प्यारकी कविता....
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By
Bee The Change
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ऐ "सुख" तू कहाँ मिलता है,
क्या तेरा कोई पक्का पता है!
क्यों बन बैठा है अन्जाना,
आखिर क्या है तेरा ठिकाना!
कहाँ कहाँ ढूंढा मैने तुझको, पर तू न कहीं मिला मुझको!
ढूंढा मकानों में, बड़ी से बड़ी दुकानों में! स्वादिष्ट से पकवानों में,
चोटी के धनवानों में!प्यार बाटते संतोमे,खड़े मंदिर के खंभों में।
वो तुझको ढूंढ रहे थे,मुझको ही पूछ रहे थे!क्या आपको कुछ पता है,
ये सुख आखिर कहाँ रहता है? मेरे पास तो "दुःख"का पता था,
जो अक्सर मिलता था ! परेशान होके शिकायत लिखवाई,
पर ये कोशिश भी काम न आई! उम्र अब मेरी ढलान पे है,
हौसला अब थकान पे है! हाँ उसकी तस्वीर है मेरे पास,
अब भी बची हुई है मेरी आस!मैं भी हार नही मानूंगा,
सुख के रहस्य को में जानूंगा!
बचपन में मिला करता था,
मेरे साथ वो रहा करता था!
पर जबसे मैं बड़ा हो गया,
मेरा सुख मुझसे जुदा हो गया।
मैं फिर भी नही हुआ हताश,
जारी रखी उसकी मैने तलाश!
एक दिन जब आवाज ये आई,
क्या मुझको ढूंढ रहा है भाई!
मैं तेरे अन्दर छुपा हुआ हूँ,
तेरे ही घर में बसा हुआ हूँ!
मेरा नहीं है कुछ भी "मोल",सिक्कों में मुझको न तोल!
मैं बच्चों की मुस्कानों में हूँ,साथी के साथ चाय पीने में!
"परिवार" के संग जीने में! माँ बाप के आशीर्वाद में,
रसोई घर के पकवानों में ! बच्चों की सफलता में हूँ,
माँ की निश्छल ममता में हूँ! हर पल तेरे संग रहता हूँ,
और अक्सर तुझसे कहता हूँ ! मैं तो हूँ बस एक "अहसास",
बंद कर दे तू मेरी तलाश !जो मिला उसी में कर "संतोष"
आज को जी, कल की न सोच! कल के लिए आज न खोना!
मेरे लिए कभी दुखी न होना, मेरे लिए कभी दुखी न होना!
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