मेरे पैर देख के लिखलो...








एक बच्चा था।
वो कक्षा तीन में पढ़ता था।
उसका नाम भोलू।भोलू पढ़ने में कुछ ज्यादा ही कमजोर था।अध्यापक उन को पढ़ाते समय अच्छी प्रवृत्ति ओर ज्ञान का सर्जन करवाते थे।
एक दिन की बात हैं।

गुरुजी ने सभी बच्चों को एक टास्क दीया।उन्हों ने कहा 'आप पंखी के पैर को देखकर उसका नाम लिखो।पर्यावरण विषय के लेखक होने पर में भी ऐसी प्रवृत्ति को पाठ्यक्रम में लिखता हूँ।मेने ऐसी प्रवृत्तिनको लिखा हैं।
गुरुजी ने भोलू से भी कहा,पंखी के पैर देखकर तुम उसका नाम लिखो।ये सुनकर भोलू रोने लगा।गुरुजी को उसने बताया कि क्यो रो रहे हो।ये बात सुनकर भोलू ने कहा 'पंखी के पैर देखकर में उसका नाम नहीं लिख सकता।उसे रोता देखकर गुरुजी ने कहा 'तुम अपना नाम बताओ।ये सुनकर भोलू ने कहा 'गुरुजी,आप मेरे पैर देखके लिखलो।'
ये तो हुई एक जोक्स वाली बात।मगर ऐसे कई सारे सवाल होते हैं।जिनके बारें में बच्चो के जवाब रियल में सही थे।
बच्चा कहता हैं कि मेरे पैर देखकर मेरा नाम लिखो।मगर उसका दूसरा अर्थ ए भी हैं कि पंखी तो मैने कभी मेरे सामने बैठा हुआ नहीं देखा,में तो गुरुजी,रोज आपके साथ सामने बैठता हु।
आप भी ऐसे सवाल हैं तो मुझ तक पहुंचाए। 

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