हमारी सोच...








लाओ तुम्हारे बच्चे,इंसान बनादेगें।
लोग पूजेंगे ऐसे,भगवान बनादेंगे।
बच्चो को हम क्या सीखने के लिए भेजते हैं।अरे,आजकल की शिक्षा व्यवस्था को देखके लगता हैं, हम बच्चो को रट्टा मारने का सीखने के लिए भेजते हैं।हमे शिखना चाहिए सवाल करना।हमे सिखाना चाहिए सवाल को समझना।
कहते हैं कि सही शिक्षा व्यवस्था वो हैं जो ख़्वाब देखने का सिखाये।ये चित्र।छोटा बच्चा वाला चित्र दो व्यक्ति को दिखाया गया।एक्ने कहा,ये बच्चा ऐसी चीजको पकड़ने जा रहा हैं जो उसकी कभी उसकी न होगी।न कभी उसके साथ टिकेगी।इस चित्रको देखके किसी दूसरी व्यक्तिने बताया कि कोई भी बाहरी आक्रमण के सामने जितने की इच्छा ये बच्चा रखता हैं।वैसा बच्चा दिखता हैं।
जैसे चित्र एक मगर नजरिये के हिसाब से जवाब अलग अलग हैं,बस उसी तरह हमारी जिंदगी भी वैसी हैं।हम ये तय न करे कि क्या नहीं कर सकते।हमे ये तय करना होगा कि हम क्या कर सकते हैं।जो हम ठान ले तो सबकुछ हो सकता हैं।मगर आपको बस एक बार तय करना हैं।
मेरी जिंदगी,मेरी सोच...

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