आयंबिल ओर पून्य...


आयंबिल...
एक ऐसा शब्द जो हमारे व्यवहार में नहीं हैं।जैन शत्रो में उसके लिए लिखा गया हैं।जैन शाशन में अन्न के बचाव को बहुत महत्वपूर्ण माना गया हैं।
हुआ ये की स्टेट इनोवेशन फेर में विमोचित होनेवाली बुक के लेखन के दौरान कुछ दिनों तक विजापुर में रहना हुआ।यहाँ एक जैन संस्थान हैं।हमारा वर्कशॉप वहीं था।काम खत्म करके जब सभी साथी खाने बैठे तो हमने पढ़ा की आयंबिल करने से एक उपवास का पून्य प्राप्त होता हैं।
हमारी इंतजारी बढ़ी की ये आयंबिल में ऐसा क्या हैं जो करने से हमे एक उपवास का पून्य मिलता हैं।
हमने वहां के व्यवस्थापक को पूछा।उन्होंने कहा, 'खाना खत्म करने के बाद हाथ धोने के बाद अपनी जूठी थाली को साफ करके पानी को पीनेवाले को एक आयंबिल का पुण्य मिलता हैं।
हमने भी आयंबिल किया,ओर से आज तक निभाये हुए हैं।
अन्न का महत्व धर्म से भी अधिक सामाजिक व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं।आज कितने सारे लोग जो भूखे सो जाते हैं।

क्या हम भी अनाज के साथ भूख से बेहाल लोगो के लिए अपनी थाली में अन्न का दाना भी न छोड़ने का संकल्प नहीं ले सकते?अनाज बचना ये भी एक पून्य हैं।इस पून्य को प्रत्येक धर्म ने मन हैं।

#अन्न देव
#आयंबिल

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