9 फरवरी: नेशनल पेड़ डे

कितने आदमी थे।
शोले

मोगाम्बो खुश हुआ
खुदा बंदे से खुद पूछे, बता तेरी रजा क्या हैं।

फ़िल्म हमारे जीवन मे असर करती हैं।अक्षय कुमार एक ऐसे एक्टर हैं जो नए विषय पर फ़िल्म बनाते हैं।उनकी एक नई फिल्म के बारे में आज चर्चा हैं।ये फ़िल्म 9 तारीख को रिलीज होने वाली हैं।आज कल उसी की चर्चा हैं।फ़िल्म,गाना या अन्य कोई विवाद नहीं हैं मगर जो बहुत चर्चा में है वो है विषय फ़िल्म का हार्द हैं। 
उसका नाम है पेडमेन
जो एक रियल स्टोरी पर आधारित है।अक्षय कुमार जो रोल अदा करते हैं उनका नाम हैं अरुणाचल मुर्गनाथं।उनके जीवन को आज अक्षय ने अभिनय दीया हैं।फ़िल्म आपको देखनी ही हैं।हो सके तो साथ में देखना।

मुर्गनाथ जी ने एक ऐसे विषय पे अपना जज्बा ओर विचार केंद्रित किया जिसकी हम बात भी नहीं करते।अरे,कई परिवार तो बच्चो से इसके बारेमें पूछने पर डॉटते हैं।आज मेरा मासिक धर्म हैं,तो में घर में काम नही करूँगी।अब बच्चा अगर पूछता हैं कि ऐसा क्यों तो डांटना सही हैं।अगर ऐसा सवाल न आये ऐसी अपेक्षा हैं तो घर मे अन्य दिवस की तरह सभी जगह काम करे।अरे,पढ़े लिखे लोग भी ऐसी बात करने में हिचकिचाते हैं। काम किया जैसे लोग बात करने पर भी संकोच करते है। जिस प्रक्रिया से,विश्व ने विकास किया हैं,अरे खुद हम पैदा हुए हैं उसमें भी शर्म।अगर मासिक धर्म न होता तो में न लिखपाता न आप उसे पढ़ते।फिर भी...

अब अक्षय कुमार और फ़िल्म की बात।मासिक धर्म पर बात करना फ़िल्म बनाना एक क्रांतिकारी विचारधारा है।उसमे अक्षय कुमार फिरसे खिलाड़ी नंबर 1 बने हैं।अब मुर्गनाथं जी के बारेमें देखते हैं।वो एक छीटे से शहर से हैं।शहर का नाम हैं कोयम्बतूर। वो एक सामान्य से भी नीची आर्थिक परिवार से आये।कह सकते हैं कि वो बहुत गरीबी से जुजटेबपरिवार से आये।गरीबी में बड़े हुए,गरीबी में पले हैं।अपने परिवार के साथ उन्होंने जिन शुरू किया।अपनी बीबी को वो कई बार कहते सुनते थे कि पीरियड्स के दौरान बहोत तकलीफ होती हैं।।उन्होंने ने अपनी पत्नीसे जाना कि पीरियड के दौरान क्या क्या तकलीफे है होती है। गरीब महिलाए बाजार में मिलनेवाले सेनेटरी नेपकिन का उपयोग नही कर सकती क्योंकि वो बहुत मंहगे होते है। कापड के टूकड़ो से इतनी स्वच्छता नहीं रहती।रोज सुबह उसे कहि छुपाके सुखाना पड़ता हैं।अब बगैर ताप से सूखने वाले कपड़ो में कितने कीटाणु होंगे?

अब आगे...ज्यादा पढ़ने वाले उसे बाजार से खरीद ते हैं।मगर कॉलेज नहीं करने वाले उस समस्या पे सोचते हैं।
बड़े कॉलेज की डिग्री न होने पर महिलाओं को पीरियड के दौरान होने वाली तकलीफो को ध्यान में रख कर उन्होंने कम क़ीमत में सेनेटरी नेपकिन बनाने का सोचा। एक मशीन बनाई। जो बाजार में मिलने वाले नेपकिन की तुलना में 3 गुना सस्ता नेपकिन बना सकती है।आज उसका अक्षय कुमार जी फ़िल्म में अभिनय कर रहे हैं वो व्यक्ति को एन.आई.एफ. के माद्यम से नवाचार को भेजा गया।एनआईएफ ने उस विचार को पसंद किया।भारत रत्न डॉ. अब्दुल कलाम सर के सपनो वाला एनआईएफ ऐसी सोच को खोजता हैं।हनी बी नेटवर्क,सृष्टि, gyain अरे...इस मिशन में कितने सारे लोग हैं।अपने इस विचार को 2006 में IIT NIF के माद्यम से भेजा गया। में ये मशीन बनाने का आईडिया दिया ओर NIF में इनोवेशन अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया।उनके इस विचार को नेशनल इनोवेशन एवॉर्ड भी मिला। उनको 2006 के बाद अपनी एक पहचान मिली।।2006उन्होंने जयश्री इंडस्ट्री की स्थापना की। आज भारत मे उनके 2000से भी ज्यादा मशीन पेड़ बनाने का काम कर रहे हैं।7000 से अधिक परिवार ओर  अनेक महिलाओ को रोजगारी दिलाई  है।उन्हें अपने इस काम के लिए भारत सरकार नेे 2016 में उन्हें पध्मश्री से सन्मानित किया है।

वो iim या iit में नहीं पढ़े है पर ये दोनों बड़ी संस्थामे मुर्गनाथजी लेक्चर ले चुके है।ऐसी संस्थाओ में अपनी बात रखने का मौका एनआईएफ या आईआईएम ही दे सकता हैं।ग्रास रुट हीरो या इनोवेटर्स ही सब के गुरु बनते हैं।यही है रियल लाइफ हीरो।

अक्षय कुमारजी फ़िल्म इंडस्ट्री के इनोवेटिव अभिनेता है। उन्होंने इसे विषय पे काम करके लोगो को अच्छा संदेश दिया है।ये मूवी आ रहा है 9 फ़रवरी को,क्या आप उसे देखना पसंद करेंगे?

क्या आप मेरे साथ ये फ़िल्म देखेंगे?
क्या आप इस जानकारी को शेर करेंगे?

@Dr माशेलकर सर
@Dr अनिल गुप्ता सर
#NIF
#IIM(a)
#$arakar

Comments

One of the best success story of our country.
Akshay played a fantastic Roal.
Toilet, Padman, Baby, Table No 23 etc
The best actor with innovative mind set and played beutiful Roal and we'll exicute..

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