मा बाप
आज के जमाने में बच्चो के लिए मा बाप सब करते हैं।एक पोस्टर जो इस बात को अच्छे से समजा देता है।माँ के लिए बच्चा कलेजे से अधिक हैं।पिताजी का जो भी हैं,बच्चो का ही हैं।
बच्चे अगर दुखी होते हैं,निराश होते हैं तब मा बाप के लिए जैसे परीक्षा हो जाती हैं।कोई भी मा बाप अपने बच्चों के लिए बुरा नहीं सोचते।एक तरीके से देखा जाए तो हमे दिखेगा की माँ बाप अपनी दुनिया में सबसे अधिक अगर फिक्र करते हैं तो अपने बच्चों के लिए।कहिए कि माँ बाप आने बच्चो के लिए जिंदा रहते हैं।
बच्चे कुछ भी करे,मा बाप को वो कभी जुटला नहीं सकते हैं।और आगे ऐसा होता हैं तो नहीं होना चाहिए।कई सारी संस्थान हैं जो वृद्धाश्रम का संचालन करते हैं।में कहता हूं कि ऐसी संस्थान बनाने से ही बच्चे अपने माबाप को छोड़ ने का सोचते हैं।
में आज हिन्दू कैलेंडर के पहले दिन अनुरोध करता हूँ कि किसी भी बुजुर्ग को वृद्धाश्रम में न जाना पड़े ऐसा हम संकल्प करते हैं।अगर ये पढ़ने वाले में से किसी के मा बाप अलग रहते हैं,या वृद्धाश्रम में हैं तो वो सोचे।अगर अलग रहते हैं तो उन्हें मिले, कोल करें।अगर वृद्धाश्रम में हैं तो उन्हें वापस घर लाये।
उन्होंने अपना कलेजा ओर दिमाग आपको दीया हैं।आप भी उन्हें अंतिम दिवसों में सन्मान ओर बेहद प्यार करें।
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अगर जिंदगीमें कुछ भी नहीं हैं,
मगर आप हैं,मतलब आप के माबाप हैं।हमारे अस्तित्व को निखारने वालो को दुखी नहीं करना चाहिए।
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