प्रज्ञा ओर गृहकार्य

वैसे तो हम सभी इस शब्द से अवगत हैं।कुछ सालों से हम गृहकार्य को होमवर्क के नाम से अधिक सुनते हैं।होमवर्क के दरमियान कुछ सवाल सामने आते हैं।
होमवर्क को तीन चीजो में बांटा गया हैं।जो कुछ दिनों पहले सीखा हैं।जो आज ही सीखा हैं,ओर जो कल सीखने वाला हैं।ये तीन प्रकार हम कक्षा तीन से ही अमलीकृत करते हैं।कक्षा एक ओर दो में गृहकार्य का कोई प्रावधान नहीं हैं।मुम्बई अधिनियम के तहत हम आपनी व्यवस्था का आयोजन कर रहे हैं।कक्षा 3 से 8 के लिए भी गृहकार्य कितना देना हैं उसके बारे में भी मार्गदर्शन दीया गया हैं।

जो क्लास हैं उसको 10 गुना मानके इतने समय के लिए गृहकार्य देना हैं।इस बात को समजेंगे तो आप भी खुश हो जाओगे।कक्षा 3 के लिए 30 मिनिट।कक्षा 4 के लिए 40 मिनिट ओर 5 के लिए पचास।कक्षा 8 के लिए 80 मिनिट।याने आएक घंटा 20 मिनिट से अधिक  गृहकार्य नहीं दे सकते हैं।
राइट टू एज्युकेशन के अंतर्गत कहा गया हैं कि विद्यार्थी को स्वगती से ही प्रगति के रास्ते पे ले जाना हैं।जब तक भारतीय संविधान में कलम 29 के आधार पर सरकार कुछ नया नहीं करती हैं,तब तक SCE के तहत ही मूल्यांकन करना हैं।करना पड़ेगा।ये मूल्यांकन व्यवस्था सिर्फ रटा हुआ या याद रखहुआ नहीं,उसने जो जानकारी प्राप्त की हैं उसे ही समजना हैं।
आज हम प्रज्ञा में दो कक्षाओं को एक साथ जोड़ के पढाने का आयोजन कर रहे हैं।आज अगर कुछ शिक्षक कहते हैं तो उन्हें 3 सवाल हैं।

1.क्या हम पीटीसी करते थे तब संयुक्त पाठ नहीं देते थे?

2.क्या आज से पहले श्रेणी विहीन घटक योजना में हमने शिक्षा कार्य नहीं करवाया हैं।
(आज 1998 के बाद जो शिक्षक बने हैं,वो जब पढ़ते होंगे तब श्रेणी विहीन घटक योजना के दौर में पढ़े होंगे.)

3.ट्यूशन के दौरान एक शिक्षक एक से अधिक कक्षा के भिन्न भिन्न विद्यार्थी को लेके शिक्षा कार्य करता हैं।उस समय कक्षा ओर विषय भी भिन्न होते हैं।उस वख्त एक घंटे में जो परिणाम हमे मिल रहा हैं,क्या हम सिर्फ दो क्लास के बच्चों को साथ लेके एक विषय का शिक्षा कार्य नहीं कर सकते?

आज ABL को हम नए रूप में गुजरात की सभी सरकारी स्कूल में रन करने जा रहे हैं।आज से पहले जो डिजाइन से प्रज्ञा का काम हो रहा था,आठ साल के गुजरात के शिक्षकों का अनुभब,उनके सवाल ओर समस्या के लिए जो भी सवाल सामने आए उसे हमने यहां सुधारा हैं।एक अच्छा और टीचर्स फ्रेंडली मॉडल इस बार चल ने वाला हैं।

कुछ नया हैं तो अच्छा नहीं हैं,ये बात हम सुविधा के लिए,अपने आप में खरीदी के लिए मानते हैं।उस बातमें हम सबसे नया ओर अपडेट किया हुआ लेते या खरीद ते हैं।शिक्षा में ऐसा नहीं हैं।नया होता तो हैं,मगर स्कूल में काम करने वाले व्यक्ति कभी इसे अच्छे से एक्सेप्ट नहीं कर सकते।और सवाल सामने आते हैं।

जी ठीक हैं।
आज बात शुरू हुई,गृहकार्य से।हम ने उसे कहीं और खत्म किया हैं।आप इस के लिए कॉमेंट में आपके सवाल भी भेज सकते हैं।

गृहकार्य।
वैसे तो हम सभी इस शब्द से अवगत हैं।कुछ सालों से हम गृहकार्य को होमवर्क के नाम से अधिक सुनते हैं।होमवर्क के दरमियान कुछ सवाल सामने आते हैं।
होमवर्क को तीन चीजो में बांटा गया हैं।जो कुछ दिनों पहले सीखा हैं।जो आज ही सीखा हैं,ओर जो कल सीखने वाला हैं।ये तीन प्रकार हम कक्षा तीन से ही अमलीकृत करते हैं।कक्षा एक ओर दो में गृहकार्य का कोई प्रावधान नहीं हैं।मुम्बई अधिनियम के तहत हम आपनी व्यवस्था का आयोजन कर रहे हैं।कक्षा 3 से 8 के लिए भी गृहकार्य कितना देना हैं उसके बारे में भी मार्गदर्शन दीया गया हैं।जो क्लास हैं उसको 10 गुना मानके इतने समय के लिए गृहकार्य देना हैं।इस बात को समजेंगे तो आप भी खुश हो जाओगे।कक्षा 3 के लिए 30 मिनिट।कक्षा 4 के लिए 40 मिनिट ओर 5 के लिए पचास।कक्षा 8 के लिए 80 मिनिट।याने आएक घंटा 20 मिनिट से अधिक  गृहकार्य नहीं दे सकते हैं।
राइट टू एज्युकेशन के अंतर्गत कहा गया हैं कि विद्यार्थी को स्वगती से ही प्रगति के रास्ते पे ले जाना हैं।जब तक भारतीय संविधान में कलम 29 के आधार पर सरकार कुछ नया नहीं करती हैं,तब तक SCE के तहत ही मूल्यांकन करना हैं।करना पड़ेगा।ये मूल्यांकन व्यवस्था सिर्फ रटा हुआ या याद रखहुआ नहीं,उसने जो जानकारी प्राप्त की हैं उसे ही समजना हैं।
आज हम प्रज्ञा में दो कक्षाओं को एक साथ जोड़ के पढाने का आयोजन कर रहे हैं।आज अगर कुछ शिक्षक कहते हैं तो उन्हें 3 सवाल हैं।
1.क्या हम पीटीसी करते थे तब संयुक्त पाठ नहीं देते थे?

2.क्या आज से पहले श्रेणी विहीन घटक योजना में हमने शिक्षा कार्य नहीं करवाया हैं।
(आज 1998 के बाद जो शिक्षक बने हैं,वो जब पढ़ते होंगे तब श्रेणी विहीन घटक योजना के दौर में पढ़े होंगे.)

3.ट्यूशन के दौरान एक शिक्षक एक से अधिक कक्षा के भिन्न भिन्न विद्यार्थी को लेके शिक्षा कार्य करता हैं।उस समय कक्षा ओर विषय भी भिन्न होते हैं।उस वख्त एक घंटे में जो परिणाम हमे मिल रहा हैं,क्या हम सिर्फ दो क्लास के बच्चों को साथ लेके एक विषय का शिक्षा कार्य नहीं कर सकते?

आज ABL को हम नए रूप में गुजरात की सभी सरकारी स्कूल में रन करने जा रहे हैं।आज से पहले जो डिजाइन से प्रज्ञा का काम हो रहा था,आठ साल के गुजरात के शिक्षकों का अनुभब,उनके सवाल ओर समस्या के लिए जो भी सवाल सामने आए उसे हमने यहां सुधारा हैं।एक अच्छा और टीचर्स फ्रेंडली मॉडल इस बार चल ने वाला हैं।

कुछ नया हैं तो अच्छा नहीं हैं,ये बात हम सुविधा के लिए,अपने आप में खरीदी के लिए मानते हैं।उस बातमें हम सबसे नया ओर अपडेट किया हुआ लेते या खरीद ते हैं।शिक्षा में ऐसा नहीं हैं।नया होता तो हैं,मगर स्कूल में काम करने वाले व्यक्ति कभी इसे अच्छे से एक्सेप्ट नहीं कर सकते।और सवाल सामने आते हैं।

जी ठीक हैं।
आज बात शुरू हुई,गृहकार्य से।हम ने उसे कहीं और खत्म किया हैं।आप इस के लिए कॉमेंट में आपके सवाल भी भेज सकते हैं।

@706@
शिक्षा कोई व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं हैं।शिक्षा में कोई सर्वगुण नहीं हैं।किसी को आने आप को संपन नहीं मानना चाहिए।सोसियल मीडिया में लिखना ओर काम करके बताना दोनों में फर्क हैं।हम सिर्फ काम करेंगे,परिणाम अवश्य मिलेगा।

Comments

Popular posts from this blog

ગમતી નિશાળ:અનોખી શાળા.

ન્યાયાધીશ અને માસ્તર

અશ્વત્થામા અને સંજય જોષી