हमारा साथ...

किसी को हम देखते हैं।कोई हमे देखता हैं।कोई व्यक्ति सफल होती हैं।कोई निष्फल होता हैं।सफलता कभी व्यक्तिगत नहीं हो सकती।सफल होने के लिए सहारा या सहयोग आवश्यक हैं।किसी ने खूब कहा हैं कि सफतला पाने वाली व्यक्ति कभी अकेली नहीं होती।या तो उनसे कोई जुड़ता हैं,या वो किसी से जुड़ते हैं।कई लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ सहकार चाहते हैं।उनकी चाहत इतनी होती हैं कि हम भूल के भी उसे नहीं भुला सकते।
अगर कोई बिना शर्त समर्थन करता है।उनका समर्थन कुछ दिनों बाद शार्टमें बदल जाता हैं।ऐसा सिर्फ पॉलिटिक्स में होता हैं।जीवनमें तो शर्तो के साथ कोई समर्थन नहीं देता।अगर कोई समर्थन देता हैं तो हमे उसके ऊपर सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा हैं।
में सिर्फ इतना कहूंगा कि अगर में किसी काम में सफल हुन तो इसका मतलब मेरे पीछे कई सारे लोगोकी दुआए हैं।अगर में सफल नहीं हूं तो इसका मतलब हैं कि अभी मेरे पीछे दुआ कम हैं।
में अकेला नहीं बढूंगा,में हाथ को साथ लेके चलूंगा।भले मेरी चलने की गति धीमी हो जाय।आप का स्नेह मिलता रहेगा,हम आगे बढ़ते रहेंगे।

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