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Showing posts from December, 2016

प्यारकी कविता....

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ऐ "सुख"  तू  कहाँ   मिलता   है, क्या  तेरा   कोई   पक्का   पता  है! क्यों   बन   बैठा   है    अन्जाना, आखिर   क्या   है   तेरा   ठिकाना! कहाँ   कहाँ     ढूंढा  मैने  तुझको,  पर   तू  न   कहीं  मिला  मुझको! ढूंढा मकानों में,  बड़ी  से बड़ी दुकानों में!  स्वादिष्ट से  पकवानों   में,  चोटी   के   धनवानों   में!प्यार बाटते संतोमे,खड़े मंदिर के खंभों में। वो तुझको ढूंढ रहे थे, मुझको ही पूछ रहे थे! क्या आपको कुछ पता है, ये  सुख  आखिर  कहाँ  रहता   है?  मेरे पास तो "दुःख"का पता  था, जो  अक्सर   मिलता  था !  परेशान   होके   शिकायत     लिखवाई, पर ये कोशिश भी काम  न  आई!  उम्र   अब   मेरी ढलान    पे    है, हौसला  अब  थकान  पे  है!  हाँ   उसकी   तस्वीर   है   मेरे   पास, अब   भी   बची   हुई   है  मेरी  आस! मैं   भी   हार    नही मानूंगा, सुख   के   रहस्य   को  में    जानूंगा! बचपन    में    मिला    करता    था, मेरे    साथ   वो रहा   करता    था! पर   जबसे    मैं    बड़ा   हो    गया, मेरा   सुख   मुझसे   जुदा   हो  गया। मैं   फिर  

मेढक और फेलियर...

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एक कहानी हैं! इसमें एक कई सरे मेढक पहाड़ के ऊपर चदते हैं! एक साथ कई सरे मेढक आगे बढ़ते हैं! शुरू शुरूमें तो कई बहोत आगे निकल लेते हैं! जेसे जेसे कठिनाई आती हैं!सरे पिछड़ने और बिछड़ने लगते हैं! एक युवान दिखने वाला मेढक अभी तक चल रहा हैं! धीरे धीरे वो सबसे आगे निकल जता हैं! उस वख्त ऐसा होता हैं की कई साथी मेढक उसे कुछ्ना कुछ कहते हैं! जब मेढक सबसे ऊपर जाता हैं! वहाँ पत्रकार उसका इन्तजार करके खड़े होते हैं! एक पत्रकार सबसे आगे आके उसे पूछता हैं की ऐ तुमने केसे कर दिखाया?तब जाके वो मेढक अपने कान के ऊपर हाथ रखके कहता हैं 'आप क्या बोल रहे हो...में सुन नहीं पाता!' पत्रकार एक दुसरे पत्रकारसे पूछते हैं! ऐ सुन नहीं पता हैं तो ऐसा कर केसे पाया?ऐ बात सुनके एक वरिस्थ पत्रकार ने बताया की आगे पीछे बहोत बोलने वाले थे की आप नहीं कर पाओगे...!ऐ सुन नहीं पाता था इसी लिए ऐ ऐसा कर पाया!वरना ऐ भी कबका पहाड़ को जित्नेकी बात पूर्ण नहीं कर पाता! बच्चो का कुछ ऐसाही हैं!वो किसीकी सुनते नहीं हैं! नहीं सुनने चाहिएभी!और इसी लिए वो आज अपने मम्मी पापा से ज्यादा अच्छे तरीकेसे लेपटोप या मोबाइल चला लेते हैं! क्य

एक सवाल...

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एक सवाल हैं!एक जवाब हैं!ऐसे कईसारे सवाल और जवाब हैं! जिसके लिए हम सोचते नहीं हैं! कई बार ऐसा होता हैं की हम सिर्फ जानकारी को ज्ञान समज लेते हैं! विश्वके चिन्तक टॉम कोलो कहते थे की जरूरियात के समय काम आए वो ज्ञान हैं! इसे दूसरे तरीके से देखा जाए तो इसका मतलब होता हैं की जो  हमारे काम को आसन करे वो ज्ञान हैं! क्या हम शिक्षा के दौरान ऐसी व्यवस्था कर सकते है की जिसे हम कह सके की मेने ज्ञान का सर्जन किया हैं! राईट टू एज्युकेशन मेभी ज्ञान के सर्जन को  हमने प्राथमिकता दी हैं! क्या हम सही  माय्नोमे ज्ञान का सर्जन कर सकते हैं? क्या ज्ञान का सर्जन हम कर सकते हैं! अगर एक सलीके से देखा जाए तो  हम ऐ बात समज सकते है?इसी के जवाब में और टॉम कोलो को  देखा जाए तो हमें मालुम पडेगा की ज्ञान का सर्जन हम कर ही नहीं पा रहे हैं! हम सिर्फ ज्ञान को  बांटने के लिए अध्ययन या अध्यापनका काम कर सकते हैं! करते आ रहे हैं! इस बात को समज ने के लिए हम कोई भी बात को एक उदाहरन के तोर पे देखना चाहेंगे!ज्ञान के सर्जन के लिए हम कुछ नहीं करते हैं या कुछ नहीं कर पाते हैं! अगर  हम कुछ नहीं  कर पाते हैं तो हम शिक्षा क

इसे कोई नहीं बोल सकता...

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ब्कोल....           ब्कोल....                    ब्कोल....                            ब्कोल.... हम उसे बोल नहीं सकते!ऐसा ही एक लिखा हुआ आज कल सोसियल नेटवर्कमें हमे देखनेको मिलता हैं!भाषा एक शास्त्र हैं!शास्त्र याने नियम के आधीन!जेसे की पाक शास्त्र...नाट्य शास्त्र.... संगीत और चित्र हमारी कला हैं!कौशल्य को अंग्रेजीमे स्किल कहते हैं!एक कलाकार एक ही गाना दुसरे तरीके से गा सकता हैं!चित्र में भी ऐसा होता हैं! लेकिन आप और में ' द ' अलग तरीको से नहीं लिख सकते! अब ब्कोल के बारे में...कई दिनों से ऐ और ऐसे शब्द हैं जो सोसियल मिडिया में चलते हैं!इसे चिह्न या प्रतिक कहते हैं!ये कोई शब्द नहीं हैं!चिह्न को समजा जा सकता हैं!उसे पढ़ा नहीं जा सकता! 🙂 स्माइल... 😘 किस ... 🏆 एवोर्ड... ✂ केंची... ऐसे सिम्बोल हम whats app या ऐसे दुसरे सोसियल साईट में इस्तमाल करते हैं!इनको देखके ही मालूम पड़ता हैं की ऐ क्या कहते हैं!नो हॉर्न का सिम्बोल हम देखते हैं!उसे पड़ते नहीं सिर्फ समजते हैं!निचे दिए गए सिम्बोल से हम जान लेंगे की क्या सूचना हैं!अगर इस सिम्बोल को हम लिखेंगे तो क्या लिखेंग

એ પગલાં મારાં છે...

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એક યુવાન. ખૂબ જ મહેનત કરે. ભગવાનમાં પણ માને.રોજ પૂજા પાઠ કરે. સખત મહેનત કરવા છતાં...! યુવાન બધી જ દિશામાંથી નિરાશ થતો. એને કેમેય કરી ને સફળતા ન મળે.ઘરની જવાબદારી પણ તેની.ઘરમાં બાળકો અને ઘરવાળીનો એક જ આશરો એટલે આ યુવાન. કાળી મજુરી કરવા છતાં ઘરને ચલાવવા માટે તે ખૂબ જ ટૂંકો પડતો.એક દિવસની વાત છે.આખો દિવસ કામ કરી ઘરે આવેલ આ યુવાન થાકી ગયો હતો.ખાધું ન ખાધું કરીને તે સુઈ ગયો.રાતે તેને સપનું દેખાયું.આ સપનામાં તેને દરિયાનો કિનારો દેખાયો.દરિયા કિનારાની રેતીમાં તેને બે પગ દેખાતા હતા.આ પગ ધીરે ધીરે આગળ તરફ વધતા હતા.યુવાન ને થયું.આ હું છું.મારી મદદમાં કોઈ નથી.આ મારા જ પગ છે.મારી પાસે તો શું! દૂર દૂર કોઈ નથી. યુવાન સપનાની વાતને તેના જીવન સાથે જોડતો હતો.થોડી વાર પછી તેને એકદમ પાસે બીજા બે પગ દેખાયા.થોડી વારતો યુવાન ને માનવામાં જ ન આવે કે તેની સાથે કોઈ ચાલે છે. રેતીમાં તેના બે પગ દેખાતા હતા.સાથે બીજા બે પગ ચાલતા હતા.થોડી વાર જોયા પછી તેણે બૂમ પાડી.'અરે!મારી સાથે કોણ ચાલે છે?'આ સાંભળી તેને ટૂંકો જવાબ સંભળાયો. 'હું ભગવાન'યુવાન ખૂશ થયો.તે વિચારતો હતો.  'જે હ

मेरी नोट कब बांध होगी?

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आजकल हमारे देश में दो बात चलती हैं!एक नोट बंधीकी बात!दूसरी बात हैं ब्लेक मनी वालोका क्या होगा?इस दोनों बतोमे सबसे महत्त्व पूर्ण बात हैं...क्या हर तरीको से  नोट बांध होगी?क्या पेपरलेस प्रोसेस की और भारत बढ़ रहा हैं?क्या ऐसा होगा की हम सब्जी लेने जाएंगे और कार्ड से पेमेंट करेंगे? कुछ नया होता हैं तो कुछ नया करना पड़ता हैं!आज कल जो बाते चल रही हैं उसके आधार पे सन्देश के कार्टोनिस्ट ने एक कार्टून बनाया हैं! एक बच्चेकी माँ नेता जेसे दिखने वाले पुरूष को कहती है!'लीजिए...जवाब दीजिए...ऐ बच्चा कह रहा हैं की हमारी नोटबुक्स कब बांध होगी?!पिछली एक दशक से ज्यादा हम जॉय फूल लर्निग के लिए प्रयत्न कर रहे हैं!इस के लिए बहोत कुछ करनेके बावजूद अभी बहोत करना बाकी हैं! modi जी ने तो 500 और हजार की नोट बंधी करदी!बहोत बढ़िया कदम माना जाता हैं!मगर छोटे बच्चो की नोटबुक कब बंध होगी? अपने आपको जे.कृष्णमूर्ति समजने वाले लोग शिक्षाको सिर्फ किताब से जुड़ते हैं!जोड़ के देखते हैं!मगर जे कृष्णमूर्ति के विचारो से चलने वाले रूशिवेली पेटन को नहीं देखते नहीं समाज ते हैं! में आशा रखता हूँ की शिक्षामे प्रवृत्ति को

जो मुस्कुरा रहा....

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''अपने से ज्यादा जो उठाती हैं वही माहें! इनशोध :7 सिस्टर ''  जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा ! जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा! बिना संघर्ष के इन्सान चमक नहीं सकता, यारों, जलने वाले दिये में ही उजाला होगा। उदास होने के लिए तो सारी उम्र पड़ी है, नज़र उठाओ सामने तो ज़िंदगी खड़ी है, अपनी हँसी, खुद के होंठोंसे न जाने देना! खुदकी  मुस्कुराहट पे तो दुनिया पड़ी है! अपने को, जुक करही  चलनेका कोई पूछे, पीछे को रखने भारी इक बहाना बना देना! में खुश ,मेरी ख़ुशी मेरी हैं!ऐ खुद जान लेना! हरगम  पीके,हंसते रहते तुम गम भूला लेना!

मैं भारत का नागरिक...

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मैं भारत का नागरिक, मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिये। बिजलीमैं बचाऊँगा नहीं, बिल मुझे पूरा माफ़ चाहिये । पेड़ मैं लगाऊँगा नहीं, मौसम मुझको साफ़ चाहिये। शिकायत मैं करूँगा नहीं,कार्रवाई तुरंत ही  चाहिये । बिना लिए कुछ  न करूँ,पर भ्रष्टाचार नही चाहिये । घर-बाहर कूड़ा में फेकुंगा,मेरा गाँव  साफ चाहिये । काम करूँ न पलभर का,मुझे वेतन लल्लनटाॅप चाहिये । एक नेता कुछ बोल गया सो, मुफ्त में पंद्रह लाख चाहिये। लाचारों वाले लाभ उठायें, फिर भी ऊँची साख चाहिये। लोन मिले बिल्कुल सस्ता, बचत पर ब्याज बढ़ा चाहिये। धर्म के नाम रेवडियां खाएँ, पर देश धर्मनिरपेक्ष चाहिये। जाती के नाम पर वोट दे, अपराध मुक्त राज्य चाहिए। मैं भारत का नागरिक हूँ ,मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिय। बिजली मैं बचाऊँगा नहीं, बिल मुझे पूरा माफ़ चाहिये । हिरल व्यास द्वारा भेजी हुई कविता...

में हेंडसम नहीं...मेरे Hand में सम हैं...!

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अब्दुल कलाम कहते थे!में भले ही हेंडसम नहीं,मेरे हेंड (हथोमे ) सम (कुछ) हैं!एक किताब में मेने देखा!कुछ ऐसे ही वाक्य के साथ एक अच्छा फोटोग्राफ दिया गया हैं! आसमे जो आप देख रहे हैं!बहोत खूब लिखा हैं!उसका अनुवाद करके मजा किरकिरा होगा!मगर एक बात तय हैं की कुछ अच्छा लिखा हैं! कोलकत्ता से मेरे दोस्त सुबोध बाबुभी कभी कभी अच्छा भेजते हैं!ढूँढ़ ते हैं और भेजते हैं!उन्होंने 500 की नोट के बारेमे चलते समय के बारे में कहा की...मेरी बुत पोलिश की दूकान हैं!मुझे आज तक कभी कोई दिक्कत नही आती.मेरे घरमे दिनका खर्च 300 का हैं!में रोज तिनसो रूपए कामके घर चला जाता हूँ!तिनसो मिलने के बाद ज्यादातर वो  काम नहीं करते!भोलू नामके इस छोटेसे पोलिश करने वालेने बदिया बात बताई!उसने कहा: 'अगर घरमे कोई महेमान आने वाले हिं तो थोडा पैसा ज्यादा जरूर पड़ती हैं!मगर मुझे क्या मालूम मगर उस दिन 100 ज्यादा भी मिल जाते हैं !500 और 1000 की बंधी की असर जब वो चलातिथि तब या आज बांध हैं तब भी भोलुको नहीं पड़ा! जिसके पास ब्लेक का पैसा हैं उसका तो मालूम नहीं!हां,आज जोभी परेशानी हैं वो ऐसे लोगोको हैं जिसके पास जरूरत से ज्

innovative teachers video ...

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शिक्षा देना एक पवित्र व्यवसाय हैं!शिक्षाकर्मी को हम देखते हैं!आधुनिक समयमे शिक्षा में भी कई बदलाव देखे जा सकता हैं!समयकी माग हैं की शिक्षाको वैश्विक तोर पे देखा जाए!जो लोग शिक्षा से जुड़े हैं उनको मालूम हैं की शिक्षामे कई समस्या सामने आती हैं! बछोका अनियमित रूप से स्कूलमे आना!नामाकन करवाने के बाद शिक्षा पूर्ण होने से पहेले पढ़ाई छोड़ देना!ऐ समस्या सिर्फ भारत की नहीं  हैं! ऐ समस्या वैश्विक समस्या हैं! हम ऐ भी जानते हैं की अध्ययन और अध्यापन के दोरान भिन्न भिन्न समजशक्ति वाले बच्च्जो के साथ काम करना होता हैं!भिन्न भिन्न समज शक्ति वाले बच्चो को केसे एक साथ पढ़ाया जाए?! यहाँ में शिक्षा से जुडी समस्योके बारेमे लिखना नहीं चाहता!में तो यहाँ कुछ ऐसी बात लिखना चाहता हूँ!कुछ शिक्षक ऐसे हैं जो की ऐसी समस्याओ के सामने उन्होंने कुछ रस्ते निकले हैं! सिर्फ रस्ते निकले हैं ऐसा नहीं हैं!ऐसा भी हैं की उन विचारो को कही और अजमाया गया तो वहा भी अच्छे परिणाम मिले हैं! ऐसे अध्यापकोने अपने नवाचार को आई.आई.एम तक पहुंचाए!इन नवचारको एज्युकेशन इनोवेशन बेंक की कोर टीमने देखा...समजा और उसको प्रस्थापित किया! इस