कल्पनाशीलता ओर क्रिएशन
- Get link
- Other Apps
By
Bee The Change
-
कल्पनाशील सोच-विचार को शायद एक दक्षता न माना जाता हो लेकिन यह अधिकतर कलात्मक दक्षताओं से भी अधिक आधारभूत है। छोटी कक्षाओं में यह सिखाना बहुत मुश्किल है। कला के संसार में अलग ही कल्पना की अलग ही उड़ान होती है और इस संसार में प्रवेश कर पाना आसान नहीं है। कला-शिक्षण के शुरुआत में सम्भव है कि किसी शिक्षक ने कोई आकृति बनाने या उसे रंगों से भरने या फिर सीधी लकीरें खींचने के लिए कहा हो। कभी-कभी बच्चे ऐसा करने में बोरियत महसूस करते हैं और कला की कक्षाओं में उनकी दिलचस्पी घटने लगती है। मैं आमतौर पर उन्हें कोई रंग-बिरंगा दृश्यचित्र बनाने को देता हूँ, या फिर जानवरों या किसी इन्सान की हल्की-फुलकी हंसी भरी तसवीर, तितलियाँ और चित्रकारी आदि। यदि यह उनका खुद का चुनाव होगा तो अधिक सम्भावना है कि वे इस पर मेहनत करेंगे। कभी-कभी वे शिल्प कार्य भी करते हैं। मैंने पाया है कि उन्हें इस गतिविधि में अमूमन अधिक मजा आता है।
आमतौर पर कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के बच्चों को जो वे करना चाहते हैं उसके चुनाव की छूट दी जाती है। कुछ दिलचस्पी लेते हैं और कुछ नहीं। बेहतर है कि विद्यार्थियों को ऐसा काम न दिया जाए जिसके लिए वे तैयार न हों। मेरी कोशिश विभिन्न विषयों पर कुछ विचार उन तक पहुँचाने की रहती है जिन्हें वे अपनी स्केच-बुक में प्रयोग कर सकें। वे बहुत अच्छा प्रदर्शन न कर रहे हों तब भी मैं उन्हें प्रोत्साहित करता हूँ। विद्यार्थी विचारों को अपना लेते हैं तो कुछ करने की इच्छा और प्रेरणा सबसे सशक्त होते हैं। यानी किए गए महत्वपूर्ण चुनाव में उनका दखल होना चाहिए। चुनाव वे स्वयं करेंगे तो काम भी बेहतर करेंगे।
![](https://ci6.googleusercontent.com/proxy/WquKE2q_tFFIs0H1Jzl1yvM8--WcgesupKqB2cU4S_dfIATnyO9SPNInDpG7p47_aD_zdMWLBdoygQXthFKxQrl6TG5xllFJ2XiLmDPEcFlMdhE=s0-d-e1-rw-ft#http://teachersofindia.org/sites/default/files/dsc08933_0.jpg)
पिछले कुछ सालों में मैंने जीवन में कला-शिक्षा के महत्व के बारे में अपनी सोच कुछ विद्यार्थियों तक पहुँचाई। पिछले ही साल कक्षा 12 के दो विद्यार्थी अपने डिग्री पाठ्यक्रम में फ़ैशन डिज़ाइनिंग करना चाहते थे। इसमें कोई शक नहीं कि बच्चे के व्यक्तित्व और दक्षताओं के विकास में कला-शिक्षा का महत्व है। कला से बच्चे की बुद्धि का विकास होता है। देखा गया है कि कला से सम्बद्ध गतिविधियों में शामिल बच्चे अन्य विषयों की भी बेहतर समझ विकसित कर पाते हैं फिर वह चाहे भाषा हो या भूगोल या फिर विज्ञान। अध्ययनों से सिद्ध हुआ है कि कला के सम्पर्क और परिचय में आने से मस्तिष्क की गतिविधि को बढ़ावा मिलता है। बच्चा समस्याओं के हल निकालना सीखता है। वह अपने विचार अलग-अलग तरह से दूसरों तक पहुँचाना भी सीखता है। कला बच्चे के समग्र व्यक्तित्व का विकास करती है, उसमें आत्म-सम्मान का निर्माण होता है और अनुशासन भी आता है। कला से सम्बद्ध होने की वजह से एक बच्चा अधिक रचनात्मक और नवाचारी बनता है तथा दूसरों के साथ सहयोग करना सीखता है। सारांश में, कला-गतिविधियाँ बच्चे के व्यक्तित्व-विकास, बौद्धिक प्रगति तथा अवलोकनात्मक दक्षताओं में बेहतरी लाने के लिए आवश्यक हैं।
- Get link
- Other Apps
Comments