अगर मौका मिले...
हम कई बार ऐसा सुनते हैं।
कई लोग इसके बारे में अन्य से या हमसे बात करते हैं।ज्यादातर अपनी असफलता को हम किसी ओर कारण के ऊपर थोप देते हैं।जब व्यक्ति जन्म लेता हैं,भगवान या कुदरत उसे सब के जैसा बनाता हैं।अपनी असफलता के लिए फिरभी हम किसी को दोषित मानते हैं।
किसी को मौका नहीं मिलता,कोई मौका पकड़ना नहीं चाहता।कोई कोई तो ऐसे होते हैं कि वो मौके को समझभी नहीं पाते,पकड़ भी नहीं पाते।मौका मिलना और मौके को पकड़कर आगे बढ़ना दोनों अलग बात हैं।मौका मिला और मैने उसमें सफल होने के प्रयत्न करने के बजाय उसमें से गलतिया निकलना शुरू करते हैं।
मौका जब आपको मिलता हैं तो उसका सीधा मतलब ये हैं कि ये किसी औरको भी मिल सकता था।अब सवाल ये नहीं बनता की कैसे मौका मिला, सवाल ये बनता हैं कि अब क्या किया जाय।
भारतरत्न ओर क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले श्री सचिन तेंडुलकर ओर दूसरे विनोद कांबली।दोनों एक साथ खेलते थे।दोनोंको एक साथ मौका भी मिला।आज भी सचिन सचिन हैं और विनोद कांबली को कोई आज पूछ भी नहीं रहा।अब सवाल ये हैं कि ऐसा क्यों हुआ।
कहते हैं कि जब आप को मौका मिले तो उसे भगवान का प्रसाद मानना चाहिए।जब मौका हाथ से निकल जाता हैं तब हमें अहसास होता हैं कि अब मेरे पास कुछ नहीं बचा।जो एक बार आता हैं उसे मौका कहते हैं।उसे छोड़ने के बाद दूसरे मौके का इन्तजार करना वो पागल पन हैं।हमे हमारी गलती को छुपाने के बजाय फिर से अपने काम में ध्यान लगाकर आगे बढ़ने का अवसर खोजना चाहिए।मौका सब को मिलता हैं।मौका हर किसी को सफल नहीं बनाता।
आप सचिन बनने आये थे और काम्बली बन के रह गए।क्यो ओर कैसे उसके बारे में आपको सोचना हैं।आप को ही तय करना हैं।
#Bnoवेशन
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