कोंन किसका सहारा...
आज अमदावाद जाना हुआ।
कुछ काम से गये थे।पूरा दिन काम में ही लगे रहे।हुआ ये की काम खत्म करके निकल ही रहे थे कि एक गार्डन में कुछ बच्चो को देखा।
लगभग प्राथमिक स्कूल के बच्चे थे।वो सभी अलग अलग ठिकानों से यहाँ आते थे।उन्हें पढ़ने के लिए कुछ बच्चे भी आ रहे थे।वो ऐंजिनियर के स्टूडेंट्स थे।विश्वकर्मा इजनेरी कॉलेज चांद खेडा के ये विद्यार्थी गरीब बच्चों को पढ़ा रहे थे।उनको ये जगह आसपास वालो ने मोहैया करवाई थी।होटल सेफरों के सहाय से ये जगह उन्हें मोहैया कराई गई हैं।गर्मी,शर्दी ओर बारिश के मौसम में वो आसपास के दुकानदार का सहयोग प्राप्त करके अपना कार्य करने में जुड़े हैं।बच्चे अच्छा करते हैं।ठंडी के मौसम में अंधेरा जल्द होता हैं।इस अंधेरे को दूर करने के लिए पासवाले किसी होटल ने इस तरीके से अपनी लाइटिंग की हैं कि रात को भी ये बच्चे यहाँ काम कर सके।आसपास के बैंक और शॉपिंग वालो ने ऐसे अपना cc टीवी ऐसे सेट किया कि उनकी सिक्योरिटी बढ़ गई हैं।
मेरा जिनसे मिलना हुआ उन्होंने बताया विद्यानगर आणंद स्थित बचपन नामक NGO से वो जुड़ के काम कर रहे हैं।आप भी काम में सहयोग कर सकते हैं।
@700@
आज के दौर में शिक्षा से जुड़े काम से कमाने वाले लोग कुछ ज्यादा ही शिक्षा को महंगा कर रहे हैं।ऐसे हालात में हमे ऐसे काम करने वालो को प्रोत्साहन देना हमारा कर्तव्य हैं।
@700@
आज के दौर में शिक्षा से जुड़े काम से कमाने वाले लोग कुछ ज्यादा ही शिक्षा को महंगा कर रहे हैं।ऐसे हालात में हमे ऐसे काम करने वालो को प्रोत्साहन देना हमारा कर्तव्य हैं।
#we can मुमकिन हैं...!
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