मेरी सोच और...
एक दोस्त। उन्होंने आखिरी बार उनके साथी से बात की।जब उनकी बात हुई उस के बाद वो संपर्क नहीं कर पाए हैं। अब जब बात होगी तो उनमे जागड़ा नहीं होगा,क्यो की जगड़े की बजह से उनसे बात नहीं होती थी। अब कुछ दिनों बाद। आज दोनो साथ हैं। दोनो दोस्त साथ बैठकर बात करते हैं।उस वख्त किस बात पे झगड़ा हुआ था? आज किसी को मालूम नहीं हैं,न पूरी कोई बात याद हैं। अक्सर दो दोस्त, सहकर्मी या जीवन साथी के बीच ऐसी अनबन होती रहती हैं। ये भी जीवनका ओर कर्म का सिद्धांत हैं। जब खाना सामने होतो उसकी कदर नहीं होती,मगर जब जरूरत होती हैं तो हमे चावल भी पसंद आते हैं। ऐसी अनबन से काम और प्यार में बढ़ोतरी होती हैं। होगा ये की जब अनबन हुई हैं तो पहले बात कोन करेगा। मेरा मानना ये हैं कि पहले ओर दूसरे की कोई बात नहीं है। जब आप बात करने की कोशिश करेंगे, तो आपको एक खराब प्रतिक्रिया मिली होगी, ये परिवर्तन सहज है, जो हो सकता है, इसलिए कृपया इसे रोकना नही है। मन के विचारों को रोकने से वो स्प्रिंग जैसे हो जाते हैं। जितना दबा के रखेंगे,उतनी तेजी से उछलेंगे। जब बहोत सारे विचार एक साथ इकठ्ठे होकर नकारात्मक रूप लेते हैं