डॉ नलिन पंडित ओर गिजुभाई भराड



दो नाम हैं।
श्री नलिन पंडित
ओर
श्री गिजुभाई भराड
दोनों ऐसे नाम हैं जिन से में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में सीखता आया हूँ।श्री नलिन पंडित सर।मुजे याद है,उन दिनों कक्षा 3 में पर्यावरण विषय की बैठक थी।सर भी उपस्थित थे।गुजरात के शिक्षा जगत के दिग्गज यहाँ उपस्थित थे।स्व.दीपकभाई ओर प्रवीण डाभी के साथ ओर भी कई साथी थे।मेने तब तक जितने लोगो के नाम लेखक के रूप में देखे या पढ़े थे उनमें से कई सारे लोग यहाँ थे।पर्यावरण के लेखकों के बीच में खड़ा था।सभी लोग अपनी अपनी बात रख रहे थे।में देखने और सुनने के अलावा और कुछ नहीं कर रहा था।किसी इकाई के ऊपर चर्चा थी।मेने कहा,क्षमता विधान(आज लर्निग आउट कम)में लिखा हैं कि प्राणियो के खाने पीने की आदत को देखना!श्री प्रवीणभाई डाभी ने कहा,जी...आप ने सही पढ़ा।तो मुझ से निकल गया 'आप ने सही नहीं लिखा हैं,आप ने तो को क्या खाता हैं उसीकी चर्चा की हैं।आप अवलोकन के माध्यम से पढ़ाया जा सके वैसे लिखो।'
मेने बहोत सहज कहा था।20 साल की उम्र में मैने 55 साल से लिखने वालों को चैलेंज किया।बात बढ़ी,गर्म हुई।किसी ने मुजे कहा 'अवलोकन से कैसे पढ़ाया जा सकता हैं।मेने उसके उदाहरण उस इकाई के लिए कहे।'बात में स्वमान ओर अपमान की बात थी।मेरा कोई इरादा नहीं था।जो था वो बोला।कई लोग मुजे समजाने ओर डाटने लगे।मेरी हालत घर की छोटे बहु जैसी थी।मगर तब कुछ हूआ।एक गभीर व्यक्तित्व वाले एक अधिकारी ने खाफी होकर कहा'મિત્રો,આ છોકરો ખોટો નથી.આવું બધા એકમ માં હોય તો ન ચલાવી શકાય.'(साथियो,आए लड़का गलत नहीं हैं।ऐसा प्रत्येक इकाई में हैं तो वो नहीं चलने दे सकते।)अब तो क्या था।अवलोकन के माध्यम से कैसे इकाई लिखी जाए उसपे चर्चा हुई।मेरी बात को अब गंभीरता से लिया गया।एक छोटी बहू की तरफदारी करने वाले वो अधिकारी हैं श्री नलिन पंडित।उसके बाद प्रज्ञा ओर होल क्लास पेटन के लिए जब जब पर्यावरण लिखा गया मुजे लेखक या कन्वीनर के तौर पे जिम्मेदारी मिली।
मेने श्री नलिन पंडित सर के प्यार,दुलार ओर गुस्से को भी देखा हैं।मेरे जैसे कई लोगो को उन्हों ने सही मायने में रास्ता दिखाया हैं।आज शिक्षा के व्यवसाय में में जो भी हु,'क्यो की नलिन पंडित सर GCERT के नियामक थे।

दूसरे हैं श्री गिजुभाई भराड।

जब में शिक्षक बना।किसी कार्यक्रम में मेने श्री गिजुभाई को सुना।उन्हों ने कहा कि अगर 6 का नाम चार रखेंगे तो संख्या कैसे बोली जाएगी।उन्हों ने थोड़ी देर खेल ने को उकसाया।मुजे बड़ा मजा आया।मेने मेरी स्कूल में आके बच्चो को कहा 'आज मेने गिजुभाई बधेका को सुना।'मेरो स्कूल थी।किसी बच्चे ने मुजे टोका ओर कहा गिजुभाई बधेका को आप नही मिल सकते।वो तो मर शुके हैं।मुजे अपमान के साथ इस बात को स्वीकार ते हुए थोड़ी जिल्लत लगी।मेने सही बात को माना।तब से मुजे गिजुभाई भराड ओर बधेका का अंतर जानने को मिला।तब से उनकी किताबो के माध्यम से मैने सिख हैं।समजा हैं।

बात ये की इस दोनों महानुभाव के साथ ,उनको बाते सुनने का ओर चर्चा करने का मौका मिला।खास कर श्री नलिन पंडित सर से दो दिन में  फिरसे जैसे एनर्जी मिली।पंडित सर ने मुजे कभी गुरु दक्षिणा नहीं दी हैं।हा, उन्होंने मुजे दक्षिणा मूर्ति तक पहुंचा के मेरे गुरु होनेका मुजे अवसर दिया हैं।
#नलिन पंडित(एक नवाचार)

नया सवेरा...

Comments

Popular posts from this blog

ગમતી નિશાળ:અનોખી શાળા.

ન્યાયાધીશ અને માસ્તર

અશ્વત્થામા અને સંજય જોષી