क्या होगा...
आज हमारे आसपास पारिवारिक सवाल आशिक दिखाई देते हैं।संयुक्त परिवार के सामने आज विभक्त परिवार ज्यादा दिखते हैं।आजकल ऐसा क्यों होता हैं।इस बात को समजाने के लिए एक प्रसंग देखते हैं।
महाभारत का युद्ध चल रहा था -एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर "भीष्म पितामह" घोषणा कर देते हैं कि -
"मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा"
उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई -
भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए|
तब -
श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो -
श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए -
शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि - अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो -
द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने -
"अखंड सौभाग्यवती भव" का आशीर्वाद दे दिया , फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि !!
"वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो, क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ लेकर आये है" ?
तब द्रोपदी ने कहा कि -
"हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं" तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया -
भीष्म ने कहा -
"मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते है"
शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि...
"तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है "
" अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन- दुःशासन, आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होंती, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती "
वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याए हैं उनका भी मूल कारण यही है कि -
"जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है "
बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई "अस्त्र-शस्त्र" नहीं भेद सकता -
इस बात को हम भी परिवार में आजमाए।कुछ परिणाम ऐसे ही नहीं मिलते।जैसे कि आम का पेड़।जो पेड़ लगाता हैं वो आम नहीं खाता।
बड़े बड़े होते हैं।
उनके आशीर्वाद ही हमे शांति का रास्ता दिखता हैं।शांति से ही प्रगति होगी।काम को पूरा करने,गोल को प्राप्त करने के लिए हमे शांति चाहिए।जिसके लिए हमे ही कुछ करना हैं।
हम क्या ओर कैसे करेंगे,वो हमें तय करना हैं।जोभी करना हैं शांति से आगे बढ़ना हैं।
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