कुछ निर्णय करें:


आपको जो निर्णय करने की जरूरत हैं, उन्हें पहचानें और कैसे वो आपकी समस्या को सुलझाने में मदद करने वाले हैं, इसे भी तय करें। निर्णय लेने से आपको आपकी समस्या के हल की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी, तो पहले कहाँ ध्यान लगाना चाहिए, क्या करना चाहिए और आप इसे कैसे करने वाले हैं, इन सबका निर्णय लेते हुए ही शुरुआत करे...

उदाहरण के लिए, आपके पास में सुलझाने के लायक बहुत सारी समस्याएँ हो सकती हैं और आपको पहले ये तय करना है, कि कौन सी समस्या को पहले सुलझाया जाए। किसी एक समस्या का हल, आपको टेंशन से या फिर दूसरी समस्याओं पर होने वाले स्ट्रेस से बचा सकता है।

एक बार निर्णय ले लेने के बाद, अपने ऊपर शक ना करें। इस पॉइंट से सिर्फ आगे ही देखें, न कि कुछ ऐसा सोचने लग जाएँ, कि अगर ऐसा तय किया होता, तो कैसा होता। जो भी तय किया हैं उसे पकड़े रखे। अगर कोई गलती से मिस्टिक हुई हैं तो गलती को सुधारा भी जा सकता हैं। मगर सबसे पहला सवाल हैं कुछ तय करले।

सरकुम:

कोंन कहता हैं,
आसमा में सुराग नहीं होता।
एक पथ्थर तबियत से उछालो यारो।


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