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Showing posts from September, 2017

अब ऐसा होगा...

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आज कल चर्चा चलती हैं।पर्यावरण के लिए हर कोई व्यक्ति चर्चा कर सकता हैं।पेड़ लगाए और पेड़ों की सुरक्षा करें।आए ऐसे सुजाव हैं कि हर कोई दे सकता हैं।एक पोस्टर मुजे मिला।उसमें कुछ लिखा नहीं था।मगर जो चित्र ओर उसका विवरण लिखा हैं।उसे देखते ओर कुछ नहीं लिख सकते।एक पंखी पौंधे को कह रहा हैं।तुम्हारे पास अगर पानी नहीं हैं तो मेरे आंसु हैं।मेरे आंसुओ से ये तुम्हारा काम होगा।पोस्टर तो अच्छा हैं,मगर एक संदेश भी हैं की हमे पौंधे को पानी पिलाना होगा।वरना पोस्टर सही होगा। #पोंधो वाली सरकार।

INDIA Tv

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बच्चो के साथ काम किया।बच्चो के साथ काम करता हूँ।बच्चो के साथ काम करता रहूंगा।ये तीन विधान मेरे जिंदगी के विधान हैं।वर्ष 2016 में मुजे सृष्टि सन्मान मिला।मुजे राष्ट्रपति भवन पहुंचने के लिए निकलना था।बुखार के कारण हाल बेहाल था।में हैदराबाद से आया और दूसरे दिन दिल्ही के लिए निकलना था। बुखार हैदराबाद से ही मेरे साथ था।में घर पहुंचा।रात के 8 बजे होंगे।श्री विश्वास बासु ओर आनंद जयसवाल मेरे घरपे थे।INDIA Tv ओर LIVE न्यूज़ के लिए मुजे इंटरव्यू देना था।बुखार की उपस्थिति में मैने इंटरव्यू दिया।आप भी इसे पसंद करेंगे।आप को भी पसंद आएगा। आप के विचार महत्वपूर्ण हैं,इस लिए विचार और सुजाव मुजे भेजे। इंटरव्यू देखने के लिए क्लिक करें...

नवाब की नवाबी...

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कुछ दिन पहले की बात हैं।राजस्थानी संगीत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले नवाब जी।गुजरात के महेमान थे।केसर आइडल के माध्यम से वो गुजरात आये थे।इस फोटोग्राफ में जो सेल्फी ले रहे हैं वोही नवाब जी हैं।विश्व के कई देशमें उन्होंने संतूर बजाय हैं।आप को होगा कि संतूर बजाने में क्या बड़ी बात हैं।मगर इनके संतूर में जैसे भगवान का ठिकाना हैं।सिर्फ 20 मिनिट के अंदर हमे अनुभूति करवाते हैं। संगीत की मुजे विशेष जानकारी नहीं हैं।मगर संतूर से मुझेभी शांति की अनुभूति हुई।कुछ महीनों तक वो यूरोप के प्रवास में हैं।इन कार्यक्रम के आयोजन के लिए आप इनका संपर्क कर सकते हैं। श्री तेजश शाह डिरेक्टर,केसर आइडल MO:+91 9998004433

अन्नपूर्णा....

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क्या आप कभी भूखे सोये हैं।शायद ये सवाल ही गलत हैं।कोई भूखा नहीं सो सकता।भूख किसी को सोने नहीं देती।रोटी फ़िल्म में एक संवाद था इसमें रोटी के महत्व को राजेश खन्ना ने बहोत खूब पेश किया हैं।साउथ इंडियामें कुछ स्टेट ऐसे हैं जहाँ के लोगो को सरकार द्वारा भरपेट इडली मिलती हैं। मेने वो इडली तमिलनाडु में खाई हैं।गुजरात के बनासकांठा में ऐसाही कुछ हैं।अन्नपूर्णा रथ के माध्यम से श्री केसर सेवा की तहत ये काम चालू हैं।बनासकांठा जिला पंचायत के पूर्व प्रमुख ओर राजकीय व्यक्तित्व के स्वामी राजेन्द्र जोशी(राजू जोशी)इसे क्रियान्वित किये हुए हैं। केसर सेवा के नाम से एक रथ बनाया गया हैं।इस रथ के निर्माण में 6 से 8 लाख रुपया लगता हैं।ऐसे चार रथ आज पालनपुर ओर डीसा में चल रहे हैं।सबसे बड़ी बात ये हैं कि सिर्फ 2 रूपयो में भरपेट खिचड़ी मिलती हैं।एक बार दो रूपया देके आप भरपेट  खा सकते हैं। मेरी जब श्री राजू जोशी से बात हुई तो उन्होंने कहा,मेरी माँ का नाम केसर हैं।उन्हों गरीबो को,भूखे लोगो को खिलाने का शोख था।अब सही वख्त पे पोषणयुक्त खाना नहीं मिलेगा तो लोग अशक्त बनेंगे।होटल में मिलने वाला नास्ता 20 से 25 र

चौथा कोंन...?

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आज तक तीन बंदर के बारे में सुना था।आज से पहले तीन बंदर की बाते ओर कहानियां सुनते आ रहा हूँ।सुनाते आ रहा हूँ।आज किसी ने मुझे चार बंदर वाले पोस्टर भेजा।तीन तो हमे मालूम हैं।आए चौथा वाला मोबाइल लेके बेठा हैं।आज कल हर चार व्यक्ति में से तीन मोबाइल पे व्यस्त होते हैं।कई लोग काम भी करते होंगे।एमजीआर ज्यादातर लोग बस ऐसे ही डेटा ओर समय बरबाद करते हैं।आप के आसपास ऐसे कुछ नए ओर दूसरे साथी होंगे जो हमारे चौथे बंदर होंगे।आप भी इसे चौथे बंदर तक पहुंचाए। #मेरे बंदर,मेरे विचार...

कोंन लिखेगा...?

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एक फोटोग्राफ मिला। किसी दोस्त ने भेजा हैं। श्री रविन्द्र अँधारिया ने इसके बारे में फोटो के साथ कुछ लिखा था।अब मेरी बात।में भी लिखता हूं।139 से अधिक पुस्तक लिखे हैं।बच्चो का साहित्य तो यहाँ किलो के भाव से बिकते हैं। में तो खुश हूं कि इस तरीके से भी तो ये बेचते हैं।और हा, किताबो का इस तरीके से बिकना कोई नई बात नहीं हैं।मगर में खुश हूं कि बच्चो की किताब बेची जा रही हैं।

कश्मीर में शिक्षा....

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कश्मीर। हमारा हैं। हमारा स्वर्ग हैं। कुछ दिनों पहले विश्वग्राम के फाउंडर श्री संजय कश्मीर गए हुए थे।संजय:तुला समग्र देशमें सन्मान जनक नाम हैं।गांधी विचार को फैलाने के लिए संजय:तुला काम कर रहे हैं।उनके साथ अन्य सभी थे।संजय अपने काम के लिए पहचाने जाते हैं। वो कहते हैं 'हमारे सदस्यों को  एक ही काम करना था,कश्मीर के लोगो का प्यार पाना था।'सिर्फ कश्मीरियों का प्यार ही क्यो?इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं 'कश्मीर के स्कूलमें बच्चो के हीरो अशरफ वानी हैं।प्रत्येक स्कूल के बेचमें वानी का नाम लिखा होता हैं। वहां के लोगो के दिमाग से कश्मीर भारत का हिस्सा हैं वो याद करवाने की आवश्यकता हैं।श्री संजय के साथी सारा दिन पपेट्स ओर ऐरोगामी ओर अन्य खेल के माध्यमसे उन लोगो से जुड़ना चाहते थे। गाँधीविचार ही देश और परदेश में शांति का प्रतीक बना हैं तब जाके श्री संजय:तुला गांधी विचार से समर्पित जीवन जी रहे हैं।पीछेले कई सालों से विश्वशांति के लिए विश्वग्राम से जुड़ के वो काम कर रहे हैं। आपको ये पढ़के होता होगा कि में बार बार संजय:तुला क्यो लिख रहा हूँ।श्री संजय के साथ उनकी जीवनसाथ

शिक्षा और वृद्धाश्रम....

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आज कल शिक्षामें कई नबचार हमे मिलते हैं।आजकल हमारे देशमें नई शिक्षा नीति की चर्चा हैं।इस चर्चामें हम जुड़ेंगे।सबसे पहले तीन सवाल हैं। 1.क्या शिक्षा से सुधार होगा? 2.शिक्षा की पॉलिसी से असर होगा। 3.क्या शिक्षा नीति से देश बदल सकता हैं? ये तीन सवाल ऐसे हैं जिसे कोईभी हा कहके बात खत्म करेगा।इस वख्त हा कहने वाले मिलेंगे एमजीआर उसका परिणाम क्या ओर किसे मिला वो कहने को कोई जवाब नहीं हैं। मेरी एक दोस्त के साथ इस विषय पर बातचीत हुई थी।मेरा सवाल था 'शिक्षामें पॉलिसी का असर होता हैं?'मेरे इस सवाल के जवाब में उन्होंने मयजे एक जानकारी और फोटो भेजी हैं। बात ये हैं कि  इंडोनेशियामें एक भी वृद्धाश्रम नहीं हैं।क्योंकि इसकी शिक्षा पॉलिसी ही ऐसी हैं।यहां स्कूलमें सप्ताह में एक बार पेरेंट्स को बुलाकर उनके बच्चों से उनके पेर धुलवाते हैं।जिनका मानना हैं कि इसी बजह से हमारे देशमें वृद्धाश्रम नहीं हैं।

मेरी टीम...मेरा दिमाग

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क्रिएशन... क्या क्रिएशन हैं। सिर्फ चित्र ही सबकुछ कहता हैं।किसी भी सफलता के लिए इसे समझना जरूरी हैं।सफलता व्यक्तिगत होती हैं मगर उसके पीछे कई लोग जुड़े होते हैं।किसी भी गेम इवेंट में मेडल या ट्रॉफी कैप्टन के हाथमें दी जाती हैं।मगर उसके पीछे सभी का योगदान होता हैं।हमे हमारे साथी कोंन हैं ये स्पस्ट करलेना चाहिए। में ओर मेरी टीम... मेरी टीम मेरा दिमाग... 7रंगी से जुड़े सभी के लिए....

ICT में जोडाक्षर

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पहले शब्द था विद्या। बादमें शब्द मिला शिक्षा। इस शब्द को मिलने के कुछ दसको के बाद नया शब्द मिला टेक्नोलॉजी।उसके बाद एक नया शब्द सुना ET याने एज्युकेशन ऐंड टेक्नोलॉजी।उसके बाद आया ICT याने इन्फॉर्मेशन एज्युकेशन टेक्नोलॉजी। आज में आप को ICT के बारे में कहूंगा।12.09.2017 की बात हैं।भारत सरकार के MHRD से सेक्रेटरी श्री अनिल स्वरूप सर गुजरात के महेमान थे।गुजरात के ICT से जुड़े इनोवेटिव टीचर्स को यहाँ निमंत्रित किया गया था। मुजे यहाँ प्रेजेंटेशन करने का समय मिला।मेने आज तक के मेरे नवाचार ओर उसके प्रचार प्रसार में ICT के सहयोग के बारे में बात की।में आप को में बताऊ की ICT  के काम के लिए बुलाए गए सभी में सबसे कम समज मेरी थी। मेने यहाँ खूब सीखा। #Thanks GCERT

UNICEF ओर sristi

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आजकल नए विचारों के लिए कुछ खास होता हैं।श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद,याने पिछले 3 सालमें इस शब्द का चलन बढ़ा हैं।आजकल भलेही उस शब्दका चलन बढ़ा हो,मगर सृस्टि ऑर्गेनाइजेशन पिछले कई सालों से इस काम में लगा हैं।आजतक कई विचारको के साथ बच्चो के साथ भी काम करती हैं। विश्वमें सबसे अधिक इनोवेटर्स का ठिकाना ढूंढने की काबलियत रखनेवाले इस ऑर्गेनाइजेशन की बजह से आज पूरे विश्वके नवाचार के शोधक इस संस्थान से जुड़े हैं।बच्चो के लिए नवाचार सबमिट करवाने के लिए ऑनलाईन फोरम तैयार हो रहा हैं।श्री अनिल गुप्ता के सीधे मार्गदर्शनमें इस काम को आगे बढ़ाया जा रहा हैं।इस काममें मुजे भी अवसर प्राप्त हुआ हैं।मेरे करीबी दोस्त और V Tv गुजराती के एंकर जे. डी.चौधरी ने मुजे आज ये लिंक भेजी हैं।आप भी इसे देखे।आप के सुजाव भी पहुंचाए। वीडियो देखने के लिए क्लिक करें...। #नए विचार,अपनी सरकार...

मेरी खुशी...

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एक खूबसूरत गाना हैं। बच्चे तो भगवान की सूरत होते हैं।वैसा आप फोटोग्राफ में देख सकते हैं।एक छोटा बच्चा।कहते हैं कि बच्चा अनुकरण से भी शिखता हैं।ये बच्चा सुरेंद्रनगर के दसाडा के पास रहता हैं।उसकी सायकल में एक टायर नहीं था।टायर वाली साइकल भी रेतमें हम नहीं चला सकते।अपनी खुशी के लिए आए बच्चा आज निकला हैं।हो सकता हैं शायद गुनगुनाता हो... छोड़ो कलकी बाते....नई बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे....मिलकर नई कहानी।

तो...पगार कटेगा

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आज पोस्टरमें लिखा हैं।आप पढ़ेंगे।अपने आपको सिर्फ हम खुद ही बचा सकते हैं।ये सुनने को ओर स्पिचमें कहने को अच्छा हैं।मगर ये भी हैं कि हम सामाजिक व्यवस्था से जुड़े हैं।कल मेने लिखा था,ऐसे देश के बारे में लिखा था जहाँ एक भी वृद्धाश्रम नहीं हैं।अपने देशमें भी नहीं होने चाहिए।समाज को साथ रखने की जिम्मेदारी सबकी हैं। कुछ दिनों पहले आसाम के एक मंत्रीजी का निवेदन था।उसमें लिखा गया था की जो माता पिताको वृद्धाश्रम में छोड़ेगा उसकी तनख्वा काट ली जाएगी।दिव्यांग भाई बहन को साथमें न रखने वाले सरकारी कर्मचारी की तनख्वा 10% काटली जाएगी।आज नहीं तो कल...सभी सरकार ऐसा करेगी तो परिणाम अवश्य मिलेगा। #अनाथ सरकार...

जापान क्यों...!

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राज कपूर भारत के ऐसे अभिनेता थे जो जापान में भी  अति लोकप्रिय थे।मेरा जुता हैं जापानी,ये पतलून इंग्लिश तानी,सरपे लाल टोपी रूसी फिरभी दिल हैं हिंदुस्तानी। जापान....लव इन टोकियो।ऐसे कई गाने हैं।आज हम गाने की या राज कपूर की बात नहीं करेंगे।आज हम जापान से जुड़ी कुछ विशेष बाते शेर करेंगे।         आप को आज जापान से जुड़े, कुछ रोचक तथ्य बताएंगे।हो सकता हैं शायद इसके बारें में  आप न जानते हों! जापान में हर साल लगभग 1500 भुकंम्प आते हैं! ! मतलब कि हर दिन चार भूकंप आतेही हैं।ये देश ऐसा हैं जो  मुसलमानों को “नागरिकता” न देने वाला, "जापान"प्रथम राष्ट्र है। यहाँ तक कि, "मुसलमानों" को जापान में, किराए पर मकान भी नहीं मिलता।ओर हाँ,जापान के किसी "विश्वविद्यालय" में "अरबी" या अन्य कोई" इस्लामी भाषा", नहीं सिखाई जाती। आए तो हुई एक बात।आप को ये जानकर खुशी होगी कि कुत्ता पालने वाला, प्रत्येक जापानी नागरिक, उसे घुमाते समय, अपने साथ एक विशेष बैग रखता है !! जिसमें वह उसका मल, "एकत्रित" कर लेता है। जापान की शिक्षा व्यवस्था कुछ खास हैं।वह

शोधयात्रा

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शोध करने के लिए यात्रा। शोध करने का सीखने की यात्रा। नई शोधों को खोजने की ओर फैलाने की यात्रा।अबकी बार 40 वी शोधयात्रा शुरू होगी।इस बार की शोधयात्रा कश्मीरमें होगी।गुरेज वेली के ऐरियामें 40 वी शोधयात्रा होगी।ये यात्रा 27 अक्टूबर से 2 नवम्बर 2017 तक आयोजित होगी।शोधयात्रा से जुड़ी ओर जानकारी के लिए आप संपर्क कर सकते हैं। श्री रमेश पटेल सेक्रेटरी,सृष्टि Mo:09825061138 श्री चेतन पटेल को.कॉर्डिनेटर शोधयात्रा Mo: 09227447243 डॉ.भावेश पंड्या को.कॉर्डिनेटर सृष्टि इनोवेशन 09925044838

समानता और न्याय

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हम लोकशाही देशमें हैं। हमारी लोकशाही विश्वमें सबसे बड़ी लोक शाही हैं।हमारे बंधारण में सभी को समान बताया गया हैं।सभी को समान अधिकार मिले हैं।आप ने देखा होगा कि समानता से सभीको एक सी सुविधा मिलती हैं।कई समस्याएं ऐसी आती हैं कि जिसमें न्याय की आवश्यकता पड़ती हैं। धर्म,जाती,आर्थिक और लिंग के साथ भाषामें भी भिन्नताएं देखनेको मिलती हैं। आज अनामत के नाम से बार बार बंधारण को कटघरे में रखा जाता हैं।समानता से एक सी सुविधा प्रदान होती हैं।सवाल ये हैं कि क्या समानता से विकास होगा।अनामत का उद्देश्य समानता देना हैं।मगर इस चित्र को अनामत के संदर्भ में देखे तो हमे मालूम पड़ेगा कि अब समानता की नहीं न्याय की आवश्यकता हैं। #Bनोवेट सरकार

Gcert or Essar

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आज शिक्षा का जमाना हैं।हमारे आसपास कई लोग ऐसे हैं जो कुछ नया करते हैं।गुजरात की सरकारी स्कूलमें हुए नवाचार को अब एस्सार ओर GCERT दोने साथ में मिलके आगे बढ़ा रहे हैं। इस काम में मुजे जुड़ने का मौका मिला।जो अध्यापक अच्छा कर रहे हैं,जिन्होंने नवाचार किए हैं और उसका परिणाम मिला हैं। उनकी क्या समस्या थी? इस समस्या के लिए उन्होंने क्या किया? ऐसी कई सारी बातें हमने 11 से 13 के बीच रिकॉर्ड करी।एस्सार से वल्लरी मेम ओर मेहुल जी इस कार्यमें जुड़े।आप भी आपके नवाचार भेज सकते हैं। #Bनोवेशन

इंडोजापान...

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इंडिया.... जापान.... इंडोजापान।पिछले कुछ दिनोंसे जापान के बारेमें भारत के बारे में हम बात कर रहे हैं।बुलेट ट्रेन भारतमें भी शुरू होगी।हमभी चीन और जापान के साथ बुलेट ट्रेन वाले एशियाई देश बनेंगे।हम जापान जैसा करना चाहते हैं।मेरी शुभकामना हैं,में भी सरकार के प्रयत्नोमें सहयोग करूँगा। जापान के बारेमें कुछ जानकारी हैं।ये रोचक जानकारी हैं। जापान एक मात्र देश हैं जिसके ऊपर परमाणु बम दागा गया हो।हप्तेमें दो बार ही कूड़ा लेनेको व्यक्ति आता हैं।एक दिनमें 3 से 4 भूकंप के जटके आते हैं।जापान में रोड के ऊपर बिल्डिंग बनाई जाती हैं।नीचे से गाड़ी निकलती हैं।यहां 94%मोबाइल फोन वोटर प्रूफ हैं।जापान में पहले देश बादमें धर्म हैं।विश्वमें सर्वाधिक टेक्नोलॉजी जापान की हैं।जापान अपने आपमें एक महासत्ता हैं। तकनीकी बातोंमें जापान को कोई नहीं पहुंच सकता हैं।आज बुलेट ट्रेन की चर्चा हैं।ये बुलेट ट्रेन ओर इसके लिए पैसा जापान देगा।राजनीतिक तौर पे ये चीनको चांटा हैं।आशा हैं इंडोजापान नया हिंदुस्तान बनाएगा। #जापान सरकार

समय:गलती

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दुनियामें कोई ऐसा नही,जिसने कभी गतली न कि हो।हम भी कभी कभी गलती कर लेते हैं।मेने कहि एक बात पढ़ी थी।उसमें लिखा था, 'अगर गलती हमारी हैं तो हम उसे भूल जाते हैं,अगर गलती किसी ओर की हैं तो उसे हम कई बार सामने वाले से रूबरू करवाते है।हा, गलती करने से आज तक कोई नहीं बचा हैं।जब गलती करने के बाद भगवान हमे दुसरी चांस देता हैं तो हमे वोही गलती नहीं दोहरानी चाहिए। गलती से यक्ती शिखता हैं।गतली से व्यक्ति बढ़ता हैं।मगर ये तब होता हैं जब हम गलती से सीखते हैं।ऐसा तब होता हैं जब हमसे वो गलती फिरसे न हो। गलती के माध्यम से शिखना यानी सही शिखना।आज हम जो सही करते हैं,उसके पीछे कभीन कभी हमारी गलती हुई होगी। #गलती स्कूल...

सप्तरंगी संगीत

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संगीत ईश्वरकी शक्ति हैं। संगीत एक स्किल हैं और भगवानका आशीर्वाद हैं।पिछले 15 सालोंसे संगीत की शाम के बारेमें यहाँ सब सोच रहे थे।कई बार प्लानिग हुआ,कई लोगोने सहयोग दिया।मगर ये हो नहीं पाया।कहते हैं कि अच्छे विचार होने से परिणाम मिलता हैं।कल 9 सेप्टेंबर को ये प्रोग्राम संपन हुआ। डिसा के 19 कलाकारों को पसंद किया गया।सभी ने रिहर्सल किया।गाने ओर बजाने वाले सभी आर्टिस्ट डीसा के ही थे।श्री आशुतोष दवे,श्री दीपक भाऊ,श्री हितेश जोशी ने संगीत का आयोजन किया।हमारे सप्तरंगी फाउंडेशन ने सभी को एवॉर्ड से सन्मानित किया। सप्तरंगी फाउंडेशन के सात स्किल मेंसे एक संगीत के लिए ये पहला कार्यक्रम हम कर पाए।जुड़ने वाले,सभी सहयोगी ओर बड़ी संख्यामें उपस्थित संगीत प्रेमीयो का शुक्रिया। #संगीत:सप्तरंगी।

स्कूल में भगवद गीता

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आज कल शिक्षामें कई नवाचार होते हैं।कई बड़े संकुल घोड़े पर बिठानेकी 3 लाख फीस लेते हैं।गधे जैसे पेरेंट्स इसके लिए फीस देतेभी हैं।क्या घोड़े से बैठने के इतने पैसे सही हैं।बनासकांठा के दीस शहर के पास एक छोटासा गाँव हैं।गाँवका नाम रानपुर हैं।वैसेतो तीन रानपुर आपसमें हैं।इसलिए इस रानपुर को रानपुर वाचला वास(विचवाला)कहते हैं। यहाँ एक हाईस्कूल हैं।श्री गोपाल जोशी इसके प्रधान अध्यापक हैं।कई हाईस्कूल वाले कहते हैं कि हमारे यहाँ जो बच्चे आते हैं,वो गुजराती पढ़ नहीं पाते।यहाभी ऐसा होता होगा।वो उस समस्या को हल करने के अलावा एक काम और भी करते हैं।उनके संकुल में दाखिल होनेवाले सभी बच्चों को वो भगवद गीता का पुस्तक देते हैं।उन्होंने ऐसी व्यवस्था बनाई हैं कि हर बच्चे जो यहाँ पढ़ते हैं वो भगवद गीतको मुखपाठ करते हैं।संकुल के सभी विद्यार्थी पूर्ण भगवद गीता मुखपाठ करते हैं,बोल सकते हैं।ये बच्चे भगवद गीताके बारेमें हमे समजा पाते हैं। नवगुजरात समय के लिए श्री पंकज सोनीजी ने जो रिपोर्ट बनाया था,में भी उनके साथ जुड़ा था।छोटे से गाँव में ऐसी हाईस्कूल को देखना आपको पसंद आएगा। जय भगवद।

शिक्षा मेरा शोख ....

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आजकल किसी को कहे की आपका शोख क्या हैं?इस सवाल को सुनते ही हमे कुछ ऐसे जवाब मिलते है जो तय होते हैं!जैसे की खेलना,पढ़ना,गुमना,संगीत और ऐसे कई सरे जवाब मिलते हैं!अगर ऐसे व्यक्ति को उसने जो शोख दर्शाया हैं उसके आधार पे कुछ काम दिया जाय तो हमें मालुम पड़ता हैं की अपने शोख्में बताई कोई क्रिया ये व्यक्ति नहीं कर सकते हैं!आसपास देखा जाए तो की सरे लोग ऐसे हैं जो शोख न होने के बावजूद भी वो काम अच्छी तरह से करते हैं! काम को दो तरीके से देखा जाता हैं! एक काम ये हैं जो की हम अपना परिवार चलने के लिए करते हैं!दूसरा काम हम शोख से करते हैं!दोनों काम के नतीजे अलग अलग हैं! किसी से हमे खुशी मिलाती हैं तो किसीसे हमें पैसा!खुशी और पैसा दोनों हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं!ऐसे महत्वपूर्ण बातों को हमें सिर्फ दिखाना नहीं उसे जीवनमें उतारनी होती हैं!ऐसी बातें जो सुननेमें अच्छी लगाती हैं मगर उसके ऊपर काम करने से हमें पता चलता हैं की शोख निभाना और उसे बनाये रखना भुत मुश्किल हैं!जो मुश्किल से बहार आता हैं वो सफल होता हैं!अगर थोड़े दिनोमें सफलता मिलती तो सिर्फ गुजरातमें कई सरे चित्रकार और संगीतकार होंते!सिर्फ कुछ

गाँधी जी की मस्ती...

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हम छोटे थे। एक कहानी हमे कहि जाती थी। बात ऐसी की एक बार भगवान और राक्षसों ने एक साथ भोजन लेनेका आयोजन किया।सबसे पहले राक्षशो की बारी थी।शर्त ये थी कि अपने हाथ को मोड़ना नहीं हैं।अब राक्षश खड़े होकर खाना उछालने लगे।बात ये बनी की कोई खा न पाया।दूसरे दिन भगवान को न्योता मिला।कई सारे भगवान थे।उनके लिए भी शर्त ये थी कि अपने हाथ नहीं मोड़ने हैं।भगवान एक दूसरे के सामने बैठे।उन्होंने हाथ मोड़े बिना भरपेट खाना खाया। आज गांधीजी को मजाक बनाया जाता हैं!एक सवाल किसीने किया,किसी ओरने उसका मजाक बनाया!आज ऐ गुमता फिरता मुज तक पहुंचा!क्या आप मानते हैं की किसी बच्चे नें ऐसा जवाब दिया हो?ऐसे कई सवाल पैदा होते हैं!उसके जवाब भी ऐसे हम टी करते फेलाते हैं!गाँधी जी का जन्म कहा हुआ था?बच्चे लिखते हैं 'घर में...'मजाक के लिए ये सब ठीक हैं!मगर मजाक बनाने वालो को ऐसा नहीं करना चाहिए!क्या हया दिया गया पोस्टर और बच्चे के बारें में हम सहमत हैं की उसने ये जवाब दिया होगा? जो भी हैं,ये गलत हैं!में ये मनाता हूँ की जो बच्चा सवाल पढ़ सकता हैं वो ऐसे तो नहीं लिख सकता!फिरभी आप सबके सामने में विचार आपसे शेर करत

निर्माण चेनलमें निर्माण....

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वर्ष 2006। मेरा लिम्का बुकमें रिकॉर्ड हुआ। उस समय Etv गुजरात ने मेरा कवरेज किया था। उस समय,यानी 2006 से आज तक मे सोचता था कि कोई न्यूज़ चेनल उससे जुड़े।बच्चो के प्रोग्राम हो।कोई इसे स्पॉन्सर करें।जब भी किसी चेनल से इसके लिए बात चली,हमे फाइनांस की समस्या सामने आई। आज 2017 हैं।आज हमारे 40 एपिसोड तय हो चुके हैं।हमें फाइनांस की भी समस्या नहीं हैं।गुजरात की सभी चेनल्स को हम मील।सबसे पहले एक सवाल आताथा।बच्चो के ग्रासरूट इनोवेशन के लिए कोई सीरीज बनाने को तैयार नहीं था। मेरी बात श्री सतीश मोरी से चली।आज वो GTPL में कार्यरत हैं।उन्होंने सीधे ही हा कहि,ओर चेनल हेड श्री पी.सागर राव को मिलवाया।उन्होंने मेरी प्रपोजल सुनी।हम जिस अपेक्षा से गये थे,उससे दुगना हमे मिला।श्री सागर ने हमे दुगना इस तरह दिया कि हम एक एपिसोडमें दो व्यक्ति या इनोवेटर्स लाना चाहते थे।उन्होंने मुजे एक एपिसोडमें एक व्यक्ति के बारेमें एपिसोड बनाने का सुजाव दिया। 15 अक्टूबर से हमारा सीरीज शुरू होगी।इस कार्यमें मुजे सहयोग देनेवाले श्री मानु चावड़ा(v tv)श्री दिनेश सिंगव(GSTV)श्री पंकज सोनीजी(गुजरात टाइम्स) ने सहयोग दिया।

No problame...

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हम कुछ नया करना चाहते हैं।उस वख्त हमारी बात कोई समझने को तैयार नहीं होता।हम कुछ करें और इसके लिए हमे शाबाशी मीले तो हम खुश होते हैं।कई बार ऐसा होता हैं कि कोई हमारी बात सुननेको या आमजन को तैयार नहीं होता। ग्रेहाम बेल।एक संशोधक ओर शोधक।उन्होंने टेलीफोन की शोध की।यहाँ सवाल ये हैं कि जिसने टेलीफोन की शोध कीथी वो सुन नहीं पाते थे।उनके घरमे उनके अलावा बीबी ओट बच्चे थे।बीबी सुन नहीं पाती थी,बच्चा पागल था।उनके इस मशीनके बारे में किसने माना होगा कि एक बहेरा आदमी टेलीफोन की शोध करेगा!एक तरफ दुनियामें सबसे अधिक सदस्य वाली भारतीय जनता पार्टी हैं।एक सोचने वाली बात ये हैं कि भाजपा या जनसंघ की स्थापना कितने लोगोने कीथी? बस,अपने काम में लगे रहे।हमे को देखता या सुनता हैं वो महत्वपूर्ण बात नहीं हैं।लगन से नियत अनंत की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहें। #आपका महत्व...

याद रखूंगा...

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में बहोत कुछ भूल सकता हूँ।में आज तक बहोत कुछ भूल चुका हूं।कुछ ऐसा भी हैं कि में भूलना नहीं चाहता।ओर भूलबी नहीं पाऊंगा।मेरे एक साथिने मुजे ये पोस्टर भेजा,वो दोस्त सवाल वाला दोस्त हैं।सवाल न हो तो वो कुछ सेंड नहीं करता।सवाल ये था कि हमे क्या भूलना चाहिए और क्या याद रखें। सवाल तो मुश्किल हैं।सबसे पहले मेने उसे सवाल किया।मेरा सवाल था भूलना क्यो हैं।ऐसा भी हो सकता हैं कि याद रखके जिया जाय।मगर याद रखके जीने से बहेतर हैं भूल के जिया जाय। में ये भी मानता हूं कि ऐसा याद रखो जो जीवन में आगे जाके जरूरी हो।जीवन और व्यक्तिगत विकास में सहयोगी हो।ऐसा भूलना चाहिए जो हमे काम से दूर करता हो,कर्तव्यों को निभाने में अड़चन करती बातो को भूलना चाहिए।मुजे मेरे परिवार के साथ रहकर मेरे प्रति जिम्मेदारी बढ़ाने वाले विचार और व्यक्तिको याद रखना चाहिए। #मेरा विचार:मेरी सरकार

क्या कहते हैं...

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हम रोज नई जिंदगी जीते हैं। हम रोज नया काम करते हैं या नया दिन हमारा पुराने तरीको से खत्म होता हैं।कि सारे काम ऐसे होते हैं कि हम नहीं करते।कुछ नया करने में हमे डर होता है।लोग क्या कहेंगे। कहने वाले तो कहेंगे।हमे कहने पर नहीं,देखनेपर जाना हैं।उन्होंने क्या किया हैं।कई लोग ऐसा करते नहीं हैं,सिर्फ दूसरो को दिखाते हैं,सुनाते है या अड़चन खड़ी करते हैं। ज्यादातर ये होता हैं कि कुछ करते समय किसी गलती से कुछ काम अच्छा नहीं होता हैं।इस बात को लेकर बादमें हमे ताने सुनने पड़ते हैं।ताने सुनाने वाले का एक ही काम हैं।ताने मारना।भगत हमे तो ओर भी काम करने हैं।हम नए काम को लोगो के कहने से नहीं छोड़ सकते। #काम

प्रथम नागरिक ओर हम...

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हम देश के नागरिक हैं।हमारे देशमें बंधारण हैं।जिसके तहत सबसे पहले नागरिक राष्ट्रपति हैं।इसके बाद दूसरा नंबर ,तीसरे....वैसे कुल मिलाकर 26 नंबर जाते हैं।इसके बाद भारत की आम जनताका हैं। भारत का प्रथम नागरिक राष्ट्रपति होता हैं और 27वें नागरिक भारत की जनता, जानिए इसके बीच कौन-कौन आता है ! हाल ही में भारत के राष्ट्रपति। श्री रामनाथ कोविंद भारत के 14वें राष्ट्रपति ।आज वो गुजरात से गये।राष्ट्रपति बनने के बाद उनका पहला मुकाम गुजरात बना।भारत के संविधान के अनुसार भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है और आम जनता 27वें स्थान पर है, तो इस बीच किनका नंबर आता है ? आपको बता दें भारत के संविधान के अनुसार एक पूरी लिस्ट तैयार की गयी है जिसमें यह बताया गया है कि पहले स्थान पर कौन है और उसके बाद 27वें स्थान तक कौन-कौन है।ये जानकारी आपको काम आएगी। चलिए आपको पूरी लाइट दिखाते हुए बताते हैं किसका कौनसा स्थान है। पहला नागरिक– देश के राष्ट्रपति को पहला स्थान दिया गया है. यह परम्परा बहुत पुरानी है. इस समय भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं. 2th नागरिक– आपको बता दें इस समय भ

जीवन की समज...

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में तुमसे प्यार करता हूँ। में तुम्हे पसंद करता हूँ। ये दो शब्द आपने पढ़े होंगे।समजे होंगे और सुने होंगे।एक बार एक व्यक्तिने बुद्ध से कहा,भगवान में प्यार करता हूँ और चाहता हूं, इन दोनोंमें फर्क क्या हैं।ये सुनकर भगवान बुद्धने कहा 'अगर तुम किसी पौधें को पसंद करते हैं,उस समय आप उस पौधेंको हाथमें पकड़के देखते हैं।मगर जब आप पौधें को प्यार करते हैं तब आप उसे रोज पानी पिलाते हैं। हाथमें पकड़के देखना उसे पसंद करना और उसे नियमिय रूपसे पानी देना हमारा प्यार हैं।सदैव अपने विचारोंको पानी देते रहना चाहिए,क्योकि हम उसे पसंद नही करते।हम हमारे विचारों को प्यार करते हैं। #विचारो से प्यार...

हग क्यो किया...

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              कुुुछ दिन पहले की बातहैं।हमारे देश के उपराष्ट्रपतिपर के लिए चुने गए मुप्पावारपु वेंकैया नायडू अपने वाक चातुर्य और बुद्धिमानी के लिए जाने जाते हैं। उनके वाक चातुर्य का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रत्याशी घोषित होने से कुछ सप्ताह पहले मई में पार्टी के एक कार्यक्रम में उत्सुक पत्रकारों ने उनसे सवाल किया था। कुछ समाचारपत्रों और टीवी चैनलों द्वारा अप्रैल माह से ही नायडू को उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित दावेदार बताया जाने लगा था। 30 मई को पत्रकारों ने जब इस संदर्भ में उनसे सवाल किया था तो उन्होंने चिर-परिचित शैली में जवाब देते हुए कहा था, 'न मैं राष्ट्रपति बनना चाहता हूं, न उपराष्ट्रपति.. मैं सिर्फ 'उषा-पति' बनकर खुश हूं।' उषा नायडू की पत्नी का नाम है। किसान घर में जन्मे, युवा हुए तो संघ से जुड़े आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में एक किसान परिवार में पैदा होने वाले नायडू बचपन में खेलने के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। एक मामूली कार्यकर्ता से सफर शुरू करने वाले 68 वर्षीय नायडू भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक पहुंचे। उन्हें प्रधानमंत