what we can...गरीब और भूख...
भूख की सूची में दुनिया के 88 देशों में भारत का क्रमांक 66 आया है। इसका अर्थ है कि समृद्धि के बेहद ऊंचे कीर्तिमान स्थापित करने के बावजूद भारत में 30 करोड़ से अधिक गरीब जनसंख्या सर्बिया , लिथुआनिया , सूरीनाम और मंगोलिया के गरीबों की तुलना में भी ज्यादा दुर्दशा की शिकार है। भूख और गरीबी के सूचकांकों की श्रेणी में भारत पाकिस्तान से बदतर है और बांग्लादेश से ही बेहतर है इस सूची में क्रमांक का निर्धारण बाल कुपोषण , बाल मृत्यु दर , कैलोरी की कमी से ग्रस्त जनसंख्या , सामान्य भोजन मात्रा , स्वास्थ्य एवं आरोग्य सेवाएं , स्वच्छ जल की उपलब्धता , शौैचालय और सफाई , स्त्रियों की शिक्षा , सरकार का प्रभाव , सामाजिक एवं राजनीतिक शांति और संघर्ष तथा एड्स जैसे रोगों की उपस्थिति का स्तर मापकर किया जाता है। जिहादी आतंकी , वोट बैंक राजनीति और सामाजिक तनावों के नित्य नए जातिगत समीकरणों में उलझा भारत कभी तेंदुलकर के विश्व कीर्तिमान में राहत और आशा ढूंढ़ता है तो कभी उन भारतीय अरबपतियों के लंदन और न्यूयार्क तक फैले ऐश्वर्य और भोग के अपार विस्तार की कथाओं से खुद को दिलासा देना चाहता है कि हम आगे बढ़ रहे हैं