मेढक और फेलियर...

एक कहानी हैं! इसमें एक कई सरे मेढक पहाड़ के ऊपर चदते हैं! एक साथ कई सरे मेढक आगे बढ़ते हैं! शुरू शुरूमें तो कई बहोत आगे निकल लेते हैं! जेसे जेसे कठिनाई आती हैं!सरे पिछड़ने और बिछड़ने लगते हैं!
एक युवान दिखने वाला मेढक अभी तक चल रहा हैं! धीरे धीरे वो सबसे आगे निकल जता हैं! उस वख्त ऐसा होता हैं की कई साथी मेढक उसे कुछ्ना कुछ कहते हैं!
जब मेढक सबसे ऊपर जाता हैं! वहाँ पत्रकार उसका इन्तजार करके खड़े होते हैं! एक पत्रकार सबसे आगे आके उसे पूछता हैं की ऐ तुमने केसे कर दिखाया?तब जाके वो मेढक अपने कान के ऊपर हाथ रखके कहता हैं 'आप क्या बोल रहे हो...में सुन नहीं पाता!'
पत्रकार एक दुसरे पत्रकारसे पूछते हैं! ऐ सुन नहीं पता हैं तो ऐसा कर केसे पाया?ऐ बात सुनके एक वरिस्थ पत्रकार ने बताया की आगे पीछे बहोत बोलने वाले थे की आप नहीं कर पाओगे...!ऐ सुन नहीं पाता था इसी लिए ऐ ऐसा कर पाया!वरना ऐ भी कबका पहाड़ को जित्नेकी बात पूर्ण नहीं कर पाता!
बच्चो का कुछ ऐसाही हैं!वो किसीकी सुनते नहीं हैं! नहीं सुनने चाहिएभी!और इसी लिए वो आज अपने मम्मी पापा से ज्यादा अच्छे तरीकेसे लेपटोप या मोबाइल चला लेते हैं! क्योकि बच्चो को फेल होने की चिंता नहीं होती!और इसी लिए हम राईट टू एज्युकेशनमें बच्चो को फेल न करनेकी बातको समर्थन देते हैं!

शुभमस्तु... 

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