जिन्दजी के मोड़

जिन्दजी जिन्दजी है।
आशा और निराशा के साथ चलती हैं। कभी हमे लगता हैं, जो हम चाहेंगे वो होगा। ऐसा न होनेपर हम मायूस रहने लगते हैं।हमारी गलती ये हैं कि हम पहले सोच लेते हैं,बाद में ऐसा न होने पर या कुछ कम होता हैं,तब जाके हम मायूस होते हैं। अब ऐसा होता हैं तब हमें लगता हैं कि हमारी जिन्दगी जैसे अच्छे से बुरे मोडमें अचानक आ गई शायद इसी तरह, जिन्दगी  फिरसे अचानक मोड़ ले लेती हैं। इस के लिए हमे हमारी आशा जीवन्त रखनी चाहिए। कुछ ऐसा होता हैं। जिसनके लिए हम अधिक चिंतित होते हैं। जब उसको फिक्र बढ़ जाती हैं, ओर एक आसान से  तरीके से हमे कुछ ऐसा मिलता हैं तो हमारेके लिए अच्छा नहीं बहोत अच्छा हो जाता हैं।

आज कुछ ऐसी घटनाएं बनी जो मुजे फिरसे मजबूत कर गई।
मुजे जिस डॉक्यूमेंट की ज्यादा फिक्र थी वो जैसे आसान हो गए। जो सवाल की वो कहा हैं,उसका भी सटीक जवाब ओर कुछ आसार आते हैं तो फिर से जीवन में शांति का अनुभव होता हैं।


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जिन्दजी जिंदा रहने वालों की हैं।
मरने के बाद तो सारी दुनिया कुछ दिनों में भूल जाती हैं।
इस लिए जिंदा रहना हैं, उससे महत्व पूर्ण हैं की अच्छे से ओर शांति से जीवन पसार हो। व्यतीत होना और व्यवस्थित होना,इस दोनो में फर्क हैं। कुछ दिनों में उसके ऊपर हम लिखेंगे।


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