ऐसा भी होता है...












एक सर्जक।
अंग्रेज सर्जक।
उनका नाम रडियार्ड।
रडियार्ड गीत,कविता,कहानियां ओर लेख लिखते थे।वो बहोत प्रसिद्ध लेखक थे।कहा जाता हैं कि वो लिखने का बहोत पैसा लेते थे।उनकी लिखाई ओर व्यावसायिक सज्जता की उनके विरोधी भी गवाही देते।वो,जवाब देनेमें ओर किसी भी व्यक्तिको खामोश करने में वो लाजवाब थे।
एक दिन ऐसा हुआ।

वर्ष 1907 की बात हैं।रडियार्ड को साहित्य का नोबल पुरस्कार मिला था।विश्व के सभी अग्रणी मीडिया ग्रुप के प्रतिनिधि उपस्थित रहने वाले थे।कोई एक प्रतिनिधि जो रडियार्ड का विरोधी व्यक्ति था।वो आज उन्हें कुछ ऐसे सवाल करने वाला था कि रडियार्ड जवाब न दे सके।रडियार्ड को परेशान करने का तय करके आने वाला पत्रकार क्लिपिंग आज पूरी तैयारी करके आया था।उन्होंने रेडियर्ड को क्लिपिंग ने पूछा,मेने सुना हैं आप लिखने का बहोत सारा चार्ज करते हैं।रेडियर्ड ने कहा:' जी,मेरे विचारों को पेपर में उतारने के लिए मुजे लिखना पड़ता हैं।और मेरी इस महंत के लिए में पैसा लेता हूँ।

बात चल रही थी।आगे पीछे से कुछ और सवाल भी आये।रेडियर्ड ने उसके जवाब दिए।फिरसे क्लिपिंग ने पूछा।रेडियर्ड जवाब देने को तैयार थे।क्लिपिंग ने पूछा:'एक लेख या कविता लिखने में जितने शब्द होते हैं उतने डॉलर आप मागते हैं?आप का एक शब्द 100 डॉलर का होता हैं।

ये बात सुनकर रेडियर्ड ने कहा '100 डॉलर का कोई शब्द नहीं होता,उसे किसके आसपास लिखने से उसका मूल्य बढ़ता हैं वो मुजे मालूम हैं।'क्लिपिंग ने कहा 'में आपको 100 डॉलर देता हूँ,आप मुजे एक शब्द दीजिए।रडियार्ड ने 100 डॉलर का नोट अपने जेब में रखा और 'शुक्रिया' बोल कर खड़े हो गए।
क्लिपिंग के सवाल खत्म हो चुके थे।क्लिपिंग ने रडियार्ड को आखरी सवाल पूछा।मेने 100 डॉलर दिया हैं,आप मुजे कोई शब्द दो।क्लिपिंग का सवाल खत्म होने से पहले रडियार्ड ने कहा 'एक शब्द फिर से कहने का में 50 डॉलर लेता हूँ।रडियार्ड शुक्रिया कहकर चले गए।
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भरोसा कहने से नही,अहसास से पनपता हैं।हमे सुख तो बहोत मिला हैं।शांति की तलाश हैं।अगर तृप्ति या संतोष नहीं हैं तो शांति नहीं हैं।शांति नहीं हैं तो सुख नहीं हैं।सुख नहीं हैं तो प्रेम कैसे होगा।प्रेम नहीं हैं तो आनंद की अनुभूति नहीं होगी।तो चलो तृप्त होने के रास्ते खोजे।

Bn#1

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