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Showing posts from October, 2019

सोलापुर कोन्फ्रंस

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आज सोलापुर में एक कोन्फ्रंस हैं। वहाँ 7 स्किल फाउंडेशन और sir फाउंडेशन के संयुक्त साहस से हम ये कार्यशाला कर रहे हैं। सर फाउंडर स्थापक सदस्य के तौर पे कहु तो आज 13 साल खत्म हुआ।अब और जोस् से आगे बढ़ रहे हैं। सारे देश में से 16 स्टेट से  100 से अधिक शिक्षक एवं उन के साथ उन के नए विचार होंगे। 7स्किल समूचे देश में से स्किल और नवाचार खोज रहे हैं। पिछली बार ये कोन्फ्रंस गुजरात में हुई थी। पिछले 2 साल से सोलापुर वाले साथी कर रहे हैं। श्री बालासाहब वाघ, श्री सिद्धराम जी, श्रीमती हेमा ताई, श्री राजकिरण और अन्य साथी उसे सफल बनाने में जुड़े हैं।आप भी आप के नवाचार,शोधपत्र या अन्य जानकारी हम तक पहुंचाएंगे। #THANKS #अनिल गुप्ता sir #with U 7स्किल सोलापुर मुझे याद हैं। आज भी में सोलापुर हु। 31 और 1 तारीख का आयोजन हैं।में 1 तारीख को निकलूंगा। पिछले साल जो यहां तय हुआ था,आखिर तक उसे नहीं संभाल पाए। आज जो हम साथ मिलेंगे तो एरर दूर करेंगे और नए तरीके से अच्छा,सच्चा और बेहत खूबसूरत करेंगे। किसी से जुड़ने से होंसला बढ़ता हैं। बिच काम में कोई छोड़ दे तो तो...कुछ बढे न बढ़े जस्सा डबल हो जाता हैं।

मेरी दिवाली

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  रंगोंली दीपावली ली में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। हमारे नए घर में पहली दिवाली थी। श्याम को रंगोली बनाने की में तैयारी करता था। उसी समय मेरी बड़ी बच्ची कहे मुझे ही रंगोली बनानी हैं। आज से पहले उस ने छोटी रंगोली बनाई हैं। आज इतनी बड़ी और सुन्दर रंगोली उस ने कभी नहीं बनाई थी। कुल मिलाकर 2 फिट के व्यास से ये बनाई गई हैं। एक बैठक पे 6 घंटे की महेनत के बाद ये रंगोली बनी गई हैं। ऋचा जो, आज कॉलेज करती हैं। मगर उसे रंगोली बनाना पसंद है। रंगोली हमारे पर्व की एक अनोखी पहेचान हैं। इसे बनाए रखने में और हर साल 4 से 5 प्रकारकी रंगोली बनाती हैं। खुद ही पसंद करती है और जो सबसे अच्छी है उस के ऊपर हमारे साथ फोटो खिंचती हैं। मेरी पगली फोटो भी अच्छी लेती हैं।रंगोंली दीपावली ली में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। हमारे नए घर में पहली दिवाली थी। श्याम को रंगोली बनाने की में तैयारी करता था। उसी समय मेरी बड़ी बच्ची कहे मुझे ही रंगोली बनानी हैं। आज से पहले उस ने छोटी रंगोली बनाई हैं। आज इतनी बड़ी और सुन्दर रंगोली उस ने कभी नहीं बनाई थी। कुल मिलाकर 2 फिट के व्यास से ये बनाई गई हैं। एक बैठक पे 6 घंटे की महेनत क

એવું જ હોય...

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દેશની પ્રથમ દૃષ્ટિહીન મહિલા IAS પ્રાંજલ પાટિલે સોમવારે તિરુવનંતપુરમમાં સબ કલેક્ટરનો હોદ્દો સંભાળી લીધો. મહારાષ્ટ્રના ઉલ્લાહસનગરની પ્રાંજલે 2016માં પ્રથમ પ્રયાસે જ યુપીએસસી ક્વાલિફાય કરી લીધું હતું. તેમનો 773મો રેન્ક હતો. તેમને રેલવે એકાઉન્ટ વિભાગ (આઇઆરએએસ)માં નોકરી ફાળવવામાં આવી હતી. પરંતુ રેલવેએ દૃષ્ટિહીનતાને કારણે તેમને નોકરી આપવાનો ઇનકાર કરી દીધો. બીજા વર્ષે પ્રાંજલે 124મો રેન્ક પ્રાપ્ત કર્યો. પ્રાંજલે કહ્યું કે ‘આપણે ક્યારે ય હાર માનવી જોઇએ નહીં. કારણ કે આપણા કરાયેલા પ્રયાસ જ આપણને સફળ બનાવે છે.’ 6 વર્ષની વયે સાથી વિદ્યાર્થીએ આંખમાં પેન્સિલ મારી દીધી હતી, બ્રેઈલ લિપિથી અભ્યાસ કર્યો પ્રાંજલની કહાની સાબિત કરે છે કે હિંમત, જુસ્સો અને ઇચ્છા હોય તો કોઇ પણ અક્ષમતા સફળતા અટકાવી શકતી નથી. પ્રાંજલ જ્યારે 6 વર્ષની હતી, ત્યારે તેમના એક સાથી વિદ્યાર્થીએ તેમની આંખમાં પેન્સિલ મારી ઇજા પહોંચાડી હતી. ત્યાર પછી બંને આંખની દૃષ્ટિ જતી રહી. માતા-પિતાએ પ્રાંજલને મુંબઇની દાદર ખાતેની કમલા મહેતા સ્કૂલમાં દાખલ કરાવી હતી. આ સ્કૂલ પ્રાંજલ જેવા ખાસ વિદ્યાર્થીઓ માટેની છે. અભ્યાસ બ્રેલ લિપિમાં થાય છે. અહ

सनथ

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समय कभी रुकता नहीं। आज भी समय चलित हैं। क्योकि... 11.10.2019 के दिन से में  सणथ प्राथमिक स्कूल में हाजिर हुआ हूं। आज से मेरा हेड क्वाटर: डॉ. भावेश पंड्या मु.शिक्षक, सणथ प्राथमिक स्कूल। पगार केंद्र लोरवाड़ा ब्लॉक: डीसा जिल्ला: बनासकांठा। फिर ये स्कुल *गमती निशाल* बनेगी। श्री संजय पटेल और श्रीमती हंसा बेन के साथ मिलकर सणथ को मॉडल स्कुल बनाएंगे। 2006 में ब्रिटिश काउंसिल आये थे। उस से भी अच्छा करने का मन हैं। काम बच्चे करे, अनुभव प्रात करे और इसी तरीके से बच्चे सीखेंगे। मेने सिखाया है और में सीखा पाऊंगा।अनुभव का आदान प्रदान होगा। 2004 से सणथ सीधा 15 साल बाद आया हु। मेने जो काम किया था वो दिखता हैं। उसे संवारना है। बच्चो की सबख़्या बढ़े और फिर से गमती निशाल क्रियान्वित बने ऐसी आशा रखता हूं। भवदीय भावेश पंड्या मुझे यकीन हैं सब कुछ मुमकिन हैं। अब सनथ के साथ...

एक नया घाव

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कुछ यादें नाखूनों के पास निकल आई ड्राई स्किन सी होती हैं तुम्हें लगता है तुम तोड़ फेंकोगे या काट के निकाल दोगे पर अक्सर इनसे जुड़ी जीवित त्वचा निकल आती है और छिल कर दे जाती है एक नया घाव

और वो जिन्दा नहीं रहे...

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आज एक फोटो स्टोरी लिखता हूं। तसवीर है सुदान की। वर्ष 1993 की ये बात हैं। 'ध वल्चर ऐंड ध लिटल गर्ल' नामक तस्वीर खींची थी एक पत्रकार ने।उस पत्रकार का नाम था केविन कार्टर। दुकाल में भूखे लोग जब मरते है तब गिद्ध आकर उसे खाते हैं। एक फोटो में एक लड़की के मरने की राह देखता गिद्ध उसे खाने को तैयार बैठा हैं। बहोत छोटी उम्र थी इस जर्नालिस्ट की। एक फोटोग्राफ ने उसे विश्व प्रसिद्द पुलित्ज़र पुरस्कार मिला। ये पुरस्कार प्राप्य करने वालो में यह जर्नालिस्ट आज तक के सबसे कम उम्र वाला विजेता था। अब हुआ ये की छोटी उम्र में बड़ा सन्मान प्राप्त हो गया था। देश दुनिया में इस जर्नालिस्ट की चर्चा चल रही थी। वैश्विक पुरस्कार के बाद भी खुश न हो पाए। क्या हुआ...? बात ऐ हुई की जब उन से टी.वी. में इंटरव्यू या चर्चा चलती उन्हें अनेक लोग सवाल करते। कुछ महीने ऐसे चलते रहा। मगर एक बार ऐसा हुआ की केविन कार्टर विभिन्न चेनल में चलते रहे। जिस भी देश में जाते उन का आदर सत्कार हुआ।  किसी देश में टेलीविजन पर इंटरव्यू चल रहा था। दर्शक फोन कर के   उन से सवाल कर रहे थे। किसी एक महिला ने उन से पूछा उस लड़की का क्य

एक खोज

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सभी किसान भाइयों को नमस्ते इनोवेशन सिल्वर जुबली भाई सरदार   दविंदर सिंह जी  जर्नलिस्ट पंजाबी ट्रिब्यून यमुनानगर हरियाणा मैं काफी समय से काम कर रहे हैं आज मुझे यह अखबार की कटिंग भेजी 25 साल पुरानी जिसमें झाड़ू लगाने वाली मशीन वाह कैमरे की बैटरी से चलने वाला सपरे पंप पुरानी याद आ गई जब गांव वालों ने वह घर वालों ने मुझे पागल घोषित कर दिया था तब गांव में औरतें घुंघट किया करती थी और श्रीमती श्यामू देवी जीने सरदार देवेंद्र सिंह जर्नलिस्ट से पूछा की इसका कुछ बनेगा भी कि या लोग ऐसे ही मजाक उड़ाते रहेंगे सरदार जी ने कहा धीरज रखो कोशिश करो कामयाबी जरूर मिलेगी श्रीमती जी का पूरा सहयोग मिला  कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती मुझे पता नहीं था हनी बी नेटवर्क सृष्टि ज्ञान एन आई एफ का साथ मिलेगा और मुझे राष्ट्रपति सम्मान मिलेगा विदेशों में मेरी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की जाएगी देश के बड़े संस्थान आई आई एम आईआईटी के विद्यार्थी भी मुझे पहचानेंगे और पहचान बनेगी अति धन्यवाद