शिक्षा मेरा शोख ....

आजकल किसी को कहे की आपका शोख क्या हैं?इस सवाल को सुनते ही हमे कुछ ऐसे जवाब मिलते है जो तय होते हैं!जैसे की खेलना,पढ़ना,गुमना,संगीत और ऐसे कई सरे जवाब मिलते हैं!अगर ऐसे व्यक्ति को उसने जो शोख दर्शाया हैं उसके आधार पे कुछ काम दिया जाय तो हमें मालुम पड़ता हैं की अपने शोख्में बताई कोई क्रिया ये व्यक्ति नहीं कर सकते हैं!आसपास देखा जाए तो की सरे लोग ऐसे हैं जो शोख न होने के बावजूद भी वो काम अच्छी तरह से करते हैं!
काम को दो तरीके से देखा जाता हैं!
एक काम ये हैं जो की हम अपना परिवार चलने के लिए करते हैं!दूसरा काम हम शोख से करते हैं!दोनों काम के नतीजे अलग अलग हैं! किसी से हमे खुशी मिलाती हैं तो किसीसे हमें पैसा!खुशी और पैसा दोनों हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं!ऐसे महत्वपूर्ण बातों को हमें सिर्फ दिखाना नहीं उसे जीवनमें उतारनी होती हैं!ऐसी बातें जो सुननेमें अच्छी लगाती हैं मगर उसके ऊपर काम करने से हमें पता चलता हैं की शोख निभाना और उसे बनाये रखना भुत मुश्किल हैं!जो मुश्किल से बहार आता हैं वो सफल होता हैं!अगर थोड़े दिनोमें सफलता मिलती तो सिर्फ गुजरातमें कई सरे चित्रकार और संगीतकार होंते!सिर्फ कुछ दिन वर्कशॉप या प्रेक्टिस से महारत हांसिल होती तो शोख बनता!आजकल हमारे बच्चो के पेरेंट्स समर केम्पमें बच्चो को बजाते हैं!मगर वैसेही कुछ दिनोमें अगर कोई शोखीन स्किल प्राप्त कर ले तो वो लाखो बच्चोमें एकाद होता हैं!
सभीके लिए ऐ संभव नहीं हैं!मेरा शोख शिक्षा हैं!अगर मुझे मेरा शोख पाले रखना हैं तो उसमें क्या नया होता हैं वो मुझे जानना हैं!खेल का शोख रखने वाली व्यक्ति खेल के बारें में जानकारी प्राप्त नहीं करेगा तो...बस,एक सवाल के साथ में मेरी बात आज ख़त्म करता हूँ! 

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