जीवन की समज...
में तुमसे प्यार करता हूँ।
में तुम्हे पसंद करता हूँ।
ये दो शब्द आपने पढ़े होंगे।समजे होंगे और सुने होंगे।एक बार एक व्यक्तिने बुद्ध से कहा,भगवान में प्यार करता हूँ और चाहता हूं, इन दोनोंमें फर्क क्या हैं।ये सुनकर भगवान बुद्धने कहा 'अगर तुम किसी पौधें को पसंद करते हैं,उस समय आप उस पौधेंको हाथमें पकड़के देखते हैं।मगर जब आप पौधें को प्यार करते हैं तब आप उसे रोज पानी पिलाते हैं।
हाथमें पकड़के देखना उसे पसंद करना और उसे नियमिय रूपसे पानी देना हमारा प्यार हैं।सदैव अपने विचारोंको पानी देते रहना चाहिए,क्योकि हम उसे पसंद नही करते।हम हमारे विचारों को प्यार करते हैं।
#विचारो से प्यार...
#विचारो से प्यार...
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