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Showing posts from October, 2017

खादी

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खादी का सन्मान करता हूँ।खादी का सन्मान करता रहूंगा।गांधीजी के साथ खादी को जोड़ा गया हैं।गांधी जी ने खादी को गरीबी से जोड़ा था।गरीबी दूर करने के लिए उस वख्त खादी ही एक मात्र विकल्प गांधीजी ने पसंद किया था। आज हमारे देश ने तरक्की की हैं।आज गरीबो की खादी नेताओ तक पहुंची हैं।कोई एक नेता आज गरीब नहीं हैं।शायद इसी लिए गरीबी से खादी को हम जोड़ नहीं पा रहे हैं। आज जो नेता खादी के नाम से कपड़े पहनते हैं,वो हैं तो खादी लेकिन गांधीजी वाली नही। आजकल नेता के कुर्ते में से अगर में रुमाल बनाऊ तो रुमाल की कीमत 2000 हो सकती हैं। खादी पहनने से कोई देशप्रेमी नहीं होता,ओर कोई मिल का कपड़ा पहनने से देश का गुनहगार नहीं बनता।मगर हमे खादी खरीदनी ओर पहननी चाहिए। #गांधी विचार

विवेकानंद ओर शिवराम

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विवेकानंद आने गुरु के पास थे।विवेकानंद तब भाषा का अभ्यास कर रहे थे।उनके गुरि शिवराम विद्वान थे।विद्वान होने पर भी वो गरीबी का सामना कर रहे थे।आसपास के लोग भी इन्हें सहकार देनेको तैयार थे,मगर शिवराम उनसे मांगते ही नहीं थे।शिवराम किसी से अपनी जरूरियात के बारे में नहीं कहते थे।शिवराम के इस स्वभाव के कारण उनका परिवार और स्वयं शिवराम तीन दिनोंसे भूखे थे। आज उनके उपवास का चौथा दिन था।विवेकानंद उस समय विद्यार्थी थे।वो भी उनके गुरु शिवराम की इस स्थिति से अवगत नहीं थे। शिवराम अपना शिक्षा कार्य कर रहेथे।तभी एक टपाली आया।उसने एक तार ओर 10 रूपिया दिया।शिवराम तार को पढ़कर रोने लगे।विवेकानंद जी ने उन्हें पूछा गुरुजी,क्या हुआ?ये सुनकर शिवराम जी ने वो तार विवेकानंद जी को बताया।ये तार काशी से आया था।जिसमें लिझ था 'मयजे स्वयम शंकर भगवान ने स्वप्नमें आके कहा हैं कि मेरा एक भक्त वराह मिहिर में हैं।उनका नाम शिवराम हैं।उन्हें सहाय करें,उन्हें सेवा पहुंचाए'!तार में लिखा था में शिवजी की आज्ञा से ये पैसा भेज रहा हूं।आए तार पढ़कर विवेकानंद ने कहा 'गुरुजी,आपने मुजे भी नही बताया?'विवेकानंद

Tweetr:140 से 280

ट्वीटर वर्ष 1984 की बात हैं। मिट्टी मकोनेंन ने टेक्स्ट मेसेज का फॉर्मेशन तैयार किया।63 साल की आयुमें उनका देहांत हुआ।2015 में जब उनका देहांत हुआ।दुनिया में उन्हें फाधर ऑफ शार्ट मेसेज सर्विस यानी sms के पिता कहा जाता हैं।शुरू शुरूमे sms में 128 अक्षर की मर्यादा थी।आज हम 160 शब्द में sms कर सकते हैं।कुछ ऐसा परिवर्तन tweet में भी होने की संम्भावना हैं।अब 280 शब्दो की मर्यादा तय होनेकी संभावना हैं। साल 2006 याने आज से 11 साल पहले tweet की शुरुआत हुई थी।140 से 280 शब्दों की मर्यादा करने की tweetr के CEO ने tweet किया तो तुरंत शेर मार्किट में 3% शेर के भाव कम हुए। ट्वीटर कंपनी का कहना हैं कि एंग्लिश में 140 शब्दोंमें बात कही जाती हैं।उस बात को प्रादेशिक भाषामें कहने के लिए 140 कम पड़ता हैं।अगर ये शुरू हुआ तो यूजर्स को इसकी पसंद न पसंद के लिए भी कंपनी चिंतित हैं।कुछ यूजर्स कहते हैं कि 140 की लिमिट ही ट्वीटर की पहचान हैं।शब्दो की मर्यादा बढ़ाने से ब्लॉग और फेस बुक जैसी हालत हो सकती हैं।बीचमें एक ऐसा रिपोर्ट था कि ट्वीटर 10000 शब्दो की मर्यादा रखेगी।140 शब्द ऊपर दिखेंगे।बाकी के शब्द

समय नहीं साल

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समय समय बलवान, नहीं मनुष्य बलवान। काबे अर्जुन लुटियो, वही धनुष वही बान। समय बलवान हैं।व्यक्ति कभी बलवान नहीं हो सकती।आज आप जो पोस्टर देखते हैं,वो समय की ताकत दिखता हैं।समय के साथ जुड़ी हुई कुछ बाते देखते हैं। कहते हैं कि गुजरा समय फिरसे वापस नहीं आता।इसका मतलब हैं कि समय हमारे हाथमें नहीं आता।समय निकलता जा रहा हैं।समय कभी खराब नहीं होता,परिस्थिति खराब होती हैं। एक व्यक्ति,दूसरे से 20 मिनिट तक बात करेगा,ये 20 मिनिट गई जो वापस नहीं आती।मेरा मानना हैं कि इस बिस मिनिट की बात व्व ऐसे करें कि जिससे फिरसे समय वापस आये या ऐसी परिस्थिति का निर्माण हो जिससे समय वापस आनेका अहसास हो। कहते हैं कि बंध घड़ी दिनमें 2 बार सच्चा समय दिखाती हैं। कुछ चीजें ऐसी होती हैं,जो समय के साथ मृतपाय होती हैं।जैसे पेजर ओर लैंडलाइन की सुविधा।एक समय उनका चलन था।आज पेजर के बारेमें नई पीढ़ी कुछ नहीं जानती।एक समय पेजर का इस्तेमाल करने वाले आज पेजर का इस्तेमाल नहीं करते।उस वख्त हम कहेंगे कि इस्तमाल की हुई चीज का महत्व आज नहीं हैं। कपड़े ऐसी चीज हैं जो आप बदल ते रहते हैं।कुछ पुराने हैं।जुछ छोटे या बड़

मेरे ...

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ફિલ્મ એ મનોરંજનનું સૌથી મોટું સાધન છે.ફિલ્મ સાથે  લોકો આ અંગે કોઈ પણ બાબત માટે વિસ્તૃત વિગત આપી શકે.કેટલાય ફિલ્મ પત્રકારો કેટલીય બાબતો યોગ્ય રીતે રજૂ કરી શકે છે. કેટલીક ફિલ્મો આજીવન ચર્ચામાં રહી.કેટલાક સંવાદ લોકજીભે આજે કહેવતની જેમ બોલાય છે.કેટલાક ગીતો કે પંક્તિઓ પણ આપણ ને કાયમ બોલવી કે ગાવી ગમે છે.આ એવી કલા છે જેને માટે વિશારદ થવું જરૂરી નથી. આજકાલ આવું જ એક ગીત ચાલે છે.આપે સાંભળ્યું જ હશે.આપણે આજે એક એવા ગીતની વાત કરવી છે, જેને ભારતના કેટલાંય સંગીત રસીયાઓને તરબોળ કરી દીધા છે.  ભારતના કેટલાંય ગાયકોએ પોતાની અદામાં એને ગાવાનો પ્રયાસ પણ કર્યો છે, એ નેહા કક્કર હોય, સોનું નિગમ હોય, કિર્તીદાન હોય કે પછી ઓસ્માણ મીર હોય. એવું લાજવાબ આ ગીત છે ‘रश्क-ए-क़मर’. આ ગીત અંગે કેટલીક બાબતો જે આપણે ગમશે.મૂળ તો આ કવ્વાલીના ઢાળમાં ગવાયેલી રચના છે. આ ગઝલના શાયર છે ‘ફના બુલંદશહેરી’. આ રચનાને અદ્ભૂત રીતે સ્વરબદ્ધ કરીને ગાઈ છે નુસરત ફતેહ અલીખાં સાહેબે.આજથી 30 વર્ષ પહેલાં.કહો ને કે  1987માં આ અનોખી રચના રેકોર્ડ થયેલી. તાજેતરમાં ‘બાદશાહો’ ફિલ્મમાં આ ગીત લેવાયું છે.આ ગીત દ્વારા આ રચના ચર્ચામાં આવી છ

100 - 3= 100

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કેટલીક બાબતો.આમ જોઈએ તો ખૂબ જ મહત્વની લાગે.કેટલુંક એવુંય હોય એ આપણું હોય તોય જતું કરવું પડે.આપણું હોવા છતાં છોડવું પડે પણ છોડ્યા પછીય કેટલી શાંતિ હોય કે શાંતિ થાય તે જોઈએ.વાત છે જર્મનીમાં આવેલ હોંગયા શહેરની.અહીંની એક શાળામાં શિક્ષકે એક દાખલો લખ્યો.આ સમીકરણ નો દાખલો હતો.શિક્ષકે બોર્ડ પર એક સમીકરણ લખ્યું.   36x + yx, 2/3yx + 3x (66y + 12x).b =0 અને વિદ્યાર્થીઓ તરફ જોઈને કહ્યું "આ સમીકરણનું સોલ્યુશન મારી પાસે નથી. આવાં   નાનકડાં સમીકરણને સોલ્વ કરવાનાં પરીક્ષામાં પુરા ત્રણ માર્ક મળશે. " સાહેબનું આવું બોલેલું સાંભળી સૌ છોકરાં એકબીજા સાથે વાત કરવા લાગ્યાં. સાહેબે સૌથી આગળ બેઠેલ એક છોકરા તરફ આગળ વધ્યા.પછી તેઓએ જયૉમ તરફ ફર્યાં અને કહ્યું. " આ દાખલાનો પ્રોબ્લેમ સોલ્વ કરી શકશે...?"એક છોકરો.જ્યોમ એનું નામ.એ ઊભો થયો. એક પળનો પણ વિલંબ કર્યા વગર ડસ્ટર હાથમાં લીધું અને બોર્ડ પર લખેલું સમીકરણ ભૂંસી નાંખ્યું. અને કહ્યું.... " પ્રોબ્લેમ સોલ્વ્ડ સર". " જેનો કોઈ તાળો જ નથી તેની પાછળ સમય કેમ બરબાદ કરવો. ત્રણ માર્કની પાછળ બાકીનાં 97 માર્ક કેમ ગુમાવવ

मेरी बच्चो की टीम....

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मेरी बेटियां। ऋचार्मी। एक ऋचा दूसरी चार्मी।धारा भट्ट वैसे मेरी भतीजी मगर मुजे बहोत प्यारी हैं।में उसे भटी कहेता हूं।जैना पंड्या।मेरे बड़े भाई की बेटी।मेरी ऋचाजी की फ्रेंड,फिलॉसफर ओर गाइड।एक कार्यक्रम के निर्माणमे हम साथ में काम करते थे।BISAG के एक कार्यक्रम के दौरान की एक तसवीर।साथमें भावना वाघेला जी जो कि पजल्स के एपिसोड निर्माण में मेरे साथ काम करती थी।बच्चो के साथ सीधा काम करने में मजा आया।आप भी ऐसे कोई कलाकार बच्चे को जानते हो तो हमारा संपर्क करवाये।आज हमारे सप्तरंगी फाउंडेशन से 45 से अधिक बच्चे जुड़े हैं।हम उनके लिए प्रोग्राम अरेंज करते हैं।आप भी इस कार्यमें जुड़ सकते हैं। #जय हो...

हम बदलेंगे...

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चार बच्चे। चार बेग,दो बच्चे आ रहे हैं।दो बच्चे जा रहे हैं।हैं तो बच्चे मगर काम जुदा हैं।जिन बच्चों नर कचरा इकठा करने वाला बेग हैं इनके परिवार भी ज्यादातर ऐसे बच्चो के जैसा ही काम करते होंगे।जो बच्चे अच्छे बेग पकड़के जा रहे हैं उनके पेरेंट्स भी ऐसे ही मजदूरी का काम करते होंगे।मजदूरी वाले बच्चो के पास पढ़ने को पैसा नहीं,स्कूल जाने वाले बच्चोबके पेरेंट्स के पास समय नहीं।जिसके पास जो कुछ हैं,उससे अधिक की वो व्यक्ति अपेक्षा रखता हैं।बेग बदल के देखो तो मालूम पड़ेगा कि हम क्या क्या प्राप्त करते हैं,या हम क्या क्या प्राप्त करने से चुके हैं।सब हो सकता हैं।धैर्य की आवश्यकता हैं।बेग में कचरा उठाने वाले बच्चे पैसा कमा लेते हैं।जो आर्थिक संम्पन परिवार के बच्चे नही कर पाते। हमे जो करना हैं,इसके लिए हमे ध्येय सिद्ध करके आगे बढ़ना हैं।विचार को बदल ने से कुछ नही होगा,हमे व्यावस्था बदलनी हैं।हम बदलेंगे,सब बदलेगा।हम बदल के रखेंगे।हमे ही बदलना होगा। #Bee The Change #Bno

भाई दूज...

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भाई बीज।हिंदी वाले प्रदेश में इसे भाई दूज भी कहते हैं।भाई और बहन के प्यार का त्योहार।मेरी बहन जागु।अरे,हमारी बहन जागु।उसके दो भाई में ओर हमारी बड़ी सरकार।हम तीन भाई बहन के परिवारमें 5 बच्चे।जिसमें 4 बेटियां ओर एक बेटा।'बेटीया सबकी लेकिन लड़का हमारा।आज ऋचार्मी, जैना ओर वेनु का एक भाई।भाई का नाम निशांत।अब कुछ दिनोंके बाद बच्चियों की भाभी ओर जीजाजी भी आएंगे।आज के इस त्योहार में वैसेतो कमी नहीं हैं मगर फिरभी कुछ सदस्य ऐसे हैं जो नहीं थे उनकी कमी महसूस हुई आज तक कि दीवाली में आज की दीवाली कुछ नई थी।नयापन न दिखते हुए भी उसका अहसास होता था।आज भाई बहन के घर जाता हैं।बहन उसे प्यार से खिलाती हैं,प्यार जताती हैं।वैसे तो में छोटा हूं, मेरे खानदान में सबसे छोटा होने के बावजूद आज परिवार में में कितनो से बड़ा हु।आज में खुश हूं।आज मेरी परिवार के साथ दीवाली हैं।कल में मेरी बहन से मिला था।दो साल बाद हम नए सालमें मिले।जिन्हें नहीं मिल पाए उनके लिए हमारी दुआ हैं।आज के त्योहारों के अंतिम दिन आप सभी को नए साल में ऊर्जा...ओर उल्लास प्राप्त हो,सभी को नए साल में पुरानी दिक्कतो का सामना न करना पड़े ऐसी न

हैप्पी वाली दीवाली...

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आज ख़ुशिका दिन हैं। आज दीपावली का दिन हैं।आज के दिन हम पुराने साल को पूरा करते हैं।हमारी साल भरकी निष्फलता भूल कर हम नए साल की राह देखते हैं।हम अगर पिछले साल निष्फल हुए हैं,हमारा कुछ रुका पडा हैं तो हम इस आने वाले नए साल के लिए आशा रखते हैं। आज का ऐ अंतिम दिवस मेरी गलतियों को भुलनेका दिन हैं।नए साल में नई उम्मीदों के साथ जब भी हम काम करे हमे पूर्ण सफलता प्राप्त हो ऐसी प्रभु से प्रार्थना।मेरे ओर आप के जीवनमें सारी खुशियां भले न मिले।हर दिन खुशी से भले न कटे मगर साल को जब पीछे मुड़के देखे तो सीधा हमे अच्छा दिखाई पड़े,सफलता का मार्ग दिखाई पड़े ऐसी अभ्यर्थना रखता हूँ। मेरे जीवनमें आने वाले हर चढ़ाव उतारमें जिन्हें दुख पहुंचा हो उन्हें में ख़ुशी दे पाउ ऐसा प्रयत्न करूँगा।में आशा रखता हूं कि जिन्हें में मील नहीं पाया उन तकभी मेरी दुआ पहुंचे।मुजे प्यार करने वाले प्यार से जिले,मुझसे नफरत करने वाले किसी से नफरत न कर पाए,मुझसे दूरी रखने वालो कि भगवान से दूरी घटे। में ओर मेरी निजी सरकार,में ओर मेरा प्यार कभी न हारेंगे,कभी न भूलेंगे।हम सारे देशमें खुशिया भरेंगे। #शुभमस्तु

नवतर...

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आजकल शिक्षा में कुछ नए शब्द सुनने को मिल रहे हैं।जिसमें इनोवेशन एक नया शब्द भी बारबार सुनने को मिलता हैं।भारतीय प्रबंधन संस्था ने पिछले दो दशक से शिक्षामें नवाचार को खोजनेका काम हो रहा हैं।वर्ष 2014 में गुजरात सरकार ने वाइब्रैंट समिट के दौरान आईआईएम से एमओयू किये थे।इसके बाद गुजरात में स्टेट लेवल की दो कॉन्फ्रेंस के आयोजन हुआ। वर्ष 2017 से जीसीइआरटी गांधीनगर ओर एस्सार ऑइल के बीच एमओयू हुआ।इस के बाद गुजरात में GCERT के माध्यमसे प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट क्रियान्वित किया गया हैं।GCERT द्वारा पहली बार कएस्सार ऑइल के साथ जुड़के गुजरात के शिक्षा से जुड़े नवाचार को खोजके उसे फैलाने ओर प्रस्थापित करने का काम शुरू हो गया हैं।अब हम इस कार्य के लिए समय समय पर मिलते रहेंगे। #Bnoवेशन

365-1

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हर चित्र कुछ कहता हैं। आप भी इस कार्टून को देखके आर्टिस्ट की बात को इशारोमें समझ गए होंगे।एक दिन जुकने से 364 दिनका जैसे घर घाटी मिल जाता हैं।मेरे एक साथी हैं।जिनका नाम परिमल हैं।वो कहते हैं कि जब मुजे ऐसा लगने लगता हैं कि में बड़ा आदमी बन गया,तभी मेरी बीबी मुजे दूध लेनेको भेजती हैं।जुमले के लिए ठीक हैं।मगर आप हँसलोगे जरूर। #आपका हाल #Bno

विचार कैसे खोजे...

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आज हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम सर का जन्म दिबस हैं।हम आशा रखते हैं कि आप बच्चो के नवाचार इकठ्ठा करने में सहायक बनेंगे।बच्चो से नवाचार प्राप्त करने के लिए आप इस क्रम में बढ़े गए तो आसानी होगी। आप से निवेदन हैं।आप के घरमें नवाचार की चर्चा करें। हम ऐसा करते हैं।एक दो सवाल रखे।ये सवाल ऐसे हो कि आप स्थानिक समस्या से जुड़े हो। ऐसे सवाल करें... 1.अगर रास्तेमें साइकल का पंक्चर हो जाये तो... 2.सायकल के साथ चलाने के अलावा और क्या क्या हो सकता हैं? 3.अगर कोई चीज गुमने से ऊर्जा पैदा होती हैं तो उसके अन्य अवकाश कोनसे हैं। 4.कैसा शौचालय बनाया जाए कि पानी की खपत कम करे? 5.दिव्यागों के लिए शौचालय की क्या डिजाइन हो सकती हैं। 6.अगर कोई बच्चा सुन नही सकता तो वो एड्रेस कैसे पूछेगा ओर बताएगा। 7.डिब्बेमें से तेल निकाल ते समय तेल बिगड़े नहीं इस के लिए क्या क्या हो सकता हैं? 8.विकलांग व्यक्ति को कार या मोटर साइकिल पर बिठाने के लिए विशेष यंत्र। 9.ICT के उपकरण के इस्तमाल करने में विकलांग व्यक्तियो को सहायक उपकरण। 10.शिखने के तरीके को रोचक बनाने हेतु सहप

9 रत्न सप्तरंग:2017

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आज 15 एक्टोबर।सप्तरंगी फाउंडेशन पिछले आठ सालों से बच्चो के विचार एकत्र करने का काम कर रहे हैं।पहले साल हमने 1 बच्चे को खोजा हैं।पिछले साल हमने आठ बच्चो को पसंद किया था।पूरे साल की प्रक्रिया के बाद हम तक पहुंचने वाले विचारो से इस बार हम 9 बच्चो को पसंद कर रहे हैं।इन बच्चों को सप्तरंगी फाउंडेशन द्वारा आयोजित किये जाने वाली कॉन्फ्रेंस में निमंत्रित किया जाएगा। इन 9 बच्चों के विचार के आधार पर उसका प्रोटोटाइप बनाया जाएगा।प्रोटोटाइप बनाने के बाद इस नवाचार को हम सृष्टि के माध्यम से नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन को भेजेंगे। आप को ये जान के खुशी होगी कि इस बार हमें गुजरात,राजस्थान,महाराष्ट्र और हरियाणा से विचार प्राप्त हुए हैं।स्काय फाउंडेशन नेपाल से शिवा तवांग भी हमे 12 बच्चो के विचार भेज चुके हैं।हमारे इस साल के 9 बच्चोमे नेपाल के दो बच्चे हैं जिन्होंने हमे पहाड़ो में जीवन जीने वाले लोगो के लिए नए विचार भेजे हैं।बांग्लादेश के महमद यूनुस इस बार हमसे जुड़ हैं।उन्होंने आज 15 अक्टूबर को 30 बच्चो के साथ क्रिएटीविटी वर्कशॉप का आयोजन किया हैं।उनके विचार हमे दिवाली तक मील जाएंगे। पूरे सालमें हमे 97

हम बदलेंगे...

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हम जो सोचते हैं। वो सब अगर हो जाता तो किसी व्यक्ति या व्यवस्था का महत्व न रहता।आजकल देखा जाए तो लोग कही सुनी बातोपे यकीन करते हैं।आजकल मीडिया सक्रिय हैं।मीडिया से तुरंत जुड़ा दूसरा कोई शब्द हैं तो वो हैं,सोशियल मीडिया।क्या हम उस भीड़ का हिस्सा बनेंगे?क्या हम किसी की कही सुनी बातोपे यकीन करेंगे!मेरे एक दोस्तने मुजे कार्टून भेजा।एक हड्डी केबीपीछे पूरा मीडिया चलता हैं।आज भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के पास अपनी खुद की या खरीदी हुई मीडिया हैं।अब गुजरात के चुनाव में ये ज्यादा दिखाओ देगा।इस बात को किसी दूसरे तरीके से देखते हैं। पति सदैव अपनी पत्नी के लिए काम करता है।कुछ बाते भूलता हैं।पत्नी को कभी कुछ नहीं दे पाता।पति को हैं कि उसे पसंद न आये।इस बीच बात बिगड़ती हैं।फिर भी वो दोनों एक दूसरे के सामने न होनेबपर भी उनकी चिंता करते हैं।सुबह झगड़ा होने के बाद फोन पे एक दूसरे से बात करते हुए दोनों रो लेते हैं।दोनों एक दूसरे के लिए जीते मरते हैं।मगर फिरभी प्यारी बात पे कुछ बोलभी लेते हैं।जगड़ा भी कर लेते हैं।रोते हुए भी अपनी गलती मानते हैं,गलती जताते हैं। मेरा मानना हैं कि पत्रकारों को अपने कर्म के

विकास की समझ

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कुछ चीजें जो समज नहीं आती।ऐसी चीजों के लिए हमे ये चित्र उपयोगमें आएगा।पानी की एक टँकी से दो व्यक्ति को पानी मिलना हैं।दोनों व्यक्ति के नल के कनेक्शन अलग अलग जगह से लिये गए हैं।हो सकता हैं पानी इस्तमाल करने वाला व्यक्ति कोई राज नेता हो।ये भी हो सकता हैं।मगर कायदे से प्रोसेस करके लंबी पाइप करवाके नल का कनेक्शन लेने वाली व्यक्ति को पानी नहीं मिल रहा हैं। हर बार सही रास्ता ही लेना चाहिए।लोकशाही होने के बावजूद जो सरकार में होते हैं वो कोईभी तरीके से लाभ लेता हैं।मेरा कहनेका मतलब ये नहीं हैं कि काम करने निकलवाने के लिए कुछ भी गलत करना चाहिए।मगर ऐसी कोई चीज ध्यानमें आये तो उसके सामने आवाज उठानी चाहिए। जो भी पाना चाहते हैं।वो हमें दो तरीको से प्राप्त होगा।हमे ये तय करना हैं कि हम राह देखेंगे या जुगाड़ करेंगे।में किसीभी महत्वपूर्ण काम के लिए राह देखने की सलाह दूंगा। #इन्तजार

क्या करेंगे?

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शिक्षा से जुड़े लोग इसे जल्द समजेंगे।इस के आधार से एक बात तय हैं कि शिक्षक जो पढ़ाता हैं।बच्चे से पहुंचने से पहले ही वो बात किसी बड़ी खाइमें जा गिरती हैं।अब इस बात को समझ ने वाले कितने हैं।सिर्फ वन वे प्रोसेस से शिक्षामें परिणाम प्राप्त नहीं होते।इस के लिए शिक्षामें सुधार करना जरूरी हैं।ये सुधार क्या हो सकते हैं,वो जान ने के लिए अध्यापन कार्य से जुड़े साथियो से ही बात करनी पड़ती हैं। हा, एक बात हैं।बच्चे को जानकारी की नही,नए विचार की खोज सिखानी हैं।आप ओर हम आज ऐसी चीजें इस्तमाल करते हैं, जो हम पड़ते थे उस वख्त नहीं थे।आज हम उसका इस्तमाल कर लेते हैं।बस,आगे के समय मे बच्चे भी ऐसे समझदार बने की वो भी अपने जीवन में आगे बढ़े।एमजीआर उसके पहले हमें ये खाई को दूर करना पड़ेगा।

बच्चो का काम...

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बच्चे भगवान हैं। बच्चे भगवान का स्वरूप हैं। बच्चे मनके सच्चे होते हैं।ये ओर ऐसे कई सारे विधान हैं,जो हम सुनते ओर सुनाते हैं।ऐसे ही बच्चे कभी नकारात्मक सोच नहीं दिखाते।कई बार हमने देखा हैं।छोटे बच्चे हमसे अधिक काम कर सकते हैं।मोबाइल को ही देखलो।हमारे बच्चे हमसे अच्छी तरह से मोबाइल की भिन्नभिन्न एप्लिकेशन का यूज करते हैं।कहते हैं कि बच्चो को गलती करने से डर नहीं लगता।ओर जो गलती करता हैं वोही नया शिखता हैं। जो ज्यादा गलती करता हैं,वो ही ज्यादा शिखता हैं।किसी बच्चे ने चश्मा बनाया हैं।आप देख सकते हैं।अगर किसी ज्ञानी को बताएंगे तो वो कहेगा कि चश्मा ऐसा नहीं होता हैं।मगर ये तो क्रिएटिविटी हैं।ऐसे ही बच्चे बड़े होके कुछ नया करते हैं।

राज्यसभा Live...

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कोई कहेगा।भावेश ने भाजपा के लिए लिखा।कोई कहेगा आर.एस.एस का चमचा।में इतनी बड़ी व्यक्तिभी नहीं हुन की कोई भी मुजे मुसलमान विरोधी कहे।ये सन्मान कमाने के लिए बहोत कुछ गवाना पड़ता हैं।वो में अब गवाना नहीं चाहता।में राजकीय टिप्पणी नहीं करता मगर आज की बात संवैधानिक हैं।सो मयजे हुआ आपको जानकारी शेर करू। आपको मालूम होगा कि राज्यसभा ओर लोकसभा में जीवंत प्रसारण के लिए दो स्पेशियल चेनल हैं।राज्यसभा के सभापति उप राष्ट्रपति होते हैं।कहते हैं कि राष्ट्रपति से अधिक कार्य उपराष्ट्रपति को करना पड़ता हैं।उन्हें राज्यसभा के संचालन की संवैधानिक जिम्मेदारी मिलती हैं।उपराष्ट्रपति की तनख्वा नही हैं।उन्हें राज्यसभा के संचालन की पगार मिलती हैं।अब आगे क्या हुआ उस बात को समझने के लिए आप निम्न जानकारी को पढ़े। हामिद अंसारी: आपको याद ही होगा कि पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को जाते-जाते भारत में मुस्लिम असुरक्षित लगने लगे थे. उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया था. जिसके बाद हमने खुलासा करके बताया था कि कैसे हामिद अंसारी के कार्यकाल के दौरान राज्यसभा टीवी के नाम पर करोड़ों रुपयों की लूट की गयी और अब उन्ह

हमारा साथ...

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किसी को हम देखते हैं।कोई हमे देखता हैं।कोई व्यक्ति सफल होती हैं।कोई निष्फल होता हैं।सफलता कभी व्यक्तिगत नहीं हो सकती।सफल होने के लिए सहारा या सहयोग आवश्यक हैं।किसी ने खूब कहा हैं कि सफतला पाने वाली व्यक्ति कभी अकेली नहीं होती।या तो उनसे कोई जुड़ता हैं,या वो किसी से जुड़ते हैं।कई लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ सहकार चाहते हैं।उनकी चाहत इतनी होती हैं कि हम भूल के भी उसे नहीं भुला सकते। अगर कोई बिना शर्त समर्थन करता है।उनका समर्थन कुछ दिनों बाद शार्टमें बदल जाता हैं।ऐसा सिर्फ पॉलिटिक्स में होता हैं।जीवनमें तो शर्तो के साथ कोई समर्थन नहीं देता।अगर कोई समर्थन देता हैं तो हमे उसके ऊपर सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा हैं। में सिर्फ इतना कहूंगा कि अगर में किसी काम में सफल हुन तो इसका मतलब मेरे पीछे कई सारे लोगोकी दुआए हैं।अगर में सफल नहीं हूं तो इसका मतलब हैं कि अभी मेरे पीछे दुआ कम हैं। में अकेला नहीं बढूंगा,में हाथ को साथ लेके चलूंगा।भले मेरी चलने की गति धीमी हो जाय।आप का स्नेह मिलता रहेगा,हम आगे बढ़ते रहेंगे।

मछली के लिए...

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पहले पानी नहीं नहीं बचाया। अब नदी बचने तक के आहवान हैं। में कुछ नहीं लिखूंगा। आप समझ ही लेंगे।

हमारी सोच...

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लाओ तुम्हारे बच्चे,इंसान बनादेगें। लोग पूजेंगे ऐसे,भगवान बनादेंगे। बच्चो को हम क्या सीखने के लिए भेजते हैं।अरे,आजकल की शिक्षा व्यवस्था को देखके लगता हैं, हम बच्चो को रट्टा मारने का सीखने के लिए भेजते हैं।हमे शिखना चाहिए सवाल करना।हमे सिखाना चाहिए सवाल को समझना। कहते हैं कि सही शिक्षा व्यवस्था वो हैं जो ख़्वाब देखने का सिखाये।ये चित्र।छोटा बच्चा वाला चित्र दो व्यक्ति को दिखाया गया।एक्ने कहा,ये बच्चा ऐसी चीजको पकड़ने जा रहा हैं जो उसकी कभी उसकी न होगी।न कभी उसके साथ टिकेगी।इस चित्रको देखके किसी दूसरी व्यक्तिने बताया कि कोई भी बाहरी आक्रमण के सामने जितने की इच्छा ये बच्चा रखता हैं।वैसा बच्चा दिखता हैं। जैसे चित्र एक मगर नजरिये के हिसाब से जवाब अलग अलग हैं,बस उसी तरह हमारी जिंदगी भी वैसी हैं।हम ये तय न करे कि क्या नहीं कर सकते।हमे ये तय करना होगा कि हम क्या कर सकते हैं।जो हम ठान ले तो सबकुछ हो सकता हैं।मगर आपको बस एक बार तय करना हैं। मेरी जिंदगी,मेरी सोच...

Bनोवेशन...

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हमारे करीब। हमारे आसपास। हमारे लिए ओर हमारे सहयोग से,कुछ न कुछ नया होता हैं।कई चीजें ऐसी होती हैं जो कोई व्यक्ति से जुड़ी होती हैं। ऐसी बातोंका अगर प्रचार प्रसार हो तो कई और भी इसके साथ जुड़ सकते हैं।ऐसा या उसमें भी कुछ नया कर सकते हैं।इसी बजह से एक डॉक्यूमेंट्री का निर्माण हुआ।इस काम में मुजे जुड़ने का मौका मिला।मुजे मेरे काम के बारे में बोलना था।मेने एक एक करके मेरे काम के बारे में बताया। जब मेरे काम का रिकॉर्डिग खत्म हुआ तो मेरे केमरामेन ने मुजे बताया कि सर आप को इनोवेशन के लिए नही Bनोवेशन के लिए बोले हो ऐसा लगता हैं।आज से मेरे कुछ सहयोगी मेरे कई सारे विडियो को Bनोवेशन के नाम से शेर कर रहे हैं। #Bनोवेट

स्वास्थ्य की गेम

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हमे सबसे अधिक आवश्यकता स्वास्थ्य की हैं।इसके बगैर हम अच्छी जिंदगी नहीं जी सकते हैं।मेरे किसी दोस्त ने मुजे ये फोटोग्राफ भेजा हैं।स्वास्थ्य के संदर्भमें ए खेल दर्शाया गया हैं।कोन कोंन सी बातें हमे तंदुरस्ती की ओर ले जाएगी।कोंन सी बातें हमे बीमार करेगी।ये ओर ऐसी कई सारी जानकारी इस गेम से हमे जाननेको मिल सकती हैं।PBL के आधार पे जब हम सामाजिक विज्ञान की पुस्तक बना रहे थे तब ऐसा खेल हमने किताब में दिया था।आप के पास भी ऐसे कोई खेल या सामग्री हैं तो मुझतक पहुंचाए। #Bनोवेशन

बोलिए क्या बोलोगे...

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आज आए चित्र सब कहेगा।मुजे देदो।भगवान पे नाम पे देदो।विश्वमें जितने धर्म हैं,उन सबके नाम से मांगने वाले हमे मिलेंगे।आज हम धर्म की नहीं कर्म की बात करेंगे।एक व्यक्ति जिसके दो हाथ नहीं हैं।वो मजदूरी करता हैं।एक जगह से दूसरी जगह इट ले जाता हैं।उसके सामने एक व्यक्ति भीख मांगता हैं।ऐसे चित्र जो शब्दो की कमी महसूस नहीं होने देते।ऐसे ही चित्र सटीक तरीके से अपना संदेश पहुंचाते हैं। #चित्र संदेश

प्यार की सरकार...

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मेरे दोस्त हैं। उनका नाम प्रदीपसिंह जाला। भावनगर में काम करते हैं।जोयफूल लर्निग के लिए वैसेभी भावनगर आगे हैं।कहा जाता हैं कि गुजराती भाषा को सबसे अच्छी भावनगर वाले बोलते हैं।भावनगर शहर में बोले जानेवाली गुजराती में उच्चार के लिए भावनगर सबसे सच्ची गुजराती बोलने का गौरव रखते हैं। प्रदीपसिंह ओरोकी तरह टाइमपास के लिए सोसियल मीडिया से जुड़े रहते हैं।उन्होंने एक पोस्टर भेजा था।जो की गुजराती में लिखा हैं।जिस में लिखा हैं कि 'पूरी शतरंज को मैने चेलेंज किया हैं।क्योंकि मयजे यकीन हैं कि तुम मेरे साथ हो।' ऐसी कई सारी पंक्तिया,गीत और बाते भेजने वाले प्रदीपसिंह जाला को मेरा प्यार। #प्यार वाली सरकार

गांधीजी...

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आज गांधी जयंती हैं। विश्व विभूति गांधी जी। सारे विश्वमें अहिंसा के विचार को फैलाया।उनकी विचारधारा को पूरी दुनियामे स्वीकार किया गया हैं।दुनियामें कोई ऐसा देश नहीं जहाँ मोहनदास गांधी की प्रतिमा या रास्ता न हो।शांति के नोबल पुरस्कार विजेता ऐसे हैं जिन्होंने गांधी जी के विचार को अपनाया।सफल हुए और शांति का नोबल पुरस्कार मिला हो।मगर शांति और अहिंसा का संदेश सिखाने वाले बापू को आजतक नोबल पुरस्कार नहीं मिला हैं।और एक बात जो आपको बतानी आवश्यक हैं कि आजतक नोबल पुरस्कार के लिए गांधीजी का नाम चार बार कमिटी के सामने आया हैं।मगर अबतक गांधीजी को ये सन्मान नहीं मिला या,नहीं दिया गया हैं। आजकल गांधी जी को मजाक बनाया जाता हैं।आप इस पोस्टरमें देख सकते हैं।मजाक ठीक हैं।बापू भी मजाक करते थे।उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहोत अच्छा था।सबसे ज़्यादा पत्र लिखने का रिकॉर्ड भी बापुके नाम हैं। आज तो बापू नहीं हैं,उनके विचार और बाते आज भी हमारे आसपास देखने,सुनने को मिलती हैं। आज के इस पावन दिवसपर बापू को वंदन। #राम राज।

में रावण हूँ...

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में राम नहीं,रावण बनाना पसंद करूँगा।एक विद्वान और शक्ति के उपासक थे रावण।जिन्हें हम आजभी जलाते हैं।एक राजा जिसने किसीके कहने पर आपनी बीबी को निकाल दिया।अरे,बीबी को पूछते की क्या सही हैं,क्या गलत।ऐसे राजा की हम पूजा करते हैं जो अपनी सगर्भा बीबी को छोड़ते हैं।आज तक चीर हरण करने वाले दुर्योधन को किसीने कहीं भी जलाया हैं? 435 दिन तक सीता रावण के पास थी।रावण ने उसे छुआभी नहीं।रावण पंडित था।अभिमानी हो सकता हैं।उसमें भक्ति थी तो हिमालय उखाड़ दिया।उसमें अभिमान आया तो वो अंगद का पेरभी न हिला पाया।में महापंडित रावण को पसंद करूँगा।मेने ऊनको आज से नही,बचपन से आदर्श माना है। मेरे एक करीबी दोस्त हैं।आज हम एक दुसरे से बात नहीं करते या नहीं करना चाहते।कुछ साल ऐसेही गुजरेंगे।हा, एक सामाजिक तौर पे प्रतिष्ठित हैं।मुजे मालूम हैं वहाँ तक वो भी रावण के करीब हैं।वो भी रावण को सन्मान देते हैं।मगर उनके पास राम के भी गुण हैं।सिर्फ सुनी हुई बात पे यकीन करते हैं।करने के लिए कारण भी होंगे।आज बात ये हैं कि रावण इस लिए की उन्होंने कोई गलती दूसरी बार नहीं की,एक बार की गलती कोई भी माफ करता हैं।मगर गलती फिरसे

फरकडी:1

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आज में शिक्षक हूँ। उस से पहले में कार्टूनिस्ट था।गुजरात के कई दैनिक पत्र और मेगेजीन में मेरे कार्टून छपते थे।उस समय सभी कैरेक्टर बनाने पड़ते थे।आज ऐसा नहीं हैं।आज तो कम्प्यूटर पे काम होता हैं।में तो आज भी स्केच करके कार्टून बनाता हूँ।नवरात्री के दिनोंमें मेने रोजाना 1 कार्टून बनाया और शेर किया।अब से जब भी कार्टून बनाऊंगा आप को शेर करूँगा। #फरकडी...

इस नवरात्री से...

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में अध्यापक हूं। में इजनेर बनना चाहता था।में तबीब बन पाता,अगर मेरी माजी हालत अच्छी होती।मेरे लिए तो मेरे सपने चकना चूर हो गए।में पढ़ाई में भी शार्प था।में डॉक्टर बनता मगर बन नहीं वाया।अब में शिक्षक बनके क्या करू।मेरी दुनिया अब उजड़ चुकी हैं। मेने जो यहाँ लिखा हैं वो मेरा नहीं हैं।हमारे आसपास कई शिक्षक हैं।वो कभी कभी ऐसी बाते करते हमने सुनी हैं।आजका ये पोस्टर हमे एक सुंदर संदेश देता हैं। हम जो नहीं कर पाए हैं,उसका हमे दु:ख हैं में डॉक्टर नहीं बन पाया,मगर में अब ऐसे काम करूंगा जो कई डॉक्टर पैदा होंगे।हम जो नहीं कर पाते हैं,उनके पीछे चिंता न करें। अब जो हम कर पाएंगे उसका परिणाम हमारी जिंदगी बदलेगा। #नई सोच,नया विचार।