एक सवाल...
एक सवाल हैं!एक जवाब हैं!ऐसे कईसारे सवाल और
जवाब हैं! जिसके लिए हम सोचते नहीं हैं! कई बार ऐसा होता हैं की हम सिर्फ जानकारी
को ज्ञान समज लेते हैं! विश्वके चिन्तक टॉम कोलो कहते थे की जरूरियात के समय काम
आए वो ज्ञान हैं! इसे दूसरे तरीके से देखा जाए तो इसका मतलब होता हैं की जो हमारे काम को आसन करे वो ज्ञान हैं!
क्या हम शिक्षा के दौरान ऐसी व्यवस्था कर सकते
है की जिसे हम कह सके की मेने ज्ञान का सर्जन किया हैं! राईट टू एज्युकेशन मेभी
ज्ञान के सर्जन को हमने प्राथमिकता दी
हैं! क्या हम सही माय्नोमे ज्ञान का सर्जन
कर सकते हैं?
क्या ज्ञान का सर्जन हम कर सकते हैं! अगर एक
सलीके से देखा जाए तो हम ऐ बात समज सकते
है?इसी के जवाब में और टॉम कोलो को देखा
जाए तो हमें मालुम पडेगा की ज्ञान का सर्जन हम कर ही नहीं पा रहे हैं! हम सिर्फ
ज्ञान को बांटने के लिए अध्ययन या अध्यापनका
काम कर सकते हैं! करते आ रहे हैं!
इस बात को समज ने के लिए हम कोई भी बात को एक
उदाहरन के तोर पे देखना चाहेंगे!ज्ञान के सर्जन के लिए हम कुछ नहीं करते हैं या
कुछ नहीं कर पाते हैं! अगर हम कुछ
नहीं कर पाते हैं तो हम शिक्षा के अधिकार
के लिए कुछ नहीं करते हैं! अगर 3 को समजा जाए तो हमें मालुम पड़ेगा की वो सिम्बोल
हैं! संख्या हैं! 4 से छोटी और 2 से बड़ी संख्या हैं! यहाँ सवाल ऐ नहीं हैं की 3 क्या हैं! 3 को तो समूचे विश्व ने 3
ही समजा हैं! उसे 2 से बड़ा 3 और 4 से छोटा ही माना गया हैं! सोचिए अगर 4 को हम 3
कहते तो आज हमारी गिनती में कुछ इस तरीके से होता!1...2...4...3...5...!
यह सिर्फ समजने के लिए हैं! अब आप कहोगे की यह
ज्ञानका सर्जन केसे हो सकता हैं!इसमें सर्जन के लिए क्या हुआ!यहाँ अगर कहा जाए तो
ऐ तय हैं की 3 नहीं...मगर 3 केसे केसे ?और अगर तिन तिन के बजाय चार होता तो क्या
क्या हो पाता?ऐ संभावनाए समजं के लिए अगर उन्हें काम दिया जाय तो उस काम के लिए
बच्चो के द्वारा किया हुआ काम ज्ञानका सर्जन हैं! ज्ञान के सर्जन के लिए कुछ किया
हैं ऐसा कह सकते हैं!
ऐसा तो हम प्रत्येक विषयमे कर सकते हैं!
तो फिर से सोचेंगे की हम क्या कर सकते
हैं! अद्ययन और अध्यापन प्रक्रियामे हम क्या क्या नया जोड़ सकते हैं!और ऐसा सोचने
के बाद हमें जो प्राप्त होगा वोही हमारे लिए ज्ञान का सर्जन होगा!पहले हम सर्जन कर
पाए तब जाके हम ज्ञान का सर्जन करवा पाएंगे!
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