Posts

Showing posts from March, 2018

જીવાતું જીવન

Image
જીવન માં કેટલાક ગુણ આપો આપ ઉતરી આવતા હોય છે. અવગુણ અગણિત  હોવાના લીધે આપણે ફક્ત ગુણ ની જ વાત કરી રહ્યા છીએ.કેટલાક ગુણ એવા હોય છે જે આપના વિચાર અને વર્તન માં હોય છે.આવા કારણે વ્યક્તિ મહાન બની જાય છે.આપણા અવગુણ  સદગુણના વિશાળ પડછાયા માં  ઢંકાઈ જાય  છે.  રાત્રે સુવાની  તૈયારીમાં હતો અને થયું ચાલો લાસ્ટ મેસેજ જોઈને લંબાવું.પણ છેલ્લો મેસેજ એવો હતો કે એના વિચાર સતત આવતા રહ્યા.આ વિચાર એક લેખના સ્વરૂપમાં પ્રકટ કરવાના હતા.મુદ્દો माफ करना सीखिए,क्योकि हमभी भगवान से यही उम्मीद रखते हैं।વાત માફ કરવાની હતી,માફ કોને કરવા, ક્યારે કરવા, કેમ કરવા,કેટલી હદ સુધી માફ કરી શકાય,કેવી રીતે માફ કરવા ,કોને કોને માફ કરી શકાય, કેવી  પરિસ્થિતિમાં માફ કરી શકાય,ઈતિહાસમાં માફ કરવાનાં ઉદાહરણ પણ નજર સામે આવવા લાગ્યા. આવા અનેક વિચાર આવ્યા પછી આ લેખ માટે બેઠો.બે-ચાર વખત વિચાર આવ્યો કે ચલો લખવાનાર સાથે વાત કરીને પછી લખું.પણ મેસેજ માં સ્પષ્ટ સૂચના  આપેલી હતી કે આપ આપના વિચારો પ્રકટ કરી શકો છો.મતલબ કોઈના અભિપ્રાય કે સહકાર વગર લખવાનું હતું.પછી આંગળીઓ ના ટેરવાં  અને કમ્પ્યુટર.'ટેરવાં શબ્દને લીધે એક ઐતિહાસિક વાર્

मम्मी पापा...

Image
मेरे पापा... वाह रे वाह...! मेरी मम्मी... वाह रे वाह...! पापा मम्मी वाह वाह वाह...! मम्मी पापा वाह वाह वाह वाह...! एक छोटासा गाना, छोटे बच्चों का गाना।मेरा गाना हैं,मेने लिखा हैं।बहोत बार मेने गाया हैं,बहोत बार गाते हुए सुना हैं। ये दो ऐसे तीर्थ स्थान हैं,की हमे कहीं यात्रा करने की आवश्यकता नहीं हैं।पहले किसी कक्षा में एक इकाई थी।शंकर,पार्वती बैठे थे।उन्हों ने गणेश और कार्तिकेय को विश्व के सभी पवित्र स्थानों की प्रदक्षिणा कण्व को कहा। हुआ ये की कार्तिकेय निकल गए,गणेश जी नहीं जा पाए।उन्हों ने शंकर ओर पार्वती को बिठाकर उनकी प्रदक्षिणा करली।शंकर भगवान ये देखकर खुश हुए। में भी यही कहना चाहता हूं।मेरी भी सोच यही हैं।पोस्टर में आप देख रहे हैं कि माता पिता बच्चे की सहाय कर रहे हैं।सामने ही एक बच्चा बैठा हैं।वो शायद अनाथ हैं।बाजू में लिखी लाइन को में फिरसे नहीं लिखूंगा।आप भी समझदार हैं। @#@ मा बाप स्वर्ग नहीं,स्वर्ग से अधिक हैं।

जिंदगी

Image
किसी ने कहा हैं,जिंदगी जिंदा दिलीका नाम हैं,मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं।हमने जिंदगी को करीब से देखा हैं।बहोत बार हम ऐसा किसी के मुह से सुनते हैं।ये सुनने में जितना अच्छा लगता हैं,उतना सरल होता नहीं हैं।आज के पोस्टरमें आप इसे अच्छे से समज सकोगे। जब हमारी जिंदगी शुरू होती हैं,मम्मी पापा ओर अन्यका सहयोग और समर्पण हमारे लिए रहता हैं।जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती हैं।वैसे वैसे हम कुछ कमजोर हो जाते हैं।जब अपने पैरों पे अपनी जिम्मेदारी आती हैं,हमारा रंग और जीवन बदल जाता हैं। आखिर में थके हारे हम ऐसे हालात में पहुंच जाते हैं कि हम कुछ करने के काबिल नहीं रहते।आज अगर देखा जाए तो हमारा जीवन और सुविधाओं को हम सुख मानते हैं।इस हालमें एक ही बात हमारे सामने आती हैं।ये बात हैं आत्म विश्वास और अपने पन की पहचान।हम भी हमारी पहचान बनाते हुए जीवन को पूर्ण करने की ओर आगे बढ़ते हैं।बच्चा जब छोटा होता हैं,उसे चलने में ओर खाने में हमे सहयोग करना पड़ता हैं।ऐसी ही बात बुढ़ापे में आती हैं।इसका मतलब ये हैं कि कॉम्युटर जहाँ से शुरू होता हैं,वही से बंध होता हैं।हमने हमारे बच्चों से जो व्यवहार किया होगा,हमारे

Ssa or भावी आयोजन

Image
केंद्रीय स्तर पर SSA और RMSA एक हो गए। कार्यक्रम हुआ सबको शिक्षा अच्छी शिक्षा। ये कार्यक्रम नर्सरी से 12 वीं तक होगा लागू। मंत्रिमंडल ने 1 अप्रैल, 2018 से मार्च, 2020 के लिए नई एकीकृ‍त शिक्षा योजना बनाने को मंजूरी दी   प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल  समिति ने 01 अप्रैल 2018 से 31 मार्च, 2020 के लिएनई एकीकृत शिक्षा योजना बनाने के स्‍कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग क ेप्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। प्रस्‍तावित योजना में, सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए), राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और शिक्षक शिक्षण अभियान समाहित होंगे।  प्रस्‍तावित योजना के लिए 75 हजार करोड़ रूपए मंजूर कियेगये है। यह राशि मौजूदा आवंटित राशि से 20 प्रतिशत अधिक है।       प्रस्‍तावित योजना प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के ‘सबको शिक्षा, अच्‍छी शिक्षा’ के विज़न के परिप्रेक्ष्‍य में लाई गई है तथा इसका लक्ष्‍य पूरे देश में प्री-नर्सरी से लेकर बारहवीं तक की शिक्षा सुविधा सबको उपलब्‍ध कराने के लिए राज्‍यों की मदद करना है। योजना की प्रमुख विशेषताएं :

श्यामजी कृष्ण वर्मा

Image
आज क्या हैं।आज के दिन में खास क्या हैं।हम कहेंगे आज गुड़ फ्राइडे हैं।कोई कहेगा आज मेरा जन्म दिवस हैं।या ओर भी कुछ हो सकता हैं।आज सब के साथ कुछ खास हैं।आज श्यामजी कृष्ण वर्मा की पुण्यतिथि हैं।गुजरात के गौरव समान क्रांतिकारी की पुण्यतिथि आज हैं। उन्होंने ब्रिटिश शाशन के समय विदेश में रहकर देश को आज़ाद करने का काम किया था।बात हैं उस वख्त की जब हमारे देश में ब्रिटीशरी हुकूमत थी।श्यामजी वर्मा वकील थे।अंग्रेजो ने उन्हें सनद नहीं दी थी।वो अंग्रेजो के सामने केस न लड़पाये इस लिए उन्होंने ये किया था।वर्ष 2015 में जब नरेंद्र मोदी विदेशी दौरे पर थे,तब केमरॉन की सरकार ने ये सनद नरेन्द्र मोदी को दी। आज उनके मृत्यु को 88 साल हुए हैं।आज फिरसे उन्होंने,अंग्रेजो ने अपनी गलती सुधारते हुए उन्हें मरण के 85 साल बाद फिरसे वकीलात करने का मानो लायसेंस दे दिया हैं।एक गुजराती क्रांतिवीर के लिए ओर हम सब के लिए ये महत्वपूर्ण और गौरव से भरी जानकारी हैं।अंग्रेजो ने 1909 में श्यामजी वर्मा की सनद रडी कर दी थी।अपनी गलती को उन्हों ने सुधारा भी हैं।हमारे देश को गुलामी से मुक्त करने के लिए उन्हों ने 1905 में 'इंड

विद्यार्थी कार्य

Image
पिछले कुछ दिनों से कुछ बातें चर्चामें हैं।गुजरात में जून 2018 से NCERT की किताबें आ रही हैं।किताबे बदल ने जा रही हैं।सबसे अधिक चर्चा शिक्षकों में ओर पब्लिकेशन के व्यवसाय से जुड़े लोगों में हैं। किताबे बदलती हैं,पॉलिसी भी बदल रही हैं।अब इन बातों को समज ने के लिए ट्रेनिग ओर आयोजन भीत महत्वपूर्ण हो गया हैं।शिक्षकों की तालीम के लिए KRP ओर RP के वर्ग चल रहे हैं।किसी एक तालीम में तीन बातो पे चर्चा हो रही थी।चर्चा में विषय था व्यक्तिगत कार्य,जूथकार्य ओर सामूहिक कार्य।इन तीन बातो की चर्चामें मेरा भी जुड़ना हुआ। व्यक्तिगत कार्य: इस कार्य में बच्चे अपने आप काम करते हैं।सूचना के आधारपर या किसी ओर काम के लिए जब विद्यार्थी कार्यरत होता हैं तो उसे व्यक्तिगत कार्य कहते हैं। जूथकार्य: जब एक से अधिक व्यक्ति एक साथ मिलकर एक काम करते हैं तो उसे जूथकार्य कहा जाता हैं।इस काम में अलग अलग सदस्य अलग अलग काम या एक ही काम करते हैं। समूहकार्य: सभी बच्चे एक साथ काम करते हैं।जैसे कि अभिनय या गीत।ये दो सिर्फ उदाहरण हैं।जब सभी एक साथ जुड़कर काम करते हैं तो उसे समूहकार्य कहते हैं। इन

સરકારી શાળાના બાળકો...

Image
બોટાદ જિલ્લાના રાણપુર ખાતે એક શાળા.શાળાનું નામ રાણપુર. અહીં શ્રી રમેશ રાઠોડ શિક્ષક તરીકે ફરજ બજાવે.હમણાં ગાંધીનગર ખાતે આયોજિત એક તાલીમ વર્ગમાં મળવાનું થયું.બોલવા ચાલવામાં ખૂબ સરળ એવા શ્રી રમેશભાઈ અને તેમના સાથી પાસેપાસે બેઠા હતા.અહીં તાલીમ વર્ગમાં પરિચય આપવાનું શરૂ થયું.તજજ્ઞ શ્રી સૂચિતભાઈ પ્રજાપતિ એ નવી રીતે પરિચય માટે કહ્યું.આસપાસના બે મિત્રો એક બીજાનો પરિચય આપે.રમેશભાઈ નો પરિચય તેમના સાથીએ આપ્યો.પરિચય જાને એક મિશનરી વ્યક્તિનો આપતા હોય તેવું જણાયું.રમેશભાઈ શાળાના બાળકો માટે  અનેક પ્રયત્નો કરે છે.આપણે જાણીએ છીએ કે સરકારી શાળામાં અભ્યાસ કરતાં વિદ્યાર્થીઓ મોટેભાગે ગરીબ ઘરના આવે છે.આવા વિદ્યાર્થીઓને સૌથી મોટો પ્રશ્ન શિક્ષણ માલતે કરવા પડતા ખર્ચનો છે.આ માટે રમેશભાઈ એ સરસ આયોજન કર્યું.પોતે સીપીએડ શિક્ષક છે.તેમણે વિદ્યાર્થીઓમાં રમત પ્રત્યે રસ જગાવ્યો.તએમને રમતાં કર્યા.આટલું કરીને તેમને સતત અને સખત તાલીમ આપી.આ વિદ્યાર્થીઓ ડિસ્ટ્રી લેવલ સ્પોર્ટ સ્કૂલમા પસંદ થાય તે માટે સતત આયોજન કર્યું. આપણી જાણ માટે કે આવી સ્ફુક દરેક જિલ્લામાં સરકાર દ્વારા બનાવવામાં આવી છે.કાર્યરત છે.અહીં ભણનાર નો ખર્

प्रज्ञा ओर गृहकार्य

Image
वैसे तो हम सभी इस शब्द से अवगत हैं।कुछ सालों से हम गृहकार्य को होमवर्क के नाम से अधिक सुनते हैं।होमवर्क के दरमियान कुछ सवाल सामने आते हैं। होमवर्क को तीन चीजो में बांटा गया हैं।जो कुछ दिनों पहले सीखा हैं।जो आज ही सीखा हैं,ओर जो कल सीखने वाला हैं।ये तीन प्रकार हम कक्षा तीन से ही अमलीकृत करते हैं।कक्षा एक ओर दो में गृहकार्य का कोई प्रावधान नहीं हैं।मुम्बई अधिनियम के तहत हम आपनी व्यवस्था का आयोजन कर रहे हैं।कक्षा 3 से 8 के लिए भी गृहकार्य कितना देना हैं उसके बारे में भी मार्गदर्शन दीया गया हैं। जो क्लास हैं उसको 10 गुना मानके इतने समय के लिए गृहकार्य देना हैं।इस बात को समजेंगे तो आप भी खुश हो जाओगे।कक्षा 3 के लिए 30 मिनिट।कक्षा 4 के लिए 40 मिनिट ओर 5 के लिए पचास।कक्षा 8 के लिए 80 मिनिट।याने आएक घंटा 20 मिनिट से अधिक  गृहकार्य नहीं दे सकते हैं। राइट टू एज्युकेशन के अंतर्गत कहा गया हैं कि विद्यार्थी को स्वगती से ही प्रगति के रास्ते पे ले जाना हैं।जब तक भारतीय संविधान में कलम 29 के आधार पर सरकार कुछ नया नहीं करती हैं,तब तक SCE के तहत ही मूल्यांकन करना हैं।करना पड़ेगा।ये मूल्या

आप बच्चो के फोटो भेजे...

Image
एक छोटा बच्चा। सभी को प्यारा लगता हैं। कहते हैं,बच्चे भगवान का रूप होते हैं।बच्चे हमारे परिवार में हैं।बच्चे हमारे आसपास में हैं।हम जहाँ काम करते हैं,वहां भी बच्चे हैं।जब हम पाठ्यपुस्तक लिखते हैं तब दो शब्द सामने आते हैं।एक हैं बच्चा ओर दूसरा शब्द हैं विद्यार्थी।अब सवाल ये आता हैं कि घर में जो होते हैं उसे बच्चा कहते हैं।जो स्कूल में आता हैं उस को लिखने के लिए विद्यार्थी शब्द हैं।यहाँ बच्चा ओर विद्यार्थी नहीं,यहाँ बच्चो की निर्दोषता के लिए भी हमे गर्व होना चाहिए।मेरी ऋचार्मी से मेरा झगड़ा रोजाना बात हैं।कुछ दिनों पहले एक जगड़ा हुआ।समाधान जल्दी नहीं हो पाया।कल समाधान हो गया।वो भी मजबूत समाधान।में कायम कहता हूं जो हैं इसे देखो,जो होगा उसे देखलेंगे।मेने यहीं तय किया हैं।में ऐसे ही जीवन जी रहा हूँ।आज का पोस्टर किसी ने भेजा था।मुजे मेरे बच्चों का बचपन याद करावे वाले दोस्त का शुक्रिया। @705@ बच्चो के कोई भी फोटोग्राफ अगर हैं तो आप मुजे सेंड करे।हम आजके पोस्टर मे हैं वैसे क्यूट फोटो अल्बम कर रहे हैं।अगर आप के पास नाम और पता हैं तो बी भेजे...!हो सकता हैं बच्चे स्कूल में हो,बाग में

છોકરાં ની સમજ...

Image
આપણે સમજીએ એવું જ વિદ્યાર્થી સમજે એવું નથી.થોડા દિવસ પહેલાં આઇઆઇએમ ખાતે જવાનું થયું.થોડા કામથી નવા કેમ્પસમાં જવાનું થયું.અહીં એક જગ્યાએ તદ્દન સહજ છોકરાં રમતાં. હતાં. આ બધાં થઈ ને કદાચ એ વખતે ત્યાં ત્રણ છોકરાં હતાં.મેં એ છોકરાં જોડે વાત કરી.એમની ચોપડી જોવા માંગી.સરસ રીતે લેખન કરેલું હતું.મેં એના પુસ્તકમાં જોયું.મેં ચોક્કસ પ્રવૃત્તિ અંગે તેના પુસ્તકમાં જોયું. એ પુસ્તક અંગે હાલ કશું કહેવું નથી.એ પાન ઉપર દર્શાવેલ કામ કેવી રીતે કરવું.આ માટે શિક્ષક આવૃત્તિમાં વિશેષ રીતે લખાયું છે.આ વિદ્યાર્થી ના શિક્ષક પાસે શિક્ષક આવૃત્તિ ન હોય એવું બને.હશે,કોઈ થોડી સમજ ફેર સાથે વિદ્યાર્થીની સમજની ચકાસણી શિક્ષક ચોક્કસ અને સતત કરતાં હશે એવું જણાયું.બધી જ રીતે સમજ આધારે તૈયાર થયેલ આ વિદ્યાર્થી.એની નોટ અને ચોપડીના કેટલાક ફોટા. આપને ગમશે. @705@ સવાલ એવો હોય કે એનો એક જ જવાબ હોય તો એ ફિક્સ ફ્રેમ થાય.3+5=8 થાય.પણ ..... +.....=8 નો જવાબ આપીએ તો અનેક જવાબ મળે.

ऋचा खुश हैं...

Image
ऋचा का आज फाइनल। अमदावाद... रिवरफ्रंट, एक्टिविटी सेंटर... आज उसने तैयारी की हैं। रियाज भी किया हैं,मुजे भी खुशी हैं।स्टेज पे इसका पहला बड़ा पर्फोमस हैं।आज में उसके साथ हूं। @SaguBhatt भी हैं।स्टूडियो का ओर लाइव परफॉर्मन्स उसे आज समज में आएगा।Rucha can मुमकिन हैं. अगर वो अच्छा करती हैं तो उसकी महेनत।अगर कुछ कम  करती हैं तो अगली बार महेनत ज्यादा करेगी।में खुश हूं।कुछ लंबे समय के मन मुटाव के बगैर आज हम एक साथ,एक काम के लिए जुड़े हैं।मुजे ख़ुशी हैं कि हम साथ साथ हैं। # अब उसने गाना गा लिया हैं।उसने अच्छा गाया।वो भी अपने परफॉर्मंस से खुश थी।फाइनल में विजेता हो या न हो,उसने अपना सबसे अच्छा काम दिखाया।में खुश हूं,वो भी खुश हैं। ऋचा can मुमकिन हैं...! @704@ हम ऐसा ही सोचते हैं,जो हम कर पाते हैं। हमे ऐसा ही सोचना चाहिए,जो हम नहीं कर पाते। शुभमस्तु...

दो इनोवेशन

Image
આજે ઇનોવેશન અંગે બે મહિલા શિક્ષિકા અંગે વાત કરવી છે.આ બહેનો એ એકદમ અલગ વિચાર સાથે કામ કર્યું છે. વિજ્ઞાન જેવા વિષય ને રમત કે રમકડાં દ્વારા શીખવી શકાય એવા વિચાર સાથે એક બેને કામ શરૂ કર્યું.બીજા એક બેન આમતો માધ્યમિક માં ફરજ બજાવે છે.હા,તેમણે કરેલું કામ પ્રાથમિક શાળામાં પણ ઉપયોગી છે.તેઓના કામ અને અન્ય વિગત માટે આપ એમનો સંપર્ક કરી શકો તે માટે સરનામું આપેલ છે. શ્રીમતી મિરલ પટેલ  વિજ્ઞાન અને ટેક્નોલીજી વિષયને રસપ્રદ બનાવવા માટે એમને વિશેષ આયોજન કર્યું.વિદ્યાર્થીઓ વિજ્ઞાન વિષે જાણકારી મેળવે એ માટે જરૂરી છે કે તે પ્રયોગ કરી શકે.અહી પ્રયોગશાળા કે પ્રયોગના સાધનો ઉપલબ્ધ ન હોય તેવા સંજોગોમાં તેમણે શાળાની વિશ્રાંતિણા સમયમાં વિવિધ રમકડાં બનાવવાનું આયોજન કર્યું.વિદ્યાર્થીઓ સાથે મળી તેમને વિજ્ઞાન વિષયને શીખવી શકાય તેવાં ૧૦૦ કરતાં વધારે વૈજ્ઞાનિક અભિગમ ધરાવતાં રમકડાં બનાવી વિજ્ઞાન વિષયને સરળ બનાવવાનું સફળતા પૂર્વક કરી શક્યા. સંપર્ક વિગત: મીરલબેન ઠાકોરભાઈ પટેલ આંબોલી પ્રાથમિક શાળા. તાલુકો:ભરૂચ   જીલ્લો: ભરૂચ કિરણબા જાડેજા  અંગ્રેજી શિક્ષણમાં વિદ્યાર્થીઓનો શબ્દ ભંડોળ ઓછો હ

नोबल पुरस्कार वाली कविता

Image
साहित्यिक बातो में नोबल मिलना एक गौरव पूर्ण घटना हैं।समग्र भारत में से ये सन्मान श्री रवींद्रनाथ टैगोर को मिला हैं।आज में आपको एक ऐसे सर्जक की बात बताने जा रहा हूँ,जिन्हें अपनी एक कविता के लिए नोबल पुरस्कार मिला हैं। उन्हों ने जो कहा हैं,उसका हिंदी अनुवाद यहां दे रहा हूँ।ये बाते नोबेल पुरस्कार विजेता ब्राजीली कवियत्री  मार्था मेरिडोस की कविता "You Start Dying Slowly" का हिन्दी अनुवाद हैं।आशा हैं आपको पसंद आएगी। 1) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप: - करते नहीं कोई यात्रा, - पढ़ते नहीं कोई किताब, - सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ, - करते नहीं किसी की तारीफ़। 2) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, जब आप: - मार डालते हैं अपना स्वाभिमान, - नहीं करने देते मदद अपनी और न ही करते हैं मदद दूसरों की। 3) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप: - बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के, - चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे, - नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार, - नहीं पहनते हैं अलग-अलग रंग, या - आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान। 4) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप: - नह

हास्य कविता स्त्रिलीग:पुलिंग

Image
पुण्यतिथि पे याद करना हमारे संस्कार हैं।आज 18 मार्च को हास्य कवि श्री काका हाथरसी जी की पुण्यतिथि थी।मेरे एक दोस्त हैं।जानी सर के नामसे में उन्हें बुलाता हु।वो कभी कभी कुछ भेजते हैं।आज उन्होंने मुजे एक कविता भेजी।काका हाथरसी उनका तख़लूस था।उनका असली नाम: प्रभुलाल गर्ग था।उनकी एक रचना विश्व प्रसिद्ध हैं।आज उनकी पुण्य तिथि पर में ये शेर करता हूँ। स्त्रीलिंग, पुल्लिंग काका से कहने लगे ठाकुर ठर्रा सिंग, दाढ़ी स्त्रीलिंग है, ब्लाउज़ है पुल्लिंग। ब्लाउज़ है पुल्लिंग, भयंकर गलती की है, मर्दों के सिर पर टोपी पगड़ी रख दी है। कह काका कवि पुरूष वर्ग की किस्मत खोटी, मिसरानी का जूड़ा, मिसरा जी की चोटी। दुल्हन का सिन्दूर से शोभित हुआ ललाट, दूल्हा जी के तिलक को रोली हुई अलॉट। रोली हुई अलॉट, टॉप्स, लॉकेट, दस्ताने, छल्ला, बिछुआ, हार, नाम सब हैं मर्दाने। पढ़ी लिखी या अपढ़ देवियाँ पहने बाला, स्त्रीलिंग जंजीर गले लटकाते लाला। लाली जी के सामने लाला पकड़ें कान, उनका घर पुल्लिंग है, स्त्रीलिंग है दुकान। स्त्रीलिंग दुकान, नाम सब किसने छाँटे, काजल, पाउडर, हैं पुल्लिंग नाक के काँटे।

कोंन किसका सहारा...

Image
आज अमदावाद जाना हुआ। कुछ काम से गये थे।पूरा दिन काम में ही लगे रहे।हुआ ये की काम खत्म करके निकल ही रहे थे कि एक गार्डन में कुछ बच्चो को देखा। लगभग प्राथमिक स्कूल के बच्चे थे।वो सभी अलग अलग ठिकानों से यहाँ आते थे।उन्हें पढ़ने के लिए कुछ बच्चे भी आ रहे थे।वो ऐंजिनियर के स्टूडेंट्स थे।विश्वकर्मा इजनेरी कॉलेज  चांद खेडा के ये विद्यार्थी गरीब बच्चों  को पढ़ा रहे थे।उनको ये जगह आसपास वालो ने मोहैया करवाई थी।होटल सेफरों के सहाय से ये जगह उन्हें मोहैया कराई गई हैं।गर्मी,शर्दी ओर बारिश के मौसम में वो आसपास के दुकानदार  का सहयोग प्राप्त करके अपना कार्य करने में जुड़े हैं।बच्चे अच्छा करते हैं।ठंडी के मौसम में अंधेरा जल्द होता हैं।इस अंधेरे को दूर करने के लिए पासवाले किसी होटल ने इस तरीके से अपनी लाइटिंग की हैं कि रात को भी ये बच्चे यहाँ काम कर सके।आसपास के बैंक और शॉपिंग वालो ने ऐसे अपना cc टीवी  ऐसे सेट किया कि उनकी सिक्योरिटी  बढ़ गई हैं। मेरा जिनसे मिलना हुआ उन्होंने बताया विद्यानगर आणंद स्थित बचपन नामक  NGO से वो जुड़ के काम कर रहे हैं।आप भी काम में सहयोग कर सकते हैं। @700@ आज क

मा बाप

Image
आज के जमाने में बच्चो के लिए मा बाप सब करते हैं।एक पोस्टर जो इस बात को अच्छे से समजा देता है।माँ के लिए बच्चा कलेजे से अधिक हैं।पिताजी का जो भी हैं,बच्चो का ही हैं। बच्चे अगर दुखी होते हैं,निराश होते हैं तब मा बाप के लिए जैसे  परीक्षा हो जाती हैं।कोई भी मा बाप अपने बच्चों के लिए बुरा नहीं सोचते।एक तरीके से देखा जाए तो हमे दिखेगा की माँ बाप अपनी दुनिया में सबसे अधिक अगर फिक्र करते हैं तो अपने बच्चों के लिए।कहिए कि माँ बाप आने बच्चो के लिए जिंदा रहते हैं। बच्चे कुछ भी करे,मा बाप को वो कभी जुटला नहीं सकते हैं।और आगे ऐसा होता हैं तो नहीं होना चाहिए।कई सारी संस्थान हैं जो वृद्धाश्रम का संचालन करते हैं।में कहता हूं कि ऐसी संस्थान बनाने से ही बच्चे अपने माबाप को छोड़  ने का सोचते हैं। में आज हिन्दू कैलेंडर के पहले दिन अनुरोध करता हूँ कि किसी भी बुजुर्ग को वृद्धाश्रम में न जाना पड़े ऐसा हम संकल्प करते हैं।अगर ये पढ़ने वाले में से किसी के मा बाप अलग रहते हैं,या वृद्धाश्रम में हैं तो वो सोचे।अगर अलग रहते हैं तो उन्हें मिले, कोल करें।अगर वृद्धाश्रम में हैं तो उन्हें वापस घर लाये। उन्होंन

EVS ट्रेनिंग

Image
रायखड़। मुजे पसंद भी हैं। मुजे उस का डर भी हैं। पसंद इस लिए हैं कि में रायखड़ में पढ़ा हूँ।मेने वहां से शिक्षक बनने की तालीम प्राप्त की हैं।मेने PR(प्रेमचंद रायचंद) अध्यापन मंदिर में PTC की हैं।मेरे दादा ओर स्वतंत्र सेनानी पूनमचंद पंड्या भी यहाँ पढ़े थे।उन्होंने भी शिक्षक बनने की तालीम यहां से प्राप्त की थी। रायखड ना पसंद इस लिए हैं कि में वहां पढ़ता था,तब बीमार हुआ था।उस बीमारी ने मुजे बहोत कुछ दीया हैं,बहोत कुछ छीना भी हैं।बहोतो को मैने पाया हैं,ओर बहोतो को खोयभी हैं। में जब बीमार हुआ तब मेरी याददाश्त कम हो चूकीथी।समजीए कि में मेंटली रिटायर हो चुका था।मुजे उस वख्त सहाय करने वाले सभीको में आज याद करता हु,अरे...मेरे जीवन को में उन्हें अर्पण करता हु।कुछ बुरा भी उनसे हो जाय तो में उस में गलती नहीं देखता।नाही मुजे नजर आती हैं।मेने वहां स्व.बिरादर सुबोध महेता के साथ रहा।किसी भी परिस्थिति में अपनी सोच,विचार और असूलों को न बदलने का मेने उनसे सीखा हैं।मेरे जीवन के आज में रायखड़ के दो साल भी शामिल हैं।वो दो साल जो आज मुजे हररोज काम में सामने आते हैं। जो भी मिले खाना...कहीं भी  नींद

सब कुछ सम्भव है...

Image
कुछ लोग खास होते हैं। कुछ लोगो के अहसास भी खास हिट हैं।टीवी चैनल और न्यूज़ पेपर में पढ़ा।समाचार दुखद थे। वैश्विक विज्ञानी ओर विश्व में बहोत से लोगो के प्रेरक स्टीफन हॉकिंग का देहांत हुआ।कह सकते हैं कि ब्रमांडमे वो विलीन हो गए।आज के दिन बहोत सारे लोग पैदा हुए होंगे,बहोत से लोग मर भी गए होंगे। मगर,स्टीफन.... उनका जन्म 8 जनवरी 1942 के दिन  लंडन हुआ था।गेगेलियो के जन्म दिवस पर वो पैदा हुए थे। विश्व के गणित शात्री स्टीफन हॉकिंग 21 साल के थे तभी उनको मोटर न्यूरॉन डिसीस नाम की बीमारी हुई।  चिकित्सको ने कहा की ऐसी बीमारी वाले व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा 2 साल जी सकते है। उन्होंने कहा कि मेरे हाथ काम नहीं कर रहे है, किन्तु मेरा दिमाग तो काम कर सकता है!?  बस इसी काम या विचार को लेकर उन्होंने काम शुरू किया।ब्लेक होल के बारे में  उन्हों ने रिसर्च किये। कुछ सालों बाद बीमारी के कारण उनकी आवाज भी चली गई उन्हों ने रोबॉटिक आवाज को अपनी आवाज बना दी।  शरीर का 90% पार्ट काम नही करता था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मुजे मोत का डर नही है ओर मुजे  मरने की जल्दी नही है। मेरे ऊपर जिम्मेदारी है

उल्टी यात्रा दांडी से साबरमती...

Image
कुछ दिनों पहले की बात हैं। उस दिन दांडी यात्रा को 88 साल खत्म हुए।गांधी बापू से जुड़ी संस्थाओ ने अपने अपने तरीको से उस दिन को याद किया। मेरे एक दोस्त हैं।  मयूरध्वजसिंहजी महाराउल।जो अंकलेश्वर के पास अंदाडा गांव में रहते हैं। व्यावसायिक तोर पे वो इजनेर हैं।उन्होंने इंजियरिंग की पदवी लकधरीसिंह इंजिनयरिंग कॉलेज,मोरबी से प्राप्त की हैं।पिछले दस सालो से वो पीडिलाइट कंपनी में हैं। वो आज कंपनी में  ऑफिसर के रूपमें पूरे दक्षिण गुजरात  जिम्मेदारी निभा रहे हैं।अच्छी तनख्वा से अच्छे विचार नहीं आते।कुछ दरियादिली भी चाहिए।अपने पिता को बचपन में ही खो चुके थे।अपनी 15 वर्ष की आयु में वो अपने पिता की छत्रछाया खो चुके थे।उनकी माता जी ने मयूरध्वज जी के साथ दोनों भाई बहनों को पाला,बड़ा किया। उनकी बहन तेजस्विनी जी आज युवकों से जुड़े संगठन से जुड़ी हैं।कार्यरत हैं।कुछ महीनों पहले की बात हैं। मयूरध्वज जी को पेरमें चोट लगी थी।करीबन छे महीनों तक उन्हें आराम करना पड़ा।कहते हैं कि कुछ दिन ऐसे होते हैं,की उन दिनों में  किये गए संकल्प हमे चेन नहीं लेने देते।मयूरध्वज जी ने ऐसा ही संकल्प किया।जब वो चल नही

कुछ नया...

Image
कुछ अलग हैं तो मजा हैं। कुछ नया हैं तो पसंद हैं,कुछ नया होगा तो अवश्य पसंद आएगा।मेरे एक दोस्त हैं।कुमार मनीष उनका नाम हैं।जब भी उनका कोई मेसेज या मेल मिलता हैं।कुछ खास होता हैं।जब भी वो कोल करते हैं,कुछ अच्छा या नया काम देते हैं,समझते हैं या समजाते हैं। कुछ दिनों पहले की बात हैं।वो दिन विश्व महिला दिबस था।एक दिन पहले उन्होंने मुजे कोल किया।उन्होंने कहा 'आप को में कुछ भेज रहा हु,आप उसे ज्यादा से ज्यादा शेर करें। मुजे हुआ कोई संदेश या कोई ऐसी जानकारी होगी जो मुजे शेर करनी हैं।मेने उनके whats aep  संदेश का इंतजार किया।उन्होंने मुंजे कुछ पोस्टर भेजे।आप को होगा कि पोस्टर भेज उसमें क्या हैं।मगर आपको भी ये पोस्टर देखकर मालूम होगा कि क्या नयापन हैं। सदैव नया सोचने के लिए हमे कुछ नया करना पड़ता हैं।में कुछ ऐसे लोगो को जानता हूँ,जो रोज नया करते हैं।ऐसे लोगो के बारेमें ओर उन के काम के बारे में जानना बहोत रोचक होता हैं। #Thanks कुमार...

अब आगे...

Image
ऋचा ने गाया। में कहता हूं कि अच्छा गाया। उसे संतोष नहीं हुआ हैं।वो कहती थी कि में ओर अच्छा कर सकती थी।मगर नहीं कर पाई।यहां से सात आर्टिस्ट को पसंद किया जाएगा।उसमें से विजेता पसंद होंगे।गुजरात भ्रह्म समाज द्वारा आयोजित ये दूसरा पड़ाव हैं।बहोत सारी सामाजिक प्रवृत्ति से जुड़ा ये ट्रस्ट संगीत में भी विशेष कर रहा हैं। कुछ दिनोंमें तय होगा की मेगा फाइनल में रुचा गायेगी की नहीं।अगर वो नहीं भी गाती हैं तो मुजे कोई दुख नहीं हैं।उस के पास ओर भी वख्त हैं।वो जरूर कुछ खास करेगी।आज अगर में कहूँगा की ऋचा गायेगी तो मुजे ख़ुशी होगी तो एक बात तय हैं कि उसे भी खुशी होगी।अपने परफॉर्मेंस से वो ज्यादा खुश नहीं थी।फिरभी देखते हैं।मुजे यकीन हैं कि उसने अच्छा गाया था।और आगे इस कार्यक्रम में या अन्य कार्यक्रम में गायेगी। शुभमस्तु... # ऋचा can मुमकिन हैं। @#@ अगर हम सफल नहीं होते हैं,तो सफलता थोड़ी दूर हैं,असंभव नही हैं।सख्त परिश्रम ही हमे निष्फलता से दूर करता हैं।

ऋचा फाइनल में...

Image
आज कुछ नहीं। आज जो हो रहा हैं, उसे देख रहा हूँ।ऋचा आज फाइनल में गायेगी।रेकॉर्डिंग में उसकी आवाज नहीं निकल रही थी।आज रात उसे  अपने गले को दुरुस्त करना चाहिए।नमक वाले पानी से अगर वो कुछ कर सकती हैं तो अच्छा हैं।वैसे तो मैने उसे दवाईकी दुकान से कुछ लाने को कहा हैं।मगर वो दवाई लेने से तो कतराती हैं।उसे दवाई लेना पसंद ही नहीं हैं।नमक से भी वो कुछ करेगी कि नहीं मुजे मालूम नहीं हैं।मुजे सिर्फ इतना मालूम हैं उसे गाना हैं और अच्छा गाना हैं। में अब उसे कुछ कहने के काबिल भी नहीं हूं।मगर मुजे मालूम हैं कि वो कुछ खास करेगी।पिछले तीन शनिवार और रविवार को में उसके साथ आया हूँ।मुजे शोख हैं कि वो गाये ओर अच्छा गाये।वो रियाज नहीं करती,रिहर्सल नहीं करती फिरभी अच्छा गाती हैं।अगर वो इस समारोह के बाद ऐसेही गाती रहेगी तो एक दिन उसका होगा। @#@ अगर कोई सच्चा हैं तो सामने आता हैं। पहचान छुपाने वाले कभी हमदर्द नहीं होते। #Best Luck #U can मुमकिन हैं...!

अपना घर

Image
घर क्या हैं। घर कैसा होना चाहिए। घर कैसे बनता हैं,घर की क्या आवश्यकता हैं। एस सवाल हम सुनते हैं।ऐसे सवाल के जवाब हम देते भी हैं। आज के समय में पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन सबसे बड़ा सवाल हैं।ये सवाल भी ऐसा की जिसका सहिमें कोई जवाब नहीं हैं। कुछ दिनों पहले मुजे महाराष्ट्र जाना था।भंडार डिस्ट्रिक्ट से सटे एक छोटे से गाँव में हम गए।यहां एक घर देखने जाना था।आप को होगा कि घर देखने के लिए भांडार...! जी... आप ने कई सारे मकान देखे होंगे।क्या आपने प्लास्टिक से बना मकान देखा?!प्लास्टिक की बोटल से ये मकान बनाया गया।आशियाना नामक NGO ये काम कर रहे हैं।तीन चार महिनो तक बोतल इकठ्ठा करते हैं।इसमें मिट्टी भरते हैं।उसे सीमेंट से चिपकाते हैं।इस घर में न गर्मी लगती हैं, न ठंडी लगती हैं।वातानुकूलित व्यबस्था यहां देखने को मिलती हैं। भूकंप आने पर भी जानहानि नहीं होती हैं।आसपास बिखरने वाला कचरा यहां उस होता हैं।एक छोटासा घर बनाने के लिए 30 से 40000 बोतल चाहिए। ये बोतल का अगर इस्तमाल नहीं होता तो प्लास्टिक कितना नुकसान कर सकता हैं,इस के बारे में आप जानते ही हैं।सारे लोग अगर ऐसे मका

महीने के 5...

Image
मेने सुना हैं। शाहबुद्धिन राठौर ने कहा हैं। अपनी बात को रखते हुए उन्होंने कहा हैं कि शादीसुदा जीवन में महीने में चार से पांच सामान्य विवाद या तकरार नहीं होती हैं तो वो सह जीवन शांत नहीं हो सकता। अब कोई व्यक्ति कहेगा,ऐसा क्यों होता हैं।तो मेरा जवाब हैं की यहाँ दो व्यक्ति हैं हर बात में मनना संभव नहीं हैं।सही भी नहीं हैं।ऐसी बातों में तकरार लाजमी हैं।तभी तो शादी के बाद जीवन में ऐसी तकरार लाजमी हैं,एमजीआर ऐसे   छोटे मुद्दों पे हो तो ठीक हैं। ये कोई ऐसी घटना नहीं हैं जिससे आपका जीवन खत्म हो जाएगा।ये ऐसी बात हैं जो आपको ओर करीब लाएगा।जैसे जैसे करीबी बढ़ती जायेगी वैसे वैसे ऐसी छोटी अरे एकदम से ऐसी कोई बात जो आपको झगड़ा करवाएगी।हो सकता हैं कुछ दिनों से झगड़ा नही किया हो। हो सकता हैं कि पिछले सप्ताह झगड़ा हुआ था,सो आज हुआ हो। महीने में चार या पांच का मतलब हैं सप्ताह में एक।अगर सप्ताह में एक नहीं होता तो कुछ भी करके लरायत्न करे कि छोटासा झगड़ा हो।जहाँ अधिकार हैं,वहां अपना अभिप्राय भी होगा।अभिप्राय हैं तो कुछ तो जताना चाहिए।में कहती हूं आप गलत मतलब निकल ते हो।जी हां, आए सामान्य र

कहा न जाये,सहा न जाये...

Image
कुछ ऐसा होता हैं। कुछ ऐसा नहीं भी होता हैं। पिछले एक महीने से अधिक समय हुआ।समजो भारत भ्रमण ओर गुजरात भ्रमण कर रहा हूँ।वैसे तो अकेले रहने की आदत नहीं हैं।कहिके की मुजे डर लगता हैं।कई बार गया हूँ।अकेले रहने का भी बहोत होता हैं। जब में अकेला होता हूं।अकेला पन महसूस करता हूँ कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो ज्यादातर अकेले रहते हैं।जो अकेले हैं वो ही अकेलेपन का अहसास समज सकते हैं। जब हम अकेले होते हैं।सारे दिन या सारा समय अकेले नहीं होते हैं।अकेले होने के वख्त हम जो करते हैं वो दिन में शायद नहीं कर सकते। अगर मेरे पास संजय जैसी दृष्टि होती तो में डोर से सब कुछ देख सकता।थोड़ी देर पहले हम बात करते हो,अचानक कोई आ जाये या,कुछ ऐसा हो तो हम बात नहीं करेंगे या,अपना जो भी काम करते होंगे उसे बदलते हैं,बदलना पड़ता हैं। में सुबह 5 बजे बिस्तर को छोड़ देता हूँ।मेरे लिए सुबह तब हैं जब में बिस्तर छोड़ू।अगर मुजे कोई कहता हैं कि मुजे सुबह उठने हैं।उस वख्त मेरे लिए सबसे पहली बात ये होती हैं कि में जिन्हें उठा रहा हूँ ,वो पहले अपना बिस्तर छोड़े। एक बार बिस्तर से उठ ने के बाद क्या दूसरे काम या बाते नही

हनी बी नेटवर्क

Image
हनी बी नेटवर्क। मुजे गर्व हैं कि में उससे जुड़े हु। महाराष्ट्र सोलापुर में कुछ दिनों पहले में गया था।इनोवेटिव टीचर्स का एक फाउंडेशन है।नाम हैं स्टेट इनोवेशन ऐंड रिसर्च फाउंडेशन (SIR) की 12 वी सालगिराह पर वहा जाना हुआ। हम वहां बैठे थे।एक ब्लेक बोर्डमें कुछ नहीं था।मेरे साथ चेतन पटेल थे।मेने उन्हें कहा बोलो कोनसा चित्र बनाऊ, उसने कहा हनी बी नेटवर्क का सिम्बोल बनाओ। बस,थोड़ी देरमें सिम्बोल तैयार।उसने फोटो खींचा,मुजे शेर किया।मेने आपको शेर किया। @#@ कुछ तय करना मुश्किल नहीं हैं।मुश्किल हैं तय हुई चीज को याद करके निभाना। Thanks #चेतन पटेल #हनी बी नेटवर्क #Love you हनी बी

મોટા થઈ ગયા...

Image
1 રૂપિયાની 3 પાણીપુરી,3 રૂપિયાની 1 પાણીપુરી  એ બે ની વચ્ચે આપણે મોટા થઇ ગયા.હોટલમાં ખાવા ઝંખવું,હવે ઘરનું ખાવા ઝંખવું.એ બે ની વચ્ચે આપણે મોટા થઇ ગયા. મમ્મી હજુ પાંચ મિનિટ ઉંઘવા દે,હવે snooze બટન દબાવવાની વચ્ચે ક્યાંક મોટા થઇ ગયા. હું મોટો થવા માંગુ છું.અરે..!હું ફરીથી બાળક બનવા માંગુ છું.એની વચ્ચે આપણે ક્યાંય મોટા થઇ ગયા.ચાલો મળીને પ્લાન કરીએ સાથેચાલો પ્લાન કરીને મળીએની વચ્ચે આપણે કદાચ મોટા થઇ ગયા. @#@ કોઈનું પેટ વધી ગયું તો કોઈના વાળ ખરી ગયા.ઉંમર સાથે વધતા વર્ષો.આપણી સાથે કળા કરી ગયા.એક વાતમાં આપણા સૌના નસીબ ઉઘડી ગયા.આપણને સૌને અનાયસે અદ્ભૂત મિત્રો મળી ગયા.

Smile & स्माइल...

Image
एक ऐसा शब्द हैं जिसका मतलब हमे मालूम ही हैं।हमारी वजह से कभी किसी को दुःख पहुंचता हैं।कभी हमारे कारण किसी को खुशिका अहसास होता हैं। कुछ साल पहले सभी के चहरे पर स्माइल दिखे ऐसी सोच डॉ अनिल गुप्ता ने रखी।बात तो छोटी थी मगर उसे अमल करना मुश्किल था। धीरे धीरे बात बढ़ती गई।अमदावाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ओर वाघबक़री चाय का सहयोग मिला।सहयोग मिला मगर अब काम क्या करना था वो भी तय करना था। आईआईएम अमदावाद के सामने वाले ब्रिज के नीचे की जगह को कॉर्पोरेशन से लिया गया।सृष्टि ओर स्वयं अनिल गुप्ता के मार्गदर्शन में इसे स्कूल के योग्य बनाया गया। यहाँ आइसोलेटेड विस्तार से बच्चे  आने लगे।चेतन,सागर,हिरल ओर अन्य साथियों ने इस के लिए काम किया।बच्चे आने लगे,बच्चे पढ़े इस लिए iim ओर अन्य विद्यार्थीओने जिम्मेदारी ली।को कब पढ़ाने आएगा,क्या पढ़ायेगा आए सारी तैयारी हो चुकी थी।डॉ अनिल गुप्ता चाहते थे कि यहां बच्चे आये और अपनी शिक्षा को अच्छे से प्राप्त करे। बस,सारी टीम उसमें जुड़ी।हमने इस सेंटर के लिए बुक्स इकठ्ठा की।सारे गुजरात और बाहर से हमने किताबो को भेटमें लिया।करीब करीब 3 हजार किताबे जो बच्चे इस्तमाल कर

मेरा इक्का

Image
हमे अपनी ओर से जो अच्छा हो सके वैसा करना हैं।हम कभी कभी भूल जाते हैं कि हमे क्या करना हैं।हमारे आसपास कुछ लोग अपनी बात को अच्छे से समजा नहीं पाते हैं। कुछ लोग कमसे कम शब्दमें अपनी बात रखते हैं,मुजे ऐसे लोग पसंद हैं।कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो हमारे लिए कुछ भी करते हैं तो हमे वो पसंद आता हैं।कहते हैं कि किसी का प्यार भिनपसन्द नहीं,ओर किसी की डांट भी प्यारी लगती हैं।मेरी एक दोस्त हैं।हमने साथ में काम किये हैं और आज भी कर रहे हैं।कुछ भी बात हो,हम जब तकरार करते हैं तब तक ठीक हैं।कभी कभी वो समजा नहीं पाती हैं तो अपने हाथ जोड़ती हैं।कहिए के जब में कुछ समझता नहीं हूं तब भी वो हाथ जोड़ती हैं।में उन्हें हाथ जोड़ने से मना करता हूँ।में कहता हूं कि आप हाथ जोड़ते हो तो मुजे शर्म आती हैं।यहाँ मेरे किए हुकुम का इक्का हैं कि में बात मानलू।सही गलत का कोई सवाल नही,इसे फिरसे देख सकते हैं,इसे फिरसे सुधार सकते हैं।मगर अभी तो इस बात को मानना ही सही फैंसला हैं। मेरे एक दूसरे दोस्त हैं। वो महाराष्ट्रमें रहते हैं।शिक्षकों के ओर बच्चो के लिए वो महक से जुड़े हैं।'महाराष्ट्र हनी बी क्लब' याने महक।

હુકુમ ની ચતુરાઈ

Image
એક નગર.અહીં એક રાજા.રાજાનું નામ રાજદીપસિંહ.નગરનું નામ રાજ નગર.અહીં એક માણસ નોકરી માટે આવે છે.રાજા સામે એને ઊભો કરવામાં આવે છે.સામે ઊભેલો જોઈ રાજા તેની લાયકાત અંગે પૂછે છે. આવનાર માણસનું નામ હુકુમ. રાજાએ તેને નામ પૂછતાં તેણે તેના નામ અંગે ચોખવટ કરી હતી.રાજા કહે:' હુકુમ,હું તમને નોકરીએ કેમ રાખું?'આ સાંભળી હુકુમ કહે:સરકાર...નામદાર... હું અવલોકન કરવામાં પાવરધો છું.કોઇ પણ જાતનો કોયડો ઉકેલી શકું છું.આ વિગત ને હું સરસ રીતે સમજાવી શકું છું.' રાજા એ હુકુમ ને ધોડાના તબેલા ની જવાબદારી સોંપી.થોડા દિવસો પછી રાજદીપસિંહ તબેલામાં ગયા.રાજાએ તેમના  મોંધા ધોડા બાબતે હુકુમ ને જણાવવા કીધું. જવાબમાં હુકુમ કહે:'સરકાર, આ ધોડો અસલી નથી.'રાજા એ તપાસ કરાવી.રાજાને માહિતી મળી.રાજદીપસિંહ ને એ ખબર પડી કે ધોડાની નસલ તો અસલી છે,પરંતુ જનમ આપીને તેની મા મરી ગઈ હતી. રાજાનો આ ઘોડો ગાયને ધાવીને મોટો થયો હતો.આ બધું જાણી લીધા પછી રાજ હુકુમ ને મળવા ગયા.રાજા રાજદીપસિંહ કહે:'હુકુમ, તને આ વાત કઈ રીતે ખબર પડી?'હુકુમે સલામી આપી.નીચે નમી રાજાને કહે:'નામદાર...સરકાર...ધોડાઓ મોઢામાં ધા

रूरल फेस्ट...

Image
आज के दिन शिक्षा से जुड़ी संस्थाए भी नवाचार के प्रति जागृत हुई हैं।दिनांक 4 एवं 5 मार्च के दौरान ईडर में भी ऐसा कुछ होगा।बच्चो के नव विचारों को खोजने का इर फैलाने का काम यहाँ हो रहा हैं।आज के दौर में समस्याओ के सामने उसके समाधान ओर खोज के लिए ये महत्वपूर्ण है। इस फेस्टिवलमें जो बच्चे आएंगे उनके विचार प्रदर्शित करेंगे उनको इजनेर या संशोधकों से मिलवाया जाएगा।टेक्नोकोजी या ऐसी कोई व्यवस्था के सामने उन्होंने जो काम किया है उसे स्थानीय क्षेत्रमें इस्तमाल करने का ओर परखनेका उन्हें मौका भी मिलता हैं। @#@ मुजे जब भी मौका मिला हैं,मेने कहा हैं। अगर भावेश नामक लड़के की उम्र 5 साल हैं,उसे दाढ़ी मुछ नहीं हैं तो कोई बात नहीं।मगर वो ही भावेश जब 20 सालका होगा और उसे मुछे नहीं हैं तो सबसे बड़ी समस्या हैं। Innovation में भी ऐसा ही हैं।पहले आवश्यकता नहीं थी या कम जरूरत थी,आज उसके बगैर नहीं चलेगा।