शिक्षा के ग्राहक
शिक्षा के मामले में हमारी भूमिका सामान खरीदने वाले ग्राहक की तरह हो गई है” शिक्षा के बारे में ख्याल आते ही कई सारी चीज़ें ज़हन में आने लगती हैं। विद्यालय भवन, शिक्षक, बच्चे और किताबों के बारे में हम सोचने लगते हैं। ये छवि वर्तमान की तुलना में भविष्य का सुंदर चित्र उकेरती है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि शिक्षा हमारे सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करने वाला साधन है। इसका प्रमाण आप ‘बड़े आदमी’ के मिथक के रूप में देख सकते हैं जिसके लिए शिक्षित होना एक ज़रूरी शर्त है।
वर्तमान समय में इसी सुरक्षित भविष्य की उम्मीद में हम शिक्षा के लिए हर संकट उठाने को तैयार रहते हैं। क्या आपने कभी शिक्षा के भविष्य के बारे में सोचा है? बदलते समय में शिक्षा की परिकल्पना और बदलावों को समझना आवश्यक है। शिक्षा के भविष्य पर बात करने से पहले इसके अतीत और वर्तमान का उल्लेख करना भी ज़रूरी है। यहां शिक्षा का मकसद व्यक्ति को जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के कौशल सीखाना था। धीरे-धीरे शिक्षा सामाजिकता के विकास का माध्यम बन गई। मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ नागरिकता के गुणों के विकास को भी शिक्षा के लक्ष्यों से जोड़ दिया गया।
औद्योगिक क्रांति के बाद तो शिक्षा की भूमिका में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिली। यह मानव संसाधन तैयार करने वाले साधन के रूप में स्वीकार की जाने लगी। लिखने, पढ़ने और गिनने की दक्षताएं, उत्पादन की कुशलताएं और प्रभावपूर्ण तरीके से मानसिक और शारीरिक श्रम की आदत का विकास हमारे शिक्षा व्यवस्था का एकमात्र लक्ष्य बन गया। शिक्षा के व्यापक प्रसार, शिक्षित होने की लालसा और शिक्षितों के समाज में इसी लक्ष्य का साकार रूप देखा जा सकता है।
पिछले कुछ दशकों में हमारे समाज और संस्कृति में महत्वपूर्ण बदलाव आ चुके हैं। एक दौर में शिक्षा के कंधों पर विकास की ज़िम्मेदारी थी लेकिन आजकल यही शिक्षा विकास और वैश्वीकरण के पीछे चल रही है। शिक्षा की तीनों संकल्पनाओं जैसे, सत्य की खोज, मानव की दशाओं में सुधार और बौद्धिक व शारीरिक श्रम के उत्पादन में से हमारी शिक्षा व्यवस्था बाद के दो उद्देश्यों को ढो रही है। विडंबना देखिए हम अपने व्यवहार, विश्वास और रिश्तों में व्यक्तिनिष्ठ होते जा रहे हैं। इसका प्रभाव केवल बाहरी स्तर तक नहीं है, बल्कि हमारी चेतना की सांस्कृतिक जड़े कमज़ोर हो रही हैं। शिक्षा जैसी व्यवस्था भी इसकी जड़ को नहीं संभाल पा रही हैं।
#Bno...
में शिक्षा से जुड़ा हु।
मगर में ग्राहक पैदा करने के खिलाफ हु।
मुजे कुछ ऐसा करना हैं कि जिससे ग्राहक न बढ़े और न बने।
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