समय ओर समज...


समय...
न मिलता हैं,न मिलने देता हैं।
हम रोजाना कुछ न कुछ नया काम करते हैं।कुछ काम जो हमने तय किये होते हैं,कुछ काम ऐसे होते हैं जो बिना तय किए सामने आ जाते हैं
इस दोनों परिस्थिति में हम बहोत बार कुछ ऐसा करते हैं जिससे काम पे असर होती हैं।स्वास्थ्य पे असर होती हैं।
कुछ लंबा चौड़ा न बोलने पर भी कुछ कम शब्दोंमें अधिक कहा जा सकता हैं।किसी व्यक्ति के पास जाकर आप लंबा भाषण सुनो इससे अच्छा हैं कि उसकी महत्व पूर्ण बात सुनलो।ऐसे व्यक्ति के पास जाके थोड़ी देर भी सही या कहे तो उपजाउ बात करने को हम किसी कीमत से नहीं तौल सकते।
सिर्फ बाते करने से जीवन नहीं चलता।इस स्थितिमें कुछ कम मगर महत्वपूर्ण बात करने में समय लगाना जीवन को सफलता की ओर ले जाता हैं।
काम के वख्त या काम की गंभीरता को समजीए बगैर सिर्फ बाते करना सही नहीं हैं।जब आप शारीरिक और मानसिक तरीके से स्वस्थ हो तो आप अच्छी बातें करते हैं।मगर सिर्फ बाते करने के लिए हम अपनी जिम्मेदारी को छोड़ नहीं सकते।
किसी ने खूब कहा हैं...!

सदैव सत्य कहो...

अप्रिय सत्य सदैव कहो...

प्रिय बनने के लिए असत्य न कहो...


इन तीन वाक्यो को अपने कर्म के साथ जोड़के देखेंगे तो समझ आएगा।अगर मेने कहा की मेरे पास 1500 कहानियां जोडाक्षर के बगैर लिखी हुई हैं।तो मेरे पास होनी चाहिए।अब प्रिय बनने हेतु या अच्छा दिखाने हेतु में 2000 कहानी कहूंगा तो सुनने वाले तो मान लेंगे,क्योकि मेरे नाम से कही छापा गया हैं।जिन्हें 1500 या 2000 में फर्क नहीं पड़ता  मगर मुजे गलत पेशकश की आदत पड़ेगी।
अब इस के बारे में देखे तो समज पड़ेगी की हम काम को कितना प्यार करते हैं।अमूल्य चर्चा तब होती हैं जब उस चर्चा के विषय में हम जानना चाहते हो।अमूल्य सलाह देने वाला तैयार हो मगर सामने वाला कहे कि नही,आप सिर्फ मुझसे बाते करो,मेरे लिए आपका साथ महत्वपूर्ण हैं।आप से हुई बातचीत अमूल्य हैं।मगर बात करने से काम नहीं होता।
योजना बनाने के बाद महत्वपूर्ण हैं उसको अमली करना।बस,कोई भी बात हो उसे हम सीरफ हमारे काम से जुड़ के देखे।अगर में पिता या पति हु तो में मेरे काम को जितना महत्व दूंगा उतना मेरा परिवार खुश रहेगा।क्यो की हमारे सारे मोजशोख हमारी नोकरी से ही प्राप्त होते हैं।किसी विषय पर अगर हम जानकारी मिलती हैं तो उसके बाद हमे उसके ऊपर काम करना हैं।वरना सारी महत्वपूर्ण बातें सिर्फ आदर्श वाद हैं।
#समज की कहानी...

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