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Showing posts from September, 2018

मेरी सोच और...

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एक दोस्त। उन्होंने  आखिरी बार उनके साथी से बात की।जब उनकी बात हुई उस के बाद वो संपर्क नहीं कर पाए हैं। अब जब बात होगी तो उनमे जागड़ा नहीं होगा,क्यो की जगड़े की बजह से उनसे बात नहीं होती थी। अब कुछ दिनों बाद। आज दोनो साथ हैं। दोनो दोस्त साथ बैठकर बात करते हैं।उस वख्त किस बात पे झगड़ा हुआ था? आज किसी को मालूम नहीं हैं,न पूरी कोई बात याद हैं। अक्सर दो  दोस्त, सहकर्मी या जीवन साथी के बीच ऐसी अनबन होती रहती हैं। ये भी जीवनका ओर कर्म का सिद्धांत हैं। जब खाना सामने होतो उसकी कदर नहीं होती,मगर जब जरूरत होती हैं तो हमे चावल भी पसंद आते हैं। ऐसी अनबन से काम और प्यार में बढ़ोतरी होती हैं।  होगा ये की जब अनबन हुई हैं तो पहले बात कोन करेगा। मेरा मानना ये हैं कि पहले ओर दूसरे की कोई बात नहीं है। जब आप बात करने की कोशिश करेंगे, तो आपको एक खराब प्रतिक्रिया मिली होगी, ये परिवर्तन  सहज है, जो हो सकता है, इसलिए कृपया इसे रोकना नही है। मन के विचारों को रोकने से वो स्प्रिंग जैसे हो जाते हैं। जितना दबा के रखेंगे,उतनी तेजी से उछलेंगे। जब बहोत सारे विचार एक साथ इकठ्ठे होकर नकारात्मक रूप लेते हैं

समस्या और समाधान

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एक बहुत ज्यादा जटिल समस्या आपको बहुत ज्यादा परेशान कर सकती है और इसे हल करना आपके लिए काफी कठिन भी हो सकता है। अगर आपके सामने एक-से ज्यादा समस्याएँ हैं, तो उन्हें छोटे-छोटे भागों में बाँट लें और फिर एक-एक कर के उनका सामना करें। अगर आप अपनी समस्या को छोटे-छोटे भागों में बाँट लेंगे, तो इससे आपको इनके हल की तलाश करने में आसानी होगी। भले पूरी समस्या हल न हो, उस के बारेंमे जानकर भी कुछ अच्छा कर सकते हैं।   जैसे कि, अगर आपको किसी क्लास को पास करने के लिए बहुत सारे असाइनमेंट्स पूरे करने हैं, तो पहले इस बात पर ध्यान लगाएँ, कि आपको कितने असाइनमेंट पूरे करने हैं, फिर उन्हें एक-एक कर के पूरा करने की कोशिश करें। सिर्फ खुशिया बाटने से बढ़ती हैं वो आपनके सुना होगा। बस, वैसे ही दर्द और काम के बारे में अपनों को बताना जरूरी हैं। कुछ बाते ऐसी होती हैं जिस में दरार पड़ने से मजबूती ओर बढ़ती हैं। देखिए ओर याद कीजिए। मीठे जगड़े के बाद जब पति पत्नी साथ बैठते हैं तो प्यार बढ़ता हैं। महसूस होता हैं। जब कभी भी आप से हो सके, तो किसी भी समस्या को एक करके और फिर हल करने की कोशिश करें। जैसे कि, अगर आपके

कुछ खास :3D

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किसी भी समस्या को सुल्जा ने में दो पहलू होते है। रियल में कोई भी समस्या या सवाल 3 परिमानिय होती हैं। उस तीनो बातों को एक बार समजीए।देखिए... 1. जो हम जानते है। 2. जो हम नहीं जानते। 3. कोई तीसरा केंद्र भी हो सकता है। अपने साथ में एक और दूसरा प्लान लेकर चलें ताकि आप सिर्फ किसी एक ही समाधान पर न अटके रह जाएँ। जैसे ही आपको सारे संभावित समाधान मिल जाएँ, मगर जो समाधान आप ने देखे या समजें है वो 3D का सिर्फ एक हिस्सा हैं। इन हर से मिलने वाले परिणामों के बारे में सोचना शुरू कर दें।  हर एक संभावित परिणाम के बारे में विचार करें और किस तरह से ये आपको और आपके आसपास के लोगों को प्रभावित करेगा, सोचें। आपकी कल्पनाओं के लिए एक बेस्ट-केस सिनारियो और एक वर्स्ट केस-सिनारियो तैयार करें। ऐसा करने से हकीकत ओर भ्रम का फैंसला हो जाएगा। अगर कोई आप को उनका पासवर्ड देता है तो उसे मालूम है की वो कुछ छुपाने के इरादे से नहीं हैं। सरकुम: नहीं में अकेला, मुजे यकीन है मेरे यकीन पर। कुछ भी होगा तो मुजे नहीं कोई फिकर, बस,  कुछ कहकर तो मुजे मुजे सजा  कर!

शक्ति को सन्मान...

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आज सबसे बड़ी पूनम हैं। शक्ति की आराधना करने वालो के लिए आज का दिन महत्व पूर्ण हैं। शक्ति याने जो हमे साथ दे,विश्वास दे और अपने साथ रखे। अपने दुख को हम से छुपाए ओर सुख को हमसे बाटे। मा अंबा, महाकाली या चामुंडा। शकि ओर भक्ति उपासको को अवश्य मिलती हैं। आज के दिन माँ से जो मांगते हैं,मिल जाता हैं। हमारे अंदर कोई पाप नहीं हैं तो शक्ति की देवियां हमे सहाय करती हैं। किसी ने खूब कहा हैं, गोकुल देखो, मथुरा देखो। कृष्ण की मूर्ति भी देखो तो काली हैं। सारे जग के सुख देने वाली रात भी देखो काली हैं। काली महाकाली वो तो सर्व शक्ति शाली हैं। ऐसी सर्व शक्तिमान सिर्फ माँ हो सकती हैं। हर औरत शक्ति का स्वरूप हैं। जो शक्ति में आस्था रखते हैं, जो शक्ति की आराधना करते हैं। उनका दिल भी विशाल होता हैं। जीवन मे बहोत सारे उतार चढ़ाव आते हैं।तब घर की शक्ति याने ऑरत ही घर को सजाती हैं, संवारती हैं। कुछ ऐसा नहीं जो औरत न कर पाए। पहाड़ को भी रौंदना शक्ति के लिए आसान हैं।बड़े पर्वत भी जहां शीश जुकाते हैं वहाँ में भी आज नतमस्तक हूं। सरकुम: जीवन में चाह हैं तो राह हैं, वरना ये जीव

संभावना ओर सच

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आपके पास पहले से मौजूद ज्ञान और जानकारी में खुद को और भी मजबूत कर लें। अगर वो जानकारी पक्की है तो उसे आदर करे।  फिर इस बात का पता लगाएँ, कि आपको क्या चाहिए। समजीए... पहले कोई बीमार था। धीरे धीरे अब उसमें सुधार है। अगर सुधार है तो आप को मानना होगा की कुछ संभावना हैं। अपने आपको हर जरूरी जानकारी से अवगत कराएँ, फिर इन सभी को कुछ ऐसे इकट्ठे करें, जो आपके काम आए। अगर कुछ अच्छा होने के लिए कुछ बुरा करना इसका मतलब है, उस के प्रति भाव प्रकट करना। जो मा होती है, वोही दवाई खिलाती हैं।   उदाहरण के लिए, अगर आप किसी टेस्ट को पास करना चाहते हैं, तो पहले ये तय करें, कि आपको पहले से कितना आता है और आपको कितना और पढ़ना है। पहले आपको पहले से मालूम जानकारी को दोहरा लें, फिर आपके नोट्स, टेक्स्टबुक या आपके लिए मददगार अन्य सोर्स से और भी ज्यादा जानकारी अपने की कोशिश करें। जानकारी बदल भी सकती हैं। आज से कुछ सालों पहले किताबो ने गूजरात की जो जानकारी है, वो आज सही नहीं हो सकती। जानकारी को सही मायने में ओर परिस्थिति के सामने देखना चाहिए। सरकुम: कुछ नहीं होता, जब सीखने बैठते है। पुर

अंतिम दिबस तब होगा...

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गुजराती फ़िल्म थी। पोस्टर में लिखा हैं उसे हिंदी में अंतिम दिवस कहते हैं।कई बार हम सोचते हैं कि मेरे इस काम के लिए ये आखरी दिबस हैं। मगर आप के लिए ओर एक दिन का इंतजार करने का लिखा होता हैं। अगर सही में हमारे कहे अनुसार अंतिम दिबस होता तो हमारी ओर से होने वाले बहोत सारे काम  आज न हुए होते। किसी ने खूब कहा हैं कि चलो आज ही खुश हो लेते हैं, क्या मालूम कल गम के लिए भी हमारे पास जीवन न हो। कृष्ण ने कहा हैं, जो करते हो,वो भरते भी हो। मगर सबसे बड़ा सवाल भी ये होता हैं कि ज्यादातर हमे मालूम ही नहीं होता कि ये भरपाई हम किस बात की कर रहे हैं। ऐसे समय हम चाहते हैं कि आज का ये दिन हमारे दुख का अंतिम दिवस हो। #छेल्लो दिवस सरकुम: अंतिम दिवस तब होगा, जब मेरा होंसला टूटेगा। जब मेरा इरादा छूटेगा। न कोई मुजे समजायेगा, न मुजे कोई  बतलायेगा। वो अंतिम दिन मेरा होगा।

कुछ निर्णय करें:

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आपको जो निर्णय करने की जरूरत हैं, उन्हें पहचानें और कैसे वो आपकी समस्या को सुलझाने में मदद करने वाले हैं, इसे भी तय करें। निर्णय लेने से आपको आपकी समस्या के हल की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी, तो पहले कहाँ ध्यान लगाना चाहिए, क्या करना चाहिए और आप इसे कैसे करने वाले हैं, इन सबका निर्णय लेते हुए ही शुरुआत करे... उदाहरण के लिए, आपके पास में सुलझाने के लायक बहुत सारी समस्याएँ हो सकती हैं और आपको पहले ये तय करना है, कि कौन सी समस्या को पहले सुलझाया जाए। किसी एक समस्या का हल, आपको टेंशन से या फिर दूसरी समस्याओं पर होने वाले स्ट्रेस से बचा सकता है। एक बार निर्णय ले लेने के बाद, अपने ऊपर शक ना करें। इस पॉइंट से सिर्फ आगे ही देखें, न कि कुछ ऐसा सोचने लग जाएँ, कि अगर ऐसा तय किया होता, तो कैसा होता। जो भी तय किया हैं उसे पकड़े रखे। अगर कोई गलती से मिस्टिक हुई हैं तो गलती को सुधारा भी जा सकता हैं। मगर सबसे पहला सवाल हैं कुछ तय करले। सरकुम: कोंन कहता हैं, आसमा में सुराग नहीं होता। एक पथ्थर तबियत से उछालो यारो।

स्किल ओर खोज

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हरेक के पास स्किल का होना असंभव हैं। स्किल के लिए महेनत ओर लग्न से शुरू करते हुए उसके पीछे आयोजन पूर्वक श्रम करना पड़ता हैं। कुछ दिनों पहले की बात हैं। त्रिपदा इंटरनेशनल स्कूल में मुजे जाना था। जैसे गाड़ी पार्क कर के मुजे गेट से एंटर होना था। एक व्यक्ति ने हमे रोका। उन्होंने मेरा नाम और किसे मिलना हैं,जैसे सवाल किए। मुझसे बात करते समय वो अपने हाथ में कुछ कर रहे थे। मेने भी उनसे बात की। वो चोक से गणेश जी की मूर्ति बना रहे थे।बहोत कम समय में वो एक मूर्ति बना लेते हैं। त्रिपदा स्कूल के सिक्योरिटी जवान जो करते थे। में देखता रह गया। जैसे में स्कूल में जाने को था,की जैसे मुजे गणेश जी ने दर्शन दिए। में खुश हुआ। आप उनकी बनाई मूर्तिया देख सकते हैं। संपर्क: जितेंद्र राजपूत जवाहर चोक, साबरमती। अमदावाद:5 Phone no:  9824598650 @#@ स्किल को खोजने में नजर चाहिए। नजर में कुछ और आता हैं तो स्किल नजर नहीं आएगी। आप को नजर ओर नजरिया दोनो बदलने पड़ेंगे तो ही आगे सफलता मिलेगी।

સમય તો જાશેજ...

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30મી જૂલાઈ 1947 ના રોજ ઓસ્ટ્રિયામાં જન્મેલા વિખ્યાત બોડી બિલ્ડર, અભિનેતા અને બે વખત કેલિફોર્નિયાના ગવર્નર રહી ચૂકેલા આર્નોલ્ડ શ્વાર્ઝેનેગરે પોતાની જ પ્રસિદ્ધ કાંસ્ય પ્રતિમાની નીચે પોતે શેરીમાં સૂતેલા હોવાનો એક ફોટો પોસ્ટ કરી એની નીચે લખ્યું, "સમય કેટલો બદલાઈ ગયો છે !!!"              તેમણે જે વાક્ય લખ્યું તેનું કારણ એ હતું કે જ્યારે તેઓ કેલિફોર્નિયાના ગવર્નર હતા ત્યારે તેમણે તેમની પ્રતિમા સાથેની એક હોટલનું ઉદ્ઘાટન કર્યું હતું. તે સમયે, હોટેલ માલિક અને સ્ટાફ આર્નોલ્ડની આસપાસ ફરતાં રહેતાં અને કહેતાં, "કોઈપણ સમયે તમે આ હોટલમાં આવીને રહી શકો છો. તમારા માટે અહીં એક રુમ કાયમને માટે અનામત રાખવામાં આવશે." જ્યારે આર્નોલ્ડે ગવર્નર તરીકેનું પદ છોડ્યું અને હોટેલમાં ગયા ત્યારે, વહીવટીતંત્રે એવી દલીલ કરી દીધી કે તેમણે રુમ લેવો હોય તો તેના માટે ચૂકવણી કરવી જોઇએ, કારણ કે આ હોટલની ડીમાન્ડ બહુ વધી ગઈ છે..           આર્નોલ્ડ સ્લીપિંગ બેગ લાવ્યાં અને પ્રતિમાની નીચે જ સૂઈ ગયાં. તેઓ આમજનતાને એવો મેસેજ આપવા માંગતા હતા, " જ્યારે હું એક મહત્વના પદ પર હતો ત્યારે તેઓ હંમેશા મારા

दो खिड़कियां

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कुछ दिनों पहले की बात हैं। किसी दोस्त ने एक पोस्टर भेजा। खिड़की में से जो दिखाई देती हैं, वो हकीकत के सामने बच्चे को जो चाहिए वैसा उसने बनाया हैं। प्रत्येक व्यक्ति की चाहत होती हैं,चाहत सहज हैं कि उसे शांति मील पाए,सहयोग मील सके। होता हैं ये की अपनी पसंद की खोड़की बनाने के बजाय हम जो दिखता हैं उसे स्वीकार कर लेते हैं। जो भी हैं,ठीक है। हमे हमारे इरादों को कमजोर नहीं करना हैं। अगर खिड़की में जो दिखता हैं उसे स्वीकार करने की हिम्मत नहीं हैं तो अपनी सोच वाली खिड़की बनाने में कोई हर्ज नहीं हैं। सवाल ये होता हैं कि खिड़की को सी चुनते हैं। क्या हुआ कुछ नहीं। कैसे हुआ मालूम नहीं। कैसे ये होगा, तय नहीं। कुछ बुरा होना संभव नहीं। जी पेश करने का तरीका गलत हैं।सवाल सही नहीं तो जवाब कैसे गलत नहीं आएगा। जो भी होता हैं पसंद या ना पसंद वाला उसमें 3 रीजन हैं... 1. फरज निभाने में... 2. जिम्मेदारी के कारण... 3. किसी के अनुचित उद्देश्य से... इन तीन बजह से ये काम हमे करने पड़ते हैं। मगर फिरभी खिड़की तय करने का काम हमारा हैं।हम हमारी आँखे खोलकर ही खिड़की को पसंद करने हैं।

जहांगीर ओर बच्चे

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मेरे दोस्त और मेरे साथी। पिछले कुछ सालों से हम साथ में जुड़कर काम कर रहे हैं। एक नव सर्जक ओर विचारक की पहचान बनाने वाले श्री जहांगीर शेख की पहचान बनी 3 इडियट्स पिक्चर से। वो रियल रेंचो हैं।उनके बनाये हुए इनोवेशन को इस फ़िल्म में दिखाया गया हैं। निजी हालत ऐसी की हर नए विचार को फैलाने के लिए उन्हें रुकना पड़ता हैं। एक तरफ परिवार का खर्च ओर दूसरी तरफ काम का नशा। नई सोच बढ़ाने का काम और प्रोटोटाइप बनाने में इतना खर्च होता हैं कि उन्हें सदैव पैसों की जरूरत हैं।पिछले कुछ सालों से तो उन्हें मेरे फाउंडेशन से में सीधी मदद करता हु। पिछले कुछ दिनों से वो गुजरात में हैं।उत्कर्ष विद्यालय ओर त्रिपदा इंटरनेशनल स्कूल में उन्होंने बच्चों से ओर अध्यापको से चर्चा की।आज वो गुजरात से गये हैं।आप उनके कार्यक्रम का आयोजन करना चाहते हैं तो अवश्य संपर्क करे। @#@ जहांगीर की कार्यशाला में सारे देश से बच्चे आते हैं। आप भी आप की संस्था या बच्चो को जोड़ सकते हैं।

मेरे गणेशा...

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आजे गणेश विसर्जन किया। पिछले कई सालो से हम गणेश जी की स्थापना करते हैं। इस वर्ष भी किया। कुछ ऐसा हुआ कि श्यामको स्थापन करने के आयोजन में में रहा, मगर दो पहर को स्थापित करने पड़े। कुछ कम सामग्री से उनको स्थापित किया। शायद घर के सभी सदस्य भी इस बार न थे। मगर प्यारसे उन्हें स्थापित किया। पूजा अर्चन के साथ हम आज आत्म की पवित्र तिथि पर उनका विसर्जन करते हैं। आज उनको मेने विसर्जित किया। मेरे दुःख दर्द जैसे उनके विसर्जन के बाद विसर्जित हो जाएंगे। @#@... मेरे गणेश जी... सिर्फ मेरे गणेश जी... जी गणेश जी की सरकार.... अबकी बार ओर अधिक इंतजार...

समर्थ ओर सेतु...

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आईआईएम अमदावाद। GCERT गांधीनगर के संयुक्त उपक्रम से एक कॉन्फ्रेंस का समापन हुआ। वर्ष 2014 के MOU के तहत बहोत सारे ऐसे काम जो नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। कुछ ऐसे काम जो शिक्षकों को पहचान दे रहे हैं। वैसा ही एक काम और वो काम याने मोबाइल मंच। आधुनिक समय में मोबाइल के माध्यम से जो हो पाया हमने उसे देखा। उद्घाटन समारंभ में सर्व शिक्षा अभियान के एडीपीसी पी.भारती मेडम विशेष उपस्थित रही। पद्मश्री अनिल गुप्ता ,आईआईएम के प्रो. विजया शेरीचंद के अलावा कमिश्नर ऑफ स्कूल के डॉ. संजय त्रिवेदी उपस्थित थे। श्री मनजीभाई प्रजापति,श्री मोतिभाई नायक ओर श्रीमती ज़ोहराबेन ढोलिया विशेष उपस्थित थे।  दो पहर के समारोह में GCERT के नियामक डॉ. टी.एस.जोशी खास उपस्थित रहे और सभी को प्रेरक उद्बोधन भी किया। NCERT के प्रोफेसर परासर ओर  प्रो. दिनेश कुमार भी दोपहर के सैशन में उपस्थित रहे। 10000 सदस्य वाले इस ग्रुप के 500 से अधिक पॉइंट प्राप्त करने वाले शिक्षक,सीआरसी ओर बीआरसी को.कॉर्डिनेटर यहां निमंत्रित किये गए थे। मोबाइल मंच को अगर माध्यम के रूप में देखा जाय तो यहाँ 3 किताबो का विमोचन किया गया। जिन्हें दो

सर्जिकल स्ट्राइक ओर ...

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कुछ बाते खास होती हैं। हमारे लिए ऐसी एक न्यूज का मतलब हैं 'सर्जिकल स्ट्राइक'। कोई इसे पोलिटिकल रूप से बताता हैं, देखता या समजता हैं।ऐसी एक जानकारी जो सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ा हैं। एक तरफ हमारे सिपाही सर्जिकल स्ट्राइक के लिए तैयार थे।सबसे बड़ा सवाल ये था कि लाइन ऑफ कंट्रोल को क्रॉस करके कैसे गुसा जाय।ये सवाल इसी लिएभी महत्वपूर्ण था कि वहाँ रात का समय लेना था। क्योंकि दिनभर तो सिपाही की चहल पहल से सबको मालूम पड़ सकता था। होना क्या था... एक अभिनव रास्ता खोजा गया। इस बात की जानकारी देते हुए लेफ्ट. कर्नल श्री राजेन्द्र निम्भोरकर ने बताया कि उस वख्त रात को गुसने में कुत्तो का डर था। अगर गुसते समय वो भौकना शुरू करते तो पकड़े जाते। अब कुट्टक5 को कैसे दूर किया जाये। राजेन्द्र ओर उनकी टीम ने जंगल का कानून याद किया। कुत्तो को खाने में तेंदुआ( चित्ता) पसंद हैं। कुत्ते शेर से ज्यादा तेंदुओं से डरते हैं। अब कुत्तो कोंकेसे जानकारी मिलेगी की आसपास में तेंदुआ हैं? और  अगर ऐसा कुत्तो को मालूम पड़ जायेगा तो होगा ये की कुत्ते न बोलेंगे,न भोकेंगे न बहार आएंगे। इस विचार को हमारे सिपाहियो ने

प्रकृति के नियम​

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​ खाना जो हम खाते हैं, २४ घण्टे के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए, वरना हम बीमार हो जायेंगे।​​पानी जो हम पीते हैं, 0४ घण्टे के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए, वरना हम बीमार हो जायेंगे।​​हवा जो हम सांस लेते हैं, कुछ सेकंड में ही वापस बाहर निकल जानी चाहिए, वरना हम मर ही जायेंगे ।​ ​लेकिन नकारात्मक बातें, जैसे कि घृणा, गुस्सा, ईर्षा, असुरक्षा आदि आदि, जिनको हम अपने अंदर दिन, महीने और सालों तक रखे रहते हैं ।​यदि इन नकारात्मक विचारों को समय-समय पर अपने अंदर से नहीं निकालेंगे तो एक दिन निश्चित ही हम मानसिक रोगी बन जायेंगे ।​ निर्णय आपका ​क्योंकि शरीर भी आपका है।​ @#@ सामने वाले जो तय करके पूछते हैं। वो सहज हो सकते हैं। जो हमने कहा होगा बो भी गलत न होगा। मगर फिरभी मानसिक तौर पे देखा जाय तो सभी को समज कर ही मन में कुछ भरना या रखना चाहिए।

GRFR ओर 7रंगी स्किल..

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जब कुछ शुरू करते हैं। उस वख्त लगता हैं ये कैसे होगा। मगर नेकी ओर लगन से कुछ काम करने शुरू होते हैं तो आजही बढ़ते होते हैं। पिछले कुछ सालों से में बच्चों के कीर्तिमान के लिए में कुछ करने के बारे में सोच रहा था।काम भी किया। सारे काम खत्म किये आज से 2008 से मेरे दोस्त और मुजे एशिया इर गिनिस रिकार्ड तक पहुंचाने वाले मनमोहन जी का जैसे मुजे सहकार मिला।उनके साथ अब हम नेशनल किड्स रिकॉर्ड के लिए जुड़ेंगे। कुछ दिनों से हम आपसमें बात कर रहे थे।कल पूरे दिन उस काम से जुड़े रहने के बाद उनसे मेरी वार्ता हुई। अब 7रंगी स्किल के GRF से जुड़कर ग्लोबली स्किल्ड बच्चो को खोजने का काम करेंगे। कुछ दिनों में इस बात को हम ओन पेपर ले रहे हैं। दोनो कंपनियों के  करार करके हम आगे बढ़ेंगे। यहां तक पहुंचने में अभी चार महीने लगेंगे। मगर बगैर लिखे हम इस काम को 2008 से श्री मनमोहन जी के मार्गदर्शन में सिखाते आये हैं।अब उनसे जुड़कर आगे बढ़ेंगे। आशा हैं। आप समजेंगे। करने वाले बहोत हैं। दौड़ने वाला में अकेला। कुछ कमियां होगी हमारी सोच में, इरादे कोई कमजोर नहीं हैं।सो आप दुनिया में कही से भी कुछ भी सजेश करेंगे

સત્ય ઘટના...

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ઇટાલીના સરમુખત્યાર મુસોલિનીની આત્મકથામાં પડેલો આ પ્રસંગ વાંચીને દરેક ભારતવાસી પોતાની પ્રાચીન સંસ્કૃતિ માટે ગૌરવનો અનુભવ કરી શકે તેમ છે. ભારતના મહાન સંગીતકાર ઓમકારનાથ ઠાકુર એ દિવસોમાં ઇટાલીના પ્રવાસે ગયેલા. ભારતના એ મહાન સંગીતજ્ઞના માનમાં મુસોલિનીએ એક ભોજન સમારંભનું આયોજન કરેલ. આ રાજકીય ભોજન સમારંભમાં ઓમકારનાથ ઠાકુરની સાથે ઇટાલીમાં વસેલા ઘણા અગ્રગણ્ય ભારતીયો તથા ભારતના દૂતાવાસના સભ્યોને પણ ઉપસ્થિત હતા.સમારંભમાં મુસોલિનીએ ભારતની પાંચ હજાર જૂની સંસ્કૃતિની મજાક કરતા બધા મહેમાનોની વચ્ચે ઓમકારનાથ ઠાકુરને કહ્યું કે, 'મી. ઠાકુર મેં સાંભળ્યું છે કે તમારા દેશમાં કૃષ્ણ જ્યારે વાંસળી વગાડતા ત્યારે આજુબાજુના વિસ્તારની બધી ગાયો નાચવા લાગતી, મોર કળા કરવા લાગતા, ગોપીઓ સૂધબૂધ ખોઈને કૃષ્ણ જ્યાં વાંસળી વગાડતા હોય ત્યાં દોડી આવતી,શું તમે આ વાતને માનો છો?' ઇટાલીના સરમુખત્યારને ભારતના એ સપૂતે ભોજન સમારંભમાં બધાની વચ્ચે જે કરી બતાવ્યું તે જાણીને પ્રત્યેક ભારતીયનું મસ્તક ગૌરવથી ઊંચું થઈ જશે. ઠાકુરે કહ્યું, 'કૃષ્ણ જેટલું તો મારું સાર્મથ્ય નથી કે નથી સંગીતની બાબતમાં મારી તેમના જેટલી

गणेश जी और 5 मुखी गणेश

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वयार करते हैं हम तुम्हे इतना, दो आंखे तो क्या, दो जहां में समजाये इतना। खूब सूरत गाना हैं। मुजे पसंद हैं।कुछ बात श्रद्धा से जुड़ी हैं। मेरी आस्था गणेश जी हैं।उनकी करवा से आज तक मे जताता ओर बचता आया हु। मेरे कुछ काम मे उनके सीधे आशीर्वाद हैं। आज तो जो हु उनके पावन आशीर्वाद से हु। बहोत बार ऐसा हुआ कि मुजे जैसे गणेश जी ने रास्ता दिखाया। रास्ता किया। आज सुबह दर्शन करने का तय किया था। नहीं हो पाए एमजीआर श्याम को एथॉर के दर्शन किये। मेरी श्रद्धा के प्रतीक हैं एथॉर। शायद आप को गलत लगें... में कई सालों से गणेश जिनको सदैव साथ रखता हूँ। मेरे किसी शुभ चिंतक ने मुजे पांच मुख वाले गणेश जी 'संकट चौथ' के दिन ग्राम भारती में दिए थे। तब से रोज ये गणेश जी मेरे साथ रखता हूँ। पहले एक गणेश यंत्र रखता था। अब मूर्ति रखता हूं। अमेरिकन पूर्वप्रमुख ओबामा हनुमानजी की मूर्ति रखते है। जब वो सत्ता में थे तब भी रखते हैं।कहिए की पहले से रखते हैं। मगर हुआ ये की रक्षा बंधन के दिन हमारे 'मातृछाया' के घर मंदिर में पूजा के साथ उस 5 मुखी गणेश जी को रखे थे। वहां से निकल ने में शायद गलती

जिन्दजी के मोड़

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जिन्दजी जिन्दजी है। आशा और निराशा के साथ चलती हैं। कभी हमे लगता हैं, जो हम चाहेंगे वो होगा। ऐसा न होनेपर हम मायूस रहने लगते हैं।हमारी गलती ये हैं कि हम पहले सोच लेते हैं,बाद में ऐसा न होने पर या कुछ कम होता हैं,तब जाके हम मायूस होते हैं। अब ऐसा होता हैं तब हमें लगता हैं कि हमारी जिन्दगी जैसे अच्छे से बुरे मोडमें अचानक आ गई शायद इसी तरह, जिन्दगी  फिरसे अचानक मोड़ ले लेती हैं। इस के लिए हमे हमारी आशा जीवन्त रखनी चाहिए। कुछ ऐसा होता हैं। जिसनके लिए हम अधिक चिंतित होते हैं। जब उसको फिक्र बढ़ जाती हैं, ओर एक आसान से  तरीके से हमे कुछ ऐसा मिलता हैं तो हमारेके लिए अच्छा नहीं बहोत अच्छा हो जाता हैं। आज कुछ ऐसी घटनाएं बनी जो मुजे फिरसे मजबूत कर गई। मुजे जिस डॉक्यूमेंट की ज्यादा फिक्र थी वो जैसे आसान हो गए। जो सवाल की वो कहा हैं,उसका भी सटीक जवाब ओर कुछ आसार आते हैं तो फिर से जीवन में शांति का अनुभव होता हैं। @#@ जिन्दजी जिंदा रहने वालों की हैं। मरने के बाद तो सारी दुनिया कुछ दिनों में भूल जाती हैं। इस लिए जिंदा रहना हैं, उससे महत्व पूर्ण हैं की अच्छे से ओर शांति से जीवन पसार

कल्पनाशीलता ओर क्रिएशन

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कल्पनाशील सोच-विचार को शायद एक दक्षता न माना जाता हो लेकिन यह अधिकतर कलात्मक दक्षताओं से भी अधिक आधारभूत है। छोटी कक्षाओं में यह सिखाना बहुत मुश्किल है। कला के संसार में अलग ही कल्पना की अलग ही उड़ान होती है और इस संसार में प्रवेश कर पाना आसान नहीं है। कला-शिक्षण के शुरुआत में सम्भव है कि किसी शिक्षक ने कोई आकृति बनाने या उसे रंगों से भरने या फिर सीधी लकीरें खींचने के लिए कहा हो। कभी-कभी बच्चे ऐसा करने में बोरियत महसूस करते हैं और कला की कक्षाओं में उनकी दिलचस्पी घटने लगती है। मैं आमतौर पर उन्हें कोई रंग-बिरंगा दृश्‍यचित्र बनाने को देता हूँ, या फिर जानवरों या किसी इन्सान की हल्की-फुलकी हंसी भरी तसवीर, तितलियाँ और चित्रकारी आदि। यदि यह उनका खुद का चुनाव होगा तो अधिक सम्भावना है कि वे इस पर मेहनत करेंगे। कभी-कभी वे शिल्प कार्य भी करते हैं। मैंने पाया है कि उन्हें इस गतिविधि में अमूमन अधिक मजा आता है। आमतौर पर कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के बच्चों को जो वे करना चाहते हैं उसके चुनाव की छूट दी जाती है। कुछ दिलचस्पी लेते हैं और कुछ नहीं। बेहतर है कि विद्यार्थियों को ऐसा काम न दिया जाए ज

Thanks वख्त

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किसी के जीवन में एक सा समय नहीं होता। भले वो कोई भी क्यो न हो। अपने ओर परायो के बीच हमारा क्या ओर कितना हैं वो समय से मालूम हो जाता हैं। किसी का समय अकेला अच्छा या बुरा नहीं होता। नहीं ऐसा होना चाहिए। आज के दौर में को अपना हैं और कौन पराया ये सोचना ही नहीं हैं। समय ऐसा आएगा कि अपने पराये की पहचान अपने आप हो जाएगी। आप दानवो को देखो। आप देवो को देखो और हमारे आसपास के उदाहरण देखो।सदैव सब का समय समान नहीं होता हैं।चाहे वो भगवान हो या मनुष्य। अगर एक बार हम किसीको पहचान ले तो ठीक हैं।मगर ऐसा भी न हो कि सामने वाले को पहचान ने के लिए बर्बाद करने का मौका दे या राह देखे। हमे ये सोचना नहीं हैं कि को क्या हैं,हमे ये सोचना हैं कि हमारा क्या हैं। @#@ वख्त अगर एक सा रहता, न खुशी मिलती, न खुश हो पाते। न गम सामने आते, न गमगीन कोई बनते। वख्त एक सा रहता तो अच्छा न था। क्यो कि हम परायो में से अपनो को खोज नहीं पाते। @खुद गब्बर

सच्चा दोस्त

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समय क्या हैं। कोई कुछ भी कहे। समय हैं सिर्फ और सिर्फ साथ रहने वाला हमारा एक मात्र साथी। जो हमे सिखाता हैं।जो हमे समजता हैं। किसी ने इतिहास के लिए लिखा हैं कि क्या हुआ वो नहीं,इतिहास से क्या नहीं करना हैं वो सीखना हैं। हम वो सीखना होगा। समय हमारा गुरु और अध्यापक हैं। जो हमे सिखाता हैं कि साथ कैसे रहा जाए और  दुःख को कैसे भुलाया जाय। कुछ ऐसे होते हैं दुःख की हमे उसे जीवन भर साथ लेकर चलना हैं। उन्हें कैसे साथ लेकर चला जाये वो भी हमे तय करना हैं।समय से सीखना हैं।समय की सजा सुनाई या दिखाई नहीं पड़ती हैं। समय सिर्फ समय नहीं हमारा ऐसा साथी हैं जो हमारे बाद भी रहेगा और लोग उस समय से हमे याद करेंगे। @#@ मेरे पास समय नहीं। जो व्यस्त हैं वो आप के लिए समय निकलगंगर जिस के पास कोई काम न होगा उसके पास समय भी नहीं होगा। सबको 24 घंटे मिलते हैं।मगर कुछ ही लोग उस का सही इस्तेमाल कर लेते हैं।

बदलाव जरूरी हैं।

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हम बदल सकते हैं। हम बदलाव चाहते हैं। हमे बदलने के लिए खुद काम करना हैं। हमारे विचार से कुछ बदलाव सम्भव नहीं हैं। उस के लिए हमे खुद करके दिखाना पड़ता हैं। कुछ बाते ऐसी होती हैं जिस को समय जवाब देता हैं। दुनिया बदल ने का सबसे अच्छा और पहला काम ये हैं कि अपने आपको बदला जाए। हमे अपना बदलाव कहा करना हैं, वो खुद हम नहीं बता पाएंगे। अगर हम कोई कुछ कहेगा तो सबसे पहले हमें ये तय करना हैं कि हमे वो कहने वाला कोंन हैं। क्यो की हो सकता हैं, सामने वाली व्यक्ति सिर्फ ओपिनियन देती हो। अगर कोई बदलाव लाना हैं तो अपने काम के लिए लाना आवश्यक हैं। में महाराष्ट्र में था। मेरे एक दोस्त के साथ हमने रात को एक बजे खाना खाया। अब वो दोस्त हैं कि मुजे रोज कहते हैं,चलो रात को खाना खाते हैं,गुमते हैं। मगर उन्हें कोन समजाये की वो गलती थी,अब नहीं दोहराई जाएगी। हा, ये सच हैं कि जब जब वो मुजे गुमने ओर खाने को कहते हैं,में उन्हें समजा नहीं पाता हु ओर मना भी नहीं कर पाता हूँ। क्यो...की उनके साथ मेने देर रात को गुमना ओर खाना खाया हैं। अब उस दोस्त के साथ मुजे मेरे में सुधार करना होगा कि मेरे विचार दर्शाने

આખું ગામ સફરજન...

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એક નગર. અહીં એક રાજા. રાજાને મનમાં થયું.'મારા નગરમાં કોનું ચાલતું હશે? પુરુષનું કે એની બૈરીનું...!બસ, આ તો રાજા. એને આખા નગરમાં એક જાહેરાત કરાવી. આ જાહેરાત પણ અનોખી હતી. રાજાએ જાહેરાત કરાવી કે... આ આઠમના દિવસે નગરના મેદાનમાં સૌ એકઠા થશે. અહીં એક બીજી જાહેરાત એ પણ હતી કે, નગરના  પુરુષો જ આ મેદાનમાં આવશે. અહીં ઇનામ પણ હતું. જાહેરાતમાં કહેવાતું હતું કે મેદાનમાં એક તરફ ઘોડા રાખેલા હશે. બીજી તરફ સફરજન રાખેલા હશે. જેના ઘરમાં પતિનું ચાલતું હોય એમને ગમતો ઘોડો ઇનામ માં આપશે. જેના ઘરમાં બૈરીનું ચાલતું હોય એમણે સફરજન મળશે. આઠમ આવો ગઈ.સમય થયો અને નગરના સૌ મેદાનમાં ભેગા થાય. સૌ એક પછી એક આવતા અને સફરજન ઉઠાવી જતા રહેતા હતા. રાજાને તો ચિંતા થઈ. કોઈ ઘોડો લઈ જતો ન હતો.રાજાને મનમાં થયું, શું કોઈના ઘરમાં પુરુષનું ચાલતું નહીં હોય? રાજા કંટાળીને દરબારમાં પરત થવા ઉભા થયા. એટલામાં એક મોટી મુછો અને લાલ આંખો સાથે પહાડ જેવી છ ફૂટની કાયા ધરાવતો એક યુવાન ધીરે ધીરે આગળ વધતો હતો. રાજાજી , મારા ઘરમાં હું કહુ એમ જ થાય.મારે ઘોડો જોઈએ છે. રાજાજી મને ઘોડો આપો. રાજા ખુશ ખુશ થઈ ગયા.રાજાએ એ મૂછો વાળને

मोत की राह: उम्र 181

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क्या ऐसा हो सकता हैं। आज से कुछ सालों पहले मेने लिखा था। एक व्यक्तिने 124 साल की उम्र का दावा करते हुए गिनिस बुक में दावा किया था। साथ में 104 की उम्र के साथी ने मेरेथोन में हिस्सा लेकर दौड़ पूरी की थी। आज मेरे पास ऐसी न्यूज़ आई।हैदराबाद से ये खबर मिली। 181 साल की उम्र का दावा हैं। पेपर में लिखा हैं 'शायद मोत मेरा रास्ता भूल गई हैं.'वाराणसी में ये रहते हैं।उनका नाम महस्टा मुरासी हैं।1835 में बेंगलूर में पैदा हुए थे।वो 1903 में वाराणसी रहने को आये थे।अपनी 122 की उम्र तक उन्होंने काम किया। आज वो मोत का इंतजार कर रहे हैं। @#@ उनको मोत का इंतजार हैं। अगर मेरा इंतजार खत्म नहीं हुआ तो मोत आएगी।

कृष्ण और जीवन

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मुजे हिन्दू होने पर गर्व हैं। मेरे जीवन को में कृष्ण के करीब देखता ओर समजता हूं। भारतीय संस्कृति के महानायक श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व के जितने रंग हैं उतने और किसी के भी नहीं हैं, कभी माखन चुराता नटखट बालक, तो कभी प्रेम में आकंठ डूबा हुआ प्रेमी जो दुनिया को प्रेम का पाठ पठाता है। प्रेम को शक से नहीं समर्पण से जितने की सिख कृष्ण देते हैं। अगर कोई हमारी बात मानता हैं तो वो आपका प्रेमी हैं। उसे प्रेम अर्पण करना हमारी जिम्मेदारी हैं। जरूरत पड़ने पर प्रेयसी की एक पुकार पर सबके विरूद्ध जाकर,अपनो को दूर करकर कृष्ण उसे भगा भी ले जाते है। कभी बांसुरी की तान में सबको मोह लेता है, संगीत से संस्कार तक कि बात कृष्ण हमे समजाते हैं। तो कभी सच्चे सारथी के रूप में गीता का उपदेश देकर दुनिया को नैतिकता और अनैतिकता की शिक्षा देता है। अपने मन की बात सुनाते समय सामने वाला क्या अर्थ निकलेगा वो सामने वाले को ही तय करने दो, जो सच होगा वो ही कहिए ये में नहीं कृष्ण ने कहा था। ना जाने कितने रंग कृष्ण के व्यक्तित्व में समाए हैं। कृष्ण की हर लीला, हर बात में जीवन का सार छुपा है। कृष्ण के जीवन की

धर्म और शीतला सातम

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आज शीतला सातम हैं। एक त्योहार के तौर पर हम उसे मनाते हैं। ठंडा खाना और घर में चुला न जलाने जैसे नियम हम सुनते हैं।ऐसे नियमो पर कार्य करते हैं।आज धर्म और विज्ञान को साथ देखने का भी दिन हैं। शीतला की रसी के शोधक एडवर्ड जेनर ने उसको खोजा। हमारे उलटे हाथ पर उस रसी यानी वेस्किन दी जाती थी। 1798 से 98 के बीच उस रोग को काबू करने के लिए उन्होंने इस को खोजा। आज पूरी दुनिया शीतला के रोग से मुक्त हैं। धर्म उसकी जगह सही होगा। शायद घर में एक दिन 'भोजनोत्सव' का कुछ प्लानिग होगा। जो भी हो आज उन्हें याद किये बगैर हम ठंडा खाना भी नहीं खा सकते हैं। ऐसी कुछ खोज जिससे पहले लोग कुदरत या भगवान का प्रकोप मानते थे। आज भारत पोलियो मुक्त हैं। सारी क्रेडिट अमिताभ बच्चन ले गए। रविवार को घर घर और गाँव गाँव जाकर पोलियो की दो बूंद पिलाने वालो को कोई याद नहीं करता हैं।आज ठंडा खाना और ठंडा रहना आवश्यक हैं।  @#@ विज्ञान और धर्म... जहाँ से धर्म खत्म होता हैं,विज्ञान शुरू होता हैं। जहाँ से विज्ञान का अंत होता हैं,शायद वही से धर्म पे आस्था बढ़ती हैं।