Thanks वख्त
किसी के जीवन में एक सा समय नहीं होता। भले वो कोई भी क्यो न हो। अपने ओर परायो के बीच हमारा क्या ओर कितना हैं वो समय से मालूम हो जाता हैं।
किसी का समय अकेला अच्छा या बुरा नहीं होता। नहीं ऐसा होना चाहिए। आज के दौर में को अपना हैं और कौन पराया ये सोचना ही नहीं हैं। समय ऐसा आएगा कि अपने पराये की पहचान अपने आप हो जाएगी।
आप दानवो को देखो।
आप देवो को देखो और हमारे आसपास के उदाहरण देखो।सदैव सब का समय समान नहीं होता हैं।चाहे वो भगवान हो या मनुष्य।
अगर एक बार हम किसीको पहचान ले तो ठीक हैं।मगर ऐसा भी न हो कि सामने वाले को पहचान ने के लिए बर्बाद करने का मौका दे या राह देखे। हमे ये सोचना नहीं हैं कि को क्या हैं,हमे ये सोचना हैं कि हमारा क्या हैं।
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वख्त अगर एक सा रहता,
न खुशी मिलती,
न खुश हो पाते।
न गम सामने आते,
न गमगीन कोई बनते।
वख्त एक सा रहता तो अच्छा न था।
क्यो कि हम परायो में से अपनो को खोज नहीं पाते।
@खुद गब्बर
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