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Showing posts from January, 2018

गांधी निर्वाण ओर 1000 बच्चो का संकल्प

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अरे... गांधी के लिए कुछ भी संम्भव हैं।जी हां, गांधी जिबकी बात करता हूँ।मोहनदास करमचंद गांधी याने राष्ट्रपिता बापू की बात करता हूँ।मेने कहा हैं कि बापू ऐसे व्यक्ति हैं जिनके नाम से दुनिया के प्रत्येक देश में कोई न कोई स्मारक हैं।विश्व महासत्ता अंग्रेजो की बात आप को मालूम हैं। अब आज की बात... मेने कही पढ़ा।शायद आज ही...! किसी ने लिखा था।बापू स्वदेशी थे।'इस लिए उन्हों ने भारतीय गोली ही मार पाई।अंग्रेजो के पास भी बहोत गोलियां थी तब किसी ने लिखा... बापू कहते थे, किसी का दिल दुभाना भी एक हिंसा हैं। वाह रे बापू... आप कहे वो सही...मगर आज कोई अफसोस नहीं हैं कि में मीठा जुठ नहीं बोलता।मेरे लिए काफी हैं कि में अब बोलता हु, अब में बोल चुका हूं। मेरी कोशिश रहेगी की में रावण बनु।मेरे लिए रावण एक आदर्श हैं।आज तक में रावण के बारे में 6 से अधिक पोस्ट लिख चुका हूं। आज के गांधी निर्वाण दिन पे में मेरे मन को संबोधित करते हुए तय करता हूँ कि मैने जो संकल्प लिए हैं,उसे में निभाउंगा।मेरा व्यावसायिक काम और नवाचार या नव विचारको को खोजने के अलावा अब कुछ नहीं करना हैं।में चाहता हूं

इनोबेशन : गुरु शिष्य

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  पालनपुर विद्यामंदिर।जय नहीं करता।कुछ दिन पहले राज्य गणित,विज्ञान एवं पर्यावरण प्रदर्शन संम्पन हुआ।डॉ अनिल गुप्ता एक दिन विशेष उपस्थित रहे।उन्होंने नाव विचारको के लिए क्या क्या दिशाए हैं और क्या संम्भावना हैं उसके बारे में चर्चा की।साथ में चेतन पटेल भी थे।चेतन पटेल ने नव विचारक ओर खास करके बच्चो के विचारों और अन्य इनोवेशन के बारे में जानकारी देते हुए ऐसे नव विचारको को खोज ने में सहयोग करने का आह्वान किया। पद्म श्री अनिल गुप्ता सर को सुनने के लिए डॉ जे.जे.रावल विशेष उपस्थित रहे थे।दोनों महानुभावो ने मिलकर बच्चो के कार्यक्रम को देख ओर सराहा। Bnoवेशन:sristi

डॉ नलिन पंडित ओर गिजुभाई भराड

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दो नाम हैं। श्री नलिन पंडित ओर श्री गिजुभाई भराड दोनों ऐसे नाम हैं जिन से में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में सीखता आया हूँ।श्री नलिन पंडित सर।मुजे याद है,उन दिनों कक्षा 3 में पर्यावरण विषय की बैठक थी।सर भी उपस्थित थे।गुजरात के शिक्षा जगत के दिग्गज यहाँ उपस्थित थे।स्व.दीपकभाई ओर प्रवीण डाभी के साथ ओर भी कई साथी थे।मेने तब तक जितने लोगो के नाम लेखक के रूप में देखे या पढ़े थे उनमें से कई सारे लोग यहाँ थे।पर्यावरण के लेखकों के बीच में खड़ा था।सभी लोग अपनी अपनी बात रख रहे थे।में देखने और सुनने के अलावा और कुछ नहीं कर रहा था।किसी इकाई के ऊपर चर्चा थी।मेने कहा,क्षमता विधान(आज लर्निग आउट कम)में लिखा हैं कि प्राणियो के खाने पीने की आदत को देखना!श्री प्रवीणभाई डाभी ने कहा,जी...आप ने सही पढ़ा।तो मुझ से निकल गया 'आप ने सही नहीं लिखा हैं,आप ने तो को क्या खाता हैं उसीकी चर्चा की हैं।आप अवलोकन के माध्यम से पढ़ाया जा सके वैसे लिखो।' मेने बहोत सहज कहा था।20 साल की उम्र में मैने 55 साल से लिखने वालों को चैलेंज किया।बात बढ़ी,गर्म हुई।किसी ने मुजे कहा 'अवलोकन से कैसे पढ़ाया जा सकता

9 नहीं 11 ग्रह: IPS

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आप जो मुजे रोज पढ़ते हैं।उन्हें कुछ नया दिखेगा।मेरी पोस्ट में राइट साइड फोटो होता हैं।और में फोटो की बाजू जगह भी नहीं रखता। मगर आज कुछ खास हैं। आज डॉ जे.जे.रावल सर के बारे में लिखा हैं। हम कई सालोंसे,अगर कहे कि कई पीढ़ी से ये मानते आ रहे हैं कि 9 ग्रह हैं।हमारे धर्मशात्र में भी ऐसा ही लिखा हैं।धर्म के प्रति ओर भगवान के प्रति सम्पूर्ण श्रद्धा रखने वाले डॉ. रावल सर के साथ दो दिन तक रहने का मुजे अवसर प्राप्त हुआ।राज्य के गणित,विज्ञान एवं पर्यावरण के उपलक्ष्य में उनके साथ दो दिन गुजरने का अवसर मिला। #thanks Dr TS Joshi सर।# वो सायन्स के विद्यार्थियो से संवाद करने वाले थे।उन्हों ने सरल तरीके से अपनी बात रखी।बच्चो के साथ बच्चो जैसे व्यवहारिक उदाहरण के माध्यम से उन्होंने ब्रह्मांड के बारे में अपनी बातें रखी। उन के बारे में अगर मुजे ओर कुछ नही लिखना हैं तो में सिर्फ उतना लिखूंगा गई उन्हों ने यूनिवर्स को 2 नए ग्रह खोज के दिखाए हैं।1972 में उन्होंने एक रिसर्च पेपर लिखा था।उस संशोधन में उन्होंने 2 नए उपग्रह के बारे में बताया था।1992 और 1996 में NASA ने क्रमश उस बात को स्वीक

अंबोड से मिला विचार...

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कुछ दिनों पहले। पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी सर आने वाले थे।22 दिसंबर 2017।साथ में गुजरात के राज्यपाल श्री कोहली सर भी विशेष अतिथि थे। काम था ignit सन्मान समारोह।65 हजार बच्चो में से पूरे भारत के 29 नवाचार के लिए 56 बच्चो को पसंद किया गया था।साथ में 20 ओर 21 तारीख को क्रिएटिविटी वर्कशॉप का हमने आयोजन किया था। कार्यशाला के दौरान हमने बच्चो को बहार भेजा।ग्रासरूट की समस्याओं को पहचानने के लिए हमने उन्हें एक्सपोजर के लिए भेजा।पास में एक गाँव पड़ता हैं।उसका नाम हैं अम्बोड।इस गाँव को सभी मिनी पावागढ़ के नाम से भी जानते हैं।यहाँ वाघबक़री ग्रुप जो चाय के व्यवसाय में अपनी एक अनूठी पहचान बनाई है हैं उनका एक फार्म हाउस बन रहा हैं।कुछ बच्चे वहाँ भी काम देखने पहुंचे। यहाँ मजदूर पथ्थर तोड़नेका काम करते थे।पथ्थर को तोड़ना ओर उसे लगाने के काम में सभी जुड़े थे।बच्चो ने देखा कि पथ्थर तोड़ने वाले मजदूर बारबार अपने गलौज निकाल रहे हैं।ऐसा करने पर उनसे पूछा गया तो किसी एक ने बताया कि पथ्थर तोड़ने के काम में उनके हाथों में पसीना हो रहा हैं।हथोड़े की पकड़ कमजोर हो जाती हैं और हाथ फिसलता हैं।आए समस्या

हमारी खुश्बू

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खुश्बू... मेरे दोस्त जयेश पटेल की बच्ची।कल उसकी शादी हैं।26 तारीख को उसकी महेंदी की रसम थी।हम परिवार समेत वहाँ पहुंचे थे।एक तरफ महेंदी की रसम चली।ऋचार्मी भी महेंदी अच्छी लगाती हैं।जयेश पटेल ने एक नवाचार किया।वो अपनी बच्ची की शादी पाटन में कर रहे हैं।पाटन में एक एरिया का नाम हैं गुमडा नंबर मस्जिद।यहाँ मुसलमान भाई बहन ज्यादा हैं।उनके परिवार में महेंदी की रसम या महेंदी का शोख रखते हैं।इस बजह से छोटी छोटी बच्चियां भी महेंदी की डिजाइन अच्छी बना लेती हैं। इन्ही बच्चीयो को उन्होंने महेंदी लगाने के लिए बुलाया था।बच्चियां एक तरफ महेंदी लगाती रही और में मस्ती करने लगा।मेने ओर मेरी ऋचार्मी ने महेंदी के कोन द्वारा गरबा करना चाहा।हम बैठे बैठे गरबा खेलने में असमर्थ रहे।और किसी ने फोटो ले लिया।

आप भी जुड़े...

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कोई कुछ भी कहे। बच्चे सदैव बच्चे होते हैं। हमारी आसपास कई सारे बच्चे ऐसे हैं जिन्हें हम विशेष रूप से नहीं जानते या पहचानते हैं।कुछ बच्चे पढ़ने लिखने में तेज नहीं होते।वो कुछ अलग करना चाहते हैं और अलग करते हैं।इस दोनों बातो में ये स्वयं स्पस्ट हैं कि केंद्र में बच्चे होते हैं। क्या सभी को हम डॉक्टर या इजनेर बनाये या वकील बनाएंगे तो अच्छे लेखक और अन्य व्यवसाय कर्मी हमे कैसे मिलेंगे!? नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की किसी कार्यशाला में मुजे काम करना था।वक्ताओं में एक थे डॉ अनिल गुप्ता।उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा 'किसी समस्या का अगर समाधान खोजना हैं तो उसके बारे में बच्चों से सवाल जवाब करो।वो ही नए विचार या आविष्कार कर सकते हैं।पढ़े लिखे लोग तो विज्ञान में स्वीकृत अवधारणाओं से ही अपनी बात रखेंगे। इस बार 26 जनवरी ओर शुक्रवार था।2001 में भी ऐसा ही एक शुक्रवार था।भूकंप तब भी आया था।भूकंप 2018 में भी आया।फर्क इतना कि इस बार राष्ट्र्पति जी के राष्ट्रजोग निवेदन में उन्होंने बच्चों के ओर ग्रासरूट इनोवेटर्स के बातें में अपनी बात रखी।उनका भाषण सुनते ही मेरे ओर मेरे साथ जुड़े ऐसे नवचारका

अगर मौका मिले...

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हम कई बार ऐसा सुनते हैं। कई लोग इसके बारे में अन्य से या हमसे बात करते हैं।ज्यादातर अपनी असफलता को हम किसी ओर कारण के ऊपर थोप देते हैं।जब व्यक्ति जन्म लेता हैं,भगवान या कुदरत उसे सब के जैसा बनाता हैं।अपनी असफलता के लिए फिरभी हम किसी को दोषित मानते हैं। किसी को मौका नहीं मिलता,कोई मौका पकड़ना नहीं चाहता।कोई कोई तो ऐसे होते हैं कि वो मौके को समझभी नहीं पाते,पकड़ भी नहीं पाते।मौका मिलना और मौके को पकड़कर आगे बढ़ना दोनों अलग बात हैं।मौका मिला और मैने उसमें सफल होने के प्रयत्न करने के बजाय उसमें से गलतिया निकलना शुरू करते हैं। मौका जब आपको मिलता हैं तो उसका सीधा मतलब ये हैं कि ये किसी औरको भी मिल सकता था।अब सवाल ये नहीं बनता की कैसे मौका मिला, सवाल ये बनता हैं कि अब क्या किया जाय। भारतरत्न ओर क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले श्री सचिन तेंडुलकर ओर दूसरे विनोद कांबली।दोनों एक साथ खेलते थे।दोनोंको एक साथ मौका भी मिला।आज भी सचिन सचिन हैं और विनोद कांबली को कोई आज पूछ भी नहीं रहा।अब सवाल ये हैं कि ऐसा क्यों हुआ। कहते हैं कि जब आप को मौका मिले तो उसे भगवान का प्रसाद मानना चा

मेरा साया मेरी खुशी

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व्यक्तिकभी अकेला,कभी किसी के साथ।व्यक्ति जब अकेला महसूस करता हैं।उसे ये लगता हैं मेरे साथ कोई नहीं हैं।ऐसा होता नहीं हैं।आज मकर सक्रांति हैं। में जब घर में था,अकेला था।में घर से भर आया...मेरा साया तुरन्त मेरे साथ,मुझसे आगे आया। मेरा साया यानी मेरी ख़ुशी।जब में प्रकाश में होता हूं,मेरी खुशी मुजे मेरे साथ होनेका हौसला देती हैं।मुजे मालूम हैं,की मुजे प्रकाश में रहना हैं।मेने मेरा प्रकाश तय कर लिया हैं।एक गाना हैं 'तुम बे सहारा होतो,किसी का सहारा बनो'   हम रोज एक समान खुशी चाहते हैं।ऐसा संम्भव नहीं हैं।जब त्योहार आहे हैं अपने याद आते हैं।अपने होने परभी कुछ दूर होते हैं।जो पास नही  होते हैं फिरभी साथ होते हैं। किसी ने खूब कहा हैं। सब से शांत जगह धर्म धर्मस्थल होता हैं।गाँधीआश्रम एक ऐसा स्थान हैं कि में जब भी जाता हूं मुजे कभी अकेला पन महसूस नहीं हुआ।अगर मंदिर मस्जिद के नजरिये से देखे .. घर से मंदिर हैं बहोत दूर, घर से मंदिर हैं बहोत दूर। चलो, किसी रोते हुई बच्चे को हसाया जाए।आज हम जो जिंदगी जी रहे हैं।वैसा जीने के लिए कई लोग दिन रात एक कर रहे हैं।अगर में