हम बदलेंगे...
हम जो सोचते हैं।
वो सब अगर हो जाता तो किसी व्यक्ति या व्यवस्था का महत्व न रहता।आजकल देखा जाए तो लोग कही सुनी बातोपे यकीन करते हैं।आजकल मीडिया सक्रिय हैं।मीडिया से तुरंत जुड़ा दूसरा कोई शब्द हैं तो वो हैं,सोशियल मीडिया।क्या हम उस भीड़ का हिस्सा बनेंगे?क्या हम किसी की कही सुनी बातोपे यकीन करेंगे!मेरे एक दोस्तने मुजे कार्टून भेजा।एक हड्डी केबीपीछे पूरा मीडिया चलता हैं।आज भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के पास अपनी खुद की या खरीदी हुई मीडिया हैं।अब गुजरात के चुनाव में ये ज्यादा दिखाओ देगा।इस बात को किसी दूसरे तरीके से देखते हैं।
पति सदैव अपनी पत्नी के लिए काम करता है।कुछ बाते भूलता हैं।पत्नी को कभी कुछ नहीं दे पाता।पति को हैं कि उसे पसंद न आये।इस बीच बात बिगड़ती हैं।फिर भी वो दोनों एक दूसरे के सामने न होनेबपर भी उनकी चिंता करते हैं।सुबह झगड़ा होने के बाद फोन पे एक दूसरे से बात करते हुए दोनों रो लेते हैं।दोनों एक दूसरे के लिए जीते मरते हैं।मगर फिरभी प्यारी बात पे कुछ बोलभी लेते हैं।जगड़ा भी कर लेते हैं।रोते हुए भी अपनी गलती मानते हैं,गलती जताते हैं।
मेरा मानना हैं कि पत्रकारों को अपने कर्म के बारे में भी सोचना चाहिए।क्या ऐसा हो सकता हैं कि पत्रकार खरीखोटी सुनाता हो,लिखता हो फिरभी उसका ये काम हैं।पत्रकार जैसे प्रत्येक व्यक्तिको खुश नहीं रखपायेगा वैसे ही पति और पत्नी सदैव हर बातपे खुश नहीं हो सकते,नहीं कर सकते।पत्रकारों का ठीक हैं,मगर हमे तो हमारे परिवार के साथ बीबी ओर बच्चोबके लिए कुछ तो करना हैं।
जैसे बर्थ डे पर विष न करने वाले पति को पत्नी माफ करती हैं,वैसे ही पतियों को भी ये करना चाहिए। कुछ पत्रकारों की तरह हड्डी के पीछे,यानी पुरानी आदतों के पीछे न दौड़ते हुए हर बार गिफ्ट देके विष करना चाहिए।हमे ये तय करने में दिक्कत नही होनी चाहिए कि उन्हें क्या देना हैं,क्या गिफ्ट या स्मृति देनी हैं।
मीडिया के कुछ साथियों की हड्डी तय हैं।हमारे जीवन में जैसे साथ बढ़ता हैं हड्डियां बदल जाती हैं।आज हड्डी ओर कुछ पत्रकारों के लिए दियागया आए कार्टून हमे भी पुरानी भूलने की या दिन मेनेज न करने की आदत बदले।
गायत्री परिवार में कहा जाता हैं कि 'हम बदलेगे, युग बदलेगा।हम इस नए साल से पुरानी गलती न दोहराते हुए बदलाव लाएंगे,खुद बदलेंगे।
#Bnoवेशन
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