मोत ओर खाई...

वॉरेन बफेट 
विश्व में मैनेजमेन्ट के लिए उन्हें एक यूनिवर्सिटी माना जाता हैं।उनकी ये किताब मुजे किसी ने बहुत दी थी। बहोत दिनों से उसे साथ लेके गुमता रहा। आज में स्किल बुक के नेशनल सेंटर को खोज ने में ओर डेवेलोप करने के काम से जुड़ा हूँ। व्यवस्थापन की बहोत सारी समस्याओं का सामना कर रहा हु। जिन से काम की आशा हैं वो काम नहीं कर रहे हैं। जिन से सहज सहकार की आशा हैं वो वैसा नहीं कर पाते हैं।

ऐसे हालात वॉरेन के भी आये थे।
आज विश्व की 88 से अधिक कंपनी के सीईओ उन से समय लेके मिलने आते हैं। बफेट अगर समय देते हैं तो कोई भी कंपनी कहि भी अपने CEO को भेजने तैयार हैं।2.33.000 से अधिक कर्मचारी उनके साथ जुड़े हैं। इस किताब में पढ़ा कि उनकी किताब ध बटर फ्लाय बर्कबुक को भी पढ़ने की ख्वाइश हुई हैं। नेट में सर्च कर ने से मालूम पड़ा के उनकी ओर भी किताबे हैं। मगर बटर फ्लाय वर्क बुक को पढ़ने को मन तैयार हैं जल्द से उसे में प्राप्त करके पढूंगा।

घर से निकल चुका हूं।
मंजिल थी अब शायद नहीं रही हैं।
मंजिल का मालूम हैं मगर कुछ दूर दिखती हैं। बफेट कहते हैं जब ऐसा हैं तो मंजिल को पाने के इरादे छोड़ने नहीं चाहिए, जो गलतियां हो चुकी हैं उसे जानकर अलग से ऐसा न हो उसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए।
कुछ काम नहीं था।
पैर में चोट थी। घर पे रहना था।
ऐसी समस्याओं और सवालो के साथ घर रहना पड़ा। ड्राइवर भी बहलाते हुए अम्बाजी जाने को निकल था।  घर से निकलना सम्भव नहीं था। कुछ काम सूज नहीं रहा था। तब इस किताब को पकड़ा। क्या किताब हैं। पूरे एक दिन में उसे ऊपर से पढ़ लिया। जब कुछ फीर से पढ़ने का मन हुआ पढ़ लिया। बाद में उसे ही अपनाया। एक तरफ मोत हैं, दूसरी तरफ खाई। वॉर्न बफेट का मानना हैं, खाई में कूद जाओ। मोत तुरंत आएगी, खाई में 2 या 4 सेकंड ज्यादा जीवन मिलेगा।
आज जीवन के नए पड़ाव को खोज ने के बजाय जो तय किया हैं उसे आगे बढाने के लिए व्यस्त हूं। कुछ निजी कारणों से त्रस्त हु, मगर स्वास के साथ  विश्वास  हैं कि 'जो होगा अच्छा होगा।

सरकुम:
कुछ मंजिले होती ही ऐसी हैं।
आसान होती तो हर कोई पा लेता।
मुश्किल नहीं हैं पाना, बस,उस के लायक बनना हैं।

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