स्कूल में भगवद गीता

आज कल शिक्षामें कई नवाचार होते हैं।कई बड़े संकुल घोड़े पर बिठानेकी 3 लाख फीस लेते हैं।गधे जैसे पेरेंट्स इसके लिए फीस देतेभी हैं।क्या घोड़े से बैठने के इतने पैसे सही हैं।बनासकांठा के दीस शहर के पास एक छोटासा गाँव हैं।गाँवका नाम रानपुर हैं।वैसेतो तीन रानपुर आपसमें हैं।इसलिए इस रानपुर को रानपुर वाचला वास(विचवाला)कहते हैं।
यहाँ एक हाईस्कूल हैं।श्री गोपाल जोशी इसके प्रधान अध्यापक हैं।कई हाईस्कूल वाले कहते हैं कि हमारे यहाँ जो बच्चे आते हैं,वो गुजराती पढ़ नहीं पाते।यहाभी ऐसा होता होगा।वो उस समस्या को हल करने के अलावा एक काम और भी करते हैं।उनके संकुल में दाखिल होनेवाले सभी बच्चों को वो भगवद गीता का पुस्तक देते हैं।उन्होंने ऐसी व्यवस्था बनाई हैं कि हर बच्चे जो यहाँ पढ़ते हैं वो भगवद गीतको मुखपाठ करते हैं।संकुल के सभी विद्यार्थी पूर्ण भगवद गीता मुखपाठ करते हैं,बोल सकते हैं।ये बच्चे भगवद गीताके बारेमें हमे समजा पाते हैं।
नवगुजरात समय के लिए श्री पंकज सोनीजी ने जो रिपोर्ट बनाया था,में भी उनके साथ जुड़ा था।छोटे से गाँव में ऐसी हाईस्कूल को देखना आपको पसंद आएगा।
जय भगवद।

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