अंबोड से मिला विचार...

कुछ दिनों पहले।
पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी सर आने वाले थे।22 दिसंबर 2017।साथ में गुजरात के राज्यपाल श्री कोहली सर भी विशेष अतिथि थे।
काम था ignit सन्मान समारोह।65 हजार बच्चो में से पूरे भारत के 29 नवाचार के लिए 56 बच्चो को पसंद किया गया था।साथ में 20 ओर 21 तारीख को क्रिएटिविटी वर्कशॉप का हमने आयोजन किया था।
कार्यशाला के दौरान हमने बच्चो को बहार भेजा।ग्रासरूट की समस्याओं को पहचानने के लिए हमने उन्हें एक्सपोजर के लिए भेजा।पास में एक गाँव पड़ता हैं।उसका नाम हैं अम्बोड।इस गाँव को सभी मिनी पावागढ़ के नाम से भी जानते हैं।यहाँ वाघबक़री ग्रुप जो चाय के व्यवसाय में अपनी एक अनूठी पहचान बनाई है हैं उनका एक फार्म हाउस बन रहा हैं।कुछ बच्चे वहाँ भी काम देखने पहुंचे।
यहाँ मजदूर पथ्थर तोड़नेका काम करते थे।पथ्थर को तोड़ना ओर उसे लगाने के काम में सभी जुड़े थे।बच्चो ने देखा कि पथ्थर तोड़ने वाले मजदूर बारबार अपने गलौज निकाल रहे हैं।ऐसा करने पर उनसे पूछा गया तो किसी एक ने बताया कि पथ्थर तोड़ने के काम में उनके हाथों में पसीना हो रहा हैं।हथोड़े की पकड़ कमजोर हो जाती हैं और हाथ फिसलता हैं।आए समस्याए सुनकर वहां से आने वाले बच्चों ने एक विचार दिया।उन्होंने कहा कि पथ्थर तोड़ने के लिए पहने जाने वाले गलौज में कॉटन या कुछ ऐसा मटेरियल हो जो पसीने को चूस ले।ये विचार आज सृस्टि के माद्यम से आगे आया हैं।पिछले 30 साल के काम को अगर देखा जाए तो बात नई नहीं हैं।इस में एक बात नई ये हैं कि क्रिकेट में विकेट कीपर की गलौज में थोड़ा चेंज करने के बाद  पथ्थर तोड़ने वाले मजदूर की गलौज भी नई बन सकती हैं।आप भी आप के आसपास बच्चो को खोजे ओर उनके विचार यहाँ तक पहुंचाए।

#वाघ बकरी ग्रुप 'SMILE' प्रोजेक्ट में भी अनुदान दे रहा हैं।smile में आईआईएम के आसपास के आइसोलेटेड एरिया के बच्चों को फ्री में कोचिंग मिलती हैं।ज्यादातर आईआईएम के स्टूडेंट ओर वोलिएन्टर इन बच्चों को सहाय करते हैं।


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