कोंन लिखेगा...?
एक फोटोग्राफ मिला।
किसी दोस्त ने भेजा हैं।
श्री रविन्द्र अँधारिया ने इसके बारे में फोटो के साथ कुछ लिखा था।अब मेरी बात।में भी लिखता हूं।139 से अधिक पुस्तक लिखे हैं।बच्चो का साहित्य तो यहाँ किलो के भाव से बिकते हैं।
में तो खुश हूं कि इस तरीके से भी तो ये बेचते हैं।और हा, किताबो का इस तरीके से बिकना कोई नई बात नहीं हैं।मगर में खुश हूं कि बच्चो की किताब बेची जा रही हैं।
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