दीवारो के कान
ऐसा सुना था।आज देखा।हो सकता हैं कि ये पिक्चर एडिट करके बनाया गया हो।किसी क्रिएटिव कंस्ट्रक्शन कंपनी ने किसी इनोवेटर्स ने ऐसी डिजाइन बनाई होगी।
आज बात कुछ और हैं।
दीवारों के भी कान हॉते है,इस बात को आगे बढ़ाते हुए में ये कहूंगा कि दीवारों के कान वाले जो होते हैं वैसे लोग ना काम होते हैं।आज के समय में दीवारों के कान नहीं मुह भी होता हैं।जीसी भी व्यक्ति के घर की दीवारों को देखकर हम कुछ तय कर सकते हैं।उस व्यक्ति के बारे में,उस के परिवार के बारे में ओर अन्य जानकारी प्राप्त हो सकती हैं।पीछा ले कुछ सालों से बहोत सारी स्कुल ऐसी हैं कि उनकी दीवारे बोलती हैं।
मदद की दीवार
भरूच में एक दीवार हैं।
नेकी की दीवार,सबसे पहले मेने 4 साल पहले महाराष्ट्र में देखा था।आज तो भारत के कई शहरों में मैने ऐसी दीवारो के बारे में सुना हैं या देखा हैं।जिसे जरूर नहीं हैं वो अपनी चीज रख जाय।जिसे आवश्यकता हैं वो ले जाता हैं। कभी फिर एक ऐसी दीवार की एक सच्ची कहानी।
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