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Showing posts from November, 2017

आज की दुनिया

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आज की सुबह। मेरी जिंदगी की नई सुबह। रात होती हैं तो लगता हैं हाश होगी। जब,रात गुजर जाती हैं तो सुबह होती हैं।वो सुबह कभी तो आएगी...एक अद्भुत गाना। सुबह से निकले हैं,राही रात को पहुचेंगे, देखेंगे,समजेंगे साथी,नए तरीके खोजेंगे। #राही:व्यक्ति आज सुबह मेरी अमदावाद में होंगी।मेरे सुबह सुबह ही अहमदाबाद शांत लगता हैं।सूर्योदय से पहले अगर खिड़की नहीं खुली तो कब 10 बजे व्व मालूम नहीं पड़ता।शहेर में दिन नही समय चलता हैं।रात नही होती,रात का सन्नाटा भी नहीं होता।रडे ऐसी ऑफिसमें बारिश,गर्मी या ठंडी समान हैं।यह किसी से कोई भेदभाव नहीं हैं।हाला की अमदावाद शहर का प्रत्येक व्यक्ति चलता हैं तो ही जाके शहर भागता हैं। आज का दिन मेरे कुछ खास दिनोंमें से एक हैं। अमदावाद में पहुंचने पर जैसे आज खुशी हुई। मेरी सरकार:मेरा अमदावाद #Thanks दादा दी... #Thanks सरकार... 91.1 गुडमोर्निंग अमदावाद...

દવા અને જીવન

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એક ડોક્ટર હતા. હંમેશાં ખુશ રહે. એક દિવસ એક મિત્રે તેમને સવાલ કર્યો કેતું દરેક સંજોગોમાં આટલો ખુશ કેવી રીતે રહી શકે છે? ડોક્ટરે જવાબ આપ્યો કે, મારી દવા ઉપરથી હું જિંદગી જીવતા શીખ્યો છું દવા ખાઈને નહીં પણ દવા પાછળનું તાત્પર્ય સમજીને!ડોક્ટરે મતલબ સમજાવ્યો કે, આપણા મોઢામાં ચોકલેટહોય તો આપણે ચગળ્યા રાખીએ છીએ અને દવાની કડવી ગોળી હોય ફટ દઈને ગળેથી નીચે ઉતારી દઈએ છીએ.બસ આવું જ જિંદગીનું છે !ખરાબ ઘટના હોય તેને ગળેથી નીચે ઉતારી નાખવાની અને મજા આવે એવું હોય એને ચગળ્યા રાખવાનુ. #jivan

शादी की पत्रिका

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एक व्यक्ति। जो काम करता हैं। बस,उसी में जुड़ा रहता हैं। स्वयं उसका स्वभाव ही ऐसा हो जाता हैं।बात हैं चेतन पटेल की।कल उसकी शादी थी।में भी इस ख़ुशिका हिस्सा बना।मेरी खुशियों से जुड़ी नहीं आपको चेतन की शादी की बात करूंगा।जो चेतन को जानते हैं उन्हें ये बात नई नहीं लगेगी।चेतन इनोवेशन को ही खोजता ओर अमल करता और करवाता हैं। उसकी शादी की पत्रिका को उसने बहोत सुंदर तरीके से छापा हैं।आज तक हुए बहोत सारे इनोवेशन में से कुछ पसंदीदा इनोबेशन उसने अपनी पत्रिका में छपवाये थे।आप को आए पत्रिका देखके ही चेतन की जीवन शैली के बारे में मालूम पड़ता हैं। शादिमें एक बात जो मेने तब देखी जब शादी के वख्त गानो के साथ वहां की महिलाएं धार्मिक श्लोक ओर स्तुतिका पठन सामूहिक तोर पे करती दिखी। चेतन ओर आवृत्ति को अपनी शादीशुदा जिंदगी के लिए शुभकामना। #चेतनावृत्ति...

मेरे दादा

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तब हमारा देश गुलाम था। हमारा देश अंग्रेजो का गुलाम था।उस वख्त 150 साल से अधिक साल की अंग्रेजो की गुलामी चली आ रही थी।अंग्रेजो के लिए हिंदुस्थान सोने की चिड़िया वाला देश था।वो इस देश में ओर भी ज्यादा अधिक रहना और उसे लूटना चाहते थे। शिक्षा से लेके व्यवस्था तक ऐसी साजिश चलती की लोग  शारीरिक और मानसिक रूप में आज़ादी मांग न पाए।ऐसी एक बात में आपको कहता हूं। एक युवान। उसका नाम पूनमचंद। जयशंकर पंड्या के पुत्र।राजस्थान से नजदीक गुजरात का आखिरी गाँव मेघरज।गरीब मजदूर जयशंकर के पुत्र अपनी युवानी में देश को आज़ाद करने के इरादे से आगे बढ़ते गए।आसपास के सभी गाव,छोटे शहर और पूरे प्रदेशमें पूनमचंद को क्रांतिवीर की पहचान मिल चुकी थी। स्वदेशी शिक्षा के लिए पूनमचंद छोटे से धनसुरा गाँव में अंग्रेजी स्कूल के शिक्षक बने।कुछ दिनों में उन्होंने देश सेवा के लिए अंग्रेजो की नोकरी छोड़कर, कुश्ती,कब्बडी,अंगकसरत के साथ शिक्षामें जुड़ गए।उनके इस काम के माध्यमसे स्वदेशी शिक्षा को बढ़ोतरी मिली।अंग्रेज भी इस भ्राह्मन युवान को पकड़ने के आयोजन में लगे। ये जानकारी पूनमचंद को कहि से मिलगई।स्थानिक आदिबासी

ऋषिपाल:एक बंदा.. नेक बंदा...

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ऋषिपाल। एक अभिनव शिक्षक।एक इनोवेटर्स।एक नवाचार के शोधक ओर शोधसृष्टि के सहयोगी।हरियाणा में रहते हैं।अध्यापक हैं।आने काम से समय बचाकर वो बच्चो के नवाचार खोजने के काम में जुड़के रहते हैं।पिछले कई सालों से हम हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों तक ऋषिपाल के सहयोग से जा पाए हैं।पहुंच पाए हैं। उनके स्वभाव में ही ऐसी एक बात हैं जो उन्हें कभी हारने नहीं देती।सृष्टि इनोवेशन से जुड़े ऋषिपाल हनी बी नेटवर्क के स्थायी सदस्य और सहयोगी हैं।सप्तरंगी फाउंडेशन,गुजरात के वो मार्गदर्शक भी हैं।गुजरात में आयोजित हो चुकी बहोत सारी क्रिएटीविटी वर्कशॉप में वो जुड़ चुके हैं।नेशनल कोंफ़र्न्स के आयोजन में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता हैं।आप भी उनके काम को पसंद करेंगे। #Bnoवेशन

महेंद्र की कहानियां

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एक बच्चा। उसका नाम महेंद्र। महेंद्र कहानियां लिखता हैं।महेंद्र बच्चा हिने परभी कहानियां लिखता हैं।उसके शिक्षक श्री पंकजभाई प्रजापति ने उसकी कहानियों को देखा।उसे मार्गदर्शन दिया।प्रोत्साहन दिया।लोगो से बिनती करके पैसा जुटाया।ओर महेंद्र परमार की कहानियां की किताब छपी। सबसे कम उम्र वाले ये साहित्यकार को सन्मान भी अनूठा मिला हैं।आईआईएम अमदावाद में उसे निमंत्रण प्राप्त हुआ।यहां उसकी कहानियों को सराहा गया।दिल्ही में आयोजित राष्ट्रपति भवन के कार्यक्रम में महेंद्र परमार को सृष्टि के माध्यम से निमंत्रण प्राप्त हुआ।सृष्टि ओर हनी बी नेटवर्क के माध्यमसे डॉ अनिल गुप्ता के सहयोग से महेंद्र को ये सन्मान प्राप्त हुआ। #सृष्टि #हनी बी #Bnoवेशन

बीता हुआ कल

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बुद्ध भगवान एक गाँव में उपदेश दे रहे थे. उन्होंने कहा कि “हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए. क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करनेवाला दूसरोँ को जलाएगा तथा खुद भी जल जाएगा.” सभा में सभी शान्ति से बुद्ध की वाणी सून रहे थे, लेकिन वहाँ स्वभाव से ही अतिक्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा हुआ था जिसे ये सारी बातें बेतुकी लग रही थी . वह कुछ देर ये सब सुनता रहा फिर अचानक ही आग- बबूला होकर बोलने लगा, “तुम पाखंडी हो. बड़ी-बड़ी बाते करना यही तुम्हारा काम. है। तुम लोगों को भ्रमित कर रहे हो. तुम्हारी ये बातें आज के समय में कोई मायने नहीं रखतीं “ ऐसे कई कटु वचनों सुनकर भी बुद्ध शांत रहे. अपनी बातोँ से ना तो वह दुखी हुए, ना ही कोई प्रतिक्रिया की ; यह देखकर वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और उसने बुद्ध के मुंह पर थूक कर वहाँ से चला गया। अगले दिन जब उस व्यक्ति का क्रोध शांत हुआ तो उसे अपने बुरे व्यवहार के कारण पछतावे की आग में जलने लगा और वह उन्हें ढूंढते हुए उसी स्थान पर पहुंचा , पर बुद्ध कहाँ मिलते वह तो अपने शिष्यों के साथ पास वाले एक अन्य गाँव निकल चुके थे .

कुछ लोग...कुछ खास लोग...

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कुछ लोग खास होते हैं। कुछ लोग सहज होते हैं। वैसे ही खास ओर सहज व्यक्ति से मिलना हुआ।हम दिल्ही से आनेवाली फ्लाइट का इंतजार करके खड़े थे।तभी भारत के जानेमाने प्ले बेक गायक श्री नितिन मुकेश जी भर आते दिखे।आज से पहले में उनसे 3 बार मिल चुका हूं।हमारी नजरे मिली।मैंने तो उन्हें पहचान लिया था।उन्होंने भी मुजे पहचान।मेरे बच्चे को उनके साथ फोटो लेने की इच्छा जताई।वो तुरंत तैयार हुए।मेरा बच्चा भी खुश। नितिन जी की वो सरलता और सहजता मुजे पसंद आई।आजसे पहले भी मेने उन्हें पब्लिक के साथ, पब्लिक के सामने देखा था।उतने ही सहज और सरल आज थे। अपनी पहचान कपड़ो से नहीं,काम से होती हैं।फ़िल्म इंड्रस्ट्री में तीन पीढ़ी से जो परिवार हैं वो इतने सहज आज देखे।में फिरसे कहूंगा कि सदाई सदैव हैं।दिखावा कुछ पलका। कुछ लोग सब्जी लेने के समय भी नए वस्त्र परिधान करते हैं जैसे शादिमें जाना हो।कुछ लोग किसी की नकल करने में अपना समय खर्च करते हैं।और अपनी नकल कोई करे उतनी ऊंचाई पे पहुंचने में देरी करते हैं। श्री मुकेश श्री नितिन मुकेश आज श्री नील नितिन मुकेश... क्या वो मेकप नहीं कर सकते?क्या उनके पास पैसा न

सफलता कैसे...!

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आप की सफलता। आप की विफलता। आप के पूरे भविष्यको बनाने में आपकी दिन चर्या बहोत महत्वपूर्ण हैं।आयोजन के साथ काम करने से ओर धीरज रखने से हमे सबकुछ प्राप्त हो सकता हैं।हमारी दिनचर्या में ही हमारी भावी सफलता छुपी हैं।गांधी जी दोनों हाथोंसे लिख सकते हैं।वो जब अपने सही हाथ से लिख के थक जाते थे तब वो अपने उलटे हाथों से लिखते थे।अगर एक हाथ से थकने के बाद कोई भी आराम करेगा।तब जाके बापू रुकने के बजाय दूसरे हाथ से लिख ते थे।उनकी दिनचर्या ऐसी थी कि वो सारे काम करने के बाद ही सोते थे।उस वख्त आज़ादी की बजह से उन्हें बहोत लिखना पड़ता था।और तब जाके विश्व में सबसे अधिक पत्र लिखने का कीर्तिमान बापू के नाम से जुड़ा हैं। जिन के जीवन में कोई ध्येय हैं तो इस पोस्टर को अवश्य अपना साथी बनाले।आए बात उन्हें कुछ कम समय में सफलता देगी।किसी को दिखाने के लिए नहीं,कोई देख पाए इतने मजबूत इरादे होने चाहिए। #में ओर मेरी सोच

शिक्षामें सुधार...

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आजकल शिक्षामें बहोत कुछ नया हो रहा हैं।कुछ लोग नएपन को स्वीकार नहीं सकते हैं।एक समय था कि जब अध्यापक एक मात्र ज्ञान का स्त्रोत था।आज ऐसा नहीं हैं।कुछ लोग आधुनिक शिक्षा व्यवस्था ओर उनमे आनेवाले बदलाव को स्वीकृति नहीं दे सकते या देना नहीं चाहते। जैसे प्रत्येक व्यक्ति सर्वगुण संम्पन नहीं हैं,वैसे प्रत्येक व्यक्ति सभी बातोंमें जानकारी रखता हो ऐसा नहीं हो सकता।आज पोस्टरमें जो लिखा हैं।वो संदेश शिक्षा से जुड़े सभी व्यक्तियो को उपयोगी हैं।सच्चा शिक्षक व्व नहीं जो बच्चो को पढाये,सच्चा शिक्षक वो हैं जो बच्चोंको शिखने के प्रति लगाव पैदा करे।मेण्य कभी मेरे ब्लोगमें ऐसा नहीं लिखता की में सर्वगुण संम्पन हु।मेनेतो कभी किसीका पोस्टर या बात भी लिखी हो तो उनके नाम से शेर किया हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी सोच को बढ़ाने के बदले,जो सोच बदलने का प्रयत्न करते हैं उसे ही पागल गोशित करने का प्रयत्न करते हैं।कुछ लोग ऐसी वाहियात बातोंमें कहते हैंना कि चलती गाड़ी में चढ़ जाते हैं।ऐसे लोगो के लिए ओर शिक्षामें सुधार चाहने वाले सभी को आजका पोस्टर अर्पण करता हूँ।

दिल्ही दूर नहीं...

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आजकल सब दिल्ही की चरवाहा कर रहे हैं।वैसेभी  गुजरात चुनाव हो और दिल्ही की बात न हो ऐसा हो नहीं सकता।में तो आपको चुनाव के अलावा दिल्ही की बात करना चाहता हूं। आप पोस्टरमें देख सकते हैं कि नेताजी पौधा लगा रहे हैं।साथमें जो लिखा हैं उसपे ध्यान देना हैं।हम सिर्फ पेड़ या पौधे लगाने नहीं हैं।हमें उसका संरक्षण और संवर्धन करना हैं।कहते हैं कि अब दिल्ही डोर नहीं।बस,में भी कहूंगा दिल्ही डोर नहीं हैं।हम सब साथ मिलके सहिमें दिल्ही को दूर कर सकते हैं। #पेड़ लगाए...

ऊबन2

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कुछ नाम ऐसे होते हैं,जिनका अर्थ कुछ अलग होता हैं।कुछ अर्थ भी ऐसे होते हैं कि जिसके बारेमें बादमें मालूम पड़ता हैं।वैसा एक नाम हैं,उबुन्टु ( UBUNTU ) के नाम के बारे में एक सुंदर जानकारी हैं। उबुन्टु ऑपरेटिंग सिस्टम ( Ubuntu Operating System )जिसे हम कम्प्यूटर के बारे में जुड़ी हुई बात के स्वरूपमें देखते हैं।बात ऐसी थी कि कुछ आफ्रिकन आदीवासी बच्चों के ऊपर एक मनोविज्ञानी प्रयोग कर रहे थे।उन्होंने बच्चो से एक खेल खेलने को कहा। खेलमें ऐसा था कि  एक टोकरी में मिठाइयाँ और कैंडीज एक वृक्ष के पास रख दिए गए थे।बच्चों को वृक्ष से या कहें कि मिठाई से  100 मीटर दूर खड़े कर दिया गया था। फिर बच्चो को कहा गया कि, जो बच्चा सबसे पहले पहुँचेगा उसे टोकरी के सारे स्वीट्स मिलेंगे।जैसे ही जानकारी दी गई, रेड़ी... स्टेडी ...ओर गो कहा...तो कुछ नया सामने आया। सभी ने एक दुसरे का हाँथ पकड़ा और एक साथ वृक्ष की ओर दौड़ गए, पास जाकर उन्होंने सारी मिठाइयाँ और कैंडीज आपस में बराबर बाँट लिए और मजे ले लेकर खाने लगे। जब मनोविज्ञानी ने पूछा कि, उन लोगों ने ऐंसा क्यों किया ?तो उन्होंने कहा" उ

परखे या समजें....

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किसीको परखने की नहीं, समजने की कोशिश करें। मेरे एक दोस्त हैं। उनका नाम रामजी भाई। रामजी भाई किसान हैं।वो अपने खेतमें कुछ नया करते रहते हैं।एक दिन की बात हैं।हम साथमें थे।मेने उन्हें कहा,'में आपको परख नहीं पाता,आप किसान हैं कि शिक्षक।हाला की वो किसान हैं मगर उनके फार्म में शिखने वाले आते रहते हैं। मेरा सवाल सुनते उन्होंने कहा,'में किसान हूँ, मेरा काम हैं कि में ऋतु आधारित व्यवस्था को समजू ओर उसके साथ कुछ नया करू।उन्हों ने कहा 'में समज ने की नहीं परखने की कोशिश करता हूँ!' मेने उनके जीवन और जीवन व्यावस्थाको करीब से देखा हैं।वो किसान हैं,नवाचार करते हैं।उनके बच्चे और परिवार उन्हें सहाय नहीं करते हैं।इस बात के लिए उन्हें जब पूछा तो उन्होंने बताया कि 'वो मुजे परख रहे हैं,में उन्हें समज रहा हूँ।उनका परखने का या मेरा समज ने का जब खत्म होगा तब में कुछ नहीं कर पाऊंगा।मेने जो किया या कर रहा हूँ,वो इस लिए की में उन्हें जता सकू में कुछ कर सकता हूँ,ओर अपने आप से कुछ करता रहूंगा। पारिवारिक सहाय अगर न होतो कुछ नहीं हो सकता।परिवार को परखने के बजाय उन्हे समज ने का प्रयत्न

एक इतिहास...

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कुछ दिन खास हैं। कुछ दिन खासम खास हैं। आप एक कैलेंडर के पेज को देख रहे हैं।कहा जाता हैं कि इतिहास उन्हीका लिखा जाता हैं,जो विजेता होते हैं।काला बाजारी को रोकने के लिए श्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंधी करवाई।लंबी योजनाओं को हम शार्ट टाइम में नहीं नाप सकते।वैसा कुछ आज दिख रहा हैं।आज कैलेंडर बनाने वाली किसी कम्पनी ने अपने कैलेंडर में आज के दिन को खास दिन माना हैं। देखते हैं।आगे आगे क्या होगा।आज में बाबूजी महाराज का शुक्रिया अदा करूँगा जिन्होंने मुजे आए फोटो भेजा हैं।कुछ दिन हमे पुराने अच्छे लगते हैं।जे.कृष्णामूर्ति कहते थे के पुराने दिनोंमें से अच्छी बातें हमे याद रखनी चाहिए।और बुरी चीजे फिरसे अपने जीवन में न आये वैसा होना चाहिए।मगर हमे आज ही अपने कर्मो का फल चाहिए। मेने एक कहानी लिखी थी।कहानी में था...'भगवान मयजे धीरज चाहिए ,मगर आज ही'।आज आम का पेड़ लगाएंगे तो आज ही आम मिलेंगे क्या।आज अगर कोई बच्चा साइकल सिखते समय चोट खाता हैं तो क्या उसे साइकिल नहीं सिखानी? देखेंगे... समजे गे... #नोटबंदी

मेरे दोस्त...मेरे साथी...

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लाइट... साउंड... एक्शन और बाइट... पिछले कुछ सालों से ये काम शुरू हुआ हैं।आज मेरे एक दोस्तने मेरे कुछ वीडियो,प्रोग्राम ओर ऐसी क्लिप भेजी जो मेने किसी न्यूज़ चैनल या संस्था के लिए रिकॉर्ड किये थे। आज तक मेरे सभी वीडियो मयजे भेजने वाले मेरे दोस्त राकेश पटेल का में शुक्रिया अदा करता हूँ।कुछ वीडियो आज से 10 साल पहले के हैं।इस वीडियो में में भी अपने आपको नहीं पहचान पाता। पहले कुछ डर लगता था।अब केमेरे से डर नहीं लगता।हा, कुछ निजी कारणों से में खुद को टी.वी. के कार्यक्रमो से दूर रखता हु।फिरभी आज 30 से अधिक इंटरव्यू ओर 80 से अधिक live डिबेट या रिकॉर्डेड कार्यक्रम हैं। #Love You राकेश...टेक्निकली सपोर्टर ओर मेरे टेक्निकली एडवाइजर का शुक्रिया जिसने मुजे मेरा डॉक्यूमेंट कुछ अच्छे तरीके से पहुंचाया।

UNICEF ओर शिक्षा

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आज शिक्षा का बहोत महत्व हैं।कुछ दिन पहले वडोदरा से मुजे निमंत्रण मिला।UNICEF के साथ बरोडा की स्थानिक संस्थाभी इसमें जुड़ी थी।बच्चियो के लिए वैश्विक स्तर पे क्या संभावना हैं।कोनसी व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए।कैसे शिक्षामें छोटी बातों को इम्प्लीमेंट करके परिणाम प्राप्ति तक पहुंच सकते हैं।इन महत्वपूर्ण विषयो के साथ मुजे भी निमन्त्रित किया गया था। मेण्य मेरी बात रखी।सभी को पसंद आई।बहोत लोगोने उसे शेर भी किया।दीपक जो की इस कार्यक्रम के फोटोग्राफर थे।उन्हों ने मेरे साथ ये फोटो शेर किये हैं। UNICEF गुजरात की लक्ष्मी भवानी मेम के साथ 91.1 RJ जाह्नवी के साथ मेरा पहला परिचय हुआ।91.1 के माध्यम से मुजे कहानी कहने का मौका मिला।शिक्षा में नवाचार ओर मेरी समजाई बातों के साथ चर्चा करके मुजे अच्छा लगा। कुमार मनीष जो मेरे दोस्त हैं।जिन्होंने Times of India में मेरे इनोवेशन की स्टोरी की थी।उनके सहयोग से मुजे ये मौका मिला। #UNICEF #Bnoवेशन #Innovation

શીખવું અને શીખવવું

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આધુનિક જમાનામાં સૌથી વધુ મહત્વ શિક્ષણને આપવામાં આવે છે.શિક્ષણ હવે આધુનિકતા સાથે આગળ ધપી રહ્યું છે.આજના સમયમાં શિક્ષકે આધુનિક થવાની જરૂર છે.આ આધુનિક સમયમાં ટેક્નોલોજીનો ઉપયોગ એજ આધુનિકતા નથી.આધુનિક સમય અને જરૂરિયાત સાથે શિક્ષણ કાર્ય કરવું તે આધુનિકતા છે.શિક્ષણકાર્યને શિક્ષણની વિસ્તૃત ભાષામાં અધ્યયન-અધ્યાપન કાર્ય કહેવાય છે.આજ શબ્દોને સરળ રીતે જોઈએ તો શીખવું અને શીખવવું કહી શકાય.અહીં એક મુદ્દાનું ધ્યાન રહે કે શીખવું અને શીખવવું માં એક 'વ' વધારે છે.આ વ એટલે આપણી તાલીમ,આપણો અનુભવ,આપણો વર્ગ વ્યવહાર અને આપણું જ કૌશલ્ય. આપણે શિક્ષણ કરાવવાના આપણા ક્રમને સમજી લઈએ.આજે આટલી આધુનિકતા સાથે આપણે એજ જૂની ઢબની કેટલીક બાબતો સાથે ચાલીએ છીએ.આવી જ એક બાબત છે,દૈનિક નોંધ કે દૈનિક આયોજન.આ દૈનિક આયોજન એ વખતે શિક્ષણમાં આવ્યું જ્યારે આપણો દેશ આઝાદ થયો.તે અગાઉ આપણે મેકોલેની વ્યવસ્થા મુજબ ભણતા હતા.શિક્ષણ સાથે જોડાયેલ સંશોધક શ્રી અવનીશ યાદવ કહે છે કે 'દૈનિક આયોજન શક્ય જ નથી,કારણ વર્ગખંડમાં આવનાર પરિસ્થિતિ નક્કી નથી'.સામે બેસનાર પ્રત્યેક બાળકની શીખવાની અને સમજવાની ઝડપ જુદી જુદી હોય છે.

समय ओर समज...

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समय... न मिलता हैं,न मिलने देता हैं। हम रोजाना कुछ न कुछ नया काम करते हैं।कुछ काम जो हमने तय किये होते हैं,कुछ काम ऐसे होते हैं जो बिना तय किए सामने आ जाते हैं इस दोनों परिस्थिति में हम बहोत बार कुछ ऐसा करते हैं जिससे काम पे असर होती हैं।स्वास्थ्य पे असर होती हैं। कुछ लंबा चौड़ा न बोलने पर भी कुछ कम शब्दोंमें अधिक कहा जा सकता हैं।किसी व्यक्ति के पास जाकर आप लंबा भाषण सुनो इससे अच्छा हैं कि उसकी महत्व पूर्ण बात सुनलो।ऐसे व्यक्ति के पास जाके थोड़ी देर भी सही या कहे तो उपजाउ बात करने को हम किसी कीमत से नहीं तौल सकते। सिर्फ बाते करने से जीवन नहीं चलता।इस स्थितिमें कुछ कम मगर महत्वपूर्ण बात करने में समय लगाना जीवन को सफलता की ओर ले जाता हैं। काम के वख्त या काम की गंभीरता को समजीए बगैर सिर्फ बाते करना सही नहीं हैं।जब आप शारीरिक और मानसिक तरीके से स्वस्थ हो तो आप अच्छी बातें करते हैं।मगर सिर्फ बाते करने के लिए हम अपनी जिम्मेदारी को छोड़ नहीं सकते। किसी ने खूब कहा हैं...! सदैव सत्य कहो... अप्रिय सत्य सदैव कहो... प्रिय बनने के लिए असत्य न कहो... इन तीन वाक्यो

क्या होगा...

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आज हमारे आसपास पारिवारिक सवाल आशिक दिखाई देते हैं।संयुक्त परिवार के सामने आज विभक्त परिवार ज्यादा दिखते हैं।आजकल ऐसा क्यों होता हैं।इस बात को समजाने के लिए एक प्रसंग देखते हैं। महाभारत का युद्ध चल रहा था -एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर "भीष्म पितामह" घोषणा कर देते हैं कि - "मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा" उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई - भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए| तब - श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो - श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए - शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि - अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो - द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने -  "अखंड सौभाग्यवती भव" का आशीर्वाद दे दिया , फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि !! "वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो, क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ लेकर आये है" ?

Except Us

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। देश और दुनिया में आज का दिन कई कारणों से महत्वपूर्ण है।आज के ही दिन 1937 के दिन  एडोल्फ हिटलर ने गुप्तबैठक बुलाई थी। जर्मन जनता के लिए ज्यादा जगह लेने की अपनी योजना का खुलासा हिटलरने आज के दिन किया था।आज हिटलर को दुनिया दो तरीके से याद करती हैं।आज का दिन हिटलर के साथ विश्व की ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री के लिए भी महत्व पूर्ण हैं। आजकल हम ऑटोमोबाइल के क्षेत्रमें  जो सुविधा प्राप्त होती हैं इस के लिए भी आजका दिन महत्व पूर्ण हैं।आज हम जो सुविधाए देख ते हैं,उसकी शुरुआत समजीए आजसे हुई थी।ऑटो मोबाइल के जमाने दुनियाका सबसे पहला पेटन आज के दिन 1895 में मिला था। आटो मोबाइल के लिए जॉर्ज बी सेल्डम को पहला पेटेंट मिला।उनके पेटन के बाद आज हम आधुनिक सुविधाए प्राप्त कर रहे हैं। आजका दिन साल का 309 वा दिन हैं।ओर आज से 56 दिन साल बदलनें में बाकी हैं।वैसे तो हमारे लिए सभी दिन महत्वपूर्ण हैं।जैसे हम हमारे जन्म दिवस या दिन विशेष को याद करते हैं वैसेही आज का दिन दुनियामें कई लोगोकी जिंदगीमें जन्म दिवस होगा।शादिका दिन होगा,या किसी और तरीक़े से जुड़ा होगा।अगर देखा जाय तो कल से वेकेशन खत्म होने को है

आज 4 in 1

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आज का दिन महत्व पूर्ण हैं।आज एक साथ  चार महत्वपूर्ण दिवस एक साथ हैं।आज हिन्दू त्योहार में देव दीवाली हैं।आज भगवान दीवाली मनाएंगे।साथ में आज गुरु नानक जी की जन्म जयंती हैं।आज से जैन साधु साध्वीजी ओर भगवंतों के द्वारा विहार यात्राका प्रारंभ होगा।इन सबके साथ गांधीजी के आध्यात्मिक गुरु और विचारक श्रीमद राजचंद्र जी की 150 वी जन्म जयंती भी हैं। गुरु नानक:- 15 वी सदी में आज के ही दिन 1469 में गुरुनानक जी पैदा हुए थे।लोगोंमें उस वख्त बहोत हताशा ओर निराशा थी।गुरुजी ने अपने वर्तन ओर संदेसे सदभावना के लिए  काम किया था।अपने जीवन के अंतिम समय में उन्होंने अपने लहैंना नामक सेवक को अपनी गादी की पवित्रता ओर कार्योको संभाल ने हेतु उन्हें गादीपति बनाया था।70 सालकी आयुमें 1539 में उनका निर्वाण हुआ था।1430 पेज का गुरुग्रंथ साहेब   का निर्माण किया था।आज उसे हम गुरुवाणी मानते हुए उसका सन्मान करते हैं। हेमचंद्र आचार्य:- उनके द्वारा निर्माण हुए सिद्धहेम शब्दानु साशन का सन्मान करते हुए सिद्धराज जयसिंह ने उसे पूरे नगरमें पालखिमें गुमाया था।1145 में धांधूका में हेमचंद्र आचार्य जी का जन्म आज

લોહીની સગાઈ

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આજ થી '104' નંબર ભારતમાં રક્તની જરૂરિયાતો માટે ખાસ નંબર બનશે. આ સેવાનું નામ "બ્લડ ઑન કોલ"  છે.આ નંબર પર ફોન કર્યા પછી 40 કિ.મી.ની ત્રિજ્યામાં ચાર કલાક ની અંદર રક્ત પહોંચાડવામાં આવશે. જરૂર વાળી જગ્યાએ લોહી પહોંચાડવાનો ચાર્જ એક બોટલ એટલે કે 300 CC નો ખર્ચ 450 આપવામાં આવશે.એક બોટલ દીઠ  અને પરિવહન માટે રૂ.100 રૂપિયા વધારાનો સેવા કર આપવાનો રહેશે.આ સંદેશ સૌને પહોંચાડવા પ્રયત્ન કરશો. આ સંદેશા ને અન્ય ગ્રૂપ મા મોકલવા વિનંતી જેથી અન્ય વ્યક્તી મદદ રૂપ થઈ શકાય.કોઈનો જીવ બચાવી શકાય.

જાદુઈ શાળા

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મારી જાદુઈ શાળા. ડૉ. અભય બંગ દ્વારા લખાયેલ આ પુસ્તકનો શ્રી અરવિંદભાઈ ગુપ્તા એ રજૂઆત કરી છે.આ પુસ્તકનો ગુજરાતી અનુવાદ દીપ્તિ રાજુએ કર્યું છે. શ્રી અભય બેંગ દ્વારા પોતાના શાળા જીવનના અનુભવ રજૂ કરવામાં આવેલ છે. જો બાળકો શાળાએ જતાં હોય તો રોકવા નહિ.જો બાળકો શાળાએ જતાં ન હોય તો તેમને ધકેલવા નહીં.આવા અનેક વિચારો અને વાતો માટે આ પુસ્તક ખૂબ જ મહત્વનું છે.શિશુ મિલાપ દ્વારા પ્રકાશિત આ પુસ્તક વાંચવું આપણે ગમશે.કારણ આ પુસ્તકમાં જાદુઈ શાળા,જાનવરો સાથે પરિચય,સંતોનો મેળો,વનસ્પતિ શાસ્ત્રનું શિક્ષણ,જીવાતા જીવનનું ગણિત અને સાથોસાથ રસોઈ દ્વારા શિક્ષણ જેવા કેટલાય મુદ્દાઓ અંગે આ પુસ્તકમાં સરળ શૈલીમાં રજૂઆત કરી છે.ખેતીના પ્રયોગો,જીવંત શિક્ષણ અને શિક્ષણમાં નવીનીકરણ અંગેય સરળ ભાષામાં લખાણ લખાયું છે. નવરચિત સ્ટેટ રિસોર્સ ગ્રુપના સૌ સભ્યોને આ પુસ્તક આજે મળ્યું છે.આપ પણ આ પુસ્તકની વાંચવા માંગતા હોય તો સંપર્ક કરશો. #શુભમસ્તુ...