एक अद्भुत कलाकार: मोरे
कुछ दिनों पहले मेरा महाराष्ट्र के सोलापुर में जाना हुआ। अक्कलकोट की एक कॉंफ़र्न्स में मुजे वक्तव्य देना था। मेरे वक्तव्य के बाद मुजे एक अध्यापक मील। उनका नाम सुनिल मोरे । वो शिंदखेडा जिला धुलियामें प्रायमरी टीचर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। सर फौंडेशन के द्वारा आयोजित इस कॉन्फरन्स मे हिस्सा लेने अक्कलकोट वो आये थे। उन्होंने आर्ट अँड क्राफ्ट विषय के माध्यम मे एक हस्तशिल्पकार के जैसा काम किया हैं। उन्होंने नारियल का पेड जिसे कल्पवृक्ष बोला जाता है लेकीन इस कल्पवृक्ष का फल नारीयल हैं। जीससे खोबरा निकालके उसका छिलका बाहर कुडेदान मे कचरे मे कुछ काम का नही आता वैसे हम फेंक देते हैं। ये समजके फेक देते है की उससे कुछ नहीं होगा। मगर मोरे जी ने उसी छिलके से पिछले 10 सालोमे करीब 1000 क्राफ्ट आर्टिकल्स बनाये है ।जो पुरी तरह से केवल हात से और उनकी कल्पकता से बनाई हैं। मेरा मानना हैं कि वो अपनी बात अच्छे से लिझे तो उनके नाम पर भी कीर्तिमान बन सकते हैं।
संपर्क:
सुनिल मोरे, प्रा.शिक्षक
शिंदखेडा ता.शिंदखेडा जि.धुलिया (महाराष्ट्र)
मो.9604646100
सरकुम:
कलाकार कभी जुड़ता नहीं।
कलाकार हमेशा जुड़े रहता हैं।
वो नया सर्जन करता हैं,वो सर्जन हार न होते हुए भी वो सर्जक हैं।कुछ लोग ऐसे ही अद्भुत परिवर्तन लाने में सफल होते हैं। कोई परिबर्तन असम्भव नहीं हैं,अगर वो आप दिल से करना चाहते हैं।
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