अपना घर


घर क्या हैं।
घर कैसा होना चाहिए।
घर कैसे बनता हैं,घर की क्या आवश्यकता हैं।
एस सवाल हम सुनते हैं।ऐसे सवाल के जवाब हम देते भी हैं।
आज के समय में पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन सबसे बड़ा सवाल हैं।ये सवाल भी ऐसा की जिसका सहिमें कोई जवाब नहीं हैं।
कुछ दिनों पहले मुजे महाराष्ट्र जाना था।भंडार डिस्ट्रिक्ट से सटे एक छोटे से गाँव में हम गए।यहां एक घर देखने जाना था।आप को होगा कि घर देखने के लिए भांडार...!
जी...
आप ने कई सारे मकान देखे होंगे।क्या आपने प्लास्टिक से बना मकान देखा?!प्लास्टिक की बोटल से ये मकान बनाया गया।आशियाना नामक NGO ये काम कर रहे हैं।तीन चार महिनो तक बोतल इकठ्ठा करते हैं।इसमें मिट्टी भरते हैं।उसे सीमेंट से चिपकाते हैं।इस घर में न गर्मी लगती हैं, न ठंडी लगती हैं।वातानुकूलित व्यबस्था यहां देखने को मिलती हैं।
भूकंप आने पर भी जानहानि नहीं होती हैं।आसपास बिखरने वाला कचरा यहां उस होता हैं।एक छोटासा घर बनाने के लिए 30 से 40000 बोतल चाहिए।
ये बोतल का अगर इस्तमाल नहीं होता तो प्लास्टिक कितना नुकसान कर सकता हैं,इस के बारे में आप जानते ही हैं।सारे लोग अगर ऐसे मकान बनाये तो मकान सस्ता होता हैं।एक ईंट की किंमत 4 रुपये हैं।10 रुपये में एक किलो प्लास्टिक की बोतल मिलती हैं।16 से 22 बोतल होती हैं।अगर हम एक किलो में 15 बोतल कहे तोभी 60 रुपये के करीब खर्च करना पड़ता हैं।
सोचिए,
कितना अच्छा विचार हैं।
सब के पास अपना घर,
अपना घर,अपना परिवार।

@#@
शहर में अपना घर होतो, वो शहर भी अपना ही लगता हैं।
भले दौड़ के आये सारे जहांन में,अपना अपना ही होता हैं।
जय हो...

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