इच्छाशक्ति ओर नवाचार...

जब कुछ होता हैं, तब कुछ कुछ होता हैं!आप देखते है कि बैठने के टेबल को चलने के लिए उपयोगमें लिया जा रहा हैं!ये फोटोग्राफ पूर्वांचल भारत से हैं!बारिश में एक अगर रोड के ऊपर चलना है तो?हो सकता हैं कि यह कोई व्यापारी हो!रोड के दोनों तरफ उसकी दुकान हो!कुछ भी हो सकता हैं!अभी तो हम इस फोटो की मजा लेंगे!
साथ मे एक बात आज फिर से तय करले की कुछ भी हो सकता हैं!यह कुछ भी होने के लिए कुछ होना जरूरी हैं।जहाँ कोई अड़चन हैं।वहाँ समाधान मिलेगा।वहाँ रास्ता निकलेगा।
मेरे एक दोस्त थे!कॉम्प्यूटर ओर नेट के बारेमें जब इन्हें में समजता,वो सीखने को तैयार नहीं थी।आज वो अपना सब काम अपने आप सीखी हैं,ओर करती हैं!क्यो की उनके ऊपर ये आ पड़ी थी।मेरे पिताजी ने 62 साल की उम्रमें गाड़ी चलाना सीखा!वो चाहते तो ड्रायवर रखते,मगर उन्होंने ड्रायवर की सुविधा न लेते हुए अपने आप गाड़ी सीखे।अब ड्रायवर हैं वो सुविधा हैं,अगर गाड़ी नहीं आती होती तो ड्रायवर की आवश्यकता थी!सुविधा और आवश्यकता के बीच
जो हैं उसे हम इच्छा शक्ति कहते हैं!सवाल है,इच्छा शक्ति और विचार का।हम समस्या को देखते हैं।उसके सामने हम कुछ समाधान नहीं ढूंढते।टेबल वाले फोटोग्राफ से आप समझ गए होंगे,समस्या कितनी बड़ी क्यो न हो।छोटासा नया विचार समस्या को पराजित कर सकता हैं!
भगवान से ये न कहो समस्या कितनी बड़ी हैं।समस्या को कहो, भगवान कितना बड़ा हैं।कोई माने या न माने।हम मानते हैं की कोई समस्या स्थाई नहीं हैं।भले वो समस्या कोई भी क्यों न हो!हमे नए विचार से समस्याओंको पराजित करना हैं!

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