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Showing posts from February, 2018

इस्तेमाल ओर इनोवेटर्स

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शिक्षा आज महत्वपूर्ण हैं।आधुनिक समय मे शिक्षा के लिए सरकार से समाज और संस्था चिंतित है।आज के दिनोंमें जो शब्द हमे ज्यादा सुनने को मिलता हैं वो शब्द है innovation जिसे हम नवाचार कहते हैं। शिक्षा में नवाचार की खोज करना  आईआईएम ने शुरू किया था।आज इस बात को 25 साल खत्म हुए हैं। आज गुजरात में पिछले 3 सालों से स्टेट इनोवेशन फेस्टिवल का आयोजन होता हैं।इस बार का आयोजन पोरबंदर में हुआ।गांधी और सुदामा यहाँ के हैं।राज्य के 165 नवाचार करने वाले शिक्षकों के लिए सांदीपनि आश्रम में स्टेट इनोवेशन फेस्टिवल का आयोजन 26 फरवरी से 1 मार्च 2018 तक हुआ हैं।आज पहली बार ये हुआ हैं कि DIET ने आने नवाचार भेजे हो।  GCERT गांधीनगर,एस्सार ऑइल ओर सांदीपनि आश्रम के संयुक्त सहयोग और आयोजन से ये फेस्टिवल आज शुरू हुआ हैं। पोरबंदर DIET के सभी साथी और प्राचार्य श्री अल्ताफ राठौर के मार्गदर्शन से ये फेस्टिवल को चार चांद लगे हैं। सबसे बड़ी बात ये हैं,जो आप स्क्रीन को देख रहे हैं।148 नवतर कार्य करने वाले नवतर शिक्षकों के बारे में एक किताब लिखी गई।सभी इनोवेटर्स के बारेमें इस पुस्तक में लिखा गया हैं। डॉ गिजु

जहांगीर

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जहांगीर शेख। महाराष्ट्र के जलगाँव का बंदा हैं। पहली कक्षा में एक महीने तक पढ़ने वाला ये व्यक्ति अनूठा हैं। आपने 3 इडियट्स फ़िल्म देखी होगी।इस फ़िल्म के अंतमें एक स्कूल दिखाई गई हैं।उस स्कूल में जो इनोवेशन बताए हैं,सारे जहांगीर की पेदाश हैं।वो स्कूटर,नया वाला भेड़ बकरियों के बाल कटनेका मशीन ओर ऐसी अन्य सामग्री जो दिखाई गई हैं।जिस स्कूटर से जिसमें आटा पीसा जता हैं, वो स्कूटर भी जहांगीर ने बनाया हैं। आज जहांगीर गुजरात में हैं।उन्होंने गुजरात में जहांगीर वर्कशॉप बनाने के बारेमें सोचा हैं।वो आजकल गुजरात में काम कर रहे हैं।आप भी उन्हें अपनी संस्थान में उन्हें बुलाना चाहते हैं तो उनका संपर्क कर सकते हैं।उनके नाम से 40 पेटन हैं।वो ज भी नई नई सामग्री का निर्माण कर रहे हैं। नेशनल इनोबेशन फाउंडेशन,हनी बी नेटवर्क ओर सृष्टि इनोबेशन से वो सीधे जुड़े हैं।आप भी ऐसे नव विचारक को निमंत्रण दे सकते हैं। #we can

आज हैं इसे देखो...

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कुछ दिनों पहले की बात हैं।में अमदावाद में था।सुबह सुबह कुछ काम से में गाड़ी लेके निकला। आज के दौर में जानकारी प्राप्त करने के माध्यम में FM रेडियो भी बहोत बड़ा रोल अदा करता हैं।गाड़ी में रेडियो जॉकी ध्वनित का शॉ चल रहा था।ध्वनित के इस कार्यक्रम का नाम हैं, 'मॉर्निंग मंत्र'च₹। ध्वनित बात कर रहे थे।आज वो शीतल महाजन की बात कर रहे थे।शीतल महाजन ने एक कीर्तिमान हांसिल किया हैं।उन्होंने साडी पहनकर स्काई डायविंग की।उनके लिए सिर्फ ये बात नहीं हैं।उनके किए ऐसी बहोत सारी जानकारी थी जो ध्वनित ने बताई। शीतल महाजन।बहुत कम लोगो स्काई डायविंग के बारे में मालूम होगा। हम उसे tv पे देखते हैं।बहोत ही हिम्मत का काम हैं स्काई डायविंग करना। महाराष्ट्र के पुने में रहनेवाली शीतल महाजन  भारत की पहली महिला है जो स्काई डायविंग करती है। वो 21 साल की थी तब पहली बार जम्प लगया था। उन्होंने पहला जम्प बिना ट्रेंनिग के लगाया था।उनका पहला जम्प नार्थ  पोल से  लगाया गया था।करीब 2400 फिट से उन्होंने पहला जम्प लगाया था।शीतल महाजन ने दूसरा जम्प अंटार्कटिका साउथ पोल से 11600 फिट से लगाया था। शीतल एक अकेली भारत

કક્કો નહીં મૂળાક્ષરનો ક્રમ...

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21 ફેબ્રુઆરી. વિશ્વ માતૃભાષા દિવસ. દુનિયાના તમામ દેશ આ સિવસ ને ઉજવે છે.ગુજરાતી કે ગુજરાતના નાગરિક તરીકે સૌએ એની ઉજવણી કરી.હુંય કોઈ જગ્યાએ આ કાર્યમાં જોડાયો.એક દૈનિક પેપરમાં થોડા દિવસ પહેલાં એક સમાચાર છપાયા.સમાચાર જાણે એમ કે, ગુજરાતી કક્કો બદલાયો.એનો અર્થ એવો થતો હતો કે ધોરણ એકના પાઠ્યપુસ્તકમાં કક્કો બદલાયો.આ થઈ મીડિયાની વાત.કેમ ક્રમ બદલાયો અને તેનાથી શીખવા શીખવવામાં શું ફેર પડે એ ચર્ચાનો વિષય છે.એના જવાબ પણ છે જ. હવે આપણી વાત... ગુજરાતી શીખવા અને શીખવવા માટે પાઠ્યપુસ્તકને માધ્યમ તરીકે રજૂ કરવામાં આવે છે.બોલનાર,છાપનાર અને વાંચનાર કોઈ ને એ ખબર નથી કે ગુજરાતમાં ક્યારેય પાઠ્યપુસ્તકમાં કક્કો ભણાવાયો જ નથી. જુઓ... ધોરણ એકમાં કક્કો ક્યારેય ચાલ્યો નથી.આ માટે જુના પાઠ્યપુસ્તકમાં આપેલ ક્રમ અંગે ચર્ચા કરીએ.અહીં વિવિધ વર્ષો દરમિયાન બદલાયેલા પુસ્તકમાં ક્યાં ક્રમે મૂળાક્ષર શીખવાયા હતા તે અંગેની જાણકારી આપી છે. જુઓ... 1967: ટ.. ન..જ..ય.. ક..થ..ભ..ચ... ગ..મ..ત..ફ... સ...ર...ઢ... ધ... વ...હ...બ...ડ... ઝ...ળ...લ...ખ... પ...વ...દ...ઈ... શ...ઇ...ઊ...ઉ...

कृष्ण दवे के साथ...

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कृष्ण दवे। गुजरात के प्रसिद्ध साहित्यकार। बाल साहित्य के निर्माण में उन्होंने अपनी अलग जगह बनाई हैं।बहोत सारे बच्चो के गाने उन्होंने सर्जन किये हैं। आज से पहले हम मील थे।गुजरात का प्रथम बालकवि संमेलन हुआ था।सारे गुजरात के बालकवि उपस्थित थे।हम एक दूसरे से वहां मिले थे।ये बात आज से 3 साल पहले की हैं।बीच बीच में भी हमारा मिलना हुआ,मगर साथ बैठ के बात कर पाए वो संम्भव नहीं हुआ।ये मौका मिला पालनपुर में। 45 वा राज्य गणित,विज्ञान एवं पर्यावरण प्रदर्शन आयोजित हुआ था।इस दिनों वो एक विशेष कार्यक्रम में उपस्थित थे।बच्चो के साथ वो खानिबोर गाना करवाने वाले थे।बालसाहित्य के बारे में कुछ अलग से चर्चा होने वाली थी।में भी वहां था। कृष्ण दवे जी का सरल एवं सहज व्यक्तित्व किसी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता हैं।मुजे उनके गाने,कहानिया के साथ उनका व्यवहार भी पसंद आया।खुश नसीब हैं वो लोग जिन्हों ने श्री क्रुअहं5 दवे को सीधा सामने बैठके सुना। #विद्यामंदिर #GCERT

मेरे बादभी...

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मेरे बादभी इस दुनिया में,जिंदा मेरा नाम रहेगा, जो  भी तुझको देखेगा, तुजे मेरा लाल कहेगा। तेरे रूपमें मिलजायेगा,मुझ को जीवन दोबारा। मेरा नाम करेगा रोशन, जगमें मेरा राज दुलारा। एक अद्भुत गाना। ऐसा ही अद्भुत ये पोस्टर। क्रिएटर सदैव कुछ नया क्रिएट करते रहते हैं।मेरे एक दोस्त हैं।दोस्त भी ऐसे की समजो के जीवन के अभीन्न व्यक्ति।उन्होंने मुजे ये फोटो भेजा हैं।वो एक क्रिएटर हैं,साथ में वो एक सर्जक को बढ़ावा देने वाली व्यक्ति हैं।आजतक उन्होंने मुजे सम्पूर्ण सहयोग दिया हैं।देते रहे है,ओर आजीवन देते रहेंगे। आज उन्होंने मुजे एक smg के साथ ये फोटो भेजा।जिसमें लिखा था 'आप को जब भी गुस्सा आये आप इस फोटो को देखना।मुजे यकीन हैं 'आप भी जब गुस्सा होंगे ये फोटो देखेंगे तो शांत हो जाओगे। सर्जक कुछ भी सर्जन कर सकता हैं।सर्जन याने बनाना।कुछ चीज या सामग्री बनाना ही सर्जन नहीं हैं।किसी व्यक्ति का निर्माण या उसमें सहयोग भी एक अनूठा सर्जन हैं। # लव यू लाइफ...

वख्त ओर विचार

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समय कभी नहीं रुकता। जब में छोटा था,हम टीवी में देखते थे महाभारत।महाभारत शुरू होती तो एक उदगोशना होती।'में समय हु...' आज समय तो हैं... समय कभी रुका नहीं हैं।न रुकेगा।मेरे एक दोस्त हैं।वो कभी कभी बहोत बुरे विचार करते हैं।विचार करते करते वो इतने परेशान हो जाते हैं कि वो अपना आपा खो देते हैं। मेने उन्हें कहा,क्यो ऐसा होता हैं।अगर आज ऐसा हैं और आप उसे संभाल नहीं पाते तो,आप बादमें कैसे उसे संभालोगे। समय रुकता नहीं,भले वो अच्छा हो या बुरा।समय कैसा हैं उसके लिए हमे एक बात सोचनी हैं।उसका जवाब हैं 'हम कैसे हैं...!' सोच कभी कभी गलत नहीं होती।विकजर कभी कभी ही सच्चे होते हैं।आप विचारों से नहीं सोचा के आधार पर चले वो अच्छा रहेगा। एक बार अकबर ओर बीरबल साथ गुमटी थे।बिरबलको परेशान करते हुए अकबर ने कहा 'कुछ ऐसा लिखो की जिसे पढ़कर खुश हैं वो दुखी हो जाय और दुखी हैं वो खुश हो जाय...! इसे समझते हुए बीरबल ने कहा' यह वखय भी गुजर जाएगा।'आज की ये पोस्ट मेरे उस साथी के लिए हैं जो सोचते हैं,ओर आने आप परेशान होते हैं।उनके लिए मेरा जवाब हैं कि 'यह वख्तभ

ભાગ્ય અને નિર્ણય

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ઘડીયાળ ને એમ કે હું દુનિયા ચલાવું છું.ઘડિયાળ ને કદાચ ખબર નથી કે,દુનિયા સેલ નાખે ત્યારે જ ચાલે છે.આપણુ પણ આવું છે.ભાગ્ય આપણાં હાથમાં નથી.પણ,નિર્ણય આપણાં હાથમાં હોય છે. ભાગ્યમાં શું લખ્યું છે એ તો લખનારને જ ખબર છે.આપણે તો માત્ર નક્કી કર્યા મુજબ જીવન જીવવાનું હોય છે.કહેવાય છે કે ભાગ્ય આપણે ન બદલી  શકે પણ આપનો કરેલો નિર્ણય આપણું ભાગ્ય ચોક્કસ બદલી શકે છે. મેં એક નિર્ણય કર્યો છે. એ નિર્ણય એવો છે કે એ કોઈ માની શકતું નથી.માને એવુંય નથી.છેલ્લા બે દાયકાથી કરેલું કામ છોડીએ એટલે સૌને નવાઈ લાગે જ.અહીં સવાલ એ છે કે એ કામ છોડી દીધું છે એ વાત કોઈ માનતું નથી.એમાં હું,મારું છેલ્લા 20 વર્ષનું કામ અને મારી છાપ જવાબદાર છે.નિર્ણય ભાગ્ય બદલી શકે.મારું માનવું છે કે મારો નિર્ણય મારું ભાગ્ય બદલે કે ન બદલે મારી છાપ બદલશે.આ માટે મારે જે કરવું પડે એમ હશે તે હું કરીશ અને એ મુજબ કરવાની મને આશા છે. આશા અમર છે. આશા રાખવી જ જોઈએ. મે આશા રાખી ને કોઈ નિર્ણય લીધો છે.મને ભાગ્ય ન બદલાય તો વાંધો નથી,મારી છાપ બદલાય એવી આશા છે. #हम बदलेंगे, युग बदलेगा...!

आयंबिल ओर पून्य...

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आयंबिल... एक ऐसा शब्द जो हमारे व्यवहार में नहीं हैं।जैन शत्रो में उसके लिए लिखा गया हैं।जैन शाशन में अन्न के बचाव को बहुत महत्वपूर्ण माना गया हैं। हुआ ये की स्टेट इनोवेशन फेर में विमोचित होनेवाली बुक के लेखन के दौरान कुछ दिनों तक विजापुर में रहना हुआ।यहाँ एक जैन संस्थान हैं।हमारा वर्कशॉप वहीं था।काम खत्म करके जब सभी साथी खाने बैठे तो हमने पढ़ा की आयंबिल करने से एक उपवास का पून्य प्राप्त होता हैं। हमारी इंतजारी बढ़ी की ये आयंबिल में ऐसा क्या हैं जो करने से हमे एक उपवास का पून्य मिलता हैं। हमने वहां के व्यवस्थापक को पूछा।उन्होंने कहा, 'खाना खत्म करने के बाद हाथ धोने के बाद अपनी जूठी थाली को साफ करके पानी को पीनेवाले को एक आयंबिल का पुण्य मिलता हैं। हमने भी आयंबिल किया,ओर से आज तक निभाये हुए हैं। अन्न का महत्व धर्म से भी अधिक सामाजिक व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं।आज कितने सारे लोग जो भूखे सो जाते हैं। क्या हम भी अनाज के साथ भूख से बेहाल लोगो के लिए अपनी थाली में अन्न का दाना भी न छोड़ने का संकल्प नहीं ले सकते?अनाज बचना ये भी एक पून्य हैं।इस पून्य को प्रत्येक धर्म

पाप नहीं पूण्य...

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पाप और पुण्य। दोनों एक दूसरे के विरोधमें हैं।जब जब पाप की बात आती है,साथ में पूण्य की बात भी होती ही हैं।किसी ने लिखा हैं कि पाप करना नहीं पड़ता हो जाता हैं,मगर तो पूण्य करना पड़ता हैं। पाप यानी किसीको दुख पहुंचाना, अधिकार से या किसी का हैं उससे कहींभी लेना।मन,कर्म और वचन से जुड़ने के बाद अगर कुछ गलती होती हैं तो उसे पाप मानना नहीं चाहिए।मगर सीधे अगर कोई हमे धोका दे रहा हैं,या हमारा गलत यूज़ होता हैं तो उनके लिए पाप हैं,तो जानबूजकर उसका विरोध न करना भी पाप से कुछ कम नहीं हैं।तो चलो पूण्य करने के मौके तलाश ते हुए हम गमारी जिंदगी को सवार ते हैं।न कभी पाप करूँगा,न पाप के क्रम में हिसा लूंगा।यही जीवन मंत्र हैं,ओर से देखते ही आगे बढ़ना हैं। # गणेश जी  # सरकार से एकरार We can मुमकिन हैं...!

सैनिक परिवार को सलाम

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हमारा देश। विश्वमें सर्वाधिक युवक मतदार वाला देश।विश्व के सबसे युवान जनसंख्या वाला देश।हमारा देश प्रगति कर रहा हैं।आगे ही आगे बढ़ाएंगे कदम वाली बात हम ने स्वीकार की हैं।हमारे देश में आज इजनेर मिलेंगे,तबीब या वकील मिलेंगे एमजीआर देश के लिए सदैव खड़े रहने वाले सैनिक आज भी हमारे आसपास बहोत कम हैं। चीन एक ऐसा देश हैं,जहाँ मिलेट्री ट्रेनिग करनी आवश्यक हैं।अगर आप के दो संतान हैं तो एक को देश के सैन्य में भेजना आवश्यक हैं।पंजाब,हरियाणा,उत्तर प्रदेश और ऐसे अन्य प्रान्त से सैनिक ज्यादा होते हैं।गुजरात से बहोत कम लोग देश के सैन्य में दाखिल होते हैं। एक परिवार में दो भाई।सबसे बड़े भाई का नाम केतनसिंह चावड़ा।वो गुजरात के महेसाणा के करीब वसई के निवासी हैं।अपने घर के सबसे बड़े पुत्र।कुल मिलाके 3 भाई बहन हैं।सबसे बड़े केतनसिंह जो भारतीय फौज में काम करते हैं।बचपन से उन्हें देश भक्ति का माहौल मिला।उनका परिवार राऑल चावड़ा कुल हैं।उनके पिताजी गोजारिया स्थित छीटे से नगर में हाइवे के ऊपर गेरेज का संचालन कर रहे हैं। उनका नाम महेंद्रसिंह।उन्होंने बचपन से उन्होंने अपने संतानों को देश की सेवा में ल

आविष्कार ओर जीवन

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आविष्कार क्या हैं। नवाचार क्या हैं और उसे कैसे कोज जा सकता हैं।ऐसी कई सारी बाते हैं जो हम सुनते जरूर हैं मगर उसे समझने का प्रयत्न नहीं करते। किसी चीज को खोजना उसका मतलब हैं उसके बारे में कुछ न कुछ नया सामने लाना।हम कुछ नया लाते हैं उसका मतलब ये हैं कि पुराना भी कुछ तो था।वैसी ही बात हमारे जीवन में भी देखने को  मिलती हैं।जब हम किसी भी बात में खुल के सामने आते है तो हमारा व्यक्तित्व पूर्णतः खिलता है। वही हमारा आविष्कार है। ऐसा आविष्कार जो हमे आगे बढ़ाता हैं।आविष्कार सिर्फ विज्ञान या भौतिक सुविधाओ से ही हुड नहीं हो सकते।आविष्कार कभी कभी हमारे जीवन में भी होते हैं।हम उस अविष्कार को जीवन का हिस्सा बनायेनंगे तो आसानी से नव जीवन को महक दिला पाएंगे।आप खिले,खिलते रहे और आविष्कार देते और दिखाते रहे। #we can...

Go Go Go indigo...

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एशिया की सबसे बड़ी बस।ऐसा  गौरव रखने वाली बस।वैसी बस में मैने आज लंबा प्रवास शुरू किया।वैसे तो प्लेन का टिकट था।बुकिंग भी हो चुकी थी।हम समय से पहले पहुंच भी गए।सिक्योरिटी क्लियरिग करवाने में ही समय खत्म हो गया। ओर हमे वोल्वो का संपर्क करना पड़ा।मेरी जिंदगी में पहली बार में वॉल्वो में बैठा हूँ। लंबा सफर हैं।दूर तक जाना हैं।थकना नहीं हैं।रुकना नहीं हैं।हारना नहीं हैं।में हररोज सुबह उठके दिन के सारे काम कब करने हैं,कैसे करने है उसके बारे में सोचता हूँ।जो सोचता हूं उसे पूरा करने को तैयार रहता हूँ।नहीं में थकता हूँ, नहीं थकने देता हूँ। कहते हैं कि बंध घड़ी भी दिन में दो बार सही समय बताती हैं।सुबह में जितने बजे पूना पहुंचने वाले थे उतने ही बजे पहुंचेगे,फर्क है तो इतना कि सुबह के बदले श्याम को पहुंचेंगे।देर आये दुरुस्त आये।आजका काम सारा कल करलेंगे।खुशी इस बात की हैं कि जहाँ पहुंचना था,थोड़ा देर से,थोड़ी दिक्कतो से साथ,मगर पहुंच ही गए। #ThanksGo.. Go.. Indigo. # वाह SRS वाह... @#@ कभी ऐसा नहीं सोचना हैं कि जो हुआ बुरा हुआ।अच्छा और बुरा हमारी समज के आधिन हैं,हमे सिर्फ उसका

ऋचार्मी:मेरे ख़ाब...

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मेरे पास ऋचार्मी हैं। बड़ी ऋचा ओर छोटी वाली चार्मी। बड़ी जब्बर,छोटी गब्बर में खुद गब्बर। हम सबको साथ जोड़ के रखने वाली सगु। मेरा परिवार मेरी सरकार। आज एक आयोजन में सहभागी होने के लिए में निकला हूं।पिछले 2 महीनों से काम के पीछे में दौड़ता हु।क्या करूं सरकार का ही कर्मचारी हूँ।हुकुम तो मानना हैं।हाला की सबसे अच्छी बात ये हैं कि जो मुजे पसंद है, बैसे ही काम मुजे करने हैं,मुजे ऑफिस से वैसे ही काम मिलते हैं।पिछले 2 महीने से कुछ अच्छे काम हो रहे हैं।कुछ दुःखद निर्णय भी मेने लिए हैं।कुछ फैसले शांति देते हैं।मुजे शांति मिलती हैं जब में काम खत्म करता हूं।जब तय किया हुआ गोल खत्म करता हूं। ऋचार्मी को जब में देखता हूं 'मुजे शांति और खुशी मिलती हैं।उनके साथ फाइटिंग करने का मजा अलग हैं।पिछले रविवार को मेने ओर ऋचार्मी ने फाइटिंग करी।अरे...2 घंटे तक हमने हमारे बेड रूम को दंगल का एड्रेस बना दिया था।पूरा घर ऊपर नीचे हो गया।शिवरात्री का वो दिबस मुजे याद हैं।जब्बर...गब्बर ओर मुजे दंगल करने में सगु ने सपोर्ट किया। ऋचार्मी, उनका शोख हैं गिफ्ट खरीदना ओर बाटना।वो किसी भी सामान्य दिवस

शिवरात्री के संकल्प...

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आज शिवरात्री का दिवस हैं। मुजे एक बच्चे ने पूछा, ये शिवरात्री दिन को क्यो आती हैं।कोई इसे रात भर क्यो नहीं मनाता? सृष्टि के सर्जनहार शिव।महा मृत्युंजय के अधिपति।आज उनका दिवस हैं।उन की ही रात्री हैं।कुछ लोग जन्म तारीख को मनाते हैं।थोड़े लोग आज भी हिन्दू कैलेंडर की तिथि के आधार पर दिन या तिथि मनाते हैं।में कुछ तारीखे ओर कुछ तिथियां मनाता हूँ।मेरे साथी आर.अलकनंदा मुजे कहती हैं,क्या आप की आयुष्य में एक साल की कमी हुई वो क्या  ख़ुशी का दिन होता हैं।अगर वो दिन खुशिका हैं या आप इसे मानते हैं तो एक साल में आने वाले हर दिन कों खुशी से मनाना चाहिए।क्यो की वो ही दिन आप को एक साल पूरा करवाता हैं।में ऐसे दिनों में कुछ संकल्प करता हूँ और उसे निभाता हूं। आज का दिन मेरे लिए ओर समस्त पृथ्वी के लिए महत्व पूर्ण हैं।वैसे तो महत्वपूर्ण रात हैं,आज शंकर की उपासना का दिवस हैं।विशेष रूप से उपासना करने वाले सारी रात उपासना करते हैं। में शकर भगवान के पुत्र की पूजा और उपासना करता हूँ।कहिए कि में जिन्हें मानता हूं उनके पिताजी का दिन हैं। आज मेने संकल्प किये है। ऐसा पहले भी में लिख चुका हूं। जो

मेरे हिस्सेका आसमान...

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आज दुनिया वेलेंटाइन डे मना रही होगी।इस कि तैयारी पिछले कुछ दिनों से शुरू होती हैं।  श्री गणपत पटेल 'सौम्य' की एक कविता हैं।   किनारे.. एक किनारे पुरुष खड़ा हैं,  एक किनारे नारी, बड़ा फांसला कैसे मिटता? काम बहुत हैं भारी। मनमानी आज़ादी ले एक  पंछी उड़ता ऊपर, कटे पैरो से दूजा पंछी तड़प रहा हैं भू पर। कदम कदम पर पाबंदी के पहरे  लगे हुए हैं। सदीयां बीती लेकिन,उनके चेहरे ढके हुए हैं। कैसे मुमकिन होगा दो पीढ़ियों को साथ चलाना? खत्म दूरी कर, दो साहिल का फिरसे हाथ मिलाना? एक जीवन शक्ति को कुचलना; लाश बनाकर रखना, बड़ा पाप है हरे भरे पौधे को जलाकर रखना। लड़कियों की नयी पीढ़ी अब पूछ रही हैं हमसे, आनेवाले दिनों में क्या मुक्ति हैं उस गम से? पीते है अपमान सदा; पर अब नहीं यह हो सकता, अलग बना व्यक्तित्व नारी का, अब यह नहीं खो सकता। काम हमारा इस दूरी को खत्म किये देना है, सदियों के इस कुरिवाज का अंत किये देना है। एक चुनोती इसे समझकर कुछ प्रण लेना होगा, जन्म लिया हैं मानव का यह ऋण चुकाना होगा। बस, भ्रूण से शुरू हो

Jack ओर अलीबाबा...

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व्यक्ति अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता।आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में बात करेंगे।उनका नाम हैं 'Jack ma।'उनका जन्म 10 सितंबर 1964 में चीन में हुआ था।उनका बचपन  उनका बहोत गरीबी में व्यतीत हुआ।उनका बचपन बहोत संघर्षो से गुजरा था। उनकी उम्र सिर्फ 13 साल की थी।इतनी छोटी उम्र में उन्होंने अपने आप से अंग्रेजी भाषा सीखने की शुरुआत की। आज भी चीन की प्रमुख भाषा चाइनीज हैं।उस समय भी चीन की प्रमुख भाषा चाइनीज थी। अंग्रेजी सीखने के लिए उन्होंने  किसी व्यक्ति का सहारा नही लिया,उन्होंने टूरिस्ट गाइड बन कर अपने आप से अंग्रेजी सीखना ओर बोलना शुरू किया। टूरिस्ट्स के साथ वो अंग्रेजी भाषा में ही बाते कर ते थे। अंग्रेजी सीखने के लिए उन्होंने ये काम किया।उन्होंने 22 साल की आयु तक टूरिस्ट गाइड का काम किया। हम जिनके बारे में चर्चा करते हैं।सारी दुनिया जिन्हें Jack के नाम से जानते हैं उनका  सही नाम Ma-y-n है। जब वो टूरिस्ट गाइड का काम करते थे तभी एक विदेशी व्यक्ति से उनकी गहरी मित्रता हुई थी।उस मित्र ने उन्हें अपने देशमें जाकर एक खत लिखा।उस खत में उस विदेशी मित्र ने उनका नाम jack लिखा था।वो

ऐसा भी होता है...

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एक सर्जक। अंग्रेज सर्जक। उनका नाम रडियार्ड। रडियार्ड गीत,कविता,कहानियां ओर लेख लिखते थे।वो बहोत प्रसिद्ध लेखक थे।कहा जाता हैं कि वो लिखने का बहोत पैसा लेते थे।उनकी लिखाई ओर व्यावसायिक सज्जता की उनके विरोधी भी गवाही देते।वो,जवाब देनेमें ओर किसी भी व्यक्तिको खामोश करने में वो लाजवाब थे। एक दिन ऐसा हुआ। वर्ष 1907 की बात हैं।रडियार्ड को साहित्य का नोबल पुरस्कार मिला था।विश्व के सभी अग्रणी मीडिया ग्रुप के प्रतिनिधि उपस्थित रहने वाले थे।कोई एक प्रतिनिधि जो रडियार्ड का विरोधी व्यक्ति था।वो आज उन्हें कुछ ऐसे सवाल करने वाला था कि रडियार्ड जवाब न दे सके।रडियार्ड को परेशान करने का तय करके आने वाला पत्रकार क्लिपिंग आज पूरी तैयारी करके आया था।उन्होंने रेडियर्ड को क्लिपिंग ने पूछा,मेने सुना हैं आप लिखने का बहोत सारा चार्ज करते हैं।रेडियर्ड ने कहा:' जी,मेरे विचारों को पेपर में उतारने के लिए मुजे लिखना पड़ता हैं।और मेरी इस महंत के लिए में पैसा लेता हूँ। बात चल रही थी।आगे पीछे से कुछ और सवाल भी आये।रेडियर्ड ने उसके जवाब दिए।फिरसे क्लिपिंग ने पूछा।रेडियर्ड ज

राजू सोलंकी

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એક છોકરો. પાંચમા ધોરણમાં ભણે છે. કદાચ એને શાળામાં જવાનું ગમતું નથી. તે આજે શાળામાં ગયો નથી.અમે એને અંબાજી થી દાંતા વચ્ચે મળ્યા.એ વખતે એ છોકરો કેસૂડાના ફૂલ લઈ ઊભો હતો.અમારે એ ફૂલ જોઈતાં હતાં.એની સાથે વાત કરી.ખૂબ જ આત્મવિશ્વાસ સાથે એ વાત કરતો હતો.મેન એને કેસૂડાના ઉઓયોગ વિશે પૂછ્યું.એક શિક્ષક કરતા સરળ રીતે એણે આખી વાત સમજાવી. અમે ગાડીમાં ચાર વ્યક્તિ હતા. રાજુ અમને બધાંના સવાલ સાંભળી એક પછી એક જવાબ આપતો હતો.મેં એને કેસૂડાનું કોઈ ગીત ગાવા વિનંતી કરી. એણે ન ગાયું.મેં ગાયું 'કેસૂડાની કળીએ બેસી,ફાગણિયો લહેરાયો' મેં એટલુંજ ગાયું ને રાજુ કહે 'આ તો મને આવડે છે.' મારા સાથી અને પર્યાવરણ વિષયના લેખક શ્રી પ્રવીણભાઈ પટેલે ચાલીસ રૂપિયાના કેસૂડાનાં ફૂલ છેવટે પચાસમાં લીધાં. #

जिम्मेदारी पी लो

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जिम्मेदारी। व्यक्तिको मजबूत बनाती हैं। एक बार आप जिम्मेदारी उठाओ ओर से निभाने की ठान लो तो कभी आप थक नहीं सकते हैं।किसी ने खूब लिखा हैं कि 'जिम्मेदारी एक ऐसा टॉनिक हैं जो एक बार पी लेने से व्यक्ति कभी नहीं थकता। किसी को दिया हुआ वचन निभाना बहोत मुश्किल होता हैं।अगर आप ने जिम्मेदारी ली हैं तो आप कभी नही थक सकते।एक पिता कभी अपनी जिम्मेदारी से थकता नहीं।एक पति या पत्नी कभी आने काम से थकती नहीं क्यो की उन्होंने जिम्मेदारी पी हुई हैं। एक दोस्त हैं। वो जिम्मेदारी निभाते हैं। एक व्यक्ति के तौर पे पारिवारिक,सामाजिक और व्यावसायिक जिम्मेदारी को निभाते हुए वो अपने आप को आगे बढाने का काम करते हैं।कई बार वो ऐसी छोटी बातों में परेशान होते हैं जो बात परेशानी वाली हैं ही नहीं।कुछ लोग जिन्हें वीक ऐंड पसंद होता हैं।मेरे दोस्त वीक ऐंड में सबसे ज्यादा अस्वस्थ रहते हैं। जब मेरी बात होती है तो में उन्हें कुछ करने को कहता हूं।में उन्हें कोई नई जिम्मेदारी का वहन करने में या कुछ ऐसा काम करने को कहता हूं जो वोही कर पाएंगे। जैसे... किसी बच्चे को खोजना... उसे दोस्त बनाना और बाते कर

हाथ की सहाय

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आज हम देखते हैं। कई लोग अपना काम कर रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी न किसी समस्या के चलते वो काम नहीं कर पाते।शारीरिक रूप से पैर न होना या देखन पाना भी विकलांगता हैं। समस्या तब समाने आती हैं जब हम दोनों हाथ या पैर के साथ जी रहे होते हैं।किसी अकस्मात में जब वो नही रहते तब हमें उसकी आवश्यकता होती हैं,हम उसका महत्व समझते हैं। ऐसी बहोत सारी संस्थान हैं जो हाथ या पैरो के लिए कुछ अलग कर रहे हैं।अमदावाद में ऐसी समस्याओ से जूझने वाले लोगो के लिए कुछ हो रहा हैं।पोस्टरमें नंबर और अन्य जानकारी भी दी गई हैं।आप भी इसे फैलाए ओर किसी को अपना सामान्य जीवन व्यतीत करने में सहयोग करे। #we can मुमकिन हैं...!

मेरे पैर देख के लिखलो...

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एक बच्चा था। वो कक्षा तीन में पढ़ता था। उसका नाम भोलू।भोलू पढ़ने में कुछ ज्यादा ही कमजोर था।अध्यापक उन को पढ़ाते समय अच्छी प्रवृत्ति ओर ज्ञान का सर्जन करवाते थे। एक दिन की बात हैं। गुरुजी ने सभी बच्चों को एक टास्क दीया।उन्हों ने कहा 'आप पंखी के पैर को देखकर उसका नाम लिखो।पर्यावरण विषय के लेखक होने पर में भी ऐसी प्रवृत्ति को पाठ्यक्रम में लिखता हूँ।मेने ऐसी प्रवृत्तिनको लिखा हैं। गुरुजी ने भोलू से भी कहा,पंखी के पैर देखकर तुम उसका नाम लिखो।ये सुनकर भोलू रोने लगा।गुरुजी को उसने बताया कि क्यो रो रहे हो।ये बात सुनकर भोलू ने कहा 'पंखी के पैर देखकर में उसका नाम नहीं लिख सकता।उसे रोता देखकर गुरुजी ने कहा 'तुम अपना नाम बताओ।ये सुनकर भोलू ने कहा 'गुरुजी,आप मेरे पैर देखके लिखलो।' ये तो हुई एक जोक्स वाली बात।मगर ऐसे कई सारे सवाल होते हैं।जिनके बारें में बच्चो के जवाब रियल में सही थे। बच्चा कहता हैं कि मेरे पैर देखकर मेरा नाम लिखो।मगर उसका दूसरा अर्थ ए भी हैं कि पंखी तो मैने कभी मेरे सामने बैठा हुआ नहीं देखा,में तो गुरुजी,रोज आपके साथ सामने बैठता हु।

9 फरवरी: नेशनल पेड़ डे

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कितने आदमी थे। शोले मोगाम्बो खुश हुआ खुदा बंदे से खुद पूछे, बता तेरी रजा क्या हैं। फ़िल्म हमारे जीवन मे असर करती हैं।अक्षय कुमार एक ऐसे एक्टर हैं जो नए विषय पर फ़िल्म बनाते हैं।उनकी एक नई फिल्म के बारे में आज चर्चा हैं।ये फ़िल्म 9 तारीख को रिलीज होने वाली हैं।आज कल उसी की चर्चा हैं।फ़िल्म,गाना या अन्य कोई विवाद नहीं हैं मगर जो बहुत चर्चा में है वो है विषय फ़िल्म का हार्द हैं।  उसका नाम है पेडमेन जो एक रियल स्टोरी पर आधारित है।अक्षय कुमार जो रोल अदा करते हैं उनका नाम हैं अरुणाचल मुर्गनाथं।उनके जीवन को आज अक्षय ने अभिनय दीया हैं।फ़िल्म आपको देखनी ही हैं।हो सके तो साथ में देखना। मुर्गनाथ जी ने एक ऐसे विषय पे अपना जज्बा ओर विचार केंद्रित किया जिसकी हम बात भी नहीं करते।अरे,कई परिवार तो बच्चो से इसके बारेमें पूछने पर डॉटते हैं।आज मेरा मासिक धर्म हैं,तो में घर में काम नही करूँगी।अब बच्चा अगर पूछता हैं कि ऐसा क्यों तो डांटना सही हैं।अगर ऐसा सवाल न आये ऐसी अपेक्षा हैं तो घर मे अन्य दिवस की तरह सभी जगह काम करे।अरे,पढ़े लिखे लोग भी ऐसी बात करने में हिचकिचाते हैं। काम किया जैसे

25 साल आईआईएम ving:C

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 IIM (A) भारतीय प्रबंधन संस्थान,अमदावाद। में 2000 जी साल से जुड़ा हूं।कई सारे ऐसे कामो में सहभागी होने का मुजे मौका मिला हैं।2006 में मैने आईआईएम से सीधा काम करना शुरू किया।सर रतन टाटा इनोवेटिव टीचर्स एवॉर्ड मिला। आईआईएम के साथ काम की शुरुआत यहाँ से हुई।सीखता हुआ साथ जुड़ता रहा।आज मुजे खुशी हैं कि मैने नेशनल ओर इंटरनेशनल कोंफ़र्न्स में आईआईएम के साथ रहके मेरी बात को रखनेका मौका मिला। मेरे सारे रिकॉर्ड ओर एचीवमेंट तक पहुंचा ने के लिए मेरे काम को जब भी आवश्यकता हुई आईआईएम ने सहयोग और मार्गदर्शन दिया।आज ving:7 के शिक्षा से जुड़े इनोवेशन को 25 साल हो गए हैं।30 मार्च 1993 को इस के लिए एक बैठक हुई थी।जिसका उद्देश्य था एज्युकेशन इनोवेशन की संकल्पना तय करना,स्पस्ट करना। वहां से शुरू हुआ सफर आज 25 साल खत्म करने को हैं।समग्र भारत के सबसे पहले 10 इनोवेटिव टीचर्स से लेकर आज आज दिन तक जो भी नवाचार पसंद हुए हैं,उनमें से वैश्विक पहचान प्राप्त करने वाले 25 इनोवेटर्स को साथ लेकर इस सफर को याद करना हैं।उस यादों के साथ indian एज्यूकेशनल इनोवेटर्स  के साथ एक कोंफ़र्न्स का आयोजन होने जा रहा हैं

दीवारो के कान

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दीवारों के भी कान होते हैं। ऐसा सुना था।आज देखा।हो सकता हैं कि ये पिक्चर एडिट करके बनाया गया हो।किसी क्रिएटिव कंस्ट्रक्शन कंपनी ने किसी इनोवेटर्स ने ऐसी डिजाइन बनाई होगी। आज बात कुछ और हैं। दीवारों के भी कान हॉते है,इस बात को आगे बढ़ाते हुए में ये कहूंगा कि दीवारों के कान वाले जो होते हैं वैसे लोग ना काम होते हैं।आज के समय में दीवारों के कान नहीं मुह भी होता हैं।जीसी भी व्यक्ति के घर की दीवारों को देखकर हम कुछ तय कर सकते हैं।उस व्यक्ति के बारे में,उस के परिवार के बारे में ओर अन्य जानकारी प्राप्त हो सकती हैं।पीछा ले कुछ सालों से बहोत सारी स्कुल ऐसी हैं कि उनकी दीवारे बोलती हैं। मदद की दीवार भरूच में एक दीवार हैं। नेकी की दीवार,सबसे पहले मेने 4 साल पहले महाराष्ट्र में देखा था।आज तो भारत के कई शहरों में मैने ऐसी दीवारो के बारे में सुना हैं या देखा हैं।जिसे जरूर नहीं हैं वो अपनी चीज रख जाय।जिसे आवश्यकता हैं वो ले जाता हैं। कभी फिर एक ऐसी दीवार की एक सच्ची कहानी।

दोस्तो की सरकार

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दोस्त मेरा आईना। जब हम खुश हो,सामने दोस्त भी खुश हो।अगर में दुखी हूं तो दोस्त भी दुःखी हो।वैसा दोस्त कोंन हैं। चार्ली चैप्लिन मानते थे कि आईना मेरा दोस्त हैं।क्यो की जब में रोता हु तो वो हंसता नहीं हैं।कुछ लोग कभी कभी ऐसे निर्णय लेते हैं जो कि उनके लिए महत्व पूर्ण हैं।उस वख्त वो ये नहीं सोचते कि सामने वाले को क्या हुआ होगा।जब आप गलत सवाल करते हैं तो आप को कोई भी कितने दिनों तक सही जवाब दे पाएगा?अगर सही तरीके से जीना हैं तो सवाल ओर जवाब दोनों सही और आवश्यक होने चाहिए।कभी कभी गलत सवाल सही जिंदगी को हमसे छीन लेता हैं। दोस्त ऐसे होते हैं कि जो बिना कहे बात समझ ले।कुछ दिन पहले मेरे एक दोस्त ने मुजे कोल किया।वो तलाक ले चुके थे।उनका तलाक ऐसा था कि हम 5 साल तक अलग रहेंगे।बाद में?मैने पूछा।मेरे पूछते ही उन्हों ने बताया तब तक आदत हो जाएगी या माफी मांग लेंगे।मेने कहा,मगर क्या आप साथ नहीं रह सकते?दोस्त गंभीर हो के बोला पिछले कई समय से में प्रयत्न करता था मगर वो समझ नहीं पाए। कुछ ऐसा भी आपने सुना होगा कि पति पत्नी बनके न जीने वाले अच्छे दोस्त बनके जीना सीख लेते हैं।दोस्त बने रहने क

એવું જ હોય...

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એક અદભૂત ખગોળીય ઘટના તા. ૩૧ જાન્યુઆરી, ૨૦૧૮ ના રોજ જોવા મળી.સંપૂર્ણ ચંદ્ર ગ્રહણની ઘટના જોવા મળી. આ ઘટનામાં ચંદ્રને ૩ કલાક અને ૧૯ મિનીટ માટે નભમાં જોઈ શકાશે. વિશ્વભરના અનેક ખગોળવીધો દ્વારા આ દિવસની રાહ વર્ષોથી જોવામાં આવી રહી છે. કારણકે આ ઘટના ૧૫૦ વર્ષે બાદ એક સાથે બે અદભુત ઘટનાનું નયન રમ્ય સંયોજન થયુ. જેમાં ગ્રહણની  સાથે ચંદ્ર લાલશ પડતો જોવા મળ્યો. જેને બ્લુ મુન કહેવામાં આવે છે. બ્લુ મુન એટલે  એક જ કેલેન્ડર વર્ષમાં ભારતીય માસની બે પુનમ આવે તેવી ઘટના. આ દિવસે ચંદ્ર પૃથ્વીની નજીકથી પસાર થશે. જેથી તે ૧૪% મોટો અને ૩૦% વધુ તેજસ્વી દેખાશે. જેને વિશ્વમાં ‘સુપર મુન’ તરીકે ઓળખવામાં આવે છે. આ ઘટના સાથે જ પણ બનવા  જઈ રહી છે.  કલ્યાણ પ્રાદેશિક લોક વિજ્ઞાન કેન્દ્ર, ભાવનગર પ્રેરિત ભાવનગર એસ્ટ્રોનોમી ક્લબ દ્વારા તા. ૩૧ જાન્યુઆરી,૨૦૧૮ ના રોજ સાંજે ૫. ૩૦ કલાક થી ૧૦.૦૦ દરમ્યાન તખ્તેશ્વેર મંદિર ખાતેસુપરમુન અને ચંદ્રગ્રહણનો નજરો કુલ ત્રણ ટેલીસ્કોપ ઉપરાંત પ્રોજેક્ટર દ્વારા લાઈવનિહાળવા માટેની વ્યવસ્થા કરવામાં આવી હતી. ભાવનગરના ખગોળરસીક જનતાને આ આદભૂત ઘટનાના નિહાળવા માટે કલ્યાણ પ્રાદેશિક લોક વિ

चंदा मामा

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અરે... ચાંદા મામા શરમાયા, જાણે પાછા ગભરાયા. ભલે ને થોડું શરમાયા, પણ,મારા ઉપર ઉભરાયા. 🙂 अरे... चंदा मामा शरमा गए, जैसे कि वो गभरा गए। भले ही थोड़ा शरमाए, मग़र,मेरे ऊपर उभराए। 👫 આજે જે જે સૌ ધાબે ચડ્યા, એમણે જીવન ના સત્ય જડયા. ભલે ક્યારેક તો જુઓ આ ચાંદા મામા. ભલે છુપાવું પડે,છાના માના. 🙂 आज जो लोग छत पर चढ़े, जैसे जीवन के सत्य वो पढ़े। भले कभीतो देखो चांदा मामा, भले छुपना पड़े,छाना माना। #we can મુમકીન હૈં... #we can मुमकिन हैं...