संभावना ओर सच


आपके पास पहले से मौजूद ज्ञान और जानकारी में खुद को और भी मजबूत कर लें। अगर वो जानकारी पक्की है तो उसे आदर करे।  फिर इस बात का पता लगाएँ, कि आपको क्या चाहिए। समजीए...

पहले कोई बीमार था।
धीरे धीरे अब उसमें सुधार है।
अगर सुधार है तो आप को मानना होगा की कुछ संभावना हैं।
अपने आपको हर जरूरी जानकारी से अवगत कराएँ, फिर इन सभी को कुछ ऐसे इकट्ठे करें, जो आपके काम आए। अगर कुछ अच्छा होने के लिए कुछ बुरा करना इसका मतलब है, उस के प्रति भाव प्रकट करना। जो मा होती है, वोही दवाई खिलाती हैं। 

उदाहरण के लिए, अगर आप किसी टेस्ट को पास करना चाहते हैं, तो पहले ये तय करें, कि आपको पहले से कितना आता है और आपको कितना और पढ़ना है। पहले आपको पहले से मालूम जानकारी को दोहरा लें, फिर आपके नोट्स, टेक्स्टबुक या आपके लिए मददगार अन्य सोर्स से और भी ज्यादा जानकारी अपने की कोशिश करें। जानकारी बदल भी सकती हैं। आज से कुछ सालों पहले किताबो ने गूजरात की जो जानकारी है, वो आज सही नहीं हो सकती। जानकारी को सही मायने में ओर परिस्थिति के सामने देखना चाहिए।

सरकुम:

कुछ नहीं होता,
जब सीखने बैठते है।
पुराना सामने होता है।
नए में समज की कमी  हैं।
सो, पढ़ाई वैसे ही छूट जाती है।

बच्चे की गलती क्या थी,
बच्चा समज नहीं पाया हैं।
सरकार सामने ये गुनहगार आज,
हाथ जोड़ के रो खड़ा है,आँख मूंद के खड़ा है।


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