचार में स्पष्टता लानी चाहिए।महज सुनने या कहने से ही किसी नतीजे पर पहुंचने में कभी खालीपन महसूस होता हैं। उस वख्त हम उन लोगो से फिर से जुड़ नहीं सकते या उन से आंखे नहीं मिला सकते हैं। लोगों को लगता है कि महज उनका  आत्मविश्वास ही उनके अंदर की स्पष्टता की कमी  को पूरा कर देगा। लेकिन ऐसा कतई नहीं है।आप जिस चीज के ऊपर विश्वास रखकर निकले हो क्या मालूम वो चीज ही गलत न हो। समजीए आप के पॉकेट में 2 हजार का नोट हैं। आप बाजार में से कुछ खरीदना चाहते हैं। खरीद करने के बाद आप 2000 ना नॉट देते हैं। दुकानदार कहता हैं कि ये नॉट जाली हैं। अब क्या होगा, आप को तो उस नॉट पे भरो

संकल्प ओर सफलता

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जीवन-निर्माण के प्रत्येक क्षेत्र में संकल्प शक्ति को विशिष्ट स्थान मिला है। यों प्रत्येक इच्छा एक तरह की संकल्प ही होती है, किन्तु तो भी इच्छायें संकल्प की सीमा का स्पर्श नहीं कर पातीं। उनमें पूर्ति का बल नहीं होता, अतः वे निर्जीव मानी जाती हैं। वहीं इच्छायें जब बुद्धि, विचार और दृढ़ भावना द्वारा परिष्कृत हो जाती हैं तो संकल्प बन जाती हैं। ध्येय सिद्धि के लिये इच्छा की अपेक्षा संकल्प में अधिक शक्ति होती है। संकल्प उस दुर्ग के समान है जो भयंकर प्रलोभन, दुर्बल एवं डाँवाडोल परिस्थितियों से भी रक्षा करता हैं और सफलता के द्वार तक पहुँचाने में मदद करता है। शास्त्रकार ने “सकल्प मूलः कामौं” अर्थात् कामना पूर्ति का मूल-संकल्प बताया है। इसमें संदेह नहीं है, प्रतिज्ञा, नियमाचरण तथा धार्मिक अनुष्ठानों से भी वृहत्तर शक्ति संकल्प में होती है। महान विचारक एमर्सन ने लिखा है, “इतिहास इस बात का साक्षी है कि मनुष्य की संकल्प शक्ति के सम्मुख देव, दनुज सभी पराजित होते रहे हैं।” सरकुम: बस, आप खुश ओर हमे होश रहे...

मेरे ही बापू...बापू का हुकुम

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गांधीजी ने हमारे देश को  पहचान दिलाई। दुनिया में कोई देश ऐसा न होगा जहां बापू के नाम का रास्ता या चौराहा न हो। हम हमारे देश के इस महापुरुष की 150 वी जन्म जयंती मना रहे हैं। आज से कुछ साल पहले कोंन पैदा हुआ पर कोंन नहीं रहा वो हमें याद भी नहीं रहता हैं। आज बापू की जयंती पर बहोत लोग बोलेंगे, लिखेंगे ओर चर्चा करेंगे। में कुछ भी लिखने के या बोलने के काबिल नहीं हूं। गांधीजी के बारे में कुछ कहने के लायक नहीं हु। लिखने की मेरी औकात नहीं हैं। मुजे आज ये बात कहते हुए खुशी होगी कि मैने आज तक जितनी किताबे पढ़ी हैं, उसमें सबसे ज्यादा एक किताब पढ़ी हैं। उस किताब का नाम हैं सत्यना प्रयोगों। बापू ने कहा हैं, मेट जीवन हीं मेरा संदेश हैं। मेने बापू के जीवन से दो बातें अपनाई हैं। एक उनका स्लोगन Bee The Change ओर दूसरी चीज की जब हमारी गलती हो, हमने किसी का दिल दुखाया हो तो उपवास करें। इन दोनों बातों से मुजे सुकून मिलता हैं। आज बापी के जन्म दिवस के उपलक्ष में विश्व में अपने देश की पहचान और बढ़े और सुवासित हो वैसी आशा के साथ। सरकुम: बापू मेरे बापू बापू से मुजे प्यार बापू से मुजे

आज बापू के लिए...

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गांधीजी ओर विश्व। सबसे अधिक जिन्हें आदर्श माना गया हैं वैसे महारथी,वैश्विक नेता और विश्व विभूति। पिछले कुछ दिनों से हम गांधी जीवन पर काम कर रहे हैं।कल दोपहर के समय कुछ काम चलता था तो मैने कहा 'बापू मुझसे सिर्फ 110 साल बड़े थे।' मेरो बात सुनकर मेरे एक दोस्त ने कहा 'जी 110 साल कोई बड़ा फांसला नहीं हैं। मजाक करते हुए हम पपेट शो की तैयारी देखने गए। श्री हितेश भ्रमभट्ट ओर उनके साथी इसके लिए काम कर रहे हैं।गांधीजी के जीवन के लिए एक कहानी को पसंद किया गया हैं और हम उसकी तैयारी देखने लगे। आज विचार केंद्र का मा.मंत्रिश्री भूपेंद्रसिंहजी चुडासमा के कर कामलोसे विचार केंद्र का उद्घाटन होगा। आज से दो साल तक लगातार समूचे देश में 150 वी जन्म जयंती को मनाया जाएगा। आज का दिन नई पीढ़ी के लिए गांधीजी को समझने के लिए कुछ नए प्लान करके ऐसे विचारो को फैलाने का काम होगा। मुजे खुशी हैं कि इस महत्वपूर्ण काम से में जुड़ा हु, ओर मुजे भी बापू को समझने के लिए एक अवसर मिला हैं। सरकुम: गांधी विचार फेलायेंगे, बापू को ही अपनाएंगे। जो होगा विश्व में आज के बाद, उसे बापू के आशीर्वा