इस नवरात्री से...
में अध्यापक हूं।
में इजनेर बनना चाहता था।में तबीब बन पाता,अगर मेरी माजी हालत अच्छी होती।मेरे लिए तो मेरे सपने चकना चूर हो गए।में पढ़ाई में भी शार्प था।में डॉक्टर बनता मगर बन नहीं वाया।अब में शिक्षक बनके क्या करू।मेरी दुनिया अब उजड़ चुकी हैं।
मेने जो यहाँ लिखा हैं वो मेरा नहीं हैं।हमारे आसपास कई शिक्षक हैं।वो कभी कभी ऐसी बाते करते हमने सुनी हैं।आजका ये पोस्टर हमे एक सुंदर संदेश देता हैं।
हम जो नहीं कर पाए हैं,उसका हमे दु:ख हैं में डॉक्टर नहीं बन पाया,मगर में अब ऐसे काम करूंगा जो कई डॉक्टर पैदा होंगे।हम जो नहीं कर पाते हैं,उनके पीछे चिंता न करें। अब जो हम कर पाएंगे उसका परिणाम हमारी जिंदगी बदलेगा।
#नई सोच,नया विचार।
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