विश्वास में ही श्वास हैं...


किसी भी व्यक्ति में आत्मविश्वास से अधिक जरूरी है उसके अंदर स्पष्टता का होना। यदि आप किसी भीड़ को पार कर कहीं पहुंचना चाहते हैं, आपकी दृष्टि सही जगह पर है और आप देख पा रहे हैं कि भीड़ कहां खड़ी है, तो आप बहुत आसानी से बिना किसी से टकराए अपना रास्ता बनाते हुए अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे। लेकिन आपकी नजर अगर सही जगह पर नहीं है और महज विश्वास है, तो आप हर किसी से टकराते रहेंगे।

सच्चाई होती हो तो उसमें अकड़ आही जाती हैं।हम हमारे विचार में स्पष्टता लानी चाहिए।महज सुनने या कहने से ही किसी नतीजे पर पहुंचने में कभी खालीपन महसूस होता हैं। उस वख्त हम उन लोगो से फिर से जुड़ नहीं सकते या उन से आंखे नहीं मिला सकते हैं।

लोगों को लगता है कि महज उनका आत्मविश्वास ही उनके अंदर की स्पष्टता की कमी को पूरा कर देगा। लेकिन ऐसा कतई नहीं है।आप जिस चीज के ऊपर विश्वास रखकर निकले हो क्या मालूम वो चीज ही गलत न हो। समजीए आप के पॉकेट में 2 हजार का नोट हैं। आप बाजार में से कुछ खरीदना चाहते हैं। खरीद करने के बाद आप 2000 ना नॉट देते हैं। दुकानदार कहता हैं कि ये नॉट जाली हैं। अब क्या होगा, आप को तो उस नॉट पे भरोसा था।

कुछ लोग लक में मानते हैं। मेरे नसीब ऐसा या वैसा। वो मान लीजिए कि आप अपने जीवन के सभी बड़े फैसले सिक्का उछालकर करते हैं कि चित आए तो इधर, पट आए तो उधर और यदि ऐसा करने से 50 फीसदी बार भी आपको अपने सवालों के जवाब मिल जाते हों, तो फिर दुनिया में आपके लिए सिर्फ दो ही तरह के रोजगार बच जाते हैं- मौसम विभाग में भविष्यवाणी करने का या फिर ज्योतिष का। इसके अलावा और कोई व्यवसाय आपके लिए नहीं होगा।

जब कोई सवाल सामने आए हैं तो उस की जांच करो। उसे परखो सीधा कोई निर्णय न करो। कहते हैं जब खुश हो तो वचन न दे और गुस्सा हो तो निर्णय न करे।

सरकुम:
मुजे विश्वास हैं।
मुजे जिन पे विश्वास हैं वो मेरी सांस हैं।

आत्म विश्वास जैसा कुछ नहीं हैं मेरे पास।
मेरा आत्मा और मेरा सिर्फ श्वास वो ही हैं।

#गणेश जी की सरकार...

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