मेरे ही बापू...बापू का हुकुम
गांधीजी ने हमारे देश को पहचान दिलाई। दुनिया में कोई देश ऐसा न होगा जहां बापू के नाम का रास्ता या चौराहा न हो। हम हमारे देश के इस महापुरुष की 150 वी जन्म जयंती मना रहे हैं।
आज से कुछ साल पहले कोंन पैदा हुआ पर कोंन नहीं रहा वो हमें याद भी नहीं रहता हैं।
आज बापू की जयंती पर बहोत लोग बोलेंगे, लिखेंगे ओर चर्चा करेंगे। में कुछ भी लिखने के या बोलने के काबिल नहीं हूं। गांधीजी के बारे में कुछ कहने के लायक नहीं हु। लिखने की मेरी औकात नहीं हैं। मुजे आज ये बात कहते हुए खुशी होगी कि मैने आज तक जितनी किताबे पढ़ी हैं, उसमें सबसे ज्यादा एक किताब पढ़ी हैं। उस किताब का नाम हैं सत्यना प्रयोगों। बापू ने कहा हैं, मेट जीवन हीं मेरा संदेश हैं। मेने बापू के जीवन से दो बातें अपनाई हैं।
एक उनका स्लोगन Bee The Change ओर दूसरी चीज की जब हमारी गलती हो, हमने किसी का दिल दुखाया हो तो उपवास करें। इन दोनों बातों से मुजे सुकून मिलता हैं।
आज बापी के जन्म दिवस के उपलक्ष में विश्व में अपने देश की पहचान और बढ़े और सुवासित हो वैसी आशा के साथ।
सरकुम:
बापू
मेरे बापू
बापू से मुजे प्यार
बापू से मुजे दुलार
में मानुगा बापू को आजीवन,
जिनकी सोच ने दिया मुजे नव जीवन।
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